समयसीमा 245
मानव व उनकी इन्द्रियाँ 942
मानव व उसके आविष्कार 740
भूगोल 219
जीव - जन्तु 273
भारतीय गैंडा (राईनोसिरस यूनिकॉर्निस-Rhinoceros Unicornis), जिसे एक सींग वाला गैंडा भी कहा जाता है, भारतीय उपमहाद्वीप के गैंडे की प्रजाति है। इस प्रजाति को प्रकृति के संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय संघ (International Union for Conservation of Nature-IUCN) ने अपनी रेड लिस्ट (Red List) में संकटग्रस्त जीव के रूप में सूचीबद्ध किया है, क्योंकि यह आबादी खंडित है और 20,000 किलोमीटर 2 से कम क्षेत्र तक सीमित है। इनके सबसे महत्वपूर्ण निवास स्थान, जलोढ़ घास के मैदान और नदी की सीमा पर स्थित जंगल हैं, किन्तु मानव और पशुधन अतिक्रमण के कारण इन की जंगलों की गुणवत्ता में गिरावट आ गयी है।
2008 तक, कुल 2,575 परिपक्व गैंडे जंगलों में थे। एक समय भारतीय गैंडे इंडो-गंगेटिक (Indo-Gangetic) क्षेत्र के पूरे विस्तार में थे, लेकिन अत्यधिक शिकार और कृषि विकास ने उत्तरी भारत और दक्षिणी नेपाल में इसकी सीमा को काफी कम कर दिया। 1990 के दशक की शुरुआत में, करीब 1,870 से 1,895 गैंडों के जीवित होने का अनुमान लगाया गया था। माना जाता है कि, आज से 3 करोड़ वर्ष पूर्व आधुनिक मनुष्यों के प्रकट होने से भी बहुत पहले गैंडे धरती पर मौजूद थे। इनकी उपस्थिति को हिम युग से भी जोड़ा जाता है। उस समय धरती पर विशाल गैंडे जिनका वजन 20 टन तक था, पाए जाते थे। इसकी खोपड़ी अकेले 1 मीटर लंबी थी जो आज के गैंडों की तुलना में बहुत लंबी थी। उस समय के दौरान गैंडों ने महाद्वीपों में प्रवास किया, और प्रागैतिहासिक हाइना (Hyenas) और विशाल मगरमच्छों का सामना किया, और बर्फ युग के उन्मत्त जंगल को समाप्त किया। वर्तमान समय में इस तरह के विशालकाय गैंडे मौजूद नहीं हैं। उस समय ये जीव धरती के सबसे विशालकाय जंतु थे।
2014 में प्रकाशित एक अध्ययन ने सुझाव दिया कि पेरिसोडक्टाइल (Perissodactyls) पहली बार भारत में 5 करोड़ 5 लाख वर्ष पूर्व दिखाई दिए थे, जो उस समय एशिया से जुड़ा नहीं था। पेरिसोडक्टाइल को गैंडों का पूर्वज माना जाता है। भारतीय गैंडे की त्वचा मोटी तथा ग्रे-भूरे रंग की होती है, जिसमें हल्के गुलाबी रंग की परतें होती है। इसके थूथन पर एक सींग होता है तथा शरीर में बहुत कम बाल होते हैं, जो पलकें, कान और पूंछ के बाल से अलग होते हैं। नर की गर्दन में भारी तह होती है। गेंडे का एकल सींग नर और मादा दोनों में मौजूद होता है, लेकिन नवजात पशु में यह उपस्थित नहीं होता। सींग मानव नाखूनों की तरह शुद्ध केराटीन (Keratin) से बने होते हैं, और लगभग छह साल बाद दिखाना शुरू होते हैं। अधिकांश वयस्कों में, सींग लगभग 25 सेंटीमीटर की लंबाई तक पहुंचता है, लेकिन इसकी लंबाई को 36 सेंटीमीटर और वजन 3.051 किलोग्राम तक दर्ज किया गया है। एशिया के स्थलीय भूमि स्तनधारियों में भारतीय गैंडा एशियाई हाथी के बाद दूसरा सबसे बड़ा जंतु हैं। यह सफेद गैंडे के बाद दूसरा सबसे बड़ा जीवित गैंडा है।
नर का सिर और शरीर की लंबाई 368–380 सेंटीमीटर होती है, तथा कंधे की ऊंचाई 170-186 सेंटीमीटर होती है। मादाओं के सिर और शरीर की लंबाई 310-340 सेंटीमीटर और कंधे की ऊंचाई 148–173 सेंटीमीटर होती है। नर लगभग 2,200 किलोग्राम के औसत वजन के साथ, मादा जोकि औसतन 1,600 किलोग्राम वजनी होती हैं, से अधिक भारी होते हैं। त्वचा में परतों की अधिक उपस्थिति शरीर के तापमान को नियंत्रित करने में मदद करती है। भारतीय गैंडा उपमहाद्वीप के पूरे उत्तरी हिस्से में फैला था, जिसमें सिंधु, गंगा और ब्रह्मपुत्र नदी के घाटों के साथ पाकिस्तान से लेकर भारतीय-म्यांमार सीमा तक, बांग्लादेश और नेपाल के दक्षिणी हिस्से और भूटान शामिल थे। यह तराई और ब्रह्मपुत्र बेसिन (Basin) के जलोढ़ घास के मैदानों में निवास करता है। आवास विनाश और जलवायु परिवर्तन के परिणामस्वरूप इनकी सीमा धीरे-धीरे कम होती जा रही है, तथा अब यह केवल दक्षिणी नेपाल, उत्तरी उत्तर प्रदेश, उत्तरी बिहार, उत्तरी पश्चिम बंगाल, और ब्रह्मपुत्र घाटी की तराई वाले घास के मैदानों में पाए जाते हैं।
