इब्राहिम और हरिश्चन्द्र की कर्तव्य निष्ठा का एक परिचय

विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)
22-08-2018 02:34 PM
इब्राहिम और हरिश्चन्द्र की कर्तव्य निष्ठा का एक परिचय

आज देशभर में ईद-उल-अजहा का पाक दिन मनाया जा रहा है। ईद-उल-अजहा को बकरीद भी कहते हैं। इस्लाम धर्म में इसे कुर्बानी का पर्व माना जाता है। आइए, जानते हैं कब और क्यों मनाते हैं बकरीद का त्योहार। क्या है कुर्बानी देने का असली मकसद? बकरीद या ईद-उल-अजहा को ईद-उल-फितर के 2 महीने 10 दिन के बाद मनाते हैं। इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार, ईद-उल-अजहा के दिन अपनी किसी प्रिय चीज की कुर्बानी दी जाती है। यह ईद इब्राहिम(अब्राहम) के बलिदान का सम्मान करने के लिए बनाया जाता है।

इस्लामिक मान्यताओं के मुताबिक, एक रात इब्राहिम को एक बुरा सपना आया, उसने देखा की अल्लाह उस से इस्माइल (उनका पहला बेटा) की बलिदानी देने के लिए कह रहे हैं। उन्होंने इसे अल्लाह का आदेश मानकर स्वीकार लिया और अगले दिन रस्सी और चाकू लेकर अपने बेटे के साथ अराफात पर्वत (कुब्बत अल-सख़रा, यरूशलेम) के लिए निकल गए। रास्ते में वे जब एक जगह "मीना" से गुजर रहे थे तो उनका सामना शैतान से हुआ, उसने उन्हें रोकने की बहुत कोशिश की लेकिन इब्राहिम उसे अनदेखा कर चला गया। जब वे अराफात पर्वत पहुंच गए तो उन्होंने अपने बेटे को सारी बात बताई तो उसने भी अल्लाह के हुकम को स्वीकारा। जब वे अपने बेटे की कुरबानी दे रहे थे तो वहाँ उनके बेटे की जगह बकरे की कुरबानी हो गयी। यह अल्लाह द्वारा उनके बलिदान के बदले इब्राहिम और इस्माइल को दिया गया उपहार था।

आपको पता है कि सभी महान प्राचीन धर्म एक ही संदेश को साझा करते हैं, मानव जाति के उच्च हित में वाराणसी में अपने बेटे को त्यागने वाले राजा हरिश्चंद्र की सशक्त कहानी लगभग पैगंबर अब्राहम के समान है। इन्होंने भी अपने सपने में हिंदू ऋषि विश्वमित्र को अपना संपूर्ण राज्य दान करने का वचन दिया था। जब विश्वामित्र ने उन्हें वचन याद दिलाया तो उन्होंने वचन का पालन कर राज्य विश्वामित्र को सौंप दिया। उन्होंने अपने इस वचन के पालन के लिए अपना महल, राजपाट तक त्याग दिया, स्वयं और अपने परिवार को भी बेच दिया था। उन्हें उनकी कर्त्तव्यनिष्ठा के लिए तब भगवान ने आशीर्वाद दिया और उनके पुत्र को पुन: जीवित कर दिया।

हमें इब्राहिम, इस्माइल और राजा हरिश्चंद्र की तरह भगवान के आदेशों का पालन करना चाहिए। हम भगवान की आज्ञा का पालन प्रार्थना करके, अपने माता-पिता की अज्ञा का पालन करके और हमेशा सत्य बोलकर कर सकते हैं।

संदर्भ :-

1. https://en.wikipedia.org/wiki/Harishchandra
2. https://en.wikipedia.org/wiki/Binding_of_Isaac

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