इतिहास के झरोखे से : इंडिया पेल एल (India Pale Ale) (लोकप्रिय ब्रिटिश बियर)

स्वाद- खाद्य का इतिहास
20-05-2020 09:30 AM
इतिहास के झरोखे से : इंडिया पेल एल (India Pale Ale) (लोकप्रिय ब्रिटिश बियर)

विश्व की सबसे पुरानी मदिरा शायद बियर है और इसका प्रमाण इतिहास में मेसोपोटामिया (Mesopotamia) और प्राचीन मिस्र की सभ्यताओं में भी मिलता है।बियर अन्य मदिराओं की अपेक्षा काफ़ी कम समय में तैयार हो जाती है और अपेक्षाकृत सस्ती भी होती है।

क्या है, बियर का इतिहास ?
बियर का इतिहास वाईन (Wine) से भी पुराना है। पुराने ज़माने में मेसोपोटामिया के जिस इलाक़े में सुमेरी लोगों का बसेरा था, वहाँ मिले कुछ शिलालेखों से पता चलता है कि बियर का प्रयोग तीसरे मिलेनियम ई. पू. से आरम्भ हुआ था। सुमेर (आधुनिक ईरान) में गोडिन टेप (Godin Tepe) की खुदाई की जगह पर बियर का एक जार मिला जो क़रीब 3400 ई.पू. का था। तभी बाबुलियों और मिस्रियों के भी बियर पीने का पता चला। प्राचीन मिस्र में आमतौर पर बियर बनती थी। लगभग 5000 ई.पू. मिस्र के लोगों ने पेपरस स्क्रोल्स (Papyrus scrolls) पर बियर बनाने की विधि को लिखा था। इस पहली बियर को खजूर, अनार और अन्य देसी जड़ी-बूटियों के साथ बनाया गया था। मिस्रियों ने फैरो (Pharaoh) के साथ धार्मिक समारोहों के लिए भी बियर का प्रयोग किया। फैरो ने ही मिस्र में सबसे पहले शराब बनाई थी। समय के साथ बियर बनाने की तकनीक यूरोप तक पहुँच गई। मध्य युग के दौरान बियर जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा बन गई। बियर को सड़ने से बचाने के लिए हॉप्स (Hops) के प्रयोग के साथ-साथ इसे बनाने की तकनीक में भी सुधार किए गए। हॉप्स ने लम्बे समय के लिए बियर को जो प्राकृतिक संरक्षण दिया, उसे देख इसका उपयोग जर्मनी और बेल्जियम जैसे देशों ने भी किया। बियर ब्रिटिश जीवन का भी अभिन्न हिस्सा रही। ब्रिटिश सेना ने हर सैनिक के राशन में इसे शुमार किया। बियर की बहुत लोकप्रिय क़िस्म इंडिया पेल एल (India Pale Ale) को जहाज़ों के ज़रिए इंग्लैंड से भारत और बर्मा जैसे दूरस्थ क्षेत्रों तक पहुँचाया गया।

इंडिया पेल एल (India Pale Ale) की कहानी
इंडिया पेल एल (IPA) बियर की पहचान है अल्कोहल की उच्च मात्रा और हॉप्स का समन्वय। मध्य 17 वीं शताब्दी में पेल एल इंग्लैंड में बहुत प्रचलित थी। यह ग्रामीण इलाक़ों और मार्केट (Market) में बड़ी लोकप्रिय थी। इसका रंग पीला होने के कारण इसमें कोई मिलावट नहीं हो पाती थी। पहले इस बियर को कोई इंडिया पेल एल नहीं कहता था। लगभग 50 वर्षों तक मुक्त रहने के बाद इसे इस नाम से बुलाया जाने लगा। IPA एक ऐसी बियर है जिसने अपनी लम्बी उम्र (shelf life) और शुद्धता के लिए बड़ी प्रसिद्धी पाई। इसका विकास समझने के लिए वह संदर्भ समझना होगा जिसने इसे पैदा किया। 1600 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी की स्थापना का उद्देश्य सिर्फ़ मसालों के व्यापार से पैसा कमाना था। वे उसमें असफल रहे लेकिन इस बीच उन्होंने लाभप्रद कपड़ा व्यापार शुरू करने के लिए फ़ैक्टरियां लगवा दीं। व्यापारी और अधिकारी यूरोप से आई (मेडिरा) Medeira शराब और बियर पीते थे। कम्पनी के कर्मचारी सस्ती शराब पीकर मौत का शिकार हो जाते थे, तब एक हल्की, सेहत के लिए उचित शराब की माँग उठी। 1716 में भारत में पेल एल के पीने के उदाहरण मिलते हैं। सामान्य शराब भट्टी का मालिक यह जानता था कि ज़्यादा अल्कोहल और ज़्यादा सांद्र हॉप्स से बियर काफ़ी दिनों तक ख़राब नहीं होती ।1790 में पहली बार पेल एल नाम बेल की शराब भट्टी पर सुनाई दिया। 1793 में इसे होजसनज पेल ऐल (Hodgson’s Pale Ale) नाम दिया गया। होजसन ने इसे ख़ास तौर से भारत से लौटने वाले परिवारों को यू. के. (U.K.) में बेचना शुरू किया। 1830 में अख़बारों के इश्तहारों में ईस्ट इंडिया पेल एल (East India Pale Ale) नाम पहली बार छपा।

