मेरठ की कृषि प्रणाली: वर्तमान स्थिति, चुनौतियाँ और भविष्य की संभावनाएँ

शारीरिक
10-08-2024 09:14 AM
Post Viewership from Post Date to 10- Sep-2024 (31st) day
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
2955 94 3049
मेरठ की कृषि प्रणाली: वर्तमान स्थिति, चुनौतियाँ और भविष्य की संभावनाएँ
मेरठ के लोगों में आम के प्रति जो प्रेम है, उस पर किसी को कोई संदेह नहीं है। हमारा राज्य, उत्तर प्रदेश, भारत में सबसे बड़े आम उत्पादकों में से एक है। लेकिन, क्या आपने कभी सोचा है कि भारत में बागवानी क्षेत्र में सबसे बड़ा योगदान किस राज्य का है। तो, आज के अपने इस लेख में, हम मेरठ में कृषि प्रणाली की स्थिति के बारे में चर्चा करेंगे। हम मेरठ में सबसे अधिक उगाई जाने वाली फसलों पर चर्चा करेंगे और शहर के कृषि उत्पादन पर जलवायु परिवर्तन का, भविष्य में, इन पर क्या प्रभाव हो सकता है। इसके अलावा, हम स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय, सुभारतीपुरम, मेरठ, यूपी से पेड़ों की फाइटोडायवर्सिटी (Phytodiversity) और एथेनोबोटैनिकल (Ethnobotanical) महत्व को समझने की कोशिश करेंगे। उसके बाद, हम भारत के शीर्ष 5 बागवानी राज्यों और उनके द्वारा उत्पादित फसलों के बारे में बात करेंगे।
मेरठ में कृषि प्रणाली की स्थिति:
हमारा मेरठ शहर, भारत गंगा बेसिन का हिस्‍सा है | यहां मुख्‍य रूप से चावल-गेहूं और गन्ना-गेहूं की खेती की जाती है। सर्वेक्षण में ज्ञात हुआ है यहां के कृषकों का एक हिस्‍सा पशुधन (गाय और भैंस) भी रखता है, जो कृषि प्रणाली का एक अभिन्न अंग है। यह अध्ययन चावल-गेहूँ + पशुधन खेती प्रणाली पर केंद्रित है। चावल की खेती, गीले खरीफ मौसम (जून-अक्टूबर) के दौरान की जाती है और गेहूं की खेती शुष्क रबी मौसम (नवंबर-अप्रैल) के दौरान की जाती है।
वर्तमान में कृषि में रासायनिक उर्वरकों के असंतुलित उपयोग के साथ-साथ चावल और गेहूँ की निरंतर खेती ने मिट्टी की सेहत को खराब कर दिया है और उपज के स्तर को भी घटा दिया है। इसके अतिरिक्त, जलवायु परिवर्तन ने इस समस्या को और बढ़ा दिया है। अधिकतम और न्यूनतम तापमान में वृद्धि, साथ ही हाल ही में असमय वर्षा की शुरुआत ने चावल-गेहूँ की पैदावार को सीधे प्रभावित किया है।
मेरठ के कृषि उत्पादन पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव: यदि किसान बदली हुई जलवायु परिस्थितियों में वर्तमान कृषि प्रथाओं का उपयोग जारी रखते हैं, तो किसानों को जलवायु परिवर्तन से नकारात्मक प्रभावों और चावल की पैदावार में गिरावट का सामना करना पड़ेगा। हालाँकि, यह क्षेत्र, काफी हद तक सिंचित है और सिंचाई, शुष्क परिस्थितियों के कुछ नकारात्मक प्रभावों की भरपाई कर सकती है, फिर भी पैदावार में गिरावट का अनुमान लगाया जाता है। उदाहरण के लिए, मध्यम उत्सर्जन के तहत गर्म/शुष्क परिदृश्य में चावल की पैदावार में 16% तक की गिरावट का अनुमान है। अधिक उत्सर्जन का प्रभाव अधिक उपज पर पड़ता है। उच्च उत्सर्जन के साथ, सभी जलवायु परिदृश्यों के तहत गेहूं की उपज में 6% से 19% तक की गिरावट का अनुमान लगाया जाता है। पशुधन क्षेत्र पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव पर उपलब्ध अनुभवजन्य साक्ष्य के आधार पर, यह माना गया कि जलवायु परिवर्तन के तहत, दूध की पैदावार में 10% की गिरावट आने की संभावना है।
आइए, अब नज़र डालते हैं मेरठ के स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय से प्राप्त वृक्षों की पादप विविधता और नृवंशविज्ञान संबंधी महत्व पर:
1.) भारतीय लेबर्नम (laburnum)/अमलतास (कैसिया फिस्टुला (cassia fistula)): इसके पके हुए फलों का गाढ़ा रस अस्थमा, ब्रोंकाइटिस (bronchitis), अन्य श्वसन समस्याओं, कब्ज़ और रक्त शोधन के उपचार में लिया जाता है। पके हुए फलों का उपयोग रेचक के रूप में भी किया जाता है।
