शांति के मार्ग पर चलकर फ़िलीपींस की जनता ने आज़ादी का स्वाद चखा

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शांति के मार्ग पर चलकर फ़िलीपींस की जनता ने आज़ादी का स्वाद चखा
22 जनवरी 1920 में, एक कार (DN College Campus) में आकर रूकती है। कार के भीतर उस समय के सबसे प्रभावशाली व्यक्ति "गांधीजी" (Mahatma Gandhi) मौजूद होते हैं। कार से उतरते ही उनका स्वागत हिंदू और मुस्लिम समुदाय के लोगों द्वारा हिन्दुस्तान जिंदाबाद (Long Live India) और भारत माता की जय (Victory to Mother India) के उद्घोष के साथ किया जाता है। 22 जनवरी से लेकर 30 जनवरी 1920 तक महात्मा गांधी हमारे मेरठ में ही रुके थे। हैरानी की बात यह है कि अपने उग्र आंदोलनों के लिए पहचाने जाने वाले हमारे मेरठ में, इस दौरान एक भी गोली नहीं चली। लेकिन मेरठ में गांधीजी की उपस्थिति ने ही 8 दिनों तक भारत से लेकर ब्रिटेन तक बड़े से बड़े ब्रिटिश अधिकारी की नींद उड़ा कर रख दी। कितने ही अंग्रेज़ अधिकारियों के तबादले कर दिए गए। यह घटना दर्शाती है कि यदि कोई व्यक्ति मन में सामाजिक हित का सपना लेकर निकलता है, तो उसकी शांतिपूर्ण उपस्थिति भी बड़े-बड़े उग्र आंदोलनों से अधिक प्रभावशाली होती है। शांतिपूर्ण क्रांति का एक उल्लेखनीय उदाहरण पीपल्स पावर रेवोल्यूशन (People Power Revolution) के रूप में भी देखने को मिलता है। पीपुल्स पावर रिवोल्यूशन या फ़रवरी क्रांति (February Revolution) साल 1986 में घटित हुई। इस क्रांति के दौरान भी एक भी गोली न चली। लेकिन इसके बावजूद इसने सत्ताधारी शासकों की नींद के साथ-साथ नींव भी उखाड़ दी। आइए आज इस प्रेरणादाई क्रांति का गहराई से विश्लेषण करें। साथ ही आज हम इस शांतिपूर्ण विद्रोह के महत्व और विरासत पर भी प्रकाश डालेंगे।
जनशक्ति क्रांति (People Power Revolution) को फ़रवरी क्रांति के नाम से भी जाना जाता है। यह 1986 में, फ़िलीपीन्स (Philippines) में हुए शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शनों की एक महत्वपूर्ण श्रृंखला थी। ये ऐतिहासिक प्रदर्शन, 22 से 25 फ़रवरी 1986 तक मेट्रो मनीला (Metro Manila) में हुए। इस दौरान, लाखों लोगों ने एकजुट होकर तानाशाही के खिलाफ आवाज़ उठाई।
इस ऐतिहासिक समय में, फिलिपिनो लोगों में एक नई आशा का संचार हुआ। 22 से 25 फ़रवरी, 1986 के बीच, सैकड़ों हजारों लोग एपिफ़ानियो डे लॉस सैंटोस एवेन्यू (Epifanio de los Santos Avenue) पर एकत्रित हुए। उन्होंने राष्ट्रपति फ़र्डिनेंड मार्कोस (Ferdinand Marcos) के खिलाफ आवाज़ उठाई, जिन्होंने दावा किया था कि उन्होंने कोराज़ोन एक्विनो (Corazon Aquino) के खिलाफ चुनाव में जीत हासिल की है।

समय के साथ विरोध प्रदर्शन बढ़ते गए। आख़िरकार मार्कोस और उनके परिवार को सत्ता और देश दोनों को छोड़कर भागने के लिए मजबूर होना पड़ा। इस घटनाक्रम ने लोगों में एक नई उम्मीद जगाई। अब उनका देश तानाशाही के चंगुल से मुक्त हो गया। इसके अलावा मार्कोस के दो दशकों के शासन के दौरान उत्पन्न आर्थिक और सामाजिक समस्याओं का समाधान भी निकाला गया। जनशक्ति क्रांति ने न केवल फ़िलीपीन्स में, बल्कि दुनिया भर में सत्तावादी शासन के खिलाफ संघर्ष कर रहे कार्यकर्ताओं को भी प्रेरित किया। फ़र्डिनेंड मार्कोस 1965 से फ़िलीपीन्स के राष्ट्रपति थे। 1972 में, उन्होंने मार्शल लॉ (Martial Law) की घोषणा कर दी। इसके बाद उन्हें देश पर और अधिक कठोर नियंत्रण स्थापित करने का अधिकार मिल गया। इस दौरान, उन्होंने लोगों की स्वतंत्रता को सीमित कर दिया, संविधान को निलंबित कर दिया और बाद में उसे फिर से अपने अनुरूप लिखवाया। उनके शासन में कई विरोधियों को गिरफ्तार किया गया। हज़ारों लोगों को प्रताड़ित किया गया या फिर वे मारे गए अथवा लापता हो गए। मार्कोस को इस तानाशाही शासन को फ़िलीपीन्स के इतिहास में एक काले अध्याय के रूप में जाना जाता है।

