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2011 की जनगणना के आंकड़ों के अनुसार मेरठ में 5,367 ईसाई हैं और उनके द्वारा मेरठ में मौजूद कई चर्चों (Church) में भी गुड फ्राइडे (Good Friday) को विधिवत ढंग से मनाया जाता है। इस दिन मुख्य पादरी द्वारा प्रार्थना के साथ ही ईसा मसीह द्वारा क्रॉस पर दिए सात संदेशों को पढ़ा जाता है। इस दिन ईसाई अनुनाइयों द्वारा ईसा मसीह के सूली पर चढ़ने और उनकी मृत्यु तथा त्याग का स्मरण किया जाता है। लेकिन जब इस दिन ईसा मसीह को सूली पर चढ़ाया गया तो ऐसी अंधेर और धूमिल घटना को गुड फ्राइडे कहके क्यों मनाया जाता है? दरसल इस दिन को गुड फ्राइडे के रूप में मनाने के पीछे कई सिद्धांत हैं, जिसमें पहला सिद्धांत यह बताता है कि इस भयावह शुक्रवार को गुड फ्राइडे इसलिए कहा जाता है क्योंकि ईसा मसीह ने समस्त मानव जाति के पापों को लेकर क्रॉस पर स्वयं को बलिदान कर दिया था। वहीं दूसरी ओर यह भी मान्यता हैं कि ईसा मसीह की मृत्यु के बाद उन्होंने दोबारा जन्म लिया था जिस कारण से इस दिन को गुड फ्राइडे कहा जाता है।
लेकिन फिर भी ईसा मसीह की मृत्यु के दिन को गुड फ्राइडे के बजाए बेड फ्राइडे (Bad Friday) या कुछ इसी तरह से संबोधित क्यों नहीं किया जाता है। उदाहरण के लिए, जर्मन में इस दिन को करफ्रिटैग (Karfreitag) या ‘शोकार्त शुक्रवार (Sorrowful Friday)’ कहा जाता है। इस विषय में कुछ लोगों का मानना है कि गुड शब्द की उत्पत्ति ‘गॉड (God)’ शब्द से हुई थी और गुड फ्राइडे का नाम इस दिन के पुराने नाम गॉडस फ्राइडे (God’s Friday) से विकसित हुआ है। अंतः गुड फ्राइडे उस दिन को चिह्नित करता है जब क्रोध और दया क्रॉस पर आमने सामने आये थे। यही कारण है कि गुड फ्राइडे इतना अंधकारमय और इतना अलौकिक एक साथ है। इसी तरह, गुड फ्राइडे एक विचार में "अच्छा" है क्योंकि वो दिन जितना कष्टदायक था, उतना ही सुखमय ईस्टर का दिन था। ईसा मसीह द्वारा पाप के विरूद्ध बलिदान दिया गया था, ताकि राष्ट्रों के लोगों को क्षमा और मोक्ष दिया जा सकें। हालांकि उस भयानक दिन के बिना यीशु में भरोसा रखने वालों के लिए भगवान "न्यायी और न्यायप्रिय" दोनों नहीं हो सकते थे।
मेरठ के चर्च यूरोपीय, गोथिक पुनरुद्धार और शास्त्रीय शैली में बने हुए हैं, इनकी वास्तुकला के चलते ही सरधना में रोमन कैथोलिक चर्च को इसकी ऐतिहासिक वास्तुकला के कारण भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की राष्ट्रीय धरोहरों के महत्वपूर्ण पुरातात्विक स्थलों की सूची में शामिल किया गया है। ब्रिटिश सेना के लिए 1819 में बनाया गया सेंट जॉन द बैपटिस्ट या जॉन चर्च के नाम से जाना जाने वाला यह चर्च उत्तर भारत का सबसे पुराना चर्च माना जाता है। मेरठ में ब्रिटिश सैन्य शिविर के कारण, ब्रिटिश सैनिकों और उनके परिवारों के लिए और सामान्य ब्रिटिश नागरिकों के लिए ये चर्च बनाए गए थे।
संदर्भ :-
1. https://www.livehindustan.com/uttar-pradesh/meerut/story-good-friday-in-church-1878642.html
2. https://slate.com/culture/2017/04/why-is-good-friday-called-good-friday-the-etymology-and-origins-of-the-holidays-name.html
3. https://www.christianity.com/god/jesus-christ/what-s-so-good-about-good-friday.html
चित्र सन्दर्भ:
1. Prarang Archive
2. prarang Archive
3. Prarang Archive
4. Prarang Archive
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