लोगो बनाते समय, अपने ग्राहकों की संस्कृति जैसे पहलुओं की समझ होना क्यों ज़रूरी है ?

संचार एवं संचार यन्त्र
30-12-2024 09:25 AM
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लोगो बनाते समय, अपने ग्राहकों की संस्कृति जैसे पहलुओं की समझ होना क्यों ज़रूरी है ?
मेरठ शहर को कलाकारों और कारीगरी की नगरी के रूप में भी जाना जाता है। जिस तरह एप्पल (Apple) का स्लीक लोगो और स्टारबक्स (Starbucks) की ग्रीन सायरन दुनिया भर में मशहूर हैं, वैसे ही मेरठ के पारंपरिक शिल्प भी डिज़ाइन की ताकत को दर्शाते हैं। यहां के कारीगर बारीक धातु के काम और रंग-बिरंगे हथकरघा उद्योग के लिए प्रसिद्ध हैं। उनके डिज़ाइन, लोगों पर अपनी गहरी छाप छोड़ते हैं।
आज के इस लेख में हम यही देखेंगे कि एक संस्कृति कैसे लोगो के डिज़ाइन, उसके अर्थ और उसके प्रभाव को आकार देती है। इसके बाद हम कोका-कोला, एप्पल और स्टारबक्स जैसे मशहूर कंपनियों के रोचक किस्सों को जानेंगे। आखिर में, हम विभिन्न संस्कृतियों के डिज़ाइन दृष्टिकोण को भी समझेंगे।
एक लोगो के कई अलग-अलग भाग होते हैं। इनमें से प्रत्येक भाग का अपना एक अलग अर्थ होता है। एक ब्रांड के लिए यह ज़रूरी है कि ये सभी अर्थ मिलकर ग्राहकों या दर्शकों तक एक स्पष्ट संदेश पहुचाएं। लेकिन ये अर्थ संस्कृति के आधार पर बदल भी सकते हैं। यही वजह है कि एक लोगो, अलग-अलग संस्कृति के दर्शकों पर अलग-अलग प्रभाव डालता है। लोगो के हिस्से कई बार सीधे और स्पष्ट (जैसे रेखाएँ, आकार या रंग आदि) हो सकते हैं। वहीं, कई बार वे विचारों पर आधारित, अधिक अमूर्त हो भी सकते हैं।
एक लोगों के विभिन्न पहलुओं में शामिल है:
ब्रांड: ब्रांड लोगो का वह पहलू है, जो लोगो के मूल विचार को दर्शाता है। ब्रांड को लोगो के ज़रिए व्यक्त किया जाता है। उदाहरण के लिए, जब अमेरिकी फ़ास्ट फ़ूड चेन, बर्गर किंग (Burger King) ने ऑस्ट्रेलिया में काम शुरू किया, तो वहाँ पहले से ही एक ऐसा ब्रांड था। इस वजह से उसने अपना नाम बदलकर "हंग्री जैक (Hungry Jack)" रखा। बाद में बर्गर किंग ने प्रतिस्पर्धा बढ़ाने के लिए अपना लोगो बदल दिया। लेकिन हंग्री जैक ने अपना पुराना डिज़ाइन बनाए रखा, क्योंकि वह स्थानीय बाज़ार में लोकप्रिय था।
ब्रांड का नाम: ब्रांड का नाम आमतौर पर एक सा ही रहता है। इसे अलग-अलग बाज़ारों के लिए बदलना मुश्किल होता है। हालांकि, एक अनूठा नाम ऐसा हो सकता है जो सभी को तुरंत समझ न आए। उदाहरण के लिए, स्वीडिश फ़र्नीचर ब्रांड, "आइकिया (IKEA)' अमेरिका में बहुत प्रसिद्ध है। अधिकतर अंग्रेज़ी बोलने वाले ग्राहक इसके नाम का मतलब नहीं जानते, लेकिन यह उनके लिए मायने नहीं रखता। नाम एक पहचानकर्ता के रूप में काम करता है।
टैगलाइन: टैगलाइन या नारा एक छोटा और प्रभावी वाक्यांश होता है। यह ब्रांड के बारे में गहरी जानकारी देता है। टैगलाइन आकर्षक और प्रेरक होती है। इसे अलग-अलग दर्शकों के लिए बदला जा सकता है।
रंग: रंगों के गहरे मनोवैज्ञानिक प्रभाव पड़ते हैं। कुछ रंग जैविक कारणों से खास अर्थ रखते हैं। बाकी रंग ऐतिहासिक और सांस्कृतिक परंपराओं पर आधारित होते हैं। संभव है कि जो रंग एक दर्शक को अच्छा लगे, वह दूसरे दर्शक पर उल्टा असर डाल सकता है। जैसे कि पश्चिमी देशों में लाल रंग जुनून और उत्साह को दर्शाता है, लेकिन दक्षिण अफ़्रीका में इसे अंतिम संस्कार से जोड़ा जा सकता है। इस तरह एक संस्कृति ,लोगो के हर पहलू को गहराई से प्रभावित करती है। इसलिए, लोगो को डिज़ाइन करते समय सांस्कृतिक पहलुओं को ध्यान में रखना ज़रूरी है।
एक लोगो को किसी नए सांस्कृतिक बाज़ार के लिए डिज़ाइन करते समय चार मुख्य दृष्टिकोण को ध्यान में रखना जरूरी है।
