एक उपहास का जीव नहीं है गधा

शारीरिक
01-09-2018 01:36 PM
एक उपहास का जीव नहीं है गधा

अक्‍सर जब कोई व्‍यक्ति क्षमता से अधिक कार्य बिना किसी प्रश्‍न के करता है, तो उसे लोगों द्वारा गधे की श्रेणि में रखा जाता है। अर्थात गधा एक ऐसा पशु है, जो अपनी पूरी क्षमता के अनुसार कार्य करता है, फिर भी समाज में उसे हास्‍य और अपमानजनक श्रेणि में रखा जाता है। आज हर व्‍यक्ति चाहता है कि उसका स्‍वयं का घोड़ा हो जबकि इसकी लागत गधे की अपेक्षा अधिक होती है तथा गधा कम लागत में इससे अधिक कार्य करता है। चलो जानें भारत में गधे की स्थिति।

भारत में खासकर ग्रामीण क्षेत्र में आज भी सामान ढोने तथा सवारी के लिए गधे का उपयोग किया जाता है तथा साथ ही ये कुछ परिवारों की आजीविका का एकमात्र साधन हैं। यह जानवर बहुत सरल, शांत और विनम्र प्रवृत्ति का होता है तथा यह एक अच्‍छा घरेलू जानवर सिद्ध होता है। किंतु ऐसी प्रवृत्ति के बाद भी इन्‍हें अनुकूलित परिस्थितियों में नहीं रखा जाता है जिस कारण ये अपनी उम्र पूरी करने से पूर्व ही मर जाते हैं। इनका जीवन अन्‍य पशुओं की तुलना में कठिन होता है। गधे की स्थिति सुधारने हेतु दक्षिण भारत में "मोबाइल गधा क्लीनिक" सुविधा प्रारंभ की गयी है, जिसमें गधों की नियमित स्‍वास्‍थ्‍य जांच की जाती है तथा उन्‍हें आवश्‍यक दवाएं दी जाती हैं।

अफ्रीका के जंगली गधे को 4000 ईसा पूर्व के आसपास मिस्र में सबसे पहले पालतू पशु बनाया गया तथा उस दौरान भी इसका उपयोग सामान ढोने तथा सवारी के लिए किया गया। तथा बाद में यूरोप और रोमन साम्राज्‍य में भी इन्‍हें मूल्‍यवान वस्‍तुओं और अनाज को एक स्‍थान से दूसरे स्‍थान तक पहुंचाने के लिए खरीदा और बेचा गया। प्रथम शताब्दी में भारतीय उपमहाद्वीप में गधा पालतू पशु बनाया गया। पहले विश्व युद्ध में भी गधों का इस्तेमाल किया गया जहां युद्ध के दौरान इनकी सहायता से गोला बारूद तथा घायल सैनिकों को लाने ले जाने का कार्य किया जाता था ।

भारत में तीन प्रकार के गधे पाये जाते हैं-
1. भारतीय गधे
2. भारतीय जंगली गधे
3. कियांग भारतीय गधे

भारतीय जंगली गधे धूसर रंग मुख्य रूप से काले, सफेद और यहां तक कि पाइबल्ड रंग के होते हैं यह कच्छ की खाड़ी में पाये जाते हैं। वहीं कियांग को सिक्किम, हिमांचल प्रदेश और लद्दाख में देखा जा सकता है, यह नीचे के भागों से सफेद और साथ ही काले, लाल, और भूरे होते हैं। लेकिन अभी भी सभी प्रकार के गधों का मूल्यांकन नहीं किया गया है। हम में से आधिकांश लोगों द्वारा कई बार घोड़े और गधे में अंतर करना मुश्किल हो जाता है, आपको बताते हैं कि गधे के घोड़े के मुकाबले लंबे कान होते हैं, और घोड़ो के मुकाबले इनकी पूंछ कठोर और कड़ी होती हैं। गधे की पीठ घोड़ों की तुलना में सिधी होती है और अक्सर एक सैडल नहीं पकड़ सकती है। जागरूक और सभ्‍य जीव होने के नाते मनुष्‍य को इसकी विनम्रता का आदर करना चाहिए तथा इसके कार्य का सम्‍मान करना चाहिए।

संदर्भ :

1.http://nrce.gov.in/breeds.php
2.https://welttierschutz.org/en/projects/working-donkeys-in-india/
3.https://donkeytime.org/2017/10/10/a-brief-history-of-the-domestic-donkey/
4.https://www.thebetterindia.com/55072/donkey-sanctuary-looks-after-donkeys-and-mules-in-india/

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