मूल्य नियंत्रण में प्रमुख भूमिका निभाता है 'मूल्य निगरानी प्रभाग'

डीएनए
05-08-2024 09:30 AM
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मूल्य नियंत्रण में प्रमुख भूमिका निभाता है 'मूल्य निगरानी प्रभाग'

अपनी अनुकूल भौगोलिक स्थिति के कारण, हमारा शहर मेरठ गेहूं, चावल, दालें, गन्ना, तिलहन जैसे विविध कृषि उत्पादों के लिए एक प्रमुख केंद्र के रूप में कार्य करता है। लेकिन, क्या आपने कभी सोचा है कि भारत में इन फ़सलों, बीजों, उर्वरकों और अन्य आवश्यक खाद्य पदार्थों की कीमतों को कौन नियंत्रित करता है? तो आइए इस लेख में सरकार के 'मूल्य निगरानी प्रभाग' (Ministry of Consumer Affairs) के विषय में जानते हैं और मूल्य निर्धारण एवं नियंत्रण बनाए रखने में इसकी भूमिका पर चर्चा करते हैं। इसके साथ ही उन संस्थानों और प्राधिकरणों के विषय में भी जानते हैं जो किसानों को समय पर बीज और उर्वरक उपलब्ध कराती हैं और मूल्य नियंत्रण के माध्यम से किसानों की मदद करती हैं। इसके साथ ही यह भी जानते हैं कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Support Price) क्या है, यह किन फ़सलों पर लागू होता है, कौन से कारक इस मूल्य को निर्धारित करते हैं और इसे हमारे देश में कैसे नियंत्रित किया जाता है।
आज हमारा देश भारत, सबसे तेज़ी से बढ़ती हुई बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। भारत में मुद्रास्फीति (Inflation) को नियंत्रण में रखने और आर्थिक विकास को सुनिश्चित करने के लिए सरकार द्वारा खाद्य पदार्थों की खुदरा कीमतों को नियंत्रित करने के लिए पिछले कुछ वर्षों में कई सक्रिय कदम उठाए गए हैं। हालांकि गत वर्ष आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, खाद्य पदार्थों की ऊंची कीमतों के कारण नवंबर में खुदरा मुद्रास्फीति तीन महीने के उच्चतम स्तर 5.55% पर पहुंच गई थी। जबकि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (Consumer Price Index (CPI) पर आधारित खुदरा मुद्रास्फीति अक्टूबर में 4.87% थी। अगस्त से मुद्रास्फीति में निरंतर गिरावट दर्ज की गई, जब यह 6.83% पर पहुंच गई थी। केंद्र सरकार द्वारा आवश्यक वस्तुओं की थोक और खुदरा कीमतों पर कड़ी नज़र रखने के लिए 140 नए मूल्य निगरानी केंद्र स्थापित किए गए हैं। दैनिक आधार पर 550 उपभोक्ता केंद्रों पर कीमतों की निगरानी की जाती है जिससे उपभोक्ताओं को मूल्य वृद्धि से बचाने में मदद मिलती सके।
मूल्य निगरानी प्रभाग (Price Monitoring Division (PMD): उपभोक्ता मामले विभाग में चयनित आवश्यक वस्तुओं की कीमतों की निगरानी का कार्य मूल्य निगरानी प्रभाग द्वारा किया जाता है। प्रभाग की गतिविधियों में दैनिक आधार पर खुदरा और थोक कीमतों और चयनित आवश्यक वस्तुओं की हाज़िर और भविष्य की कीमतों की निगरानी शामिल है। इसकी वेबसाइट पर प्रतिदिन कीमतें बताई जाती हैं। मूल्य निगरानी प्रभाग, मूल्य स्थिति का विश्लेषण करता है और आवश्यक वस्तुओं की उपलब्धता में अवांछित कमी को रोकने के लिए उचित समय पर नीतिगत हस्तक्षेप में मदद करने के लिए निवारक उपाय करने के लिए अग्रिम प्रतिक्रिया देता है। किसी विशिष्ट आवश्यक वस्तु की कमी की स्थिति में और वस्तु की कीमत को नियंत्रण में रखने के लिए, मूल्य निगरानी प्रभाग, उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए, वस्तु-विशिष्ट बाज़ार हस्तक्षेप योजनाएं भी लागू करता है।