2.) एम्ब्लिका (Emblica)/ आंवला (एम्ब्लिका ऑफिसिनेलिस (Emblica officinalis)): दूध के साथ आंवले के सूखे फलों का चूर्ण प्रतिरक्षा में सुधार के लिए उपयोग किया जाता है। इसका उपयोग अस्थमा, सर्दी, पाचन विकार, आंखों की रोशनी की तीक्ष्णता, पीलिया और कब्ज़ के उपचार में भी किया जाता है। पके हुए फलों का अक्सर अचार, जूस और बालों के उपचार के लिए भी उपयोग किया जाता है।
3.) अरौकेरिया (Araucaria) (अरौकेरिया अरौकाना (Araucaria araucana)): इसके बीजों का सेवन भोजन के रूप में किया जाता है।
4.) अशोक वृक्ष (सरका अशोक): रोगाणुरोधी, कैंसररोधी, मानसिक धर्मरोधी और एंटीऑक्सीडेंट (Antioxidants) के रूप में कार्य करता है।
5.) अशोक पंडुला (पॉलीएल्थिया लॉन्गिफोलिया (Polyalthia longifolia)): यह बुखार, त्वचा रोग, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, कृमिरोग, रोगाणुरोधी, कैंसररोधी के रूप में कार्य करता है।
6.) अमरूद (सिडियम ग्वायवा (Psidium guayava)): इसका उपयोग एंटी-ऑक्सीडेंट (Anti-oxidant), हेपेटोप्रोटेक्टेंट (hepatoprotectant), एंटीएलर्जिक (antiallergic), एंटी-माइक्रोबियल (anti-microbial), एंटी-जेनोटॉक्सिक (anti-genotoxic), एंटी-प्लास्मोडियल (anti-plasmodial), साइटोटॉक्सिक (cytotoxic), एंटी-स्पास्मोडिक (anti-spasmodic), कार्डियोएक्टिव (cardioactive), एंटी- कफ़ (anti-cough), एंटी-डायबिटिक (anti-diabetic), एंटी-इंफ्लेमेटरी (anti-inflammatory) और नोसिसेप्शन (nociception) अवरोधक के रूप में किया जाता है।
हमारा भारत, अपनी विविधता के साथ प्राकृतिक औषधियों की विविधता से भरा पड़ा है। यहां हर क्षेत्र में अपनी एक प्रा‍कृतिक भिन्‍नता देखने को मिलती है।
यहां पर हम भारत के शीर्ष 5 बागवानी राज्यों के बारे में बात करेंगे:
1.) गुजरात: गुजरात, भारत में कपास की फसल उत्पादन के लिए जाना जाता है। महामारी के दौरान भी गुजरात ने लगभग 125 लाख कपास की गांठें उत्‍पादित कीं हैं। कपास के सर्वोत्तम उत्पादन के लिए, सही परिस्थितियाँ महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, क्योंकि यह एक ज़मीनी फसल है । तापमान, वर्षा, ज़मीन की मिट्टी की तैयारी और पानी की उपलब्धता, कपास के उत्पादन में मदद करती है। ज़मीनी फसलों के उत्पादन के लिए, सुरक्षित खेती बहुत महत्वपूर्ण है, और ट्रैक्टर-माउंटेड बूम स्प्रेयर मशीन (Tractor-mounted boom sprayer machine) की मदद से, किसान आसानी से सटीकता के साथ रसायनों का छिड़काव कर सकते हैं। मित्रा एग्रो इक्विपमेंट (Agro Equipment) का बुलेट स्प्रेयर (Bullet Sprayer) एक छिड़काव मशीन है जिसका उपयोग किसान अपनी कपास की फसलों की सुरक्षा के लिए कर सकते हैं।
2.) महाराष्ट्र: महाराष्ट्र, भारत का सबसे बड़ा अंगूर उत्पादक राज्य है, और नासिक शहर अपने वाइन उत्पादन के लिए भी प्रसिद्ध है। इसे भारत की वाइन राजधानी के रूप में भी जाना जाता है। अंगूर का कुशलतापूर्वक उत्पादन करना किसानों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि वाइनयार्ड (Vineyard) उत्पादन सबसे बड़े उत्पादनों में से एक है जो उनकी वित्तीय स्थिति को बढ़ाने में मदद करता है। अंगूर की फसल के अलावा, महाराष्ट्र, सबसे अधिक अनार उत्पादन के लिए भी जाना जाता है, जहाँ, इस फसल की कम से कम 82% खेती राज्य के अंतर्गत आती है। अंगूर के बागों को सुरक्षित रखने के लिए, किसान फसल की गुणवत्ता को प्राकृतिक बनाए रखने के लिए छिड़काव मशीनों का उपयोग करते हैं। किसान समय-समय पर छिड़काव करके फसल को सुरक्षित रखने के लिए ऑर्चर्ड स्प्रेयर (Orchard Sprayers) और एयरब्लास्ट स्प्रेयर (Airblast Sprayers) जैसी छिड़काव मशीनों का भी उपयोग कर सकते हैं।
