प्रसिद्ध उर्दू लेखक सआदत हसन मंटो के कथा साहित्य में मेरठ का वर्णन

ध्वनि 2- भाषायें
30-04-2019 07:10 AM
प्रसिद्ध उर्दू लेखक सआदत हसन मंटो के कथा साहित्य में मेरठ का वर्णन

सआदत हसन मंटो की गिनती ऐसे साहित्यकारों में की जाती है जिनकी कलम ने कुछ ऐसी रचनाएँ लिख डालीं जिनकी गहराई को समझने की कोशिश आज भी ये दुनिया कर रही है। मंटो की कहानियों की जितनी चर्चा की जाये वो कम ही होगी। वे उर्दू और हिन्दी भाषा के साहित्यकार थे तथा अपनी लघु कहानियों से वे काफी चर्चित हुए। ब्रिटिश भारत में अविभाजित पंजाब प्रांत के लुधियाना जिले के समराला कस्बे के निकट पपरोड़ी गांव में 11 मई, 1912 को विख्यात कथाकार सआदत हसन मंटो का जन्म हुआ था। वह नैसर्गिक प्रतिभा के धनी, लेकिन स्वतंत्र विचारों वाले लेखक थे। नंदिता दास द्वारा बनाई गई और नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी अभिनीत, एक बॉलीवुड फिल्म है मंटो (2018 फ़िल्म), जो मंटो के जीवन पर आधारित है।

इनके एक उपन्यास ‘मेरठ की कैंची’ में मेरठ का एक जीवंत रूप दिखाई देता है। यह उपन्यास मंटो की 10 कहानियों का संग्रह है, जिसमें मेरठ शहर धड़कता दिखाई देता है। इस उपन्यास में मेरठ की परंपराओं, मान्यताओं और रीति रिवाज का जिक्र भी देखने को मिलता है।

मंटो फिल्मी शख्सियतों पर बड़ी ही निर्भीकता से लेख लिख देते थे, उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री से जुड़ी कई महिलाओं पर भी संस्मरण लिखे थे, जिसमें से कुछ के बारे में हम आज भी अंजान हैं। ऐसी ही एक महिला थी ‘पारो देवी’ जो कि इनकी प्रमुख कहानी ‘मेरठ की कैंची’ की नायिका भी थीं। पारो देवी हीरोइन (Heroine) बनने की चाह लेकर मेरठ से आईं एक रईस तवायफ थीं। बम्बई आने के बाद जो पहली फिल्म इन्हें मिली उसके लेखक मंटो थे। वह अभिनय में एकदम कच्ची थी परंतु कई लोग उनसे मोहित थे। मंटो पारो के बारे में बताते हुए लिखते है कि वह बहुत हंसमुख और मीठी आवाज वाली तवायफ थी। मेरठ उसका वतन था, जहां वे शहर के करीब-करीब हर रंगीन मिजाज रईस की प्रिय थी और उसको ये लोग मेरठ की कैंची कहते थे। पारो आम तवायफों जैसी नहीं थी। वो महफिलों में बैठकर बड़े सलीके से बातें कर सकती थी। इसकी वजह यही हो सकती है कि मेरठ में उसके यहां आने-जाने वाले लोग समाज के उच्च तबके से सम्बन्ध रखते थे।

ऊपर दिए गये चित्र के पार्श्व में मेरठ का घंटाघर और केंद्र में सआदत हसन मंटो की कृतियाँ दिखाई गयी हैं।

सआदत हसन मंटो के अलावा हिंदी के प्रमुख साहित्यकार अमृतलाल नागर के उपन्यास 'सात घूंघट वाला मुखड़ा' में, कालजयी उपन्यासकार आचार्य चतुरसेन शास्त्री के उपन्यास 'सोना और खून' के दूसरे भाग में, डॉ. सुधाकर आशावादी के उपन्यास 'काला चांद' में तथा गिरिराज किशोर के उपन्यास 'लोग' और 'जुगलबंदी' में भी मेरठ का वर्णन देखने को मिलता है।

संदर्भ:
1. http://ashokvichar.blogspot.com/2010/02/blog-post.html
2. https://en.wikipedia.org/wiki/Saadat_Hasan_Manto
3. https://satyagrah.scroll.in/article/116124/work-of-manto-as-a-film-journalist

पिछला / Previous अगला / Next

Definitions of the Post Viewership Metrics

A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.

B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.

C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.

D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.