हाथ से काते गए वस्त्र की है लम्बी ऐतिहासिकता

स्पर्शः रचना व कपड़े
31-07-2018 12:32 PM
हाथ से काते गए वस्त्र की है लम्बी ऐतिहासिकता

मेरठ एक महत्वपूर्ण कपास उत्पादक जिला है तथा कपास व्यापार और बुनाई का एक बड़ा केंद्र है, जहां खादी का उद्योग अत्यंत सक्रिय है। खादी शब्द "खादर" से लिया गया है, जो भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश में पाए जाने वाले हस्तनिर्मित वस्त्र हैं। यह कपास के साथ-साथ रेशम और ऊनी धागे से भी निर्मित होता है।

हाथ-कताई और हाथ-बुनाई दो प्रकार की कताईयां होती हैं, जो हज़ारों वर्षों से भारतीयों द्वारा अपनाई जा रही हैं। खादी भारत के अधिकांश हिस्सों में फैला हुआ है, परन्तु हस्तनिर्मित वस्त्र की परंपरा कई हजार वर्षों से चली आ रही है। प्रचीन काल से ही, लोगों द्वारा कपास के कपड़े बुने और रंगे जाते थे; इसका प्रथम उल्‍लेख वैदिक काल के साहित्य में से है, यद्यपि हड़प्पन समय से इसका पुरातात्विक सबूत मिला है।

कपास के रेशे को सूती धागे में बदलना बहुत मुश्किल होता है, जिसको करने के लिए एक अच्छी तकनीक की जरूरत होती है। वैदिक काल के असावलयाना गृह सूत्र में सूती कपड़े की बात ब्राह्मणों के जनेऊ के संदर्भ में है। तीसरी सदी ईसा पूर्व से सूती का उल्‍लेख बौद्ध, जैन और हिंदू ग्रंथो में मिलता है, जैसे विनय पिताका, मिलिन्दपन्हो, पंचविम्सब्राह्मण, आदि। अथर्व वेद में चरखे के घूमने को दिन और रात के आवर्तन के समान बताया है।

बाद में, जब अलेक्जेंडर द ग्रेट भारत में आये, तो उनके सैनिकों ने कपास से बने कपड़े पहने, जो कि उनके पारंपरिक वस्‍त्रों की तुलना में गर्मी में कहीं अधिक आरामदायक थे। भारत में ब्रिटिश काल के दौरान यहां से कपास ब्रिटेन निर्यात किया जाता था तथा वहां की मशीनों द्वारा तैयार सूती वस्‍त्रों को भारत में लोगों को खरीदने के लिए मजबूर किया जाता था, गांधी जी ने इसका समर्थन नहीं किया। इसलिए, उन्होंने लोगों को ब्रिटिश सामान बहिष्कार करने के लिए प्रोत्साहित किया तथा भारत में उन्होंने चरखी और कताई चक्र को आत्मनिर्भरता के प्रतीक के रूप में अपनाया। खादी कई मायनों में विशेष रूप से हमारे स्वदेशी होने का प्रतीक है और देश में स्थायी जीवन, गौरव तथा आत्मनिर्भरता की विरासत की याद दिलाता है।

संदर्भ:
1
. https://www.thebetterindia.com/95608/khadi-history-india-gandhi-fabric-freedom-fashion/
2. https://humwp.ucsc.edu/cwh/brooks/cotton/The_Ancient_World.html
3. http://shodhganga.inflibnet.ac.in/bitstream/10603/16494/7/07_chapter%2001.pdf
4. http://handeyemagazine.com/content/india-and-history-cotton

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