जानें नोबेल शांति पुरस्कार पाने वाली भारत की दो महान हस्तियों की गौरवगाथा

आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक
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जानें नोबेल शांति पुरस्कार पाने वाली भारत की दो महान हस्तियों की गौरवगाथा
शांति - जीवन का चरम लक्ष्य,
चिर शांति- मानव जीवन का सनातन अंतिम सत्य।
डॉ. श्याम सुन्दर पाठक अन्नत द्वारा लिखित कविता की यह दो पंक्तियाँ, जीवन में शांति की महत्तवता उजागर करने हेतु पर्याप्त हैं। हमारे मेरठ में स्थित गांधी बाग़ में जाकर स्थानीय लोग मन में गहन शांति एवं जीवन में ठहराव की अनुभूति करते हैं। हालांकि, हर व्यक्ति को अपनी अलग-अलग क्रियाओं के माध्यम से शांति मिलती है। उदाहरण के लिए, गांधीजी को भारतीय समाज के कल्याण के लिए शांतिपूर्ण आंदोलनों का नेतृत्व करके शांति मिलती थी। आज हम, भारत की दो महान हस्तियों के बारे में जानेंगे, जिन्हें लाचार और प्रताड़ितों को शांति प्रदान करने में शांति मिलती थी। यह दो महान हस्तियां, आदरणीय कैलाश सत्यार्थी (Kailash Satyarthi) और मदर टेरेसा (Mother Teresa) हैं। दोनों ही नोबेल शांति पुरस्कार (Nobel Peace Prize) प्राप्त करने वाले एकमात्र भारतीय हैं। नोबेल शांति पुरस्कार को दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार के रूप में मान्यता प्राप्त है। आज के इस लेख में, हम नोबेल शांति पुरस्कार की नामांकन और चयन प्रक्रिया के बारे में जानेंगे। साथ ही, हम कैलाश सत्यार्थी और मदर टेरेसा द्वारा शांति की स्थापना और समाज कल्याण हेतु किये गए कार्यों को भी समझेंगे। इसके अतिरिक्त, हम कुछ प्रमुख संगठनों और संस्थानों के बारे में चर्चा करेंगे, जो अहिंसा के माध्यम से शांति स्थापित करने पर केंद्रित हैं। अंत में, हम यह भी जानेंगे कि पाँच बार नामांकित होने के बावजूद, गांधीजी को नोबेल शांति पुरस्कार क्यों नहीं मिला।
नोबेल शांति पुरस्कार, मार्च 1901 के बाद से प्रतिवर्ष दिया जाता है। इसे नॉर्वे की संसद स्टॉर्टिंगेट (Stortinget) द्वारा चुनी गई समिति द्वारा दिया जाता है। यह पुरस्कार उन लोगों को दिया जाता है,जिन्होंने "राष्ट्रों के बीच मैत्री बढ़ाने के लिए, स्थायी सेनाओं को कम करने या समाप्त करने के लिए, तथा शांति सम्मेलनों के आयोजन और संवर्धन के लिए सबसे अधिक या सर्वोत्तम कार्य किया होता है ।" नोबेल फ़ाउंडेशन के तहत नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकन देने से जुड़े विशिष्ट नियम हैं। इस पुरस्कार के लिए कोई भी व्यक्ति, व्यक्तिगत रूप से नामाकंन करके आवेदन नहीं कर सकता।
नामांकन केवल तभी मान्य होता है, जब इसे निम्नलिखित समूहों में से किसी एक के द्वारा प्रस्तुत किया जाता है:
- राष्ट्रीय विधानसभाओं और राष्ट्रीय सरकारों के सदस्य, जिनमें कैबिनेट सदस्य और वर्तमान राष्ट्राध्यक्ष शामिल होते हैं।
- अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय और स्थायी मध्यस्थता न्यायालय के सदस्य।
- शांति और स्वतंत्रता के लिए महिला अंतर्राष्ट्रीय लीग के अंतर्राष्ट्रीय बोर्ड के सदस्य।
