समयसीमा 245
मानव व उनकी इन्द्रियाँ 942
मानव व उसके आविष्कार 740
भूगोल 219
जीव - जन्तु 273
मुगल शाषकों के भारत में आगमन के बाद इन्होंने अपने साम्राज्य को भारत के विभिन्न राज्यों और क्षेत्रों में विस्तारित किया। इन शाषकों में से एक कुतुब-उद-दीन ऐबक भी था जिसने भले ही अपने जीवन काल में केवल चार वर्ष ही शासन किया किंतु अपनी शक्ति और क्षमता से भारत में मुगल साम्राज्य के इतिहास को बदल दिया। भारत में उसकी उपलब्धियों पर प्रकाश डालने के लिये हसन निजामी ने फारसी भाषा में ताज-उल-मासिर (Tajul ul Maasir) नाम का एक संकलन लिखा।
हसन निजामी 12वीं और 13वीं शताब्दी में फारसी भाषा के महान कवि और इतिहासकार थे। वे पहले निशापुर (ईरान) में रहते थे जहां से वे किन्हीं कारणों से दिल्ली आ गये। उनके द्वारा लिखित ताज-उल-मासिर दिल्ली सल्तनत का पहला अधिकारिक इतिहास था जिसमें कुतुब-उद-दीन ऐबक के जीवन व शासन और इल्तुतमिश के राज्य के प्रारम्भिक वर्षों का वर्णन किया गया है। इस पुस्तक में 1192 ई. से लेकर 1196 ई. तक के काल की घटनाओं का वर्णन मिलता है। हसन निजामी जब दिल्ली में रोजगार की तलाश कर रहे थे तो उनके दोस्तों ने उन्हें भारत में मुस्लिम विजय के इतिहास को संकलित करने और कुतुब-उद-दीन ऐबक के जीवन पर प्रकाश डालने का सुझाव दिया। उस समय कुतुब-उद-दीन ऐबक गुलाम वंश का संस्थापक तथा दिल्ली सल्तनत का पहला शासक था। उसने निजामी के इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए अपना फरमान जारी किया। जिसके बाद निजामी ने दिल्ली सल्तनत के अधिकारिक इतिहास को फारसी भाषा में संकलित करना शुरू किया। इस किताब में अरबी भाषा की कई कविताएं और गद्यखंड भी हैं जिनसे यह पता चलता है कि निजामी की अरबी भाषा में भी पकड़ अच्छी थी। 14 वीं शताब्दी के जियाउद्दीन बरानी के अनुसार (मुस्लिम इतिहास लेखक) निजामी दिल्ली सल्तनत के भरोसेमंद इतिहासकार थे। निजामी का यह संकलन तराई की दूसरी लड़ाई से शुरू होता है जिसमें मुस्लिम समुदाय के घुरिद वंश ने हिंदू राजा पृथ्वीराज को हराया। इसमें तराई के प्रथम युद्ध का वर्णन नहीं किया गया है क्योंकि इस युद्ध में घुरिद वंश की हार हुई थी। पुस्तक कुतुब-उद-दीन ऐबक के जीवन को केंद्रित करती है कि कैसे उसने भारत के क्षेत्रों में विजय प्राप्त की तथा किस प्रकार उसे दिल्ली सल्तनत का पहला शाषक चुना गया। पुस्तक उसके सैन्य जीवन का भी वर्णन करती है। इस पुस्तक को 1205 और 1206 के बीच संकलित किया गया जोकि भारत में निर्मित पहला ऐतिहासिक साहित्य है। ऐबक की मृत्यु के बाद भी निजामी ने इल्तुत्मिश द्वारा सल्तनत के एकीकरण तक अपने आख्यानों को जारी रखा।इस पुस्तक को निम्नलिखित खंडों में बांटा गया हैं:
• प्रस्तावना
• हिंदुस्तान पर आक्रमण
• अजमेर पर अधिग्रहण
• दिल्ली पर विजय
• कोहराम और समाना की सरकार
• जातवान का भागना और युद्ध में उसकी मौत
• मिरात पर अधिग्रहण
• दिल्ली पर अधिग्रहण
• अजमेर के राय के भाई, हिराज का विद्रोह
• कुतुब-उद-दीन का दिल्ली लौटना
• कुतुब-उद-दीन का कोल की ओर बढ़ना
• बनारस के राय से लड़ाई और असनी पर अधिग्रहण
• बनारस पर अधिग्रहण
• कुतुब-दीन का वापस कोल लौटना और अपनी सरकार को हिसामु-दिन उरबक को सौंपना
• दिल्ली वापस आना
• अजमेर की दूसरी यात्रा
• हिंदुस्तान में सुल्तान मुहम्मद गोरी का आगमन
• ग्वालियर का अधिग्रहण
• नाहरवाला की विजय और राय का भागना
• कालिंजर के किले पर अधिग्रहण
• मुहम्मद बख्तियार खिलजी की यात्रा और कुतबु-दीन की दिल्ली वापसी
• ख्वारिज्म से मुहम्मद गोरी की वापसी और गखुरों के खिलाफ उसका युद्ध
• सुल्तानों के सुल्तान मुहम्मद सैम की मृत्यु
• शमसु-दीन का प्रवेश
• दिल्ली शहर में तुर्कों का विद्रोह
• जालोर का अधिग्रहण
• गज़ना की सेना की हार, और ताज़ु-दीन यल्दुज़ की जब्ती
• नासिर-उद दिन का भागना और लाहौर की विजय
• प्रिंस नासिर-उद-दिन की लाहौर के गवर्नर के रूप में नियुक्ति
इन खंडों में मिरात का अधिग्रहण भी शामिल है जिसकी व्याख्या निम्न प्रकार से की गयी है:
मिरात पर अधिग्रहण: मिरात पर अधिग्रहण के लिए कुतुब-उद-दीन ऐबक ने कोहराम से कूंच किया। मिरात हिंद देश में अपनी मजबूत नींव और अधिरचना के लिए प्रसिद्ध किलों में से एक है जिसकी खाई समुद्र के समान गहरी और व्यापक है। यहां अधिग्रहण करने के लिए एक जिसे देश के शासनाधीनों ने भेजा था, कुतुब-उद-दीन के साथ जुड़ गई। इस प्रकार किले पर कब्जा कर लिया गया और कोतवाल को किले में अपना अधिकार स्थापित करने के लिए नियुक्त किया गया और सभी आदर्श मूर्ति मंदिरों को मस्जिदों में बदल दिया गया।
संदर्भ:
1. https://bit.ly/2YP5QL3
2. https://en.wikipedia.org/wiki/Hasan_Nizami
3. http://en.banglapedia.org/index.php?title=Tajul_Maasir
A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.
B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.