जानिए, बागवानी के शौकीनों के लिए, रंगून क्रीपर, क्यों है एक बेहतरीन पौधा

बागवानी के पौधे (बागान)
10-12-2024 09:24 AM
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जानिए, बागवानी के शौकीनों के लिए, रंगून क्रीपर, क्यों है एक बेहतरीन पौधा
मेरठ के लोगों, क्या आप जानते हैं कि रंगून क्रीपर, जिसे भारत में आमतौर पर मधुमालती कहा जाता है, एक बेलदार पौधा है, जिसमें लाल फूलों के गुच्छे लगते हैं। यह पौधा उष्णकटिबंधीय एशिया का मूल निवासी है और भारत उपमहाद्वीप, मलेशिया और फ़िलीपीन्स में झाड़ियों, प्राथमिक और माध्यमिक जंगलों, तथा नदी किनारों पर उगता है। यह एक काष्ठीय बेल है, जो 2.5 मीटर से लेकर 8 मीटर तक लंबी हो सकती है।
आज हम इस पौधे के बारे में विस्तार से जानेंगे। हम इसके आवास, बनावट और विशेषताओं के बारे में चर्चा करेंगे। इसके साथ ही, इसके लाभों और उपयोगों के बारे में भी जानकारी प्राप्त करेंगे। इसके अलावा, हम यह भी समझेंगे कि इस पौधे को कैसे उगाएं और इसकी देखभाल करें। इस संदर्भ में, हम जानेंगे कि मधुमालती को कितनी धूप, किस तरह की मिट्टी और कितना पानी चाहिए।
रंगून क्रीपर ( Combretum indicum) का परिचय
रंगून क्रीपर, एक ख़ूबसूरत फूलों वाला पौधा है, जो एशिया के उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों, विशेषकर भारत, म्यांमार और थाईलैंड में पाया जाता है। इसे चाइनीज़ हनीसकल (Chinese honeysuckle) भी कहा जाता है। “क्विसक्वालिस” (Quisqualis) एक लैटिन शब्द है, जिसका अर्थ है “यह क्या है?” यह नाम इसके फूलों की अनोखी बनावट को दर्शाता है।
यह पौधा एक बेल है, जो अपने प्राकृतिक आवास में 20 फ़ीट तक लंबा हो सकता है। हालांकि, सही कटाई और देखभाल के साथ इसे झाड़ी या छोटे पेड़ के रूप में भी उगाया जा सकता है। इसके पत्ते हरे, चमकदार और अंडाकार आकार के होते हैं, जिनका सिरा नुकीला होता है। पत्तों की लंबाई लगभग 8 इंच तक हो सकती है।
रंगून क्रीपर की सबसे आकर्षक विशेषता, इसके सुगंधित और रंग बदलने वाले फूल हैं। ये फूल गुच्छों में खिलते हैं और अपनी वृद्धि के साथ रंग बदलते हैं। शुरुआत में ये छोटे सफ़ेद कलियों के रूप में आते हैं, फिर गुलाबी होते हैं, और धीरे-धीरे गहरे लाल रंग में बदल जाते हैं। इन फूलों का यह बहुरंगी रूप पौधे को बेहद ख़ूबसूरत बनाता है। ये फूल नली के आकार के होते हैं और इनके किनारे पीछे की ओर मुड़े होते हैं, जिससे ये तारों जैसी आकृति बनाते हैं। ये फूल मधुमक्खियों, तितलियों और चिड़ियों को आकर्षित करते हैं, जिससे यह पौधा बाग़वानी के लिए ख़ास तौर पर लोकप्रिय है।
रंगून क्रीपर को उगाना अपेक्षाकृत आसान है। यह गर्म और आर्द्र जलवायु में अच्छी तरह बढ़ता है, और इसे धूप की भरपूर आवश्यकता होती है। यह पौधा विभिन्न प्रकार की मिट्टी में उगाया जा सकता है, लेकिन इसे जैविक पदार्थों से भरपूर, अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी में उगाना सबसे बेहतर होता है। नियमित सिंचाई और खाद देने से पौधा स्वस्थ रहेगा और भरपूर फूल देगा। यह पौधा हल्की सूखे की स्थिति सहन कर सकता है, लेकिन पाले के प्रति संवेदनशील होता है। ठंड के मौसम में इसे सुरक्षित रखना ज़रूरी है।
रंगून क्रीपर के लाभ और उपयोग
1.) सजावटी पौधा
: रंगून क्रीपर की लोकप्रियता का मुख्य कारण इसके शानदार हनीसकल जैसे फूल हैं। ये फूल, किसी भी बगीचे में रंग और आकर्षण जोड़ देते हैं, जिससे यह एक पसंदीदा सजावटी पौधा बन जाता है।
2.) सुगंधित: मधुमालती के फूलों की मीठी और लंबे समय तक टिकने वाली खुशबू न केवल लोगों को आकर्षित करती है, बल्कि विभिन्न परागणकर्ताओं के लिए भी यह एक चुंबक की तरह काम करती है। तितलियाँ, मधुमक्खियाँ और पक्षी, इस प्राकृतिक खज़ाने के सबसे आम आगंतुक हैं, जिससे यह पर्यावरण को और भी मूल्यवान बनाता है।
3.) पारंपरिक चिकित्सा में उपयोग: कुछ क्षेत्रों में, पारंपरिक चिकित्सा में रंगून क्रीपर का उपयोग संभावित औषधि के रूप में किया गया है।ऐसा माना जाता है कि इस पौधे में मौजूद विभिन्न जैविक यौगिक इसके औषधीय गुणों का आधार हैं।
4.) खाद्य उपयोग: कुछ संस्कृतियों में, मधुमालती के फूलों को खाना पकाने में शामिल किया जाता है। इसका उपयोग सलाद, मिठाइयों और पेय में नाज़ुक फूलों का स्वाद बढ़ाने के लिए किया जा सकता है, जो भोजन के अनुभव में एक अनूठा मोड़ जोड़ता है।
रंगून क्रीपर को कैसे उगाएं और उसकी देखभाल कैसे करें?
कॉम्ब्रेटम इंडिकम की देखभाल कैसे करें?