मूल्य निगरानी: इसके द्वारा चावल, गेहूं, आटा, दालें, चीनी, गुड़, तेल जैसी बाईस आवश्यक वस्तुओं के मूल्य की निगरानी की जाती है। वस्तु की कीमतें, उसकी गुणवत्ता और विविधता केंद्र-दर-केंद्र भिन्न हो सकती है, लेकिन किसी दिए गए केंद्र के लिए समान रहती है। आम तौर पर, कीमतें किसी दिए गए केंद्र के लिए वस्तु की उचित औसत गुणवत्ता के आधार पर रिपोर्ट की जाती हैं। प्रत्येक केंद्र में वस्तुओं की एक मानक गुणवत्ता और विविधता होती है जिसके लिए कीमतें उनके द्वारा रिपोर्ट की जाती हैं।
मूल्य आंकड़ों के स्रोत: विभाग द्वारा विकसित मोबाइल ऐप के माध्यम से 550 केंद्रों से 22 वस्तुओं की खुदरा और थोक कीमतें संबंधित राज्य सरकारों के राज्य नागरिक आपूर्ति विभागों से प्रतिदिन प्राप्त की जाती हैं। मोबाइल ऐप यह सुनिश्चित करता है कि रिपोर्टिंग वास्तविक बाज़ार स्थान से हो, क्योंकि डेटा को जियो-टैग किया जाता है, जिससे वह स्थान प्रदर्शित होता है जहां से मूल्य डेटा रिपोर्ट किया जाता है। मोबाइल ऐप में औसत कीमत की गणना और रिपोर्ट करने के लिए एक अंतर्निहित सुविधा भी है। इससे गणना में मानवीय त्रुटि की संभावना का ध्यान रखा जाता है।
मूल्य रिपोर्ट का उत्पादन और प्रसार:
दैनिक मूल्य रिपोर्ट में निम्नलिखित शामिल हैं:
𓇢𓆸 पिछले पांच दिनों में चयनित 22 आवश्यक वस्तुओं की दैनिक खुदरा और थोक कीमतें, एक सप्ताह पहले, एक महीने पहले और एक वर्ष पहले और; चार महानगरों, अर्थात् दिल्ली, मुंबई, कोलकाताऔर चेन्नई में |
𓇢𓆸 केंद्रों से वस्तुओं की दैनिक खुदरा और थोक कीमतें।
𓇢𓆸 केंद्रों से चुनिंदा वस्तुओं की खुदरा और थोक कीमतों में बदलाव।
कीमतों के अन्य प्रासंगिक और संभावित निर्धारकों की निगरानी:
मूल्य निगरानी प्रभाग, राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर अन्य चरों पर भी नज़र रखता है जिनसे कीमतों पर असर पड़ने की संभावना है। राष्ट्रीय स्तर पर, जिन चरों की निगरानी की जाती है उनमें थोक मूल्य सूचकांक, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक, भारत में प्रमुख सब्ज़ियों की कीमतें, न्यूनतम समर्थन मूल्य, भारत में खाद्य और गैर-खाद्य वस्तुओं की हाज़िर और भविष्य की कीमतें, प्रमुख फ़सलों का उत्पादन, विभिन्न फ़सलों के तहत फ़सल क्षेत्र शामिल हैं। जिन वैश्विक स्तर पर अंतर्राष्ट्रीय खाद्य मूल्य सूचकांक, विभिन्न देशों के उपभोक्ता मूल्य सूचकांक, व्यापार और कमोडिटी की कीमतों पर डेटा और विश्व कृषि आपूर्ति-मांग अनुमान जैसे कारकों की निगरानी की जाती है।
मूल्य विश्लेषण और नीति हस्तक्षेप:
