भारत का ऑटोमोबाइल उद्योग, आज कहाँ खड़ा है?

य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला
05-11-2024 09:44 AM
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भारत का ऑटोमोबाइल उद्योग, आज कहाँ खड़ा है?
मेरठ में महिंद्रा एंड महिंद्रा (Mahindra & Mahindra), टाटा मोटर्स (Tata Motors), मारुति सुज़ुकी (Maruti Suzuki) और हीरो मोटोकॉर्प (Hero MotoCorp) जैसी कुछ सबसे बड़ी ऑटोमोबाइल कंपनियों (automobile companies) के शोरूम हैं। आंकड़े बताते हैं कि हमारे प्यारे भारत में, हर 1,000 लोगों में से 26 लोगों के पास अपनी खुद की कार है। संयुक्त राज्य अमेरिका में, हर 1,000 लोगों में से 580 लोगों के पास अपनी खुद की कारें हैं । चीन, मैक्सिको और ब्राज़ील में क्रमशः प्रति 1,000 लोगों पर 183, 280 और 276 कारें हैं। कार उद्योग एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है! इसलिए आज के इस लेख में, हम ऑटोमोटिव उद्योग के इस हिस्से के बारे में गहराई से जानेंगे। इस दौरान हम भारत के ऑटो एंसिलरी बाज़ार (Auto Ancillary Market) की वर्तमान स्थिति को देखेंगे। इसके बाद, हम भारत में ऑटो एंसिलरी कंपनियों के सामने आने वाली चुनौतियों पर चर्चा करेंगे। अंत में, हम यह पता लगाएँगे कि भारत को नई कार नीति की आवश्यकता क्यों आन पड़ी है।
आइए शुरुआत इस सवाल के साथ करते हैं कि ऑटो एंसिलरी कंपनियाँ क्या करती हैं?
ऑटो एंसिलरी कंपनियाँ, ऑटोमोटिव उद्योग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। ये कंपनियाँ कार में इस्तेमाल होने वाले लगभग हर हिस्से को बनाती हैं, जिनमें छोटे नट और बोल्ट से लेकर इंजन और ब्रेक जैसे उन्नत सिस्टम भी शामिल हैं। ये कंपनियाँ, बॉडी पैनल (Body Panel), सीट (Seat), इलेक्ट्रिकल पार्ट्स (Electrical Parts) और उत्सर्जन को नियंत्रित करने वाले सिस्टम सहित कई तरह के आइटम भी बनाती हैं।
भारत में, मूल उपकरण निर्माता (Original Equipment Manufacturer) या ओ ई एम (OEM) के रूप में जानी जाने वाले कार निर्माताओं की बिक्री, 59.3 बिलियन अमरीकी डॉलर तक पहुँच गई। भारतीय ओ ई एम के मुख्य निर्यात बाज़ार क्रमशः उत्तरी अमेरिका (32%), यूरोप (31%) और एशिया (26%) हैं। यदि हम अपने देश की बात करें तो भारत, ऑटो पार्ट्स का आयात भी करता है! हमारे द्वारा किए गए कुल आयात का मूल्य, 20.3 बिलियन अमरीकी डॉलर है, जो निर्यात की गई राशि के बराबर है।
इस बाज़ार में:
इंजन घटकों की हिस्सेदारी सबसे बड़ी 25% है।
ड्राइव ट्रांसमिशन (Drive transmission) और स्टीयरिंग पार्ट्स (steering parts) की हिस्सेदारी 16% है, जबकि सस्पेंशन (suspension) और ब्रेकिंग सिस्टम (braking systems) भी 16% का प्रतिनिधित्व करते हैं। ये पार्ट्स, वाहन को सुचारू रूप से चलाने और नियंत्रित करने में आसान बनाने में मदद करते हैं।
बॉडी, चेसिस (chassis) और बॉडी-इन- वाइट (body-in-white) पार्ट्स का योगदान 12% है। ये पार्ट्स वाहन का ढांचा और नींव होते हैं।
हालांकि आयात-निर्यात में इतनी बड़ी भागीदारी होने के बावजूद, भारत में ऑटो सहायक कंपनियों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है! इनमें शामिल है:
आपूर्ति श्रृंखला से जुड़े मुद्दे:
पूरी दुनिया में सेमीकंडक्टर चिप (semiconductor chips) की कमी के कारण, कच्चे माल की लागत बहुत अधिक बढ़ रही है! ऊपर से राजनीतिक तनाव, इसके उत्पादन को और अधिक बाधित करते हैं और इसकी लागत बढ़ाते हैं।
केस स्टडी: भारत में शीर्ष फ़ोर्जिंग कंपनी, भारत फ़ोर्ज (Bharat Forge), स्थानीय स्टील निर्माताओं के साथ काम करती है। कंपनी ने आयातित सामग्रियों पर निर्भरता कम करने के लिए उन्नत विनिर्माण विधियों का उपयोग किया। इससे उन्हें स्टील की बढ़ती कीमतों को संतुलित करने में मदद मिली।
इलेक्ट्रिक वाहनों (ई वी) की ओर झुकाव: ग्राहकों के इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर तेज़ी से बढ़ते रुझान के कारण, पारंपरिक पुर्जों की मांग में बदलाव आता है। इसके लिए नए कौशल और तकनीकों की भी आवश्यकता होती है।
