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सड़क दुर्घटना वर्तमान समय में भारत में एक अत्यंत ही सोचनीय मुद्दा है। प्रत्येक वर्ष भारत के सकल घरेलू उत्पाद का 3 से 5 प्रतिशत हिस्सा सड़क दुर्घटनाओं में खर्च हो जाता है। यह एक ऐसा आंकड़ा है जिससे मात्र सड़क और शहर की योजनाओं में सुधार करते हुए ड्राइवरों (Drivers) को समुचित प्रशिक्षण प्रदान कर के बचा जा सकता है। भारत की सड़क दुर्घटनाओं में शामिल 70% की आबादी 18 से 45 वर्ष की आयु के करीब है। यह आंकड़ा यह भी प्रदर्शित करता है कि यहाँ की ज़्यादातर युवा आबादी जो कि वाहन चलाती है, नौसिखिया है, तभी 70% सड़क दुर्घटनाओं में युवा ही शामिल हैं। विश्व बैंक की रिपोर्ट (Report) का सहारा लिया जाए तो इसके अनुसार 2014 से 2038 तक 24 साल की अवधि में यदि भारत में सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली चोटों और मौतों को रोक दिया जाए तो भारत की सकल घरेलु उत्पाद की क्षमता 7% तक बढ़ जाएगी।
2018 के आंकड़े की बात करें तो भारत में कुल 4,67,044 सड़क दुर्घटनाएं हुईं जो कि 2017 से करीब 0.5% ज्यादा थी। अब एक अलग चौकाने वाली रिपोर्ट यह भी है कि भारत में गाड़ियों की संख्या दुनिया की कुल गाड़ियों का 1% ही है परन्तु यहाँ पर दुर्घटना की स्थिति यदि देकही जाए तो यह दुनिया भर की सड़क दुर्घटनाओं में 6% की भागीदार है। यह आंकड़ा यह बताने के लिए काफी है कि भारत में सड़क दुर्घटनाओं की स्थिति दयनीय है। दक्षिण पूर्व एशिया की बात करें तो 2018 में जितनी भी दुर्घटनाएं हुईं उनमें से मृत होने वालों की संख्या करीब 73% भारत से है। दुर्घटना में हुयी मौतों में 36% दोपहिया सवार हैं और उसके बाद 15% पैदल लोग हैं। भारत में सड़क दुर्घटना होने के बाद मौत काफी हद तक निश्चित हो जाती है। इन सभी दुर्घटनाओं में तेज़ गति और शराब पी कर गाड़ी चलाने का कारण प्रमुख है। अब जब उत्तर प्रदेश की बात करते हैं तो यहाँ पर भारत में सबसे ज़्यादा सड़क दुर्घटनाएं उत्तर प्रदेश में ही होती हैं। इन दुर्घटनाओं की संख्या कुल 22,256 है। नवीन रिपोर्ट के अनुसार इस राज्य में औसतन हर दिन करीब 60 सड़क दुर्घटनाएं दर्ज की जाती हैं। हांलाकि यहाँ पर होने वाली दुर्घटनाओं में घातक दुर्घटनाओं की संख्या कम है अतः यह घातक के माप में तीसरे स्थान पर आ जाता है।
भारत में एक बात देखने को मिली है कि सड़क दुर्घटना में शामिल पीड़ित की मदद कोई कर नहीं पाता था जिसका कारण था कि कानून की कई बातें आम नहीं थीं। नए रोड सेफ्टी पोलिसी (Road Safety Policy) के अनुसार कोई भी व्यक्ति किसी भी दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति को अस्पताल पंहुचा सकता है या फिर उसकी मदद कर सकता है। भारत में एक बड़ी आबादी सड़क दुर्घटना में अपनी जान से हाथ इस लिए धो लेती है क्यूंकि उसको जल्दी इलाज के लिए अस्पतालों में नहीं पहुंचाया जा पाता है। दुर्घटनाग्रस्त लोगों की जो मदद करता है और उसे अस्पताल तक पहुंचाता है या किसी और प्रकार की मदद करता है, तो उसे गुड समारिटन (Good Samaritan) के नाम से जाना जाता है। एक गुड समारिटन वह होता है जो बिना किसी चाह या इनाम के बारे में सोचे किसी दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति की मदद करता है। वर्तमान समय के नए नियम के तहत कोई भी किसी की भी मदद कर सकता है जो कि सड़क दुर्घटना का शिकार हुआ हो। अतः यह कहना आवश्यक है कि ज़्यादा से ज़्यादा लोगों की मदद करना आवश्यक है और बिना सही चालक बने गाडी आदि को चलाने से बचने की आवश्यकता है।
संदर्भ:
1. https://bit.ly/34mPwA8
2. https://bit.ly/2RMCSrj
3. https://morth.nic.in/good-samaritan
4. https://bit.ly/2PhR5uB
5. https://pib.gov.in/newsite/PrintRelease.aspx?relid=159031
6. https://bit.ly/38zf7ZP
चित्र सन्दर्भ:-
1. https://pixabay.com/no/photos/motorsykkel-ulykken-veien-trafikk-1041070/
2. https://bit.ly/2RNiDtr
3. https://www.freeimages.com/photo/snelweg-bij-nacht-highway-at-night-1446151
4. https://www.freeimages.com/photo/explosion-1179170
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