भारत में बाघों के संरक्षण के लिए किये गये प्रयासों और संघर्षों के बारे में हर कोई जानता है। किंतु भारत की सबसे सफल संरक्षण कहानियों में गैंडे के संरक्षण की कहानी भी शामिल है। एक वैश्विक वन्यजीव पक्षसमर्थन, वर्ल्ड वाइड फंड फ़ॉर नेचर-इंडिया (World Wide Fund for Nature India- WWF-India) के अनुसार, 1905 में भारतीय गैंडे की आबादी मुश्किल से 75 थी किंतु 2012 तक यह 2,700 से अधिक हो गयी, हालांकि इनके अस्तित्व के लिए इनका संरक्षण अभी भी एक बड़ी चिंता का विषय है। 2007 में IUCN एशियाई राइनो विशेषज्ञ समूह के अनुमान के अनुसार भारत में लगभग 2,575 एक-सींग वाले गैंडे थे, जो भारत और नेपाल के कुछ हिस्सों में फैले हुए थे। 1900 तक, जंगल में केवल 100 और 200 गैंडे ही बचे हुए थे। इंटरनेशनल राइनो फाउंडेशन (International Rhino Foundation) के अनुसार, वहाँ से अब तक लगभग 3,500 की अपनी वर्तमान आबादी में यह एक उल्लेखनीय बदलाव है। भारत में, गैंडों को अब उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और असम के कुछ हिस्सों में पाया जा सकता है। WWF-India के आंकड़ों के मुताबिक, 2012 में असम में 91% से अधिक भारतीय गैंडे रहते थे। असम में काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान, पोबितारा वन्यजीव अभयारण्य में भी भारतीय गैंडे मौजूद हैं। काजीरंगा असम के 91% से अधिक गैंडों का घर है तथा यहां भारत के 80% से अधिक गैंडे मौजूद हैं। काजीरंगा उद्यान अधिकारियों द्वारा 2015 की जनगणना के साथ उद्यान के भीतर 2,401 गैंडे मौजूद हैं।
गैंडे के सींग के लिए ही अक्सर उसका शिकार किया जाता है, क्योंकि इनके सींग दवाई और विभिन्न अन्य कामों में उपयोग में आता है। यह एक मुख्य कारण है जिसकी वजह से गेंडों की संख्या घटती जा रही है। विश्व भर में अब 30,000 से भी कम गैंडे बचे हैं। दक्षिण अफ्रीका की दक्षिणी सफेद गैंडों की आबादी अब केवल 20,000 के आसपास रह गयी है। इस नुकसान से बचने के लिए दक्षिण अफ्रीका के वन्यजीव प्रबंधकों ने हर साल सैकड़ों गैंडों के सींगों को काटने का कठोर कदम उठाया। इससे पहले कि वे शिकारियों द्वारा मार दिए जाए, उससे पहले उनके सींगों को काट दिया जाता है। इस प्रक्रिया से सींग रहित जानवरों के लिए जोखिम बहुत कम हो गया है।
गेम रेंजर्स एसोसिएशन ऑफ़ अफ्रीका (Game Rangers Association of Africa) द्वारा 2010-15 में अवैध शिकार के आँकड़ों का विश्लेषण करने पर पाया गया कि लगभग एक चौथाई गैंडों की मौतें मुख्य रूप से सींगों के भंडारण के लिए हुई थी। लेकिन पिछले ढाई वर्षों में, गैंडों को सींग रहित कर देने के बाद उनका अवैध शिकार 5% तक गिर गया। हर 18-24 महीनों में इस प्रक्रिया को दोहराया जाता है क्योंकि सींग स्वाभाविक रूप से उग जाते हैं। यह प्रक्रिया अगर सही तरीके से की जाए तो यह नाखूनों के काटने से ज्यादा दर्दनाक नहीं है, तथा गैंडों को संरक्षित रखने का एक प्रभावी उपाय है।
चित्र (सन्दर्भ):
1. पहले चित्र में एक आराम करते हुए गैंडे का प्रकाश छाँव चित्र है।
2. दूसरे चित्र में जंगल में विचरण करते हुए एक गेंडा दिखाया गया है।
3. तीसरे और चौथे चित्र में गेंडों के एक जोड़े को दिखाया गया है।
संदर्भ:
1. http://www.bbc.com/earth/story/20150518-the-epic-history-of-rhinos
2. https://www.theguardian.com/world/2018/may/31/how-chopping-off-their-horns-helps-save-rhinos-from-poachers
3. https://en.wikipedia.org/wiki/Indian_rhinoceros
4. https://archive.indiaspend.com/cover-story/indias-rhino-population-up-35-times-in-107-years-74682
A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.
B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.