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आज हमें आपात स्थिति में कोई भी चीज को चिपकाना हो तो हम प्रथम विकल्प के रूप में टेप को चुनते हैं। टेप का उपयोग आज बहुमुखी क्षेत्र जैसे शिक्षा, चिकित्सीय, विद्यूतीय, घरेलू, फिल्म उद्योग इत्यादि में देखने को मिलता है। कई कार्य तो ऐसे हैं जिन्हें हम टेप के बिना पूरा नहीं कर सकते हैं। वस्तुओं को चिपकाने की प्रक्रिया आज कि नहीं वरन् कई सदियों पुरानी है जिसमें चिपकाने हेतु भिन्न-भिन्न वस्तुओं का प्रयोग किया जाता था, जिसमें समय और मेहनत संभवतः ज्यादा लगती थी। टेप के आविष्कार ने चिपकाने की प्रक्रिया को काफी सरल बना दिया।
चलिए जानते हैं टेप के सफर के विषय में:
4000 ईसा पूर्व मिट्टी के बर्तनों को चिपकाने के लिए पेड़ों के अर्क का प्रयोग किया जाता था। 2000 ईसा पूर्व तक आते-आते मछली से बने गोंद का उपयोग किया जाने लगा। 1500-1000 ईसा पूर्व मिस्र मे मिले साक्ष्यों से पता लगता है कि तब वस्तुओ को चिपकाने हेतु पशुओं के माध्यम से प्राप्त होने वाले चिपकने वाले गोंद का उपयोग किया जाने लगा था। 906-618 ईसा पूर्व मे, चीन में भी चिपकाने हेतु पशुओं से प्राप्त पदार्थो का उपयोग किया गया था। चिपकाने वाले पदार्थ को व्यवसायिक रूप मे 1750 में ब्रिटेन में प्रारंभ किया गया, जिसमें मछली आधारित गोंद को अपनाया गया।
टेप का पहला प्रारूप 1845 ईस्वी में एक सर्जन(Surgeon) डॉ. होरेस डे द्वारा लाया गया। इन्होंने कपड़े की पट्टी को चिपकाने के लिए चिपकने वाले रबर का उपयोग किया, जिसे सर्जिकल टेप के नाम से जाना गया। 1921 में ‘जॉनसन और जॉनसन’ (Johnson & Johnson) के लिए एक कपास के खरीदार अर्ल डिक्सन ने ‘बैंड-एड’ (Band-Aid) का आविष्कार किया। 1925 में 3M की प्रयोगशालाओं में दो साल कार्य करने के बाद, ‘रिचर्ड ड्ररु’ (Richard Drew) ने पहले मास्किंग टेप (Masking tape) का आविष्कार किया, जो एक से दो इंच चौड़ी टैन पेपर स्ट्रिप (Tan paper stripe) थी तथा हल्के से दबाव पर चिपक जाती थी। 1930 में इन्होंने दुनिया की पहली पारदर्शी ‘सेलोफेन’ (Cellophane) चिपकने वाले टेप का अविष्कार किया। महामंदी के दौरान इसका व्यापक रूप से प्रयोग किया गया तथा महामंदी के बावजूद भी इसके व्यवसाय पर कोई विपरीत प्रभाव नहीं पड़ा।
1937 में वेस्ट लंदन(West London) में कॉलिन किनिनमोंथ (Colin kininmont) और जॉर्ज ग्रे(George Grey) ने सेलोटेप(Sellotape) का अविष्कार किया। सेलो टेप ब्रिटेन तथा अन्य देशों में जहां इसे बेचा जाता था, एक सामान्य ट्रेडमार्क बन गया। इसके नाम के लिए "C" को "S" में बदल दिया गया ताकि नया नाम ट्रेडमार्क किया जा सके। आज सेलोटेप कई वस्तुओ का उत्पादन करता है तथा इस शब्द को ऑक्सफोर्ड इंग्लिश डिक्शनरी (Oxford English dictionary) में स्थान दिया गया है।
चिपकने वाले टेप के प्रकार निम्नलिखित हैं :-
1) प्रेशर सेंसिटिव टेप:
यह एक प्रकार का दबाव-संवेदनशील चिपकने वाला टेप होता है। यह आमतौर पर कागज़, प्लास्टिक, कपड़ा या धातु की पन्नी पर लेपित होता है। यह बिना किसी गर्मी के चिपचिपा रहता है और हल्के दबाव से ही सक्रियण और चिपक जाता है। इन टेपों को चिपकने के लिए आमतौर पर रिलीज एजेंट(release agent) या चिपकाने वाले कवर की आवश्यकता होती है।
2) आकृति पर चिपकने वाली मज़बूती पर निर्भर:
टेप की चिपकने वाली क्षमता न केवल टेप के प्रकार पर बल्कि इसकी मैक्रोस्कोपिक (macroscopic) आकृति पर भी निर्भर करती है। नोकदार कोनों वाले टेप कोने से निकलना शुरू हो जाते हैं। चिपकने की क्षमता को बनाए रखने के लिए किनारों को काटकर पर्याप्त रूप प्रदान कर सकते हैं।
3) पानी से सक्रिय टेप:
यह टेप क्राफ्ट पेपर (Craft paper) पर पशु आधारित गोंद को लगाकर बनाया जाता है। यह सख्त होने पर चिपकता है और इसका उपयोग डिब्बों को बंद करने और सील (seal) करने के लिए किया जाता है।
4) गर्मी से सक्रिय टेप:
गर्मी से सक्रिय टेप आमतौर पर तब तक चिपचिपा नहीं होता है जब तक कि इसे किसी गर्म स्रोत द्वारा सक्रिय न किया जाए। इसका उपयोग कभी-कभी पैकिंग में किया जाता है।
5) ड्रायवाल टेप (Drywall tape) :
यह टेप कागज़, कपड़े या जाली पर बना होता है, और कभी-कबार गोंद लगा हुआ या दबाव से चिपकने वाला होता है। इसका उपयोग ड्राईवाल सामग्री के बीच जोड़ बनाने के लिए किया जाता है।
संदर्भ :
1. https://www.can-dotape.com/adhesive-tape-consultant/adhesive-tape-history/
2. https://en.wikipedia.org/wiki/Richard_Gurley_Drew
3. https://en.wikipedia.org/wiki/Sellotape
4. https://en.wikipedia.org/wiki/Adhesive_tape
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