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चेत्र माह (मार्च-अप्रैल) में चन्द्रमा वर्धन के साथ ही पहले नौ दिनों तक दुर्गा मां के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है जिसे नवरात्रों के नाम से जाना जाता है। महाराष्ट्र, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में वसंत नवरात्रि के पहले दिन को गुड़ी-पड़वा या उगडी के रूप में मनाया जाता है। यह एक नए साल की सुबह को चिह्नित करता है। वसंत नवरात्रि के अंतिम दिन को, राम नवमी के रूप में मनाया जाता है, जिन्हें यहां मर्यादा पुरुषोत्तम, समाज के लिए एक श्रेष्ठ चरित्र और एकम-पत्नी-व्रता पुरुष के रूप में चिह्नित किया जाता है।
इन नवरात्रों में देश में उपस्थित मां दुर्गा के मंदिरों में श्रद्धालुओं की खूब भीड़ देखने मिलती है। इन्ही में से एक है मेरठ का प्राचीन काली माई मंदिर। मेरठ के सदर में स्थित 450 वर्ष पुराने इस मंदिर में भी इन दिनों श्रद्धालुओं का जमावड़ा लग जाता है। यहाँ नवरात्रों के दिनों में मां का सुबह-सुबह भव्य श्रृंगार व उसके पश्चात आरती की जाती है। इसके साथ ही रोज़ाना रात दस बजे नगाड़ों के साथ महाकाली की विशेष आरती की जाती है।
इस मंदिर के विषय में कहा जाता है कि यहां पर पहले शमशान घाट हुआ करता था तथा 450 वर्ष पहले शमशान घाट में माता काली की एक पुरानी मूर्ति विराजमान थी लोग जिसकी पूजा किया करते थे। धीरे-धीरे लोगों ने महसूस किया कि उनकी मनोकामनाएं पूरी होने लगी हैं। यह देखते हुए करीब 150 वर्ष पूर्व, एक बंगाली परिवार ने इसे अपनी कुल देवी के मंदिर के रूप में अपनाया और साथ ही उनके यहां पर सिद्धपीठ महाकाली मंदिर की स्थापना कर दी। आज भी इस मंदिर में पूजा और माँ कि सेवा उसी परिवार के द्वारा की जाती है। भक्तो का मानना है यहां पर जो सच्चे मन से मुरादें लेकर आता है उसकी मनोकामनाएं अवश्य पूरी होती हैं।
ओम देवी कालरात्र्यै नमः एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता। लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्त शरीरिणी। वामपादोल्लसल्लोह लताकण्टकभूषणा। वर्धन मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी।
माँ कालरात्रि देवी (नवरात्रि 7 वें दिन)
नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा की जाती है। इस दिन माता थोड़े विचित्र रूप में दिखाई देती है, जिसमें माता का आक्रोशित या भयावह रूप प्रकट होता है।
माँ कालरात्रि की कहानी
मां दुर्गा ने राक्षसों से प्रतिकार लेने हेतु मां काली का रूप धारण किया। इस रूप में इन्होंने सभी बुराइयों, भूतों तथा नकारात्मक शक्तियों का साहस पूर्वक सामना किया। हालांकि, इनका ये रूप बड़ा ही भयानक और आक्रोशित प्रतीत होता है, वे अपने भक्तों को आशीर्वाद देने और उनकी रक्षा करने में बहुत सौम्य हैं तथा वह हमेशा अपने भक्तों को खुशी और तृप्ति देती हैं। इसलिए इन्हें शुभंकरी भी कहा जाता है।
माँ कालरात्रि पूजा का महत्व
मां कालरात्रि शनि ग्रह पर राज करती हैं, जो लोगों द्वारा किए गए अच्छे और बुरे कर्मों के गुणों का फल देते है। तो वह बुराई को दंडित करती हैं और अच्छाई को पुरुष्कृत करती है। यह कड़े परिश्रम और सत्यनिष्ठा को पहचानने में कभी विफल नहीं होती हैं। शनि की प्रतिकूल स्थिति और साढ़े साती के दौरान होने वाले कष्टों से बचने के लिए माँ कालरात्रि की आराधना की जाती है।
नवरात्रि में माँ कालरात्रि की पूजा
माँ कालरात्रि की पूजा के लिए सबसे अच्छे फूल रात में खिलने वाली चमेली के फूल माने जाते है तथा आप पूर्ण भक्ति और समर्पण के साथ विधि विधान से नवरात्रों के सातवें दिन मां काली की पूजा कर अपनी मनोकामनाये पूरी करवा सकते है।
संदर्भ-
1. https://inextlive.jagran.com/maa-kali-fulfil-at-sadar-kalibari-meerut-fulfil-wishes-of-devotee-95892A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.
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