मुहर्रम पर्व पर महत्त्वपूर्ण होते हैं, मेरठ के ‘इमामबाड़ा बुढ़ाना’ जैसे धार्मिक स्थल

विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)
17-07-2024 09:43 AM
Post Viewership from Post Date to 17- Aug-2024 (31st Day)
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
4505 117 4622
मुहर्रम पर्व पर महत्त्वपूर्ण होते हैं, मेरठ के ‘इमामबाड़ा बुढ़ाना’ जैसे धार्मिक स्थल

हमारा मेरठ शहर, ‘इमामबाड़ा बुढ़ाना’ जैसे कुछ धार्मिक स्थलों का घर है। इसके साथ ही, क्या आप जानते हैं कि, मुहर्रम भारत में मुस्लिम समुदाय द्वारा मनाए जाने वाले, सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। दरअसल, यह त्योहार इस्लामी नव वर्ष की शुरुआत का प्रतीक है। मुहर्रम इस्लामिक कैलेंडर का पहला महीना है, और रमज़ान के बाद, दूसरा सबसे पवित्र महीना माना जाता है। अतः आज के इस लेख के माध्यम से, यह जानिए कि, मुहर्रम का त्योहार क्यों मनाया जाता है और इसका इतिहास क्या है। आगे हम यह भी देखेंगे कि, कैसे शिया और सुन्नी मुसलमान मुहर्रम को अलग-अलग तरीके से मनाते हैं। फिर हम भारत के बाहर स्थित, कुछ प्रसिद्ध इमामबाड़ों के बारे में भी चर्चा करेंगे।


वास्तव में, ‘आशूरा’ यानी मुहर्रम का 10वां दिन, शिया और सुन्नी मुसलमानों द्वारा सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। शिया मुसलमान इसे पैगंबर मुहम्मद के पोते हुसैन इब्न अली की मौत की याद में, शोक दिवस के रूप में मनाते हैं। किंवदंतियों के अनुसार, एक बार इमाम हुसैन ने खलीफा यज़ीद की वैधता पर आपत्ति जताई थी, और  उनके खिलाफ विद्रोह किया था। इसके परिणामस्वरूप, 680 ईसवी में आशूरा के दिन, कर्बला(Karbala) की लड़ाई हुई। इसमें क्रांतिकारी नेता का सिर काट दिया गया, और उनके परिवार को कारावास में डाल दिया गया।

एक तरफ़, सुन्नी मुसलमानों का मानना है कि, उनके धार्मिक नेता – ‘मूसा’ ने लाल सागर के माध्यम से, इज़राइल(Israel) का नेतृत्व किया, और मुहर्रम के 10वें दिन मिस्र(Egypt) के  फ़ैरो (Pharaoh) और उसके युद्ध रथों की सेना पर विजय प्राप्त की। एक और मान्यता है कि, भगवान ने इस पवित्र महीने के 10वें दिन एडम(Adam) और  ईव (Eve) का सृजन किया था।


शिया मुस्लिम इसे अवलोकन मानते हैं, और अतः 10 दिनों की अवधि के लिए, वे शोक में रहते हैं। वे काले कपड़े पहनते हैं, मस्जिदों में विशेष प्रार्थना सभाओं में भाग लेते हैं, और यहां तक कि संगीत सुनने या शादियों जैसे कार्यक्रमों में भाग लेने से भी  परहेज़ करते हैं। 10वें दिन, वे सड़क पर जुलूस  निकालते हैं, जिसमें वे इमाम हुसैन की पीड़ाओं की याद में नंगे पैर चलते हैं। जुलूस के दौरान वे नारे भी लगाते हैं और अपनी छाती पर तब तक कोड़े मारते हैं, जब तक कि खून न निकल जाए। हालांकि, सुन्नी मुस्लिम इस दिन को महीने के पहले से 10वें या 11वें दिन तक उपवास के साथ मनाते हैं। यह स्वैच्छिक उपवास होता है, और माना जाता है कि  इन रोज़ा रखने वालों को अल्लाह इनाम  देते हैं


मुहर्रम का पर्व मुस्लिम संस्कृति के लिए अत्यधिक महत्व रखता है। यह आने वाले वर्ष में नई शुरुआत और नए अवसरों के द्वार के रूप में कार्य करता है। इस त्योहार के दौरान, मुसलमान पापों की क्षमा के लिए भी प्रार्थना करते हैं, और सबसे महत्वपूर्ण बात, हुसैन इब्न अली को याद करते हैं।

क्या आप जानते हैं कि, हैदराबाद शहर में 90% आबादी अपना सम्मान व्यक्त करने के लिए मुहर्रम मनाती है। मुहर्रम के दौरान, शिया समुदाय का जुलूस, दबीरपुरा फ्लाईओवर से शुरू होकर अलाव-ए-सरतौक मुबारक (दारुशफा) तक चलता है। परेड के साथ छोटी मजिलिस की भी व्यवस्था की जाती है, जिसके बाद मजिलिस के काले झंडों को हटाकर उनके स्थान पर लाल झंडे लगाए जाते हैं। इस दिन यहां ज़ियारत आशूरा पढ़ने की भी प्रथा है, जो कर्बला के शहीदों को सलाम करने वाली किताब है। यह प्रार्थना अभिवादन हुसैन इब्न अली की दरगाह और कर्बला की लड़ाई को समर्पित  होती है।