- इतिहास, सामाजिक विज्ञान, कानून, दर्शन, धर्मशास्त्र और धर्म जैसे क्षेत्रों में कार्यरत विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर, प्रोफ़ेसर एमेरिटि (Professor Emeritus) और एसोसिएट प्रोफ़ेसर (Associate Professor), इसमें विश्वविद्यालय के रेक्टर और शांति अनुसंधान संस्थानों और विदेश नीति संस्थानों के निदेशक भी शामिल हैं।
- वे लोग, जिन्होंने पहले नोबेल शांति पुरस्कार जीता है।
- नोबेल शांति पुरस्कार प्राप्त करने वाले संगठनों के मुख्य निदेशक मंडल के सदस्य या इसके समकक्ष।
- नॉर्वेजियन नोबेल समिति (Norwegian Nobel Committee) के वर्तमान और पूर्व सदस्य। वर्तमान सदस्यों द्वारा प्रस्ताव, 1 फ़रवरी के बाद ----- समिति की पहली बैठक में प्रस्तुत किए जाने चाहिए।
- नॉर्वेजियन नोबेल समिति के पूर्व सलाहकार।
अंत में नोबेल शांति पुरस्कार विजेताओं का चयन, नॉर्वेजियन नोबेल समिति (Norwegian Nobel Committee) द्वारा किया जाता है। योग्य उम्मीदवारों को चुनने और उन्हें पुरस्कार प्रदान करने की ज़िम्मेदारी भी इसी समिति की है। इस समिति में पाँच सदस्य होते हैं। इन सदस्यों की नियुक्ति, नॉर्वे की संसद, स्टॉर्टिंगेट (Storting) द्वारा की जाती है।
नोबेल शांति पुरस्कार, ओस्लो (Oslo), नॉर्वे (Norway) में दिया जाता है। यह अन्य नोबेल पुरस्कारों से अलग है। भौतिकी, रसायन विज्ञान, फिजियोलॉजी या चिकित्सा, साहित्य और आर्थिक विज्ञान जैसे अन्य पुरस्कार स्टॉकहोम (Stockholm) स्वीडन (Sweden) में दिए जाते हैं।
नोबेल शांति पुरस्कार जीतने वाले भारतीय कौन हैं?
कैलाश सत्यार्थी: कैलाश सत्यार्थी जी को 2014 में नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया था। वे बच्चों के अधिकारों के प्रबल समर्थक हैं। उन्हें "अपने फ़ायदे के लिए किये जा रहे बच्चों के गंभीर शोषण की ओर, दुनिया का ध्यान आकर्षित करने के लिए" सम्मानित किया गया। श्री सत्यार्थी ने दुनिया में करुणा और दया फ़ैलाने के लिए, सत्यार्थी आंदोलन के माध्यम से सामाजिक सुधार में एक उच्च मानक स्थापित किया। उन्होंने दिखाया कि करुणा के साथ जीने का क्या मतलब होता है। अपने संगठन, बचपन बचाओ आंदोलन के माध्यम से, श्री सत्यार्थी ने 100,000 से अधिक बच्चों को शिक्षित करने, पुनर्वास करने और फिर से एकीकृत करने के लिए एक सफ़ल मॉडल बनाया। इन बच्चों को बाल श्रम, गुलामी, तस्करी और अन्य प्रकार के शोषण से बचाया गया था। उन्होंने बाल श्रम के खिलाफ़, वैश्विक आंदोलन का भी आयोजन किया। उनके आंदोलनों ने, 103 देशों को बाल श्रम के सबसे बुरे रूपों से लड़ने हेतु अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) कन्वेंशन का समर्थन करने के लिए प्रेरित किया । यह कन्वेंशन बाद में, हर देश द्वारा अनुमोदित एकमात्र आई एल ओ कन्वेंशन बन गया।
