सफलता के लिये अपनाएं ये सात आध्यात्मिक नियम

व्यवहारिक
15-06-2019 10:58 AM
सफलता के लिये अपनाएं ये सात आध्यात्मिक नियम

मनुष्य अपने जीवन में सफलता पाने के लिये तरह-तरह के प्रयास करता है। परंतु कभी-कभी सारे प्रयासों के बाद भी सफलता नहीं मिल पाती और जीवन निराशा तथा उदानसीनता से भर जाता है। जीवन को सफलता तथा शांति के साथ जीने के लिए विश्व प्रसिद्ध आध्यात्मिक विचारक दीपक चोपड़ा की एक बहुत प्रसिद्ध पुस्तक है, जिसका नाम है ‘दि सेवन स्प्रिचुअल लॉज़ ऑफ सक्सेस’(The 7 Spiritual Laws of Success) अर्थात सफलता के सात आध्यात्मिक नियम। यह एक ऐसी पुस्तक है, जिसके पृष्‍ठों पर उन बातों का उल्लेख है, जिनकी सहायता से आप अपने सपनों को साकार कर सकते हैं। यह पुस्तक प्राकृतिक नियमों पर आधारित है, जिनसे पूरी सृष्‍टि संचालित होती है। दीपक चोपड़ा ने सफलता प्राप्‍त करने के लिए जीवन में जागरूकता और आध्यात्म को एक महत्त्वपूर्ण पहलू माना है और अपनी पुस्तक में सात सहज नियमों की व्याख्या की है, जो बहुत प्रभावी हैं। दीपक चोपड़ा की इस पुस्तक को 1994 में न्यू वर्ल्ड लाइब्रेरी (New World Library) द्वारा प्रकाशित किया गया था और 1995 में यह पुस्तक अमेरिका की सर्वाधिक बिकने वाली पुस्तकों की श्रेणी में आ गयी थी।

दीपक चोपड़ा का नाम उन लेखकों में शामिल है, जिनकी पुस्तकें सर्वाधिक बिकती हैं। उन्होंने कई पुस्तकें लिखी हैं जिनमें से एक सफलता के सात आध्यात्मिक नियम भी है। ये पुस्तक गतिमान परिणामों के साथ भौतिकी एवं दर्शनशास्‍त्र के व्यावहारिक तथा आध्यात्मिक पहलुओं का अनोखा मिश्रण है। दीपक चोपड़ा का जन्म 22 अक्टूबर, 1947 को नई दिल्ली, भारत में हुआ था। 1970 के दशक में वे संयुक्त राज्य अमेरिका चले गए, और न्यू इंग्लैंड मेमोरियल अस्पताल में उन्हें जल्द ही दवा के प्रमुख की नौकरी भी मिल गई। परंतु उनका जीवन तब बदल गया जब उन्होंने ट्रान्सेंडैंटल (Transcendental) औषधि पर एक पुस्तक पढ़ी। फिर उन्होंने गुरु महर्षि महेश योगी के साथ एक मुलाकात की और उनसे प्रभावित हो कर न्यू इंग्लैंड मेमोरियल अस्पताल में अपनी नौकरी छोड़ दी और आयुर्वेद चिकित्सा पद्धतियों को अपनाया। इस क्षेत्र में उन्हें संयुक्त राज्य अमेरिका में बड़ी सफलता भी प्राप्त हुई।

डॉ. दीपक चोपड़ा द्वारा दिये गये 7 नियम निम्न हैं:
पहला नियम: विशुद्ध सामर्थ्य का नियम

विशुद्ध सामर्थ्य का पहला नियम इस तथ्य पर आधारित है कि व्यक्ति में मूल रूप से विशुद्ध चेतना हो, जो सभी संभावनाओं और रचनात्मकताओं का कार्यक्षेत्र है। इस क्षेत्र तक पहुंचने का रास्ता है- प्रतिदिन मौन, ध्यान और अनिर्णय का अभ्यास करना। व्यक्ति को प्रतिदिन कुछ समय के लिए मौन की प्रकिया करनी चाहिए और दिन में दो बार अकेले बैठकर ध्यान लगाना चाहिए। इसी के साथ उसे विशुद्ध सामर्थ्य को पाने के लिये अनिर्णय का अभ्यास करना है। शुद्ध सामर्थ्य के नियम को एकता का नियम भी कहा जा सकता है, क्योंकि जीवन की अनंत विविधता को अंतर्निहित करना एक सर्वव्यापी भावना ‘एकता’ ही है।

