भारत के 6 करोड़ से अधिक संघर्षरत दृष्टिहीनों की मदद, कैसे की जा सकती है ?

संचार एवं संचार यन्त्र
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भारत के 6 करोड़ से अधिक संघर्षरत दृष्टिहीनों की मदद, कैसे की जा सकती है ?
क्या आप जानते हैं कि भारत में लगभग 62 मिलियन लोग, दृष्टि संबंधी समस्याओं से जूझ रहे हैं? इनमें से करीब 8 मिलियन लोग पूरी तरह से दृष्टिहीन हैं। यह संख्या बताती है कि दुनिया के लगभग एक चौथाई दृष्टिहीन लोग, भारत में रहते हैं। भारत में दृष्टि हानि का एक बड़ा कारण कॉर्नियल अंधापन (Corneal blindness) है। यह समस्या तेजी से बढ़ रही है, और हर साल 20,000 से 25,000 नए मामले सामने आते हैं। खासतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में यह समस्या गंभीर है, जहां स्वास्थ्य सेवाएं सीमित हैं और नेत्रदान करने वालों की संख्या बहुत कम है।
आज विश्व ब्रेल दिवस के मौके पर, हम उत्तर प्रदेश में दृष्टिहीन लोगों की स्थिति पर बात करेंगे। इसमें कॉर्नियल अंधेपन के मुख्य कारणों, इससे जुड़े खतरों और उपलब्ध उपचारों पर चर्चा की जाएगी। इसके अलावा, हम यह भी समझेंगे कि मरीज़ों को आवश्यक नेत्र देखभाल और सर्जरी तक पहुंचने में क्या मुश्किलें आती हैं। साथ ही हम भारत में नेत्र रोग विशेषज्ञों और ऑप्टोमेट्रिस्टों (Optometrists) की कमी पर बात करेंगे। अंत में, ग्रामीण भारत में दृष्टि देखभाल को बेहतर बनाने के कुछ समाधान साझा किए जाएंगे।
आइए, सबसे पहले उत्तर प्रदेश में अंधेपन की मौजूदा स्थिति से रूबरू होते हैं!
आपको जानकर हैरानी होगी कि दुनिया के कुल अंधे लोगों में से 4% से अधिक उत्तर प्रदेश में रहते हैं। यहां, लगभग 45 मिलियन लोग, दृष्टि से जुड़ी समस्याओं से पीड़ित हैं। राज्य स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार, इनमें से 1.85 मिलियन लोग पूरी तरह से अंधे हैं। हर साल लगभग 300,000 नए लोग अंधे हो जाते हैं।
उत्तर प्रदेश में अंधेपन के दो प्रमुख कारण मोतियाबिंद और अपवर्तक त्रुटियां हैं। ये समस्याएं इलाज योग्य हैं, लेकिन समय पर इलाज न होने पर स्थायी अंधेपन का कारण बन सकती हैं।
मोतियाबिंद: अंधेपन के 62% से अधिक मामलों के लिए जिम्मेदार है। यह आंख के प्राकृतिक लेंस को धुंधला कर देता है, जिससे पहले दृष्टि कमज़ोर होती है और धीरे-धीरे खत्म हो जाती है।
अपवर्तक त्रुटियां: 20% मामलों में यह समस्या पाई जाती है। इसमें आंख का लेंस प्रकाश को सही तरीके से केंद्रित नहीं कर पाता, जिससे दृष्टि विकृत हो जाती है।
भारत में कॉर्नियल अंधेपन का संकट: कॉर्नियल अंधापन तब होता है जब आंख की बाहरी परत, यानी कॉर्निया, चोट या संक्रमण के कारण क्षतिग्रस्त हो जाती है। समय पर इलाज न मिलने पर यह स्थायी अंधेपन में बदल सकता है। भारत में अंधेपन के कुल मामलों में 7.5% हिस्सेदारी कॉर्नियल अंधेपन की है। यह समस्या खासतौर पर ग्रामीण इलाकों में ज्यादा देखने को मिलती है, जहां स्वास्थ्य सेवाओं और डोनर कॉर्निया की भारी कमी है।
देश में लगभग 1.2 मिलियन लोग कॉर्नियल अंधेपन से प्रभावित हैं। संक्रमण, आंखों की चोट, विटामिन ए (Vitamin A) की कमी, खराब स्वच्छता, और समय पर इलाज न मिलना इस समस्या को और गंभीर बना देते हैं।
किसे सबसे अधिक खतरा है?
कॉर्नियल अंधेपन का सबसे ज़्यादा खतरा ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले बच्चों और कामकाजी उम्र के वयस्कों को है। ये लोग अक्सर कुपोषण, बार-बार आंखों की चोट, और सीमित स्वास्थ्य सेवाओं जैसी चुनौतियों का सामना करते हैं।
आंखों के स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने और नियमित नेत्र जांच कराने से कॉर्नियल अंधेपन का समय पर निदान और उपचार संभव है।
इसके उपचार में शामिल हैं:
1. नेत्र परीक्षण और स्लिट
-लैंप बायोमाइक्रोस्कोपी: ये टेस्ट, कॉर्नियल समस्याओं की पहचान में मदद करते हैं।
2. एडवांस्ड इमेजिंग तकनीकें: ए एस ओ सी टी (AS-OCT) और कॉर्नियल टोपोग्राफ़ी जैसी तकनीकें आंखों की विस्तृत जांच करती हैं, जिससे सटीक निदान हो सकता है।