मदर टेरेसा: मदर टेरेसा को 1979 में नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया था। उन्हें "पीड़ित मानवता की मदद करने के, उनके काम के लिए" सम्मानित किया गया था। 1931 से 1948 तक, मदर टेरेसा ने कलकत्ता के सेंट मैरी हाई स्कूल (St. Mary's High School) में एक शिक्षिका के रूप में काम किया था। हालाँकि, कॉन्वेंट के बाहर उन्होंने, जो दुख और गरीबी की स्थिति देखी, उसने, उन्हें बहुत अधिक प्रभावित किया था। 1948 में, उन्हें अपने वरिष्ठों से कॉन्वेंट स्कूल छोड़ने की अनुमति मिली। वह शहर की झुग्गियों में सबसे कमज़ोर वर्ग के लोगों की मदद करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहती थीं। 7 अक्टूबर, 1950 के दिन, उन्होंने "द मिशनरीज़ ऑफ़ चैरिटी (Missionaries of Charity)" की स्थापना की। इस संगठन का मुख्य लक्ष्य समाज द्वारा प्रताड़ित और ठुकराए गए लोगों के बीच प्रेम फ़ैलाना तथा उनकी देखभाल करना था। 1965 में, पोप पॉल VI (Pope Paul VI) ने इस सोसाइटी को एक अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक परिवार के रूप में मान्यता दी थी।
आइए अब शांति और अहिंसा पर केंद्रित दुनिया के कुछ सबसे बड़े और प्रमुख संगठनों के बारे में जानते हैं:
1. संयुक्त राष्ट्र (United Nations): संयुक्त राष्ट्र की स्थापना 1945 में हुई थी। यूएन का मुख्य मिशन, अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखना है। यूएन पूरी दुनियां में चल रहे, संघर्षों को रोकने और संघर्षरत पक्षों के बीच शांति स्थापित करने की कोशिश करता है। ज़रूरत वाले क्षेत्रों में शांति सैनिकों को तैनात किया जाता है। यूएन के तहत, शांति की स्थापना और इसे बनाए रखने में मदद करने के अनुरूप परिस्थितियाँ बनाई जाती हैं। अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा की मुख्य ज़िम्मेदारी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की है। महासभा और महासचिव शांति प्रयासों का समर्थन करने के लिए, अन्य संयुक्त राष्ट्र कार्यालयों और निकायों के साथ मिलकर काम करते हैं।
२. अल्बर्ट आइंस्टीन इंस्टीट्यूशन (Albert Einstein Institution): अल्बर्ट आइंस्टीन इंस्टीट्यूशन, एक गैर-लाभकारी समूह है। इसकी स्थापना, 1983 में डॉ. जीन शार्प (Dr. Gene Sharp) के द्वारा की गई थी। इस संगठन का उद्देश्य, संघर्षों में अहिंसक कार्रवाई को बढ़ावा देना है। इसका प्रमुख लक्ष्य यह समझना है, कि संघर्षों में अहिंसक कार्रवाई कैसे काम करती है। ये नीति परिवर्तन के लिए इस कार्रवाई की क्षमता का भी पता लगाते है । संघर्षों के दौरान प्राप्त जानकारी को मुद्रित सामग्री, अनुवाद, सम्मेलनों, परामर्शों और कार्यशालाओं के माध्यम से साझा किया जाता है।
3. एमनेस्टी इंटरनेशनल (Amnesty International): एमनेस्टी इंटरनेशनल द्वारा राजनीतिक कैदियों की रिहाई की मांग की शुरुआत की गई। आज के समय में, यह संगठन मानवाधिकारों की रक्षा के लिए काम करता है। ये कई तरीकों से लोगों को सशक्त बनाने के लिए प्रयासरत है। ये मृत्युदंड को समाप्त करने और यौन तथा प्रजनन अधिकारों की रक्षा करने के लिए भी काम करता है। इसके अलावा, इस संगठन के सदस्य भेदभाव के खिलाफ़ भी लड़ते हैं और शरणार्थियों तथा प्रवासियों के अधिकारों की रक्षा करते हैं।