फ़िलीपीन्स में जनशक्ति क्रांति ने 1986 में मार्कोस शासन को ध्वस्त कर दिया। इस क्रांति के घटित होने के पीछे, कई महत्वपूर्ण घटनाएँ और कारण थे:

चुनाव में धोखाधड़ी: फ़रवरी 1986 में, अचानक हुए चुनाव को जनशक्ति क्रांति को भड़काने वाली प्रमुख घटना माना जाता है। इन चुनावों को बहुत से लोगों ने अनुचित माना। इस दौरान, वोट खरीदने, मतपत्र भरने और अन्य धोखाधड़ी की कई रिपोर्टें सामने आईं। कोराज़ोन एक्विनो उस समय विपक्ष की नेता थीं ।
पहले, उन्होंने चुनावों का बहिष्कार करने का सोचा, लेकिन बाद में भाग लेने का निर्णय लिया।
सैन्य दलबदल: इस संदर्भ में एक और महत्वपूर्ण मोड़ तब आया जब रक्षा मंत्री जुआन पोंस एनरिल (Juan Ponce Enrile) और सशस्त्र बलों के उप प्रमुख फ़िदेल रामोस (Fidel Ramos) ने मार्कोस शासन से अलग होने का फैसला किया। उन्होंने विपक्ष का समर्थन करने की घोषणा की, जिससे आंदोलन को एक नई ताकत मिली।
एक प्रदर्शनकारी की हत्या: लिनो ब्रोका (Lino Brocka) नामक एक प्रदर्शनकारी की हत्या ने भी जनता के गुस्से को भड़काया। ब्रोका एक प्रसिद्ध फिल्म निर्माता और कार्यकर्ता थे, जिन्होंने मार्कोस शासन के खिलाफ आवाज़ उठाई थी। शांतिपूर्ण प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने उनकी हत्या कर दी। उनकी मौत ने लोगों में आक्रोश पैदा कर दिया और विपक्ष की ओर अधिक ध्यान आकर्षित किया।
आर्थिक संकट: मार्कोस के शासन के दौरान आर्थिक स्थिति भी क्रांति का एक महत्वपूर्ण कारण बनी। उस समय, फ़िलीपीन्स की अर्थव्यवस्था संघर्ष कर रही थी, और वहां व्यापक गरीबी और असमानता बढ़ रही थी। मार्कोस की नीतियों ने केवल एक धनी वर्ग को लाभ पहुंचाया। वहीं अधिकांश आम लोग जीवन यापन के लिए भी संघर्ष कर रहे थे।
दमनकारी नीतियाँ: अंत में, मार्कोस शासन की दमनकारी नीतियों ने अपनी सत्ता के ताबूत में आखिरी कील ठोक दी। मार्कोस के शासनकाल में नागरिक अधिकारों को सीमित कर दिया गया। सरकार के खिलाफ बोलने वाले लोगों को कठोर दंड दिया जाता था। हत्या, गायब होना और यातना जैसी मानवाधिकार हनन जैसी घटनाएँ आम हो गई थीं। इसने एक डर का माहौल पैदा किया, जिससे लोगों के लिए सरकार के खिलाफ बोलना मुश्किल हो गया।
इन सभी कारणों ने मिलकर फ़िलीपीन्स में जनशक्ति क्रांति को भड़काया जिसके बाद फ़िलीपीन्स में सत्ता परिवर्तन हो गया।
जनशक्ति क्रांति ने यह सिद्ध कर दिया कि लोग शांतिपूर्ण विरोध के माध्यम से भी सत्ता परिवर्तन कर सकते हैं। इस क्रांति ने विश्वभर में कई अन्य क्रांतियों को भी प्रेरित किया। पूर्वी जर्मनी और पूर्व सोवियत संघ के देश भी फ़िलीपीन्स में हुई घटनाओं से प्रभावित हुए। ये घटनाएँ, 1989 में, शीत युद्ध के अंत से जुड़ी थीं।
राष्ट्रपति जोसेफ़ एस्ट्राडा (Joseph Estrada) के शासनकाल में, सरकार में, व्यापक रूप से भ्रष्टाचार व्याप्त था। इसके परिणामस्वरूप 2001 में इसी तरह की ई डी एस ए (EDSA) क्रांति हुई, जिसने उन्हें इस्तीफ़ा देने पर मजबूर कर दिया।
ई डी एस ए क्रांति की वर्षगांठ को फ़िलीपीन्स में एक महत्वपूर्ण सार्वजनिक अवकाश के तौर पर मनाया जाता है। ई डी एस ए से जुड़े तीन प्रमुख स्मारक स्थल हैं, जिन्हें जनशक्ति क्रांति की याद में बनाया गया है। इन स्मारकों का निर्माण, विभिन्न समूहों द्वारा क्रांति के विभिन्न पहलुओं को याद करने के लिए कराया गया है।