1. अनुवाद: अनुवाद का मतलब होता है, शब्दों को एक भाषा से दूसरी भाषा में बदलना। यह एक सीधी और सरल प्रक्रिया है।
2. स्थानीयकरण: स्थानीयकरण में संदेश को किसी खास संस्कृति के हिसाब से बदलना शामिल है। इसका मतलब केवल शब्दों का अनुवाद करना नहीं है, बल्कि ऐसा बदलाव करना है जिससे वह संदेश स्थानीय लोगों से जुड़ सके।
3. अंतर्राष्ट्रीयकरण: अंतर्राष्ट्रीयकरण का अर्थ ऐसा डिज़ाइन तैयार करना है, जो किसी एक विशेष बाज़ार के लिए न होकर, सभी वैश्विक दर्शकों के लिए उपयुक्त हो। यह प्रक्रिया डिज़ाइन को व्यापक दर्शकों के लिए आकर्षक और प्रासंगिक बनाती है।
4. क्रॉस-कल्चरल डिज़ाइन (Cross-Cultural Design): क्रॉस-कल्चरल डिज़ाइन एक समग्र दृष्टिकोण है। इसे लेखक सेनोन्गो अकपेम (Senongo Akpem) ने पेश किया था। क्रॉस-कल्चरल, डिज़ाइन प्रक्रिया में सांस्कृतिक समझ को प्राथमिकता देने पर जोर देता है। इसका उद्देश्य विभिन्न संस्कृतियों की जरूरतों और प्राथमिकताओं को डिज़ाइन का हिस्सा बनाना है, चाहे वह मूल संस्करण ही क्यों न हो। इन चार दृष्टिकोणों का सही उपयोग करके, डिज़ाइनर ऐसे उत्पाद बना सकते हैं जो दुनियाभर के अलग-अलग दर्शकों से आसानी से जुड़ सकें।
आइए अब आपको विश्व के कुछ सबसे प्रतिष्ठित लोगो के पीछे छिपी अनकही कहानियों से रूबरू कराते हैं:
एप्पल के कटे हुए सेब का लोगो: वास्तव में एप्पल कंपनी के प्रतीक के रूप में सेब को चुना जाना महज़ एक संयोग नहीं था। यह फल ज्ञान और प्रलोभन का प्रतीक है। आदम और हव्वा की कहानी में, सेब को विशेष महत्व दिया गया है। जब आप अपने आईफ़ोन को देखते हैं, तो ऐसा लगता है जैसे आप उसी "निषिद्ध फल" का एक टुकड़ा थामे हुए हैं।
लोगो का काटा हुआ सेब केवल कंपनी के नाम का इशारा नहीं करता। यह "बाइट (Bite)" शब्द को भी उजागर करता है, जो तकनीकी दुनिया की भाषा से जुड़ा है। इसके अलावा, पुराने लोगो के इंद्रधनुषी रंग विविधता और समावेश को दर्शाते थे, जो एक गहरा संदेश देता है।
इसलिए अगली बार जब आप एप्पल के लोगो को देखें, तो याद रखें कि यह सिर्फ़ एक फल नहीं है। यह ज्ञान, प्रलोभन, नवाचार और रचनात्मकता का प्रतीक है।
स्टारबक्स का जलपरी लोगो: यह कॉफ़ी शॉप के ग्राहकों को लुभाने के लिए एक परफ़ेक्ट चरित्र है। सायरन के आकर्षक चेहरे और लहराते बालों को देखकर धोखा न खाएं। वह अपने मज़बूत पकड़ के साथ कॉफी की दुनिया में राज करती है। अगली बार जब आप स्टारबक्स का पेय लें, तो याद रखें, यह मरमेड आपको अपनी कॉफ़ी का आनंद लेने का इशारा कर रही है। उसके आकर्षण से बचना मुश्किल है।
कोका-कोला का लोगो: कोका-कोला का लोगो समय की कसौटी पर खरा उतरा है। 1887 में बना यह लोगो आज भी उतना ही प्रासंगिक है। इसे देखना किसी मशहूर सेलिब्रिटी को भीड़ में पहचानने जैसा है। इसका डिज़ाइन कभी पुराना नहीं होता।
यह लोगो, पहचान के साथ-साथ भरोसे का भी प्रतीक है। यह हर समय ब्रांड के साथ खड़ा रहा है, चाहे समय कैसा भी रहा हो। यह भावनाओं से भी जुड़ा है। लोगो को देखकर हमें बचपन की यादें, गर्मी के दिन, और उस ताज़ा पेय का स्वाद याद आता है।

संदर्भ
https://tinyurl.com/25tbtxu4
https://tinyurl.com/25tbtxu4
https://tinyurl.com/26rh68xc

चित्र संदर्भ

1. एक अच्छे और बुरे लोगो को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. एप्पल स्टोर को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. लोगो डिज़ाइन करते व्यक्ति को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. रिस्पॉन्सिव वेब डिज़ाइन (Responsive Web Design) को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. स्टारबक्स के एक आउटलेट (Outlet ) को संदर्भित करता एक चित्रण (Pexels)

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