4. इंटरनेशनल पीस ब्यूरो (International Peace Bureau): इंटरनेशनल पीस ब्यूरो का लक्ष्य, युद्ध रहित दुनिया का निर्माण करना है। इस संस्था के वर्तमान कार्यक्रम सतत विकास के लिए निरस्त्रीकरण पर केंद्रित हैं। इंटरनेशनल पीस ब्यूरो के 70 देशों में 300 सदस्य संगठन हैं। व्यक्तिगत सदस्यों के साथ मिलकर, वे एक वैश्विक नेटवर्क का निर्माण करते हैं। इस पूरे नेटवर्क का एक सामान्य उद्देश्य है, जिसके लिए ये सभी के साथ मिलकर ज्ञान और अभियान अनुभव साझा करता है। इंटरनेशनल पीस ब्यूरो, ऐसे विशेषज्ञों और अधिवक्ताओं के साथ मिलकर काम कर रहा है, जो नागरिक समाज में मज़बूत आंदोलन बनाने के लिए समान मुद्दों पर काम करते हैं।
एम.के. गांधी अहिंसा संस्थान (M.K. Gandhi Institute for Nonviolence): एम.के. गांधी अहिंसा संस्थान, एक गैर-लाभकारी संगठन है। यह अहिंसा के बल पर लोगों को सशक्त बनाने के लिए समर्पित है। गांधी संस्थान, न्याय, पर्यावरणीय स्थिरता, पुनर्स्थापनात्मक अभ्यास और अहिंसक शिक्षा जैसे विभिन्न क्षेत्रों में शांति निर्माताओं के साथ सहयोग करते है । इस संस्थान का उद्देश्य गांधीवादी सिद्धांतों को मूल रूप देना है। इसका लक्ष्य सभी के लिए एक न्यायपूर्ण दुनिया बनाना है। ये संगठन, स्थानीय स्तर पर शांति स्थापना को बढ़ावा देना चाहता है।
महात्मा गांधी को कभी नोबेल शांति पुरस्कार क्यों नहीं मिला था?
ब्रिटिश शासन से भारत को स्वतंत्र कराने में, महात्मा गांधी का योगदान अतुलनीय है। क्या आप जानते हैं कि उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार के लिए पाँच बार नामांकित किया गया था। ये नामांकन क्रमशः 1937, 1938, 1939 और 1947 में दाख़िल किये गए थे। उनका अंतिम नामांकन 1948 में उनकी हत्या से कुछ समय पहले हुआ था। गांधी को नोबेल शांति पुरस्कार न देने के कई कारण थे। एक प्रमुख कारण यह था कि वे नोबेल समिति द्वारा निर्धारित सामान्य मानदंडों पर खरे नहीं उतरते थे। समिति का मानना ​​था कि वह राजनीतिज्ञों या अंतरराष्ट्रीय कानून के पैरोकारों की श्रेणी में नहीं आते थे। वे मुख्य रूप से मानवीय राहत प्रयासों या अंतरराष्ट्रीय शांति कार्यक्रमों के आयोजन नहीं कर रहे थे। शांति और अहिंसा को बढ़ावा देने का गांधी का तरीका अद्वितीय और अभिनव था। इस विशिष्टता के कारण नोबेल समिति के लिए, उनके योगदान को अपने स्थापित मानदंडों के अनुरूप नहीं समझा जाता था।

संदर्भ
https://tinyurl.com/yslxhrhd
https://tinyurl.com/2c9x7emk
https://tinyurl.com/yhl6r7me
https://tinyurl.com/28t95fa8
https://tinyurl.com/y8wy767z

चित्र संदर्भ
1. कैलाश सत्यार्थी और मदर टेरेसा को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. नोबेल शांति पुरस्कार को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. नोबेल शांति पुरस्कार के आगे और पीछे के दृश्यों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. मुस्कुराते हुए कैलाश सत्यार्थी जी को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. मदर टेरेसा को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
6. जिनीवा में संयुक्त राष्ट्र कार्यालय के सामने, देशों के झंडों को संदर्भित करता एक चित्रण (pexle)
7. गांधीजी की प्रतिमा को संदर्भित करता एक चित्रण (pexels)
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