विभाजन के बाद पाकिस्तान में विलय होने वाली रियासतें

उपनिवेश व विश्वयुद्ध 1780 ईस्वी से 1947 ईस्वी तक
16-08-2019 03:26 PM
विभाजन के बाद पाकिस्तान में विलय होने वाली रियासतें

1947 में भारत का विभाजन सभी देशवासियों के लिए किसी सदमे से कम न था। यह घटना जितनी भयावह थी उतनी ही आवश्यक भी थी क्योंकि उस समय हिंदू और मुस्लिमों के बीच चल रहा यह विवाद देश में अराजकता, हिंसा और अशांति का कारण बन गया था जिसके फलस्वरूप अंततः 1947 में भारत-पाक विभाजन हुआ। उस समय देश कई रियासतों में बंटा हुआ था और समस्या यह थी कि इन रियासतों को किस प्रकार स्वतन्त्र देशों में विलय किया जाए। इसका निश्चय रियासतों के शासकों को ही करना था कि वे किस देश में विलयित होना चाहते हैं। भारत की ओर से रियासतों को स्वतंत्रता थी कि वे किस देश का चयन करें। वहीं पाकिस्तान की ओर से रियासतों को विभिन्न प्रकार के लालच दिये गये ताकि वे पाकिस्तान में विलय हो जाएं। अधिकतर हिंदू रियासतों ने जहां भारत में विलय होना मंज़ूर किया तो वहीं अधिकतर मुस्लिम रियासतें स्वतंत्र पाकिस्तान में विलय हुईं। कई रियासतों ने विलय होने से इनकार भी किया किंतु अंततः उन्हें विलयित होना पड़ा।

भारत में मौजूद रियासतों को पाकिस्तान में लाने के लिए वार्ताओं, धमकियों और दुर्घटनाओं का दौर एक साल तक चला और तत्पश्चात एकीकरण की लंबी प्रक्रिया चली। 1947 में सबसे पहले दो रियासतें पाकिस्तान में शामिल हुईं किंतु भारत-पाकिस्तान युद्ध के कारण मुस्लिम आबादी वाली अधिकांश रियासतें एक वर्ष के भीतर ही पाकिस्तान में सम्मिलित हो गयीं जो निम्नलिखित हैं:

बहावलपुर
3 अक्टूबर 1947 को सादेक मुहम्मद खान (पंचम) ने अपनी बहावलपुर रियासत को पाकिस्तान को सौंपा। रियासत को पाकिस्तान में सफलतापूर्वक विलय करने वाला वह पहला शासक था। बहावलपुर 14 अक्टूबर 1955 को पश्चिम पाकिस्तान के प्रांत का हिस्सा बन गया था।

खैरपुर
3 अक्टूबर 1947 को खैरपुर राज्य भी पाकिस्तान में सम्मिलित हो गया था। उस समय यहां के शासक जॉर्ज अली मुराद खान थे जो यहां के अंतिम नवाब भी थे। 14 अक्टूबर 1955 को रियासत पाकिस्तानी सेना द्वारा अपने अधीन कर ली गयी थी जिसे पाकिस्तान को सौंप दिया गया था।

चित्राल
उस समय चित्राल के शासक मुज़फ्फर-उल-मुल्क थे जिन्होंने 15 अगस्त 1947 को ही पाकिस्तान में विलयित होने की घोषणा कर दी थी हालांकि इसका औपचारिक प्रवेश 6 अक्टूबर को हुआ। उनकी मृत्यु के बाद उनके बेटे, सैफ-उर-रहमान को पाकिस्तान सरकार द्वारा निर्वासित कर दिया गया था।

स्वात
स्वात के वली अर्थात शासक मियांगुल अब्दुल वदूद ने 3 नवंबर 1947 में अपनी रियासत को पाकिस्तान के अधीन किया। 28 जुलाई 1969 में पकिस्तान ने इस पर अपना अधिग्रहण कर लिया था।

हुंज़ा
हुंज़ा को कंजुत नाम से भी जाना जाता है जो जम्मू और कश्मीर के उत्तर में एक छोटी सी रियासत थी तथा 3 नवंबर 1947 को यहाँ के शासक ने जिन्ना से पाकिस्तान में विलय होने की इच्छा ज़ाहिर की। 25 सितंबर 1974 को यहां के शासक का शासन समाप्त कर दिया गया था।

नगर
नगर कश्मीर के उत्तर में एक और छोटी घाटी रियासत थी जिसकी भाषा और संस्कृति हुंज़ा के समान ही थी। रियासत को शासक शौकत अली खान द्वारा 18 नवंबर 1947 को विलयित कर दिया गया था। 1974 में रियासतों की शक्तियां प्रशासन द्वारा वापस ले ली गयी थी।

