1820 की पेंटिंग में मेरठ और सरधना निवासियों के साथ बेगम सुमरू

द्रिश्य 3 कला व सौन्दर्य
30-10-2018 05:13 PM
1820 की पेंटिंग में मेरठ और सरधना निवासियों के साथ बेगम सुमरू

भारत में ब्रिटिश शासन की स्थापना और विस्तार में उत्तर प्रदेश ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वहीं मेरठ में मौजूद कैथोलिक चर्च एक बेगम के अनोखे इतिहास को समेटे हुए है। इस चर्च का निर्माण बेगम सुमरू द्वारा कराया गया था। बेगम सुमरू ने छोटी उम्र में अपना व्यवसाय नृत्य करके प्रारंभ किया, और 14 साल की उम्र में ही उन्होंने वाल्टर रेनहार्ड सॉम्ब्रे (एक यूरोपीय सैनिक) से शादी कर ली, जो उनसे उम्र में 31 साल बड़ा था। सॉम्ब्रे के जीवन के उतार-चढ़ाव के समय में बेगम सुमरू हमेशा उसके साथ रही और सॉम्ब्रे की मृत्यु के बाद सरधना क्षेत्र की बागडोर बेगम सुमरू ने ले ली।

बेगम की तेज बुद्धि और आकर्षण ने उन्हें मुगल दरबार में अपना पक्ष और सरधना क्षेत्र को सुरक्षित रखने में कामयाबी दी। सॉम्ब्रे की मृत्यु के कुछ साल बाद उन्होंने ईसाई धर्म अपना लिया और अपना नाम ‘फरज़ाना ज़ेबुन्निसा’ से ‘जोआना नोबिलिस सोम्ब्रे’ रख लिया। बेगम ने 4000 सैनिकों के नेतृत्व में 55 वर्षों तक शासन किया। उनकी सफलता को देख कई बार लोगों में ये अफवाह भी फैल गयी कि बेगम काले जादू के माध्यम से जंग जीतती थी। सरधना में जनवरी 1837 में उनकी मृत्यु हो गयी, और उन्होंने अपनी संपत्ति का अधिकांश हिस्सा डेविड ओक्टरलोनी डाइस सोम्ब्रे (वाल्टर रेनहार्ड सोम्ब्रे की पहली पत्नी के बेटा) को सौंप दिया।

बेगम सुमरू के पास कई भव्य महल और बगीचे थे। उनके द्वारा सरधना में निर्मित कराया गया महल मुगल सम्राट के शासनकाल के दौरान कई गतिविधियों का केंद्र था। वहीं बेगम द्वारा दिल्ली के चांदनी चौक में अपने लिए बनवाया गया महल, उनकी वास्तुशिल्प विरासत का सबसे खूबसूरत हिस्सा था। इसका इस्तेमाल ब्रिटिश शासन के दौरान लंदन बैंक द्वारा किया गया, और आज वर्तमान समय में इसका उपयोग स्टेट बैंक ऑफ इंडिया द्वारा अपने कार्यालय के रूप में किया जा रहा है।


बेगम सुमरू के लिए 1820 में बनायी गयी पेंटिंग (जो आज डबलिन, आयरलैंड में स्थित है) सरधना के राज दरबार को दर्शाती है। साथ ही इसमें स्थानीय लोगों के साथ यूरोपीय लोग भी देखने को मिलते हैं। इस दरबार में उपस्थित भारतीय और यूरोपीय लोगों की वेशभूषा को ध्यान से देखने पर ज्ञात होता है कि उनमें मात्र रंगों की भिन्नता है। सभी लोगों के द्वारा सिर पर बांधी गयी पगड़ी और शरीर पर धारण किए गए कुर्ते पजामे जैसे वस्त्र और कमर में बांधी हुई कमरबंद और उनके आभूषण इनके मध्य समानता को दर्शाते हैं। साथ ही इसमें बेगम सुमरू और अन्य प्रमुख व्यक्ति आम जन की अपेक्षा उच्च पद पर विराजे हुए हैं। और बेगम को पारंपरिक हुक्का पीते हुए दर्शाया गया है। यह चित्र इसलिए और महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि ये बेगम सुमरू को एक ऐसे समय में दर्शाता है जब औरतों को घर की चाहरदीवारी तक सीमित रखा जाता था, जबकि बेगम ऐसा आलीशान दरबार आयोजित करवाती थीं।

संदर्भ:
1.http://www.cbl.ie/cbl_image_gallery/collection/detail.aspx?imageId=107&ImageNumber=T0000323&collectionId=2&page=3%27&AspxAutoDetectCookieSupport=1
2.https://commons.wikimedia.org/wiki/File:Begum_Samru%27s_Household.jpg
3.https://en.wikipedia.org/wiki/Begum_Samru
4.https://artsandculture.google.com/exhibit/8AJyMRPdiZe1Jg
5.https://commons.wikimedia.org/wiki/File:Lens_-_Inauguration_du_Louvre-Lens_le_4_d%C3%A9cembre_2012,_la_Galerie_du_Temps,_n%C2%B0_195.JPG

पिछला / Previous अगला / Next

Definitions of the Post Viewership Metrics

A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.

B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.

C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.

D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.