मुहर्रम के ऐसे समारोह में इमामबाड़ों का काफी महत्व है। दरअसल, “इमामबाड़ा” किसी इमारत के लिए एक सामान्य शब्द है, जिसमें मुहर्रम का त्योहार मनाया जाता है। कभी-कभी इसका इस्तेमाल मकबरे के लिए भी किया जाता है। यह एक “मस्जिद” के विपरीत है, जो अलंकृत होती है, ताकि उपासकों का ध्यान उनकी प्रार्थनाओं से विचलित न हो। जबकि, “इमामबाड़ा”, तीन इमाम – अली, हसन और हुसैन की स्मृति को समर्पित इमारत होती है।

आइए अब हम, भारत के बाहर स्थित, कुछ प्रसिद्ध इमामबाड़ों के बारे में चर्चा करेंगे।


.हुसैनी दालान, ढाका, बांग्लादेश

यह एक बड़ा इमामबाड़ा है, जिसे मूल रूप से, ढाका में 17वीं शताब्दी में मुगल शासन के उत्तरार्ध के दौरान बनाया गया था। इसे शिया मुस्लिम समुदाय के इमामबाड़े के रूप में  इस्तेमाल किया गया  । हुसैनी दालान हुसैनिया या मुहर्रम के महीने के दौरान, आयोजित मजिलिस या सभाओं के लिए, एक स्थान के रूप में कार्य करता है।

इसका निर्माण मुगल सम्राट शाहजहां के पुत्र – शाह शुजा की सूबेदारी के दौरान किया गया था। यद्यपि शुजा सुन्नी मुसलमान  थे, तथापि,  उनहोंने शिया संस्थाओं को भी संरक्षण दिया था। परंपरा के अनुसार, मीर मुराद ने इमाम हुसैन का एक ‘ताज़िया खाना’ या शोक घर बनाने का सपना देखा था, जिसके कारण, हुसैनी दालान का निर्माण हुआ।


मुहर्रम के पहले 10 दिनों के दौरान, हुसैनी दलान पुराने ढाका में शोक और धार्मिक सभा का केंद्र बन जाता है। सुन्नी और शिया मुस्लिम, दोनों अनुयायी इस शोक में शामिल होते हैं।

.पृथिमपासा नवाब बारी, सिलहट, बांग्लादेश

पृथिमपासा इमामबाड़ा का निर्माण सुल्तानों के समय में, पृथिमपासा के  ज़मींदार द्वारा किया गया था। इसमें अलग-अलग समय के दौरान, विभिन्न बदलाव लाए गए थे। विशेषतः 1897 के भूकंप के बाद, नवाब अली अमजद खान  , नवाब अली हैदर खान और नवाब अली असगर खान के समय में बीसवीं सदी की शुरुआत में भी, इसमें बदलाव किए गए।


.बड़ा इमामबारगाह खरादर, कराची, पाकिस्तान

यह कराची में स्थित एक बहुत पुराना इमामबाड़ा है। इस इमामबाड़े की स्थापना वर्ष 1868 में हुई थी। बड़ा इमामबारगाह, कायद-ए-आज़म मोहम्मद अली जिन्ना के जन्मस्थान – वज़ीर हवेली से दो सड़क दूर स्थित है। बड़ा इमामबारगाह खोजा असना-ए-अशरी (पिरहाई) समूह द्वारा बनाया गया था। समय बीतने के साथ, मजिलिस में अधिक लोगों को समायोजित करने के लिए, पुरानी  मंज़िल के नवीनीकरण के अलावा, इस इमारत में दो और  मंज़िलें जोड़ी गईं  हैं

 संदर्भ

https://tinyurl.com/b9pjyns

https://tinyurl.com/bdfenv4j

https://tinyurl.com/ykva42t5

https://tinyurl.com/3et8ht5u

https://tinyurl.com/3ycbvr5p

चित्र संदर्भ

1. मुहर्रम के अवसर पर शाह नजफ़ इमामबाड़े को दर्शाता चित्रण (wikimedia)

2. शिया इस्लामी समुदाय द्वारा निकाले जा रहे मुहर्रम के जुलूस के दृश्य को दर्शाता चित्रण (wikimedia)

3. हैदराबाद में मुहर्रम जुलूस के शोक को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)

4. जामा मस्जिद दिल्ली में, मुहर्रम पर ताज़िया के जुलूस को दर्शाता चित्रण (wikimedia)

5. हुसैनी दालान, ढाका, बांग्लादेश को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)

6. पृथिम्पस्सा नवाब हाउस बांग्लादेश को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)

7. बड़ा इमामबारगाह, खरादर, कराची को संदर्भित करता एक चित्रण  (wikimedia)


पिछला / Previous अगला / Next

Definitions of the Post Viewership Metrics

A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.

B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.

C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.

D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.