समयसीमा 245
मानव व उनकी इन्द्रियाँ 942
मानव व उसके आविष्कार 740
भूगोल 219
जीव - जन्तु 273
प्रकृति ने अपने दोहन और संचय का अवसर पूरी मानव पीढ़ी को समान रूप से दिया। हमारे पूर्वजों ने प्रकृति से उतना ही उपभोग किया जितनी उन्हें आवश्यकता थी। इसी कारण आज हम प्रकृति के इस नैसर्गिक सौन्दर्य और वन्य जीवों को देखने में समर्थ हो पाए हैं। किंतु 21वीं सदी का मानव अपनी स्वार्थापूर्ति में इतना लीन हो गया है कि यदि यही स्थिति बनी रही तो जिन चीज़ों को हम आज प्रत्यक्ष रूप से देख पा रहे हैं, वे भावी पीढ़ी के लिए तस्वीर में ही शेष रह जाएंगी। आज वैश्विक स्तर पर वन्यजीव व्यापार नशीले पदार्थों, मानव तस्करी और नकली उत्पादों के बाद चौथा सबसे बड़ा अवैध उद्योग बन गया है, जिसका आंकलन 19-26 बिलियन अमेरिकी डॉलर प्रति वर्ष है। 1990 तक, भारत भी पक्षियों का एक प्रमुख निर्यातक था।
यदि बात की जाए हमारे मेरठ की तो यहां पर भी पक्षियों, वन्यजीवों और उनसे संबंधित उत्पादों का अवैध व्यापार तीव्रता से बढ़ता जा रहा है, जिनमें से कई जीव विलुप्ती की कगार पर खड़े हैं। ऐसी स्थिति में इनका संरक्षण अत्यंत आवश्यक है। मेरठ के कुछ क्षेत्रों में आज भी अवैध तरीके से पक्षियों का व्यापार किया जा रहा है। जहां कुछ लोग पक्षियों को खरीदने के लिए आते हैं, तो कुछ उन्हें छोड़ने आते हैं। वर्ष 2017 में मेरठ और दिल्ली में छापे मारे गए जहां बड़ी मात्रा में वन्यजीवों की बरामदगी की गयी। मेरठ के एक चर्चित व्यक्ति के घर से कम से कम 117 किलोग्राम नीलगाय का मांस और 100 से अधिक अवैध रूप से आयातित आग्नेयास्त्रों, तेंदुए की खाल, हाथी दांत, दलदल हिरण और सांभर हिरण के सींग, मृग और काले हिरण के झुंड, हिरण की खोपड़ी और 50,000 ज़िन्दा कारतूस ज़ब्त किए गए। इस व्यापार में शामिल व्यक्ति पर मेरठ वन विभाग द्वारा पशु संरक्षण अधिनियम की विभिन्न धाराएं लगाई गयीं तथा उसे दिल्ली की तिहाड़ जेल में भी रखा गया।
2005 में राजस्थान के सरिस्का टाइगर रिज़र्व (Sariska Tiger Reserve) में बड़ी मात्रा में बाघों की संख्या में कमी आयी। इसके कुछ वर्ष बाद मध्य प्रदेश में भी समान स्थिति देखी गयी। इसके बाद खुलासा हुआ भारत-चीन सीमा पर होने वाले बाघ, तेंदुए और ऊद की खाल की तस्करी का। 2015 में, डाउन टू अर्थ (Down To Earth) ने भारतीय वन्यजीव संरक्षण समुदाय (डब्ल्यूपीएसआई - WPSI) की रिपोर्ट (Report) के आधार पर भारत में वन्यजीव अपराधों की उच्च दर दर्ज की थी, जिसने 2014 में 20,000 से अधिक वन्यजीव अपराध के मामले दर्ज किए थे।
जनवरी 2013 और जून 2016 के मध्य अवैध रूप से वन्य जीवों एवं वन्य उत्पादों की बरामदगी पर तैयार की गयी रिपोर्ट का विश्लेषण करने पर ज्ञात हुआ कि इस बीच कुल मिलाकर, पूरे भारत में 48 स्तनधारियों, 33 सरीसृपों, 71 पक्षियों और चार पेड़ों की प्रजातियों सहित कम से कम 180 प्रजातियों के अवैध रूप से कटाई या कारोबार वाले वन्यजीवों और वन्यजीव उत्पादों की ज़ब्ती के 1,291 मामले दर्ज किए, जिनमें से लाल सैंडर्स (Red Sanders) सबसे आम थे। इसके साथ ही जलीय जीवों की तस्करी की संख्या भी बहुत अधिक थी। अधिकांश जीवों का प्रयोग पारंपरिक दवाओं को बनाने के लिए किया जाता है, जिस कारण इनकी अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में उच्च मांग है, जिस कारण वे इनके संरक्षण के पहलुओं को नज़रअंदाज करते हुए, बड़ी मात्रा में इनका शिकार कर रहे हैं। इसे रोकने के लिए स्थानीय लोगों को भी सक्रिय कदम उठाने होंगे।
संदर्भ:
1. https://bit.ly/2Ii6xnD
2. https://www.downtoearth.org.in/coverage/world/illegal-wildlife-trade-57731
3. http://www.fiapo.org/fiaporg/news/meerut-forest-dept-arrests-prashant-bishnois-aide/
चित्र सन्दर्भ:-
1. https://live.staticflickr.com/8344/29434370192_b4b425ca98_b.jpg
2. https://bit.ly/2LmnwHv
A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.
B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.