IPA का ढलता सूरज
IPA ब्रिटिश साम्राज्य की शराब इसलिए नहीं बनी क्योंकि वह अकेली थी जो बीहड़ समुद्री यात्राओं में ख़राब नहीं होती थी, बल्कि इसलिये कि वह ताज़ी, हल्की और स्वाद में औरों से बेहतर थी। 19 वीं शताब्दी ख़त्म होते ही प्रशीतन (Refrigeration), नवोन्मेष और यीस्ट (Yeast) की बेहतर समझ के कारण IPA से बेहतर शराब बनाने के रास्ते खुल गए। उधर ज़रूरत से ज़्यादा शराब के सेवन के क़िस्से भी सामने आए।ब्रिटिश IPA शराब निर्माताओं के लिए निर्यात बाज़ार ग़ायब हो गए। 1970-1980 में IPA को नए मालिक मिल गए। IPA के नए संस्करण आते रहे और दुनिया के लोगों को अपने स्वाद के बंधन में बांधते रहे।

पुनर्जन्म
पीटर बैलेंटिन (Peter Ballantine) एक स्कॉटिश (Scottish) शराब निर्माता 1830 में अमेरिका गया। उसे IPA का अन्दाज़, लगभग 7.5 प्रतिशत ABV और एक साल तक बैरल (Barrel) में ख़राब ना होना बहुत पसंद आया। अमेरिका में IPA की फिर से खोज से ब्रिटेन (Britain) के बहुत से शराब निर्माता उसके नए निर्माणों में लग गए।जिस कारण एक बार फिर से IPA की लोकप्रियता में ज़बरदस्त उछाल आया।

बियर का इतिहास और मेरठ
बियर का इतिहास लम्बे समय से मेरठ के साथ भी जुड़ा हुआ है। जूलियान रैथबोन (Julian Rathbone) की चर्चित पुस्तक ‘The Mutiny’ में भारत और मेरठ के ज़िक्र के साथ-साथ इंडिया पेल एल का उल्लेख भी किया गया है।1830 के दशक में मेरठ में देसी बियर बनाई जाती थी जिसे मिस्टर भोले बियर (Mr. Bhole beer) के नाम से जाना जाता था। यूरोपीय सैनिकों के लिए यह बियर आकर्षण का केंद्र थी। मिस्टर भोले नाम के एक व्यक्ति इसे बनाते थे। यह देसी बियर स्वाद में बढ़िया, पौष्टिक तथा सेहत को कोई नुक़सान नहीं पहुँचाती थी। सैनिक इसका काफ़ी उपभोग करते थे। लेकिन 1839 में ईस्ट इंडिया कम्पनी (East India company) के डॉक्टर जॉन मरे (John Murray) ने कैंट के अंदर इस बियर के सेवन पर रोक लगा दी।ऐसा मानना था कि यह बियर खट्टी,अत्यधिक गैस वाली और स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालने वाली थी।

मेरठ के पास सिसोला खुर्द नामक गाँव में प्रसिद्ध भोले की झाल है।अक्सर लोगों के मन में यह प्रश्न होता है कि कहीं भोला बियर के मिस्टर भोले की स्मृति में ही तो इसका नाम भोले की झाल नहीं पड़ा?

चित्र (सन्दर्भ):
1. मुख्य चित्र में इंडिया पेल एल का 19वीं शताब्दी के दौरान जारी पोस्टर है।
2. दूसरे चित्र में 1910 और 1921 के मध्य प्रयुक्त किये गए लेबल हैं।
3. तीसरे चित्र में प्राचीन सभ्यता से बियर के जोड़ का कलात्मक अभिव्यक्तव्य है।
4. अंतिम चित्र में मेरठ भोला की बियर का कलात्मक चित्रण है।
सन्दर्भ:
1. https://beerandbrewing.com/dictionary/MPYebz08UV/
2. https://bit.ly/2X8IRYt
3. https://meerut.prarang.in/posts/2746/the-unknown-story-of-bhola-beer-of-meerut
4. https://bit.ly/3fW4DHw

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