मानवता के विकास में सहायक रहे शानदार ऑरॉक्स को मनुष्यों ने ही कर दिया समाप्त

स्तनधारी
17-10-2024 09:24 AM
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मानवता के विकास में सहायक रहे शानदार ऑरॉक्स को  मनुष्यों ने ही कर दिया समाप्त
भारतीय ऑरॉक्स(Indian aurochs), ऑरॉक्स की एक विलुप्त उप-प्रजाति है, जो प्लाइसटसीन (Pleistocene Era) काल के अंत से लेकर दक्षिण एशियाई पाषाण युग के दौरान, इसके विलुप्त होने तक, पश्चिम एशिया और भारतीय उपमहाद्वीप में निवास करती थी। सभी ऑरॉक्सकी प्रजातियों का कोई भी अंतिम अवशेष, 1850 ईसा पूर्व के बाद का नहीं है, जिसके कारण, भारतीय ऑरॉक्सको विलुप्त होने वाली तीन ऑरॉक्सउप-प्रजातियों में से पहली उप-प्रजाति माना जाता है। तो आइए, आज इस विलुप्त स्तनपायी के विवरण, विशेषताओं और आवास के विषय में जानते हैं और यह समझने की कोशिश करते हैं कि भारतीय ऑरॉक्स को कैसे पालतू बनाया गया और उन्होंने मानवता के विकास में कैसे मदद की। आगे हम भारतीय ऑरॉक्स के वितरण के बारे में भी विस्तार से बात करेंगे और देखेंगे कि वे बलूचिस्तान, सिंधु घाटी और गंगा घाटी से लेकर दक्षिण भारत तक पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में पाए जाते थे। उसके बाद, यह जानेंगे कि इन शानदार जानवरों का शिकार कैसे किया गया और वे अंततः कैसे विलुप्त हो गए।
भारतीय ऑरॉक्स का का परिचय: भारतीय ऑरॉक्स, जिसका वैज्ञानिक नाम 'बोस प्रिमिजेनियस नामादिकस' (Bos primigenius namadicus) है, विलुप्त ऑरॉक्स की एक उप-प्रजाति है। इसे ज़ेबू (zebu) मवेशियों का पूर्वज माना जाता है, जो मुख्य रूप से दक्षिणी एशिया में पाए जाते हैं | ऑरॉक्स दुनिया के कई अन्य हिस्सों, जैसे अफ़्रीका और दक्षिण अमेरिका में भी देखे गए। इसके विपरीत, टॉरिन (Taurine) मवेशी, जो यूरोप, निकट पूर्व और दुनिया के अन्य हिस्सों के मूल निवासी हैं, यूरेशियन ऑरॉक्स(बोस प्राइमिजीनियस (Bos primigenuis )) के वंशज माने जाते हैं। भारतीय ऑरॉक्स संभवतः 2000 ईसा पूर्व के आसपास होलोसीन (Holocene) में विलुप्त हो गए।
भारतीय ऑरॉक्स की पहचान उनके जीवाश्म और उपजीवाश्म अवशेषों से की जाती है। इनमें और यूरेशियन ऑरॉक्स में अपेक्षाकृत बेहद मामूली अंतर ही देखा गया है। भारतीय ऑरॉक्स अपने यूरेशियाई समकक्ष से कुछ छोटे थे लेकिन उनके सींग आनुपातिक रूप से बड़े थे। क्योंकि ऑरॉक्स संभवतः पुर्तगाल से भारत तक फैले हुए थे | यह अनिश्चित है कि यूरेशियन और भारतीय उप-प्रजातियों के बीच कोई स्पष्ट अंतर था या नहीं। भारतीय ऑरॉक्स लगभग 100,000 - 200,000 साल पहले यूरेशियन ऑरॉक्स से अलग हो गए थे। भारतीय ऑरॉक्स को कभी-कभी, एक विशिष्ट प्रजाति माना जाता है। ज़ेबू मवेशी एक प्रमुख कंधे के कूबड़ की उपस्थिति से टॉरिन मवेशियों से अलग होते हैं।
