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कॉमिक (Comics) बच्चों की पसंदीदा पत्रिका है जिसे पढने में वे बहुत अधिक रूचि लेते हैं। इन कॉमिक पत्रिकाओं के पात्र अक्सर पौराणिक कथाओं के पात्रों से भी प्रेरित होते हैं। भारत में ऐसी कॉमिक पत्रिकाओं की शुरूआत ‘अमर चित्र कथा’ से हुई। अमर चित्र कथा भारत की सबसे अधिक बिकने वाली कॉमिक बुक श्रृंखला में से एक है, जिसकी 20 भारतीय भाषाओं में 100 मिलियन से अधिक प्रतियां बिकीं। इस कॉमिक को इंडिया बुक हाउस (India Book House) द्वारा प्रकाशित किया गया था। 1960 से 1980 के दशक में पैदा हुआ कोई भी शिक्षित भारतीय इस कॉमिक के बारे में जानता ही होगा। इस कॉमिक के निर्माता 17 सितंबर, 1929 को कर्नाटक के कार्कला में जन्मे अनंत पाई हैं, जिन्होंने रामायण और महाभारत जैसे महाकाव्यों की कथा और पात्रों को 32 पृष्ठों वाली कॉमिक पत्रिका के रूप में पेश किया।
दरसल 1967 में, राज्य द्वारा संचालित दूरदर्शन नेटवर्क (Doordarshan Network) पर एक टीवी क्विज़ शो (TV Quiz Show) देखने के दौरान पत्रकार अनंत पाई को यह एहसास हुआ कि इस शो में भारतीय बच्चे ग्रीक पौराणिक कथाओं के बारे में सवालों का जवाब आसानी से दे रहे थे, जबकि भारत की महान कथाओं रामायण और महाभारत के बारे में एक साधारण से सवाल का जवाब देना भी उनके लिये कठिन प्रतीत हो रहा था। इससे चिंतित होकर उन्होंने एक कॉमिक-बुक श्रृंखला शुरू करने का निश्चय किया जिसमें रामायण और महाभारत की कथा और पात्रों को प्रभावशाली तरीके से दिखाया गया। तब से इन्हें ‘भारतीय कॉमिक्स के पिता’ के रूप में जाना जाता है। अपनी इस कॉमिक के प्रभाव को दिखाने के लिए पाई ने दिल्ली के एक स्कूल के बच्चों पर एक प्रयोग किया। इसके तहत छात्रों के एक समूह को अमर चित्र कथा का उपयोग करके इतिहास पढ़ाया गया जबकि दूसरे समूह को पारंपरिक तरीकों का उपयोग करके पढ़ाया गया। जब दोनों समूहों का परीक्षण किया गया तो परिणामों से पता चला कि जिन छात्रों ने कॉमिक का उपयोग करके अध्ययन किया था, उन्होंने दूसरे समूह की तुलना में अधिक जानकारी प्राप्त की थी। युवा पाठकों के बीच अनंत पाई बहुत लोकप्रिय हुए और ‘अंकल पाई’ के नाम से जाने जाने लगे। इस डिजिटल युग में अमर चित्र कथा भी 2007 में नए ACK मीडिया के रूप में आया। सितम्बर 2008 में इसकी वेबसाइट (Website) भी लॉन्च हो गई।
परंतु क्या आप जानते हैं कि अंकल पाई वह पहले व्यक्ति नहीं थे जिन्होंने रामायण और महाभारत को कॉमिक रूप में बदला था। वास्तव में इंडोनेशिया में एक मुस्लिम कॉमिक निर्माता ‘रादेन अहमद कोससिह’ (1919-2012), जिन्हें आमतौर पर ‘आर ए कोससिह’ के रूप में जाना जाता है, वे पहले व्यक्ति हैं जिन्होंने रामायण और महाभारत के पात्रों को कॉमिक रूप में बदला था। इन्होनें रामायण और महाभारत जैसे महाकाव्यों की कथा और पात्रों को 52 पृष्ठों वाली वायांग कॉमिक (Wayang comic) पत्रिका के रूप में पेश किया था। आज भी इंडोनेशिया सभी पुराने गौरवग्रंथों को जापानी मांगा शैलियों की कॉमिक्स में बदल रहा है।
रादेन कोससिह का जन्म 1919 में बोगोर, इंडोनेशिया में हुआ था। अपने व्यवसाय की शुरुआत में, उन्होंने एक पुस्तक चित्रकार के रूप में काम किया था। कोससिह को कॉमिक से प्यार पहली कक्षा के बाद से ही था और वे टार्ज़न (Tarzan) कॉमिक के बड़े शौकीन थे। उनका एक और शौक सिनेमाघरों में फिल्में और कठपुतली प्रदर्शन देखना था। उनकी प्रमुख कृतियाँ 1957 और 1959 के बीच महाभारत (40 कॉमिक्स की एक श्रृंखला) और रामायण का कॉमिक्स रूपांतर थीं। उनकी महाभारत कथाओं में विशिष्ट वायांग इंडोनेशियाई तत्वों के साथ-साथ भारतीय मूल संस्करणों की झलक दिखाई देती है। इंडोनेशिया में यह कॉमिक बुक उद्योग भारतीय मिथकों और किंवदंतियों पर आधारित है। 1950 के दशक में प्रकाशित इन कॉमिक्स को वायांग कॉमिक के रूप में जाना जाता था।
इन कॉमिक्स में आपको नई कहानी कहने की शैली देखने को मिलेगी। इन कहानियों ने प्राचीन ग्रंथों को एक नया रुख दिया और कई पीढ़ियों तक पाठकों का मनोरंजन किया है। कोससिह के ये संस्करण इतने लोकप्रिय हुए कि इनकी लोकप्रियता को देखकर वायांग कॉमिक ने कई और संस्करणों को प्रकाशित किया और रादेन की कॉमिक्स से कई तत्वों को अपनी कहानियों में शामिल किया। दुनिया जब डिजिटल होने लगी तो एक वेबसाइट के माध्यम से वायांग कॉमिक की परंपरा को जीवित रखा गया, जहां नये कलाकार अपनी रचनाओं का प्रदर्शन कर सकते हैं।
संदर्भ:
1. http://www.openthemagazine.com/article/arts-letters/indonesia-s-uncle-pai
2. http://www.khabar.com/magazine/desi-world/indian_classics_in_indonesian_comics
3. https://www.thebetterindia.com/115673/remembering-anant-pai-the-storyteller-who-took-indias-epics-and-history-to-its-children/
4. https://en.wikipedia.org/wiki/Amar_Chitra_Katha
5. https://en.wikipedia.org/wiki/R._A._Kosasih
6. https://doro2020.wordpress.com/2011/05/24/ra-kosasih-the-indonesias-comic-godfahter/
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