इन स्थलों में शामिल हैं:
१. ई डी एस ए तीर्थ (EDSA Shrine): ई डी एस ए तीर्थ को शांति की (Shrine of Our Lady of Peace) के रूप में भी जाना जाता है। यह एक छोटा सा चर्च है। इसे 1989 में मनीला के रोमन कैथोलिक आर्चडायोसीज़ (Roman Catholic Archdiocese of Manila) द्वारा स्थापित किया गया था। यह तीर्थस्थल ऑर्टिगास सेंटर (Ortigas Center) में स्थित है।
२. बंटायोग एनजी मगा बयानी (Bantayog ng mga Bayani): बंटायोग एनग मगा बयानी, नागरिक समाज समूहों द्वारा स्थापित किया गया एक स्मारक है। इसे 1992 में खोला गया। यह मार्कोस तानाशाही के खिलाफ संघर्ष को सम्मानित करता है। साथ ही यह पीपुल्स पावर क्रांति को एक महत्वपूर्ण क्षण के रूप में चिह्नित करता है। इस स्थल पर एक स्मरण दीवार है, जिसमें उन शहीदों और नायकों के नाम अंकित हैं, जिन्होंने सत्तावादी सरकार के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी।
३. पीपल्स पार्क (People's Park): पीपल्स पार्क की स्थापना फ़िलीपीन सरकार द्वारा 1993 में की गई थी। यह कैंप एगुइनाल्डो (Camp Aguinaldo) के दक्षिण-पश्चिम कोने में स्थित है। पार्क में एडुआर्डो कैस्ट्रिलो (Eduardo Castrillo) द्वारा बनाई गई "पीपल पावर मोन्यूमेंट " (People Power Monument) नामक एक मूर्ति और 30 आकृतियाँ हैं। इसके अलावा, यहाँ पर टॉमस कॉन्सेप्सियन (Tomas Concepcion) द्वारा बनाई गई 1983 की निनॉय एक्विनो (Ninoy Aquino) की एक मूर्ति भी स्थित है। कुल मिलाकर जनशक्ति क्रांति, न केवल एक ऐतिहासिक घटना है, बल्कि यह एक प्रेरणा भी है, जो हमें यह सिखाती है कि एकजुटता और शांतिपूर्ण संघर्ष के माध्यम से परिवर्तन संभव है।
इस प्रकार, फ़िलीपीन्स की जनशक्ति क्रांति ने न केवल अपने देश में बल्कि वैश्विक स्तर पर लोकतंत्र और मानवाधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे लोगों को प्रेरित किया। यह घटना दर्शाती है कि जब लोग एकजुट होते हैं और अपने अधिकारों के लिए शांतिपूर्ण तरीके से आवाज उठाते हैं, तो वे सत्ता को चुनौती दे सकते हैं और परिवर्तन ला सकते हैं। जनशक्ति क्रांति का यह संदेश, आज भी प्रासंगिक है और यह हमें याद दिलाता है कि सच्चे परिवर्तन के लिए साहस, एकता और दृढ़ता की आवश्यकता होती है।

संदर्भ
https://tinyurl.com/2cjs39jq
https://tinyurl.com/mkgco3v
https://tinyurl.com/23psrawn

चित्र संदर्भ
1.  फ़िलीपींस में, शांति की रानी, मैरी के तीर्थ के रूप में प्रसिद्ध ई डी एस ए तीर्थस्थान (EDSA Shrine) को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. पीपल्स पावर मॉन्यूमेंट के स्मारक को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. फ़र्डिनेंड मार्कोस को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. फ़र्डिनेंड मार्कोस के अपनी डॉक्टर ऑफ़ लॉ की डिग्री प्राप्त करते हुए दृश्य को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. कैलिफ़ोर्निया, यू इस ऐ में स्थित, आर लेडी ऑफ़ पीस तीर्थस्थान (Our Lady of Peace Shrine) को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
6. पीपल पावर मोन्यूमेंट को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
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