कॉम्ब्रेटम इंडिकम, जिसे रंगून क्रीपर भी कहा जाता है, एक मज़बूत और तेज़ी से बढ़ने वाला बहुवर्षीय बेलदार पौधा है, जिसे अधिक देखभाल की आवश्यकता नहीं होती। यह पौधा बढ़ने के लिए सहारे पर निर्भर रहता है, इसलिए इसे बाड़, ट्रीलिस या दीवार के पास लगाना उचित होता है।
धूप की आवश्यकता: रंगून क्रीपर या कॉम्ब्रेटम इंडिकम को पूरी धूप और आंशिक छांव दोनों में ही अच्छे से बढ़ने की क्षमता होती है। यह एक उष्णकटिबंधीय पौधा है, इसलिए इसे पूरे दिन की धूप ज्यादा पसंद आती है, क्योंकि इससे फूलों के खिलने में मदद मिलती है। हालांकि, यह पौधा आंशिक छांव में भी अच्छी तरह से बढ़ सकता है।
मिट्टी की आवश्यकता: कॉम्ब्रेटम इंडिकम, बालू, मिट्टी या दोमट मिट्टी में अच्छी तरह से बढ़ता है। मिट्टी का पीएच अम्लीय से लेकर सामान्य (न्यूट्रल) होना चाहिए। मिट्टी का जल निकासी बेहतर होनी चाहिए और उसमें जैविक पदार्थों की प्रचुरता होनी चाहिए। फूलों के विकास के दौरान नाइट्रोजन-समृद्ध उर्वरकों का उपयोग न करें, क्योंकि इससे पौधे में पत्तियों का उत्पादन बढ़ेगा, न कि फूलों का।
पानी की आवश्यकता: रंगून क्रीपर को नियमित रूप से पानी देना आवश्यक है, साथ ही उसे पूरे दिन की धूप और दोपहर की हल्की छांव मिलनी चाहिए। यह पौधा मध्यम मात्रा में पानी पसंद करता है, लेकिन पानी देने की आवृत्ति मौसम के अनुसार बदलती रहती है। सर्दियों में पौधे को कम पानी देने की आवश्यकता होती है।
रंगून क्रीपर की सुरक्षा कैसे करें?
रंगून क्रीपर की सुरक्षा के लिए कुछ महत्वपूर्ण उपाय हैं। सबसे पहले, यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि पौधे के पास उचित जल निकासी सिस्टम हो। पानी का जमाव, जड़ को नुकसान पहुँचा सकता है, इसलिए जल निकासी का अच्छा प्रबंध होना चाहिए। यदि पौधे को पर्याप्त धूप नहीं मिलती है, तो इसके पत्ते पीले पड़ने लगते हैं, इसलिए इसे पर्याप्त धूप में रखना बहुत ज़रूरी है।
इसके अलावा, पौधे के मरे हुए, संक्रमित या क्षतिग्रस्त हिस्सों को हटा देना चाहिए, ताकि वह स्वस्थ रह सके। यदि कीटों का हमला या कोई रोग हो, तो नीम तेल, यूकेलिप्टस तेल या सिट्रस तेल का उपयोग किया जा सकता है, जो पौधे को कीटों से बचाने में मदद करते हैं। रंगून क्रीपर अन्य फूलों वाले पौधों की तुलना में एक सहनशील पौधा है, और थोड़ी बहुत देखभाल से भी यह अच्छे से बढ़ सकता है।

संदर्भ
https://tinyurl.com/3tmme4bs
https://tinyurl.com/5bs3ebns
https://tinyurl.com/mryjfbrn

चित्र संदर्भ

1. रंगून क्रीपर (Rangoon Creeper) के फूलों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. रंगून क्रीपर की फ़ैली हुई बेल को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. रंगून क्रीपर नामक एक पौधे के तने को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. कॉम्ब्रेटम इंडिकम अर्थात रंगून क्रीपर की कलियों और फूलों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
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