3. कॉर्नियल प्रत्यारोपण: यह गंभीर मामलों में एक प्रभावी उपचार है, खासकर उन मरीजों के लिए जिनमें अन्य स्वास्थ्य समस्याएं, जैसे मधुमेह, नहीं होतीं।
भारत में कई लोग जरूरी नेत्र देखभाल सेवाओं और सर्जरी तक नहीं पहुंच पाते। इसके प्रमुख कारण हैं:
- आसपास अच्छे नेत्र अस्पतालों का अभाव।
- इलाज की लागत वहन न कर पाना।
- सर्जरी का डर या इसे ज़रूरी न समझना।
इन समस्याओं को दूर करने के लिए जागरूकता बढ़ाना और किफ़ायती व उच्च गुणवत्ता वाली नेत्र सेवाएं उपलब्ध कराना आवश्यक है।
भारत में, नेत्र रोग विशेषज्ञों की भी भारी कमी है। देश में केवल 25,000 नेत्र रोग विशेषज्ञ और 45,000 ऑप्टोमेट्रिस्ट हैं, जबकि ज़रुरत लगभग 125,000 विशेषज्ञों की है। यह कमी छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक गंभीर है।
ग्रामीण भारत में नेत्र देखभाल सुधारने के लिए, निम्नलिखित उपाय अपनाए जा सकते हैं:
1. बुनियादी ढांचे में सुधार: ग्रामीण क्षेत्रों में, आधुनिक उपकरणों से लैस नेत्र देखभाल केंद्र और क्लीनिक स्थापित किए जाने चाहिए। इससे दूरदराज़ के इलाकों में भी लोगों को इलाज मिल सकेगा।
2. कार्यबल को मज़बूत बनाना: नेत्र देखभाल विशेषज्ञों की संख्या बढ़ाने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किए जाने चाहिए। ग्रामीण क्षेत्रों में काम करने वाले डॉक्टरों को प्रोत्साहन दिया जा सकता है।
3. टेलीमेडिसिन का उपयोग: टेलीमेडिसिन के ज़रिए ग्रामीण मरीज शहरों में मौजूद विशेषज्ञों से परामर्श ले सकते हैं। इससे इलाज में देरी कम होगी।
4. जागरूकता अभियान: नेत्र स्वास्थ्य के महत्व को समझाने के लिए शिक्षा और जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाने चाहिए। इनसे लोग नियमित नेत्र जांच, रोगों के शुरुआती निदान और सही उपचार के प्रति जागरूक होंगे।
भारत में अधंधेपन की समस्याओं से जूझ रहे लोगों के लिए प्रोजेक्ट प्रकाश जैसे अभियान किफ़ायती साबित हो सकते हैं! दरअसल, प्रोजेक्ट प्रकाश का उद्देश्य, इलाज योग्य अंधेपन की समस्या को हल करना और दृष्टि के विकास को समझना है। यह गैर-लाभकारी संगठन भारत में जन्मजात अंधे बच्चों को सर्जरी की सुविधा प्रदान करता है। सर्जरी के बाद बच्चों के दृष्टि विकास पर बारीकी से नजर रखी जाती है।
प्रोजेक्ट प्रकाश की शुरुआत: इस परियोजना का विचार, 2002 में प्रोफ़ेसर पवन सिन्हा के मन में आया। दिल्ली में अपने पिता से मिलने के दौरान उन्होंने दो बच्चों को देखा, जो गरीबी में सड़कों पर रहते थे और इलाज योग्य मोतियाबिंद के कारण अंधे थे। यह घटना उनकी प्रेरणा बनी। प्रोजेक्ट प्रकाश के स्वयंसेवक दूरदराज़ के गांवों में जाकर अंधे बच्चों की जांच करते हैं। इसके लिए पात्र बच्चों को सर्जरी के लिए चुना जाता है। इस प्रयास से न केवल बच्चों को नई दृष्टि मिलती है, बल्कि उनके जीवन में बड़ा बदलाव भी आता है।
कुल मिलाकर भारत में नेत्र देखभाल सेवाओं में सुधार के लिए बुनियादी ढांचे का विकास, विशेषज्ञों की संख्या बढ़ाना, और जागरूकता अभियान चलाना बेहद जरूरी है। प्रोजेक्ट प्रकाश जैसे कार्यक्रम, दृष्टिहीनता की समस्या को हल करने में एक प्रेरणादायक कदम हैं। इन प्रयासों से लाखों लोगों की ज़िंदगी बदली जा सकती है।

संदर्भ
https://tinyurl.com/2crxzzbm
https://tinyurl.com/26rzyrja
https://tinyurl.com/23h9crfp
https://tinyurl.com/25btdsca
https://tinyurl.com/27cwex56

चित्र संदर्भ

1. एक दृष्टिहीन व्यक्ति को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. गली में चलते एक दृष्टिहीन व्यक्ति को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. कॉर्नियल अंधेपन को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. एक दृष्टिहीन व्यक्ति की सहायता करते युवक को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. टिफ़नी ब्रार (Tiffany Brar) को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)

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