3.) उत्तर प्रदेश: भारत में, आम सबसे अधिक मात्रा में उत्पादित होता है। उत्तर प्रदेश, इसका उत्पादन करने वाले सबसे बड़े राज्यों में से एक है। आम की फसल किसानों के लिए बहुत फ़ायदेमंद है। उत्तर प्रदेश में जून से अगस्त तक आम की पैदावार का सबसे अच्छा समय होता है क्योंकि यह बारिश का मौसम भी होता है, किसान फसल की बहुत देखभाल करते हैं। फसल की सुरक्षा के लिए किसान जिस स्प्रेइंग (Spraying) उपकरण, ट्रैक्टर-माउंटेड स्प्रेयर (Tractor-mounted sprayer) का इस्तेमाल कर सकते हैं, वह कुशलता से काम करता है और किसानों के लिए काम आसान बनाता है। आम की फसल के अलावा, उत्तर प्रदेश को गन्ना उत्पादन के केंद्र के रूप में भी जाना जाता है।
4.) जम्मू और कश्मीर: जम्मू-कश्मीर, सेब के उत्पादन का घर है। बाज़ारी हिस्सेदारी पर, जम्मू-कश्मीर का भारत में सबसे अधिक, 77% हिस्सा है। जम्मू-कश्मीर में सेब की सबसे अधिक हिस्सेदारी और तेज़ी से उत्पादन के कारण, यह राज्य हर साल 1800 टन सेब का उत्पादन करता है।
5.) तमिलनाडु: तमिलनाडु ने 7 बिलियन नारियल का उत्पादन किया है, जिसमें पूरे राज्य में 4.65 लाख हेक्टेयर भूमि पर खेती की जाती है। तमिलनाडु के कोयंबटूर और कृष्णगिरी ज़िले , नारियल के उत्पादन के लिए मिट्टी की दक्षता प्रदान करते हैं।
इस लेख में, हमने मेरठ की कृषि प्रणाली की स्थिति, मुख्य फसलों और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों पर व्यापक दृष्टिकोण प्रदान किया। स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय से प्राप्त पेड़ों की फाइटोडायवर्सिटी और एथेनोबोटैनिकल महत्व को समझने का प्रयास किया गया। अंततः, भारत के शीर्ष 5 बागवानी राज्यों के योगदान और उनकी प्रमुख फसलों को समझने का भी प्रयास किया गया। कृषि के क्षेत्र में बदलते परिवेश और नई चुनौतियों के साथ, किसानों को न केवल नवाचार की ज़रुरत है, बल्कि पारंपरिक ज्ञान का भी सहारा लेना होगा। यह महत्वपूर्ण है कि हम अपने प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करें और उन्हें सर्वोत्तम तरीके से उपयोग में लाएं, ताकि भविष्य की पीढ़ियां भी इनसे लाभान्वित हो सकें।

संदर्भ :
http://surl.li/kxmqar
http://surl.li/grnsre
http://surl.li/ytvmks

चित्र संदर्भ
1. गन्ने के किसानों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. गेहूं और मक्के की फ़सल को दर्शाता चित्रण (IBC24)
3. भारतीय लेबर्नम को संदर्भित करता एक चित्रण (Needpix)
4. आवलें को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. अरौकेरिया को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
6. अशोक वृक्ष को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
7. अशोक पंडुला को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
8. अमरूद अर्थात सिडियम ग्वायवा को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
9. कपास की खेती को दर्शाता चित्रण (Needpix)
10. अंगूर तोड़ते बच्चों को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
11. आम के समूह को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
12. सेब के पेड़ को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
13. नारियल के पेड़ों को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
पिछला / Previous अगला / Next

Definitions of the Post Viewership Metrics

A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.

B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.

C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.

D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.