मौजूदा मूल्य स्थिति के साथ-साथ घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय दोनों बाज़ारों में कीमतों पर प्रभाव डालने वाले कारकों का अध्ययन किया जाता है और नीति स्तर पर उचित कारवाई के लिए एजेंडा नोट्स के माध्यम से सचिवों की समिति, आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति जैसी उच्च स्तरीय समितियों के ध्यान में लाया जाता है।
इसके तहत निम्नलिखित कारकों की समीक्षा की जाती है:
𓇢𓆸 थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति।
𓇢𓆸 प्रमुख खाद्य फसलों का क्षेत्रफल एवं उत्पादन।
𓇢𓆸 आवश्यक वस्तुओं का मूल्य परिदृश्य।
बाजार हस्तक्षेप योजनाएं:
बाज़ार को स्थिर करने और यह सुनिश्चित करने के लिए कि कमी उपभोक्ताओं, विशेष रूप से आबादी के कमज़ोर वर्ग पर प्रतिकूल प्रभाव न डाले, बाज़ार में हस्तक्षेप के लिए रणनीति तैयार की जाती है।
मूल्य स्थिरीकरण कोष (The Price Stabilization Fund (PSF): मूल्य स्थिरीकरण कोष की स्थापना चिन्हित कृषि-बागवानी वस्तुओं की मुद्रास्फीति की प्रवृत्ति से निपटने के लिए ₹500 करोड़ के प्रारंभिक कोष के साथ की गई थी।
सरकार कृषि फसलों के गुणवत्तापूर्ण बीजों के उत्पादन और गुणन को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 2014-15 से ;बीज और रोपण सामग्री' पर उप-मिशन (Sub-Mission on Seeds & Planting Materials (SMSP) लागू कर रही है। SMSP के तहत किसानों के बीजों की गुणवत्ता को उन्नत करने के लिए बीज ग्राम कार्यक्रम लागू किया जा रहा है। इस कार्यक्रम के तहत किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
सरकार द्वारा राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (National Food Security Mission (NFSM), बागवानी के एकीकृत विकास पर मिशन (Mission on Integrated Development of Horticulture (MIDH), राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (Rashtriya Krishi Vikas Yojna (RKVY) आदि जैसे विभिन्न फ़सल विकास कार्यक्रमों/योजनाओं के तहत किसानों को गुणवत्तापूर्ण बीजों की समय पर उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए बीजों के उत्पादन और वितरण और अन्य बीज संबंधी गतिविधियों के लिए विभिन्न राज्यों और सरकारी बीज उत्पादक एजेंसियों को वित्तीय सहायता भी प्रदान की जाती है।
सरकार द्वारा 45 किलोग्राम की एक बोरी के लिए, यूरिया की कीमत 242/- रुपये तय की गई है। पिछले कई वर्षों से यूरिया की कीमत लगभग एक जैसी ही बनी हुई है। यूरिया वैधानिक रूप से अधिसूचित अधिकतम खुदरा मूल्य पर उपलब्ध कराया जाता है। उर्वरक विभाग द्वारा 2010 से पोषक तत्व आधारित सब्सिडी योजना भी चलाई जा रही है। इस योजना के तहत नाइट्रोजन, फ़ॉस्फ़ेट, पोटाश पर वार्षिक आधार पर तय की गई एक निश्चित राशि की सब्सिडी प्रदान की जाती है। इस योजना के अंतर्गत शामिल सूक्ष्म पोषक तत्वों जैसे बोरॉन और ज़िंक वाले उर्वरकों पर अलग से सब्सिडी दी जाती है।
कृषि लागत और मूल्य आयोग (Commission for Agricultural Costs and Prices (CACP) की सिफ़ारिशों के आधार पर कुछ फ़सलों के लिए बुवाई के मौसम की शुरुआत में भारत सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्यों की घोषणा की जाती है। वास्तव में 'न्यूनतम समर्थन मूल्य' (Minimum Support Price (MSP) भारत सरकार द्वारा कृषि उत्पादकों को कृषि कीमतों में किसी भी तेज़ गिरावट के खिलाफ बीमा करने के लिए बाज़ार हस्तक्षेप का एक रूप है।