भव्य कद-काठी वाले इस शानदार स्तनपायी की विशेषताएं: माना जाता है कि ऑरॉक्स, हाथियों के बाद, महाद्वीप का सबसे भारी भूमि स्तनपायी था। ऐतिहासिक वृत्तांतों के अलावा, पुरातत्व से लेकर मवेशी आनुवंशिकी स्रोतों के अनुसार, ऑरॉक्स की तस्वीर बनाने पर चलता है कि ये गायों की तुलना में काफ़ी बड़े थे, उनका वजन 1000 किलोग्राम तक था और औसत ऊंचाई 155 सेंटीमीटर और 180 सेमी के बीच थी। इनके थूथन (नाक, मुंह और जबड़े) का रंग हल्का और पैर लंबे थे, जो लंबी दूरी तक चलने के लिए उपयुक्त थे। ऑरॉक्स के सींग लंबे, मोटे और घुमावदार थे जो लगभग 107 सेंटीमीटर तक लंबे और 18 सेंटीमीटर मोटे होते थे। अपने आकार के बावजूद, ऑरॉक्स अत्यंत फ़ुर्तीले जीव थे जो भेड़ियों जैसे शिकारियों से अपनी रक्षा करने में सक्षम थे। ऑरॉक्स पूरे यूरोप में दलदलों, जंगलों, मैदानों और पहाड़ों सहित विभिन्न पारिस्थितिक तंत्रों में अनुकूलन करने और रहने में सक्षम थे, हालांकि आधुनिक मवेशियों की तरह बोरियल जंगलों में नहीं। वे 30-35 जानवरों तक के झुंड में रहते थे और उनका जीवनकाल 25 से 30 वर्ष होता था।
विस्तार: ऑरॉक्स लगभग 2 मिलियन वर्ष पहले भारत में उत्पन्न हुए और पश्चिम की ओर फैल गए। भारतीय ऑरॉक्स प्लाइसटसीन और होलोसीन युगों में पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में बलूचिस्तान, सिंधु घाटी और गंगा घाटी से लेकर दक्षिण भारत तक घूमते थे। इनके अधिकांश अवशेष भारत के उत्तर में, काठियावाड़ प्रायद्वीप पर, गंगा के किनारे और नर्मदा नदी के क्षेत्र से प्राप्त हुए हैं। हालाँकि, भारतीय ऑरॉक्स के अवशेष, दक्षिण में जैसे कि दक्कन क्षेत्र और कृष्णा नदी क्षेत्र में भी मिले हैं। जंगली भारतीय ऑरॉक्स, नवपाषाण काल में जीवित रहे, जब इन्हें पालतू बनाया गया। सबसे कम उम्र के ज्ञात अवशेष, जो स्पष्ट रूप से जंगली भारतीय ऑरॉक्सके हैं, दक्षिणी भारत के कर्नाटक में बनहल्ली से प्राप्त हुए हैं, जिनकी उम्र, लगभग 4200 वर्ष है।
पातलू बनाने का कार्य: भारतीय ऑरॉक्स को पालतू बनाने का संभवतः पहला केंद्र पाकिस्तान में बलूचिस्तान क्षेत्र था। ऐसा प्रतीत होता है कि इन्हें पालतू बनाने की प्रक्रिया, 7000 ईसा पूर्व के आसपास नई फ़सल प्रजातियों के आगमन से प्रेरित हुई थी। यह भी संभव है कि भारतीय ऑरॉक्स को दक्षिणी भारत, गुजरात और गंगा के बाढ़ के मैदानों में स्वतंत्र रूप से पालतू बनाया गया था। पालतू ज़ेबू 6000 ईसा पूर्व से सिंधु क्षेत्र में और 2000-3500 ईसा पूर्व से दक्षिण भारत, मध्य गंगा क्षेत्र और गुजरात में दर्ज किए गए हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि 2000-1000 ईसा पूर्व तक दक्षिणी चीन और दक्षिण-पूर्व एशिया में घरेलू मवेशी अनुपस्थित थे।
