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हमने यह तो सुना है कि पक्षियों, स्तनधारियों या मछलियों द्वारा प्रवासन किया जाता है, लेकिन क्या आपको पता है कि तितलियाँ भी प्रवासन करती हैं? ये सुनने में अविश्वसनीय लग रहा होगा लेकिन वास्तव में तितलियाँ सफलतापूर्वक एक लंबी और सफल यात्रा तय कर सकती है। अधिकांश लोगों ने तितलियों के झुंड को एक विशेष दिशा में जाते देखा होगा। इन बड़े झुंड में दस से हजार तक की तितलियाँ हो सकती हैं। इनकी संख्या प्रवासी पक्षियों, स्तनधारियों या मछलियों के झुंड से भी अधिक होती हैं।
लेकिन इसमें सबसे अधिक चौंकाने वाली बात यह है कि ये यात्राएं आमतौर पर एकतरफी ही होती हैं और यात्रा करने वाली तितलियाँ अपने जन्म स्थल पर नहीं लौटती हैं। जो लौटती हैं वो उनकी नयी पीढ़ियाँ होती हैं। लेकिन इसमें सबसे रहस्यमय बात तो यह है कि तितलियों की नयी पीढ़ी को वापस आने का रास्ता कैसे पता होता है। अमेरिकन मोनार्च (मिल्कवीड तितली) पर किया गया अध्ययन सबसे व्यापक सिद्ध हुआ था। एक अमेरिकन मोनार्च उत्तरी अमेरिका से गर्मियों में कनाडा तक प्रवास करती हैं और उनकी संतान सर्दियों के दौरान सार्वजनिक जगहों में रहने के लिए दक्षिण में कैलिफोर्निया, फ्लोरिडा और मैक्सिको की ओर लौटती हैं। भारत में भी गहराई से अध्ययन करने पर तितलियों द्वारा प्रवास करने की बातें सामने आ रहीं है। खासतौर पर मिल्कवीड तितलियों के बारे में बहुत सी जानकारियाँ मूवमेंट पैटर्न, फ्लाईवे, टाइम और डेस्टिनेशंस पर प्रकाशित हुई हैं।
तितलियों द्वारा प्रवासन कई कारणों से होता है, उनमें से एक है अनुकूल परिस्थितियों की तलाश में वयस्कों और क्रमिक पीढ़ियों द्वारा प्रवासन किया जाता है। तितलियों द्वारा प्रवासन मुख्य रूप से मौसम के परिवर्तन या खाद्य पौधों की कमी के कारण किया जाता है। तितलियों के प्रवासन को तीन विभिन्न प्रकार - छोटी दूरी, लंबी दूरी और प्रसार में विभाजित किया गया है।
छोटी दूरी में प्रवासन आमतौर पर स्थानीय जगहों पर प्रतिदिन किया जाता है, आमतौर पर प्रतिकूल मौसम की स्थिति से बचने के लिए। यह पहाड़ियों में पाई जाने वाली प्रजातियों में आम होता है, ये तितलियां अत्यधिक ठंड या भारी बारिश से बचने के लिए पहाड़ियों से नीचे के स्थानों में प्रवासन करती हैं। हिमालय के तापमान में हल्की गिरावट के कारण आम येलो स्वल्लोटेल, डार्क क्लाउडेड येलो और क्लब बीक जैसी तितलियां हल्की गर्म घाटियों में चली जाती हैं और तापमान के दुबारा ठीक होने पर वापस आ जाती हैं। इसी तरह वे ज्यादा गर्मियों में भी करती हैं, ज्यादा गरमियों में वे ठंडे इलाकों में चली जाती हैं। कई बार तितलियाँ भोजन खत्म होने पर भी अस्थायी रूप से अपने निवास स्थान से दूसरे में चली जाती हैं।
वहीं तितलियों की कुछ प्रजातियां नियमित रूप से लंबी दूरी पर प्रवास करते हैं, कुछ तितलियों की प्रजातियों को तो लंबी दूरी पर प्रवास करते पाया गया है, जैसे कॉमन क्रो, डबल-बैंडेड क्रो, ब्लू टाइगर, डार्क ब्लू टाइगर, स्ट्राइप्ड टाइगर, क्रिमसन रोज़ आदि। दक्षिण-पश्चिम मानसून की वजह से मिल्कवीड तितलियों की प्रजातियां दक्षिणी भारत के पश्चिमी घाटों की ओर प्रवासन करती हैं। कई सैकड़ों मिल्कवीड तितलियों को मार्च और मई के बीच प्रवासन करते हुए देखा गया है, जब वे पश्चिमी घाट की पहाड़ियों से पूर्वी घाट के मैदानों की ओर उड़ती हैं। हालांकि कुछ प्रवासी झुंड 300 से 500 किमी से अधिक के पूर्वी तटों तक की यात्रा करते हैं। यह गतिविधि मुख्य रूप से पश्चिमी घाटों की भारी बारिश से बचने के लिए की जाती है क्योंकि इस दौरान उनके निवास स्थान में अत्यधिक नमी और तापमान हो जाता है और इस कारण से मिल्कवीड तितलियों के प्रजनन के लिए तापमान अनुकूल नहीं होता है, जिस वजह से वे मैदानों और पूर्वी घाट की ओर चली जाती हैं। तितलियां कई बार मौसम के अनुकूल ना होने पर कई दिनों या कुछ महीनों के अंतराल के साथ अपनी लंबी यात्रा को पूरा करते हैं। मार्ग में वे इन अंतरालों के दौरान उन क्षेत्रों में एकत्रित होती हैं और प्रजनन करती हैं जहाँ अंडे देने के लिए खाद्य पौधों का अच्छा भंडार हो। वहीं सभी तितलियाँ प्रवास नहीं करती हैं, कुछ तितलियां स्थानिक के रूप में रहती हैं, जबकि अन्य यात्रा में अस्थायी रूप से शामिल होती हैं।
तीसरे प्रकार के प्रसार प्रवासन में तितलियों के कुछ समूह आते हैं। इन्हें अधिकतर लगभग सौ तितलियों के समूह में देखा जाता है, जो अक्सर सड़कों के किनारे पीले रिबन की धाराएं बनाती हुई उड़ती हैं। ये मुख्य रूप से कैटरपिलरों की असामान्य रूप से बढ़ती आबादी के कारण खाद्य पौधों में कमी आने की वजह से प्रसार करती हैं। इसमें अक्सर वयस्कों द्वारा प्रसार अगली पीढ़ी के लिए पर्याप्त खाद्य पौधों वाले क्षेत्रों की तलाश में किया जाता है। इसमें तितलियां केवल एक दिशा में उड़ती हैं और ये प्रसार अचानक ही शुरु किया जाता है। ऐसे अचानक प्रसार को राजस्थान और बांग्लादेश की स्पॉट स्वोर्डटेल में भी देखा गया है। वहीं कई बार ऐसे प्रसार को नियमित रूप से कुछ प्रजातियों जैसे पी ब्लू और पेंटिड लेडी द्वारा भी किया जाता है। भारत में तितलियों द्वारा प्रवासन करने का सटिक कारण आज भी नहीं पता चल पाया है। इसके लिए एक गहन अध्ययन करने की आवश्यकता है।
संदर्भ :-
1. KEHIMKAR,ISAAC 2008 The Book Of Indian Butterfly BNHS Oxford
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