MSP निर्धारित करने वाले कारक:
𓇢𓆸 उत्पादन की लागत
𓇢𓆸 लागत कीमतों में बदलाव
𓇢𓆸 लागत और बाज़ार मूल्य समता
𓇢𓆸 बाज़ार कीमतों में रुझान
𓇢𓆸 मांग और आपूर्ति
𓇢𓆸 अंतर-फसल मूल्य समानता
𓇢𓆸 औद्योगिक लागत संरचना पर प्रभाव
𓇢𓆸 जीवन यापन की लागत पर प्रभाव
𓇢𓆸 सामान्य कीमत स्तर पर प्रभाव
𓇢𓆸 अंतर्राष्ट्रीय मूल्य स्थिति
𓇢𓆸 भुगतान की गई कीमतों और किसानों द्वारा प्राप्त कीमतों के बीच समानता
𓇢𓆸 निर्गम कीमतों पर प्रभाव और सब्सिडी के लिए निहितार्थ
MSP में शामिल फसलें:
सरकार द्वारा 22 अनिवार्य फ़सलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य और गन्ने के लिए उचित और लाभकारी मूल्य की घोषणा की गई है।
इन फ़सलों में अनिवार्य रूप से ख़रीफ़ मौसम की 14 फ़सलें, 6 रबी फ़सलें और दो अन्य वाणिज्यिक फ़सलें शामिल हैं।

1. अनाज (7) - धान, गेहूं, जौ, ज्वार, बाजरा, मक्का और रागी
2. दालें (5) - चना, अरहर, मूंग, उड़द और मसूर
3. तिलहन (8) - मूंगफ़ली, सरसों, तोरिया, सोयाबीन, सूरजमुखी के बीज, तिल, कुसुम बीज और निगरसीड
4. कच्चा कपास
5. कच्चा जूट
6. खोपरा
7. छिलका रहित नारियल
8. गन्ना (उचित एवं लाभकारी मूल्य)
9. वर्जीनिया फ़्लू से ठीक किया गया तंबाकू
विपणन मौसम, 2024-25 के लिए, खरीफ़ फसलों के लिए MSP को अखिल भारतीय भारित औसत उत्पादन लागत के कम से कम 1.5 गुना के स्तर पर तय करने की घोषणा की गई है। सरकार द्वारा विपणन 2024-25 के लिए रबी फसलों के MSP में वृद्धि की गई है, ताकि उत्पादकों को उनकी उपज के लिए लाभकारी मूल्य सुनिश्चित किया जा सके। MSP में सबसे अधिक बढ़ोतरी मसूर के लिए 425 रुपये प्रति क्विंटल, इसके बाद रेपसीड और सरसों के लिए 200 रुपये प्रति क्विंटल की मंजूरी दी गई है। गेहूं और कुसुम के लिए 150-150 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी को मंज़ूरी दी गई है। जौ और चने के लिए क्रमश: 115 रुपये प्रति क्विंटल और 105 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी को मंजूरी दी गई है।

संदर्भ
 https://tinyurl.com/mu63b28a
https://tinyurl.com/3hvwx2m9
https://tinyurl.com/kkyjxvbj
https://tinyurl.com/5dytac8k

चित्र संदर्भ
1. मंडी में सब्ज़ियां बेच रहे भारतीय किसान को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
2. उपभोक्ता मामले विभाग के लोगो को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
3. खेत जोतते बैलों को नियंत्रित करते हुए किसान को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के लोगो को संदर्भित करता एक चित्रण (facebook)
5. फ़सल कटाई को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
6. दुकान में बिक रहे मसालों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)

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