केस स्टडी: भारतीय ऑटो उद्योग में एक प्रमुख खिलाड़ी, टाटा ऑटो कंपोनेंट्स (Tata Auto Components ) ने एक प्रमुख ई वी स्टार्टअप (EV startup) के साथ मिलकर काम किया। साथ मिलकर, उन्होंने बेहतर और विकसित बैटरी पैक बनाए, जिससे उन्हें बढ़ते ई वी बाज़ार में प्रवेश करने में मदद मिली।
कुशल श्रमिकों की कमी: स्वचालन और रोबोटिक्स जैसी उन्नत तकनीकों के क्षेत्र में कुशल श्रमिकों की कमी देखी जा रही है। इससे उत्पादकता और नवाचार सीमित हो जाता है, जिससे विकास धीमा हो जाता है।
केस स्टडी: एक प्रमुख ऑटो कंपोनेंट कंपनी, मदरसन सुमी सिस्टम्स (Motherson Sumi Systems), ने सरकारी एजेंसियों के साथ मिलकर काम किया। इस कंपनी ने ऑटो सेक्टर की विशिष्ट कौशल आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पूरे भारत में व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किए।
बढ़ती लागत: ऑटो उद्योग में बढ़ती इनपुट लागत, कड़ी प्रतिस्पर्धा और मूल्य संवेदनशीलता लाभ मार्जिन को कम करती है।
- केस स्टडी: एक प्रमुख फ़ोर्जिंग कंपनी, महिंद्रा फ़ोर्जिंग्स (Mahindra Forgings), ने लीन मैन्युफ़ैक्चरिंग विधियों (lean manufacturing methods) का उपयोग किया और उन्नत रोबोटिक्स (advanced robotics) में निवेश किया। इससे उत्पादन लागत में 20% की कटौती हुई।
सीमित अनुसंधान और विकास (Limited Research and Development (R&D): आर एंड डी में कम निवेश और प्रतिभा की कमी नवाचार और भविष्य की प्रौद्योगिकियों के निर्माण को धीमा कर देती है।
केस स्टडी: टी वी एस ऑटो कंपोनेंट्स (TVS Auto Components) ने उन्नत इंजन प्रबंधन प्रणाली बनाने के लिए आई आई टी मद्रास के साथ भागीदारी की। यह दर्शाता है कि उद्योग और शिक्षाविदों के बीच आपसी सहयोग कैसे नवाचार को बढ़ावा दे सकता है।
ऊपर दी गई सभी चुनौतियों और जटिलताओं से निपटने सहित कई अन्य कारणों से भी भारत को नई कार नीति पर ध्यान देने की आवश्यकता है। सबसे पहले, हमें अन्य क्षेत्रों में उत्पादन बढ़ाना चाहिए, जिससे आम लोगों को लाभ हो। उदाहरण के लिए, हम ज़्यादा से ज़्यादा शहरों में, मेट्रो नेटवर्क (Metro Network) का विस्तार कर सकते हैं। इसी के बाद कार निर्माता, अपना ध्यान मेट्रो कोच बनाने पर केंद्रित कर सकते हैं। उन्हें इन कोचों के लिए निर्यात ऑर्डर प्राप्त करने के लिए भी काम करना चाहिए। इसके अतिरिक्त, वे अपने कारखानों का उपयोग तीन-पहिया ऑटो-रिक्शा बनाने के लिए कर सकते हैं, जिसमें एयर-कंडीशनिंग (Air-conditioning) वाले मॉडल भी शामिल हैं।
ये परिवर्तन, महंगी कारों के उत्पादन को कम करने में मदद कर सकते हैं। हम सस्ते मॉडल की तुलना में, अल्ट्रा- लक्ज़री कारों पर सड़क कर और बीमा जैसे अन्य करों के साथ-साथ माल और सेवा कर (जी एस टी) भी को दोगुना कर सकते हैं।
इसके अलावा, सेना के कर्मियों के लिए कैंटीन स्टोर्स डिपार्टमेंट (Canteen Stores Department) के माध्यम से जी एस टी सब्सिडी (GST Subsidy) के साथ, कारें नहीं बेची जानी चाहिए। हमें कारों को उनके आकार या इंजन क्षमता के बजाय उनकी शोरूम कीमत के आधार पर वर्गीकृत करना चाहिए। महंगी कारों के लिए ऋण पर भी सीमा होनी चाहिए। महंगी, अल्ट्रा- लक्ज़री कारें (Ultra-luxury cars) अक्सर सिर्फ़ स्टेटस सिंबल (status symbols) होती हैं। जो लोग अपनी संपत्ति का प्रदर्शन करना चाहते हैं, उन्हें इसके लिए अधिक कीमत चुकानी चाहिए।
अंत में, हमें विदेशी निर्मित कारों पर उच्च आयात शुल्क लगाना चाहिए ताकि उनके आयात को हतोत्साहित किया जा सके। भारतीय हस्तियों को उपहार में दी गई कारों पर आयात शुल्क को लेकर विवाद हुए हैं । हमें विदेश से उपहार के रूप में प्राप्त, किसी भी कार पर, पूरा आयात शुल्क लगाना चाहिए।

संदर्भ
https://tinyurl.com/28ayqjyj
https://tinyurl.com/2ysq93xh
https://tinyurl.com/24vglecz

चित्र संदर्भ
1. ग्लिविस, पोलैंड में जनरल मोटर्स की कार असेंबली लाइन को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. ऑटो एंसिलरी फ़ैक्टरी में गाड़ी उत्पादन के दृश्य को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. एक इंजन के आरेख को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. कार निर्माण इकाई में एक रोबोट को संदर्भित करता एक चित्रण (Pexels)
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