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भारत में सारस पंछी का एक धार्मिक दृष्टि से ख़ास महत्त्व है। कहा जाता है कि वाल्मिकी ने एक शिकारी को एक सारस का शिकार करने के लिए श्राप दिया था तथा उसके बाद ही उन्हें रामायण लिखने की प्रेरणा आई। साथ ही इन्हें प्रेम और वैवाहिक निष्ठा का प्रतीक भी माना जाता है क्योंकि ये जीवन भर सिर्फ एक साथी का साथ निभाते हैं तथा एक की मृत्यु होने पर दूसरा ग़म में अपना दम तोड़ बैठता है।
सारस पंछी इस समय अपने प्रवास के लिए उड़ चुके हैं और अभी से मेरठ में गंगा के नज़दीक इन्हें देखा जा सकता है। तो आइये अब देखें एक वीडियो सारस पंछी की प्रवास यात्रा का। यह वीडियो इनकी यात्रा को बड़े ही सरल तरीके से प्रस्तुत करता है। साथ ही यह इन पक्षियों के प्रजनन में होने वाली एक ख़ास प्रक्रिया पर भी रौशनी डालता है:
वीडियो में आप देखेंगे कि जैसे ही सभी पंछी पृथ्वी की सतह पर उतर आते हैं, कुछ भोजन की खोज करने लगते हैं और बाकी कुछ प्रजनन के लिए अपना जीवन साथी खोजने लगते हैं। इस प्रक्रिया में नर पक्षी मादा पक्षी को प्रसन्न करने के लिए नृत्य करना शुरू करता है। जी हाँ, कला की कद्र सिर्फ हम मनुष्य ही नहीं करते। हर नर किसी न किसी मादा को प्रसन्न करने के लिए नृत्य करता है। जैसे ही किसी मादा को किसी नर का नृत्य पसंद आता है, वह भी उसके साथ नृत्य करती दिखाई देती है। ऊपर दिए गए वीडियो के अंत में आप एक सारस के जोड़े को बड़ी खूबसूरती के साथ नृत्य करते देखेंगे।
संदर्भ:
1.https://en.wikipedia.org/wiki/Sarus_crane#In_culture
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