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वर्तमान काल में एक बड़ी समस्या हमारे समक्ष उभर कर आई है और यह समस्या हमारे स्वास्थ्य और समाज से जुड़ी है। अक्सर हम खिन्नता (Depression) और आघात के विषय में बात करने से कतराते हैं परन्तु यह एक ऐसा विषय है जिसपर हमें आज बात करने की आवश्यकता है। प्रत्येक वर्ष अकेले भारत में करीब 4,00,000 लोग आघात से मारे जाते हैं। आघात मन में दबी खिन्नता से आता है जो कि एक जानलेवा समस्या बन कर सामने उभर जाता है। चिंता चिता समान है और जब कोई चिंता या खिन्नता मनुष्य के दिमाग में घर बना लेती है तो यह आघात का रूप ले लेती है। यह महत्वपूर्ण विषय है कि खिन्नता या चिंता आदि के विषय में ज्यादा से ज्यादा आकार पर सोचा या विचारा जाए।
विगत कुछ वर्षों से इन विषयों के उपर भारत में विचार विमर्श होना शुरू हुआ है और यह जरूरी भी है। दुनिया भर में खिन्नता एक आम बीमारी है जिस से 300 मिलियन से ज्यादा लोग प्रभावित हुए हैं। पुरुषों (3.6%) की तुलना में महिलाओं (5.1%) के बीच खिन्नता सबसे आम है। दुनिया भर में खिन्नता से पीड़ित लोगों की कुल संख्या 322 मिलियन से अधिक है। इन पीड़ित लोगों में से लगभग आधे दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र और पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में रहते हैं जिसमें चीन और भारत जैसे अति जनसँख्या वाले देश भी शामिल हैं। वर्तमान में भारत की करीब 4.5% आबादी मानसिक खिन्नता से पीड़ित है। चीन में खिन्नता से पीड़ित लोगों की संख्या वहाँ की कुल आबदी का करीब 4.2% है। भारत में चिंता से पीड़ित लोगों की संख्या कुल 38 मिलियन है जो प्रतिशत के अनुसार 3% है। यदि इन दोनों आंकड़ों को मिला कर देखा जाए तो यह दर्शाता है कि भारत की करीब 7.5% जनसँख्या मानसिक बीमारियों से जूझ रही है तथा इसके कारण ही आघात से होने वाली मौतों का आंकड़ा बढ़ रहा है।
विश्व विकलांगता के आंकड़े में सबसे बड़ा योगदानकर्ता के रूप में डब्ल्यू.एच.ओ. द्वारा चिंता को स्थान दिया गया है। यह आत्महत्या का भी एक प्रमुख कारण है जो प्रति वर्ष 8,00,000 के करीब है। रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया भर में 2005 से 2015 तक चिंता का प्रसार 18 प्रतिशत बढ़ गया है। यह प्रदर्शित करता है कि क्यों चिंता एक प्रमुख समस्या है और यह किस प्रकार से समय दर समय बढ़ रही है। इस समस्या के समाधानों की जांच करना एक अत्यंत महत्वपूर्ण कार्य है तथा चिंता या कुंठा को मन में दबा कर रखने के अलावा उसको उजागर करना एक महत्वपूर्ण बिंदु है। अतः यदि आप कभी खिन्नता महसूस करें तो अपने करीबियों से चर्चा करें और यदि आपके आस-पास कभी कोई ऐसा महसूस करे तो ज़रूर उससे बात कर उसकी सहायता करें। याद रखें, डिप्रेशन एक बहुत ही गंभीर मुद्दा है और इसके बारे में चर्चा करना कोई शर्म वाली बात नहीं है।
1.https://www.dailyo.in/lifestyle/depression-mental-disorder-anxiety-healthcare/story/1/22165.html
2.https://timesofindia.indiatimes.com/life-style/health-fitness/health-news/Are-you-depressed-and-dont-know-it/articleshow/51596721.cms
3.https://timesofindia.indiatimes.com/life-style/health-fitness/health-news/depression-causes-signs-symptoms-prevention/articleshow/61487507.cms
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