भारतीय जलवहन उद्योग का संक्षिप्त वर्णन

य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला
25-01-2019 02:04 PM
भारतीय जलवहन उद्योग का संक्षिप्त वर्णन

भारतीय जलवहन उद्योग भारतीय अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। चूंकि राष्ट्रीय व्यापार का 90% व्‍यापार समुद्री मार्ग से होता है। विकासशील देशों में भारत के पास व्‍यापारिक जहाजों का सबसे बड़ा बेड़ा है। भारतीय शिपिंग उद्योग राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कार्गो के परिवहन का समर्थन करता है और जहाज निर्माण, जहाज की मरम्मत, लाइटहाउस सुविधाओं, माल भाड़ा अग्रेषण इत्यादि जैसी कई अन्य सुविधाएं भी प्रदान करता है। वैश्वीकरण और उदारीकरण के उद्भव के साथ भारतीय जलवहन उद्योग दृढ़ता से नए आयाम प्राप्त करने के लिए तैयार है।

विदेशी कंपनियों द्वारा उत्पन्न कड़ी प्रतिस्पर्धा के साथ खुद को बनाए रखने के लिए, भारतीय जलवहन उद्योग तेज़ी से परिवर्तन लाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है। भारत में वर्षों से जिस तरह से कार्गो यातायात को संभाला जा रहा था वह अब बदल गया है। प्रारंभ में टनेज समिति द्वारा यह निर्णय लिया जाता था कि कंपनियों के किस प्रकार और आकार के जहाजों को कार्गो दिया जाना चाहिए। परंतु हाल ही में गिरावट की लंबी अवधि के बाद, इसमें कई परिवर्तन आये तथा कार्गो और जहाजों दोनों का आकार समय के साथ बढ़ा होता गया। अब इस उद्योग में सिर्फ बड़े बड़े जहाज ही नही वरन कर्षण नौका, टोइंग (towing) जहाज, सर्वेक्षण जहाज आदि भी शामिल हैं।

आज भारतीय नौवहन उद्योग दुनिया का 14 वां सबसे बड़ा बेड़ा बन गया है। भारत के नौवहन बेड़े में 7.06 मिलियन की सकल पंजीकृत क्षमता और 11.5 मिलियन की डेडवेट क्षमता के साथ लगभग 515 बड़े जहाज हैं। इसके अतिरिक्त इसमें लगभग 616 जहाज हैं, जिनकी कुल सकल पंजीकृत क्षमता (GRT) 6.62 मिलियन टन है। जिसमें से लगभग 258 जहाज विदेशी व्यापार और शेष इनलैंड मार्गों में कार्यरत हैं। विश्व स्तर पर भारतीय बेड़े की सकल पंजीकृत क्षमता (जी.टी) 2006 में 1.19% थी, 2007 में 1.16% पर और 2008 पर 1.18% थी। समय के साथ साथ ये हिस्सेदारी बढ़ती ही जा रही है।

आज भारत में 12 प्रमुख और 200 अधिसूचित लघु और मध्यवर्ती बंदरगाह हैं। वित्त वर्ष 2018 के दौरान देश में प्रमुख बंदरगाहों पर कार्गो यातायात 679.36 मिलियन टन बताया गया। वित्त वर्ष 2019 में (नवंबर 2018 तक) कार्गो यातायात में सालाना आधार पर 4.83 प्रतिशत की वृद्धि हुई और यह 461.22 मिलियन टन तक पहुँच गया। सामान्य बंदरगाहों पर वित्त वर्ष 2018 में कार्गो यातायात का अनुमान 491.95 मिलियन टन था और वित्त वर्ष 2017-18 के बीच यह 9.2 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि दर से बढ़ा था। सरकार ने मशीनीकरण के माध्यम से परिचालन दक्षता में सुधार लाने के लिए कई उपाय भी किए हैं। उम्मीद है कि बंदरगाहों की क्षमता 2022 तक 5-6 प्रतिशत बढ़ जाएगी, जिससे इनकी क्षमता 275-325 मिलियन टन तक बढ़ जाएगी।

भारत दुनिया का 16 वां सबसे बड़ा समुद्री देश है, जो 7,500 किलोमीटर से अधिक तटीय क्षेत्र में फैला हुआ है। इसलिये तट के साथ शिपिंग का प्रबंधन करने में मदद करने के लिए, सरकार बंदरगाह निर्माण और बंदरगाह रखरखाव के लिए 100% तक की एफडीआई (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) की अनुमति देती है। हालांकि भारत में जहाज पर लादने वाले माल बाजार का मूल्य 30 बिलियन डॉलर है, परंतु भारतीय जहाजों के माध्यम से केवल 8% माल का परिवहन किया जाता है। भारत में जलवाहन उद्योग द्वारा संभाला जाने वाला पेट्रोलियम, स्नेहक और तेल सबसे सामान्य उत्पाद हैं, जो कुल कार्गो यातायात का 33.7% हिस्सा हैं। कंटेनर शिपिंग दूसरे में आता है, इसके बाद स्टीम कोल (13.7%), कोकिंग (7.6%), और आयरन खनिज (6.7%) है।

मलेशियाई टैंकर ऑपरेटर एईटी टैंकर भारत में जहाज पंजीकृत करने वाली पहली वैश्विक शिपिंग कंपनी बन गई है। 13 जनवरी 2010 को, भारत के समुद्री नियामक महानिदेशालय ने, एईटी के जहाजों में से एक को पंजीकरण की अनुमति दी थी, जिसके कुछ महीने बाद कंपनी द्वारा भारतीय पंजीकरण के लिए आवेदन किया गया था। ईगल मेरठ नामक एईटी के पेट्रोलियम उत्पादों के टैंकर को भारतीय पंजीकरण प्रदान किया गया है। भारत के तटीय व्यापार-भारत के विभिन्न स्थानों के बीच शिपिंग कार्गो- भारतीय पंजीकृत जहाजों के लिए आरक्षित है और विदेशी जहाजों को केवल तभी काम पर रखा जा सकता है जब डीजीएस की अनुमति लेने के बाद भारतीय जहाज उपलब्ध नहीं होते हैं।

संदर्भ:

1.http://www.indianmirror.com/indian-industries/shipping.html
2.https://www.ibef.org/industry/ports-india-shipping.aspx
3.https://brandongaille.com/18-indian-shipping-industry-statistics-trends-analysis/
4.https://www.livemint.com/Companies/k1HGt21uM4e1bJVSiIOMMP/Malaysian-tanker-operator-enters-India.html

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