अम्ब
31 दिसंबर 1947 को अम्ब के शासक मुहम्मद फरीद खान ने रियासत को पाकिस्तान में विलय किया। 1969 तक यह स्वायत्त राज्य के रूप में बना रहा किंतु नवाब की मृत्यु के बाद इसे उत्तर पश्चिम सीमा प्रांत में शामिल कर लिया गया।

फुल्रा
फुल्रा अंब के पास स्थित था जो 36 वर्ग मील में फैला हुआ था। इस रियासत को नवाब अता मुहम्मद खान द्वारा पाकिस्तान में विलय कर दिया गया था जो 1949 में उत्तर पश्चिम सीमा प्रांत में विलय कर दी गयी।

डिर
8 फरवरी 1948 को डिर का पाकिस्तान में प्रवेश हुआ।

लास बेला
नवाब गुलाम कादिर खान द्वारा 7 मार्च 1948 को रियासत को पाकिस्तान में विलयित कर दिया गया और 17 मार्च को पाकिस्तान द्वारा इसे स्वीकार कर लिया गया।

खरान
खरान बलूचिस्तान की रियासतों में से एक था जिसने कई महीनों तक अपनी स्वतंत्रता को बनाए रखा। इसके अंतिम नवाब हबीबुल्लाह खान बलूच ने 17 मार्च 1948 में रियासत को पाकिस्तान को सौंप दिया था।

इन रियासतों के अतिरिक्त मकरान, कलात, और अमरकोट भी अन्य रियासतें थी जिन्हें पाकिस्तान में शामिल कर दिया गया था।

पाकिस्तान में शामिल होने वाली एक रियासत उमरकोट भी थी जिसे तब अमरकोट कहा जाता था। उस समय यहां के शासक राणा अर्जुन सिंह सोधा थे। रियासत में अधिकतर जनसंख्या हिंदू थी फिर भी राणा ने पाकिस्तान में विलयित होने के प्रस्ताव को स्वीकार किया। प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू भी राणा को भारत में सम्मिलित होने का प्रस्ताव देने के लिए अमरकोट गए लेकिन फिर भी राणा ने पाकिस्तान का विकल्प चुना। यह क्षेत्र 48.6 वर्ग किलोमीटर में फैला है जिसकी आबादी लगभग 12,000 थी किंतु ज्यादातर हिंदूओं ने भारत में शामिल होने के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया था। पाकिस्तान में शामिल होने के पीछे कई कारण बताये जाते हैं। कुछ का कहना है कि रियासत का मुस्लिम शासकों के साथ सम्बंध लंबे समय तक था और इसलिए उन्होंने मुस्लिम लीग (Muslim League) के साथ रहना पसंद किया। वहीं कुछ का कहना है कि उनकी जागीर प्रस्तावित पाकिस्तान द्वारा पूरी तरह घिरी हुई थी। उनके पूर्वज राणा प्रसाद ने मुग़ल बादशाह हुमायूँ को तब संरक्षण और सहायता प्रदान की थी जब वह अफगान शेरशाह सूरी से अपनी जान बचा रहे थे जो पाकिस्तान में विलय का प्रमुख कारण था। कुछ का कहना यह भी है कि अमरकोट के राणा अर्जुन सिंह सोधा को जिन्ना ने लुभावने वादों के साथ बहला-फुसला लिया था। जिन्ना ने प्रलोभन दिया कि वह उमरकोट रियासत को हज़ारों एकड़ जमीन भेंट करेंगे और राजपूत जागीरी के प्रति विशेष स्नेह रखेंगे। इन लुभावने प्रस्तावों से आकर्षित होकर राणा ने पाकिस्तान को चुनने का फैसला किया।

इन सबके चलते आश्चर्यजनक बात यह है कि पाकिस्तान में शामिल होने के बाद भी अमरकोट की रियासत में आज हिंदू राजा है और वहां कई शिव मंदिर भी बने हुए हैं।

संदर्भ:
1.https://en.wikipedia.org/wiki/Princely_states_of_Pakistan
2.https://www.quora.com/Why-did-the-Hindu-king-of-Amarkot-opt-for-Pakistan
3.https://www.rabwah.net/pakistans-royal-rajputs-the-hindu-rulers-of-umerkot-estate

पिछला / Previous अगला / Next

Definitions of the Post Viewership Metrics

A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.

B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.

C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.

D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.