भारतीय ऑरॉक्स ने मानवता की उन्नति में कैसे मदद की: ऑरॉक्स ने हमारे इतिहास में अग्रणी भूमिका निभाई। फ़्रांस में प्लाइसटसीन गुफ़ा चित्रों में चित्रण से लेकर, यूरोप की शुरुआत की कहानी में ग्रीक देवता ज़ीउस का प्रतिनिधित्व करने तक, सभी संस्कृतियों में ऑरॉक्स को ताकत का प्रतीक माना जाता था। लगभग 10,000 वर्ष पूर्व, जंगली ऑरॉक्स को पालतू बनाकर कृषि की शुरुआत की गई जिससे अंततः सभ्यता के विकास में मदद मिली। भारत में सभ्यता के उद्गम स्थल और उपजाऊ तुर्की और मिस्र दोनों ही अपने संसाधनों का उत्पादन करने के लिए, ऑरॉक्स पर निर्भर थे। इनसे मांस, चमड़ा, डेयरी प्राप्त होते थे और साथ ही इनका उपयोग, लोगों और सामानों का परिवहन करने के लिए किया जाता था।
भारतीय ऑरॉक्स के विलुप्त होने के कारण: ऑरॉक्स के विलुप्त होने के पीछे मुख्य कारण मनुष्य ही है। बढ़ती मानव सभ्यता, इनके निवास स्थान के नुकसान के लिए ज़िम्मेदार थी क्योंकि इनके अधिकांश प्राकृतिक निवास स्थान, घरेलू मवेशियों और घोड़ों या कृषि क्षेत्रों के लिए, चरागाहों में बदल गए थे। अपने अस्तित्व के अंत के दौरान, ऑरॉक्स को घने जंगलों और दलदल जैसे छिपे हुए क्षेत्रों में रहने के लिए मजबूर होना पड़ा, यहां तक कि बाद में इन क्षेत्रों को भी पशुधन के लिए चरागाहों में बदल दिया गया। इसके अलावा, इनकी विलुप्त होने का एक अन्य कारण शिकार भी था। ऑरॉक्स शिकारियों के लिए एक लोकप्रिय खेल जानवर थे क्योंकि यह शानदार ट्राफियां बनाता था। जैसा कि हमने आपको पहले बताया, ऑरॉक्स को ताकत का प्रतीक माना जाता था, अतः इसका शिकार करना वीरता और साहस का कार्य माना जाता था। इसी के चलते, ऑरॉक्स का आधिकाधिक शिकार किया गया। इसके अलावा, जबकि ऑरॉक्स पहले से ही बहुत दुर्लभ , तो अन्य मवेशियों से होने वाली बीमारियाँ भी इनकी घटती आबादी के लिए ज़िम्मेदार बन गईं ।
वास्तव में, यदि देखा जाए तो किसी भी जीव के विलुप्त होने के पीछे का प्रमुख कारण मानव जनित ही रहा है। यदि ये मानवजनित कारक नहीं होते, तो शायद आज ऑरॉक्स, अभी भी एक सामान्य और व्यापक जानवर होता। यह सबसे बड़ा स्थलीय स्तनपायी था, जिसे ऐतिहासिक समय में मनुष्य द्वारा नष्ट कर दिया गया।

संदर्भ

https://tinyurl.com/yhkwk3y9
https://tinyurl.com/yubuz4nj
https://tinyurl.com/bdhryjc4
https://tinyurl.com/2nh4sw45

चित्र संदर्भ
1. भारतीय ऑरोक्स के काल्पनिक चित्र को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. बड़े बैल को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. ऑरोक्स के वितरण को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. भारतीय ऑरोक्स की खोपड़ी को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
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