दूसरा नियम: दान का नियम
पूरा गतिशील ब्रह्मांड विनियम पर ही आधारित है। लेना और देना- संसार में ऊर्जा प्रवाह के दो भिन्न-भिन्न पहलू हैं। व्यक्ति जो पाना चाहता है, उसे दूसरों को देने की तत्परता से संपूर्ण विश्व में जीवन का संचार करता रहता है। यदि व्यक्ति खुश रहना चाहता है तो दूसरों को खुश रखे और यदि प्रेम पाना चाहता है तो दूसरों के प्रति प्रेम की भावना रखे। यदि वह चाहता है कि कोई उसकी देखभाल और सराहना करे तो उसे भी दूसरों की देखभाल और सराहना करना सीखना चाहिए।

तीसरा नियम: कर्म का नियम
ये कहावत तो आपने सुनी ही होगी कि हम जो बोते हैं वही काटते हैं। कर्म में क्रिया और उसका परिणाम दोनों शामिल हैं। वर्तमान में जो कुछ भी घट रहा है वह व्यक्ति को पसंद हो या नापसंद, उसी के चयनों का परिणाम है जो उसने कभी पहले किये होते हैं। जब भी आप चुनाव करें तो स्वयं से दो प्रश्न पूछें, जो चुनाव आप कर रहे हैं उसके नतीजे क्या होंगे और क्या यह चुनाव आपके और इससे प्रभावित होने वाले लोगों के लिए लाभदायक और इच्छा की पूर्ति करने वाला होगा।

चौथा नियम: अल्प प्रयास का नियम
यह नियम इस तथ्य पर आधारित है कि प्रकृति प्रयत्न रहित सरलता और अत्यधिक आज़ादी से काम करती है। प्रकृति के काम पर ध्यान देने पर पता चलता है कि उसमें सब कुछ सहजता से गतिमान है। अल्प प्रयास के नियम का जीवन में आसानी से पालन करने के लिए इन बातों पर ध्यान देना होगा - लोगों, स्थितियों और घटनाओं को स्वीकार करें जैसी वे हैं। उन्हें अपनी इच्छा के अनुसार ढालने की कोशिश न करें। उन स्थितियों का, जिनसे समस्या उत्पन्न हुई है उनका उत्तरदायित्व स्वयं पर लें। किसी दूसरे को अपनी स्थिति के लिए दोषी नहीं ठहराएं।

पांचवां नियम: उद्देश्य और इच्छा का नियम
यह नियम इस तथ्य पर आधारित है कि प्रकृति में ऊर्जा और ज्ञान हर जगह विद्यमान है। अपनी सभी इच्छाओं की एक सूची बनाएं और इसे नियमित रूप से याद रखें। अपनी इच्छाओं पर भरोसा करें। यह समझें कि यदि चीज़ें अपेक्षित रूप से दिखाई नहीं देती हैं, तो इसके लिए एक कारण है। विश्वास कायम रखना होगा कि यदि इच्छा पूरी नहीं होती है तो उसके पीछे भी कोई उचित कारण होगा। हो सकता है कि प्रकृति ने आपके लिए इससे भी अधिक कुछ सोच रखा हो।

छठा नियम: अनासक्ति का नियम
इस नियम के अनुसार व्यक्ति को कुछ भी प्राप्त करने के लिए वस्तुओं के प्रति मोह त्यागना होगा। लेकिन इसका मतलब यह भी नहीं है कि वह अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए अपने उद्देश्यों को ही छोड़ दे। उसे केवल परिणाम के प्रति मोह को त्यागना है। अपने आप को और दूसरों को स्वतंत्रता दें कि वे कौन हैं। चीज़ों को कैसा होना चाहिए इस विषय पर भी अपनी राय किसी पर थोपे नहीं। ज़बरदस्ती समस्याओं के समाधान खोजकर नयी समस्याओं को जन्म न दें। चीज़ों को अनासक्त भाव से लें। सब कुछ जितना अनिश्चित होगा आप उतना ही अधिक सुरक्षित महसूस करेंगे क्योंकि अनिश्चितता ही स्वतंत्रता का मार्ग है।

सातवां नियम: धर्म का नियम
हर किसी के जीवन में एक उद्देश्य होता है। इस जीवन में अपनी विशेष प्रतिभाओं की एक सूची बनाएं, और अपने आप से पूछें कि आप मानवता की सेवा के लिए क्या कर सकते हैं। अपनी योग्यता को पहचानकर उसका इस्तेमाल मानव कल्याण के लिए करें और समय की सीमा से परे होकर अपने जीवन के साथ दूसरों के जीवन को भी सुख और समृद्धि से भर दें।

संदर्भ:
1.
https://en.wikipedia.org/wiki/The_Seven_Spiritual_Laws_of_Success
2.https://chopra.com/articles/the-7-spiritual-laws-of-success
3.http://deepakchopra.wwwhubs.com/chopra4.htm
4.https://www.biography.com/personality/deepak-chopra

पिछला / Previous अगला / Next

Definitions of the Post Viewership Metrics

A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.

B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.

C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.

D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.