क्या भारत में भी राजनेताओ के कार्य सत्र सीमित होना चाहिए ?

नगरीकरण- शहर व शक्ति
09-04-2019 07:00 AM
क्या भारत में भी राजनेताओ के कार्य सत्र सीमित होना चाहिए ?

भारत के आम चुनाव को दुनिया की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक कवायद के रूप में देखा जाता है। परंतु क्या आप जानते है कि एक राजनेता अधिकतम कितनी भी बार अपने पद के लिये चुनाव लड़ सकते हैं इसकी कोई सीमा तय नहीं है। अब तक केवल पहले राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद ने ही राष्ट्रपति पद पर लगातार दो बार अपना कार्यकाल पूरा किया है। भारत में एक पद के लिये कोई व्यक्ति पुनः भी खड़ा या निर्वाचित हो सकता है और इसकी कोई सीमा नहीं है। लेकिन कुछ देशों में ऐसा नही है, वहां राजनीति में किसी पद के लिये एक अवधि सीमा तय की गई हैं। इस प्रणाली के कुछ अपने फायदें और नुकसान होते है तो चलिये जानते है सत्र सीमा होने के क्या लाभ और नुकसान है।

दरअसल सत्र सीमा एक कानूनी प्रतिबंध है जो एक पदधारी की एक विशेष निर्वाचित कार्यालय में सेवा करने की समय सीमा का निर्धारण करता है। सत्र सीमा को दो व्यापक श्रेणियों में विभाजित किया गया है: पहली जिसमें लगातार कई बार एक विशेष पद पर कार्यरत रहा जा सकता है और दूसरी जिसमें कुछ अवधि के बाद आप किसी विशेष पद के लिये खड़े नही हो सकते है। यदि राष्ट्रपति की सत्र सीमा की बात करे तो कई देश ऐसे भी है जहां एक व्यक्ति केवल दो या तीन ही बार राष्ट्रपति के पद पर कार्यरत हो सकता है और कई भारत जैसे देश भी है जहां कोई भी समय सीमा नही है। नीचे दी गई तालिकाओं में आप ऐसे कई उदाहरण देख सकते है।

अफ्रीका
अमेरिका
एशिया
यूरोप
ओशिआनिया

सत्र सीमा के होने से फायदें:

1. यह राजनेताओं को सकारात्मक, महत्त्वपूर्ण परिवर्तन लाने के लिए प्रोत्साहित कर सकता है।
एक अवधि के लिये निर्वाचित होने के कारण राजनेताओं में कुछ खोने का डर नहीं होता है, इसलिये सत्र सीमा परिवर्तन के लिए एक शक्ति प्रेरक बन सकती है।

2. यह पैसे के घोटालो और भ्रष्टचार को रोक सकता है।
एक समय सीमा होने की वजह से राजनेताओं के पास कम समय होता है जिस कारण विशेष राजनीतिज्ञों के पास अपने हितों की पैरवी करने के अवसर कम होते हैं।

3. यह सत्ता के प्रति हमारी वार्तलाप में परिवर्तन करेगा।
सत्र सीमा पर पहुंचने के बाद पदग्राही को हटाने से देश भर के लोगों का सत्ता प्रक्रिया के बारे में नए दृष्टिकोण की पेशकश करने का अवसर मिलेगा।

4. राजनीति को प्रभावित करने वाली राशी को सीमित करती है।
राजनीति में हमेशा पैसा लगता है, लेकिन सत्र सीमा से पुनः चुनाव के बजाय किन्ही अन्य चीजों में पैसा लगाया जा सकता है।

सत्र सीमा के होने से नुकसान:

1. यह सेवा करने के लिए चुने गए लोगों के कार्यसाधकता को सीमित करेगा।
सत्र सीमा के कारण निर्वाचित होने के लिए अधिक लोगों की आवश्यकता होगी।

2. इससे अच्छे लोगों को कार्यालय से बाहर जाने पर विवश होना पड़ेगा।
सत्र सीमा जहाँ एक खराब व्यक्ति को हटाने में मदद करेगी, वहीं इसकी वजह से अत्यंत प्रभावी राजनेता को भी उसके पद से हटाने में आसानी हो जाएगी।

3. यह प्रभावित राजनेताओं की प्राथमिकताओं को बदल देगा।
सत्र सीमा उस समय की एक विशिष्ट समय सीमा को निर्धारित करती है जिसमें एक व्यक्ति सेवा करता है। यदि सत्र सीमा लगी हो तो पद में शासित व्यक्ति अपने कार्य के प्रति उतनी वफादारी नहीं दिखाएगा।

संदर्भ:

1. https://en.wikipedia.org/wiki/Term_limit
2. https://en.wikipedia.org/wiki/List_of_political_term_limits
3. https://brandongaille.com/17-pros-and-cons-of-term-limits-for-congress/

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