विष्णुपंत छत्रे के जज़्बे के फलस्वरूप आज मेरठ में भी आ चुका है, जेमिनी सर्कस

द्रिश्य 2- अभिनय कला
19-06-2024 09:43 AM
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विष्णुपंत छत्रे के जज़्बे के फलस्वरूप आज मेरठ में भी आ चुका है, जेमिनी सर्कस

भारत में मेरा नाम जोकर (1970), अप्पू राजा (1989) और देख इंडियन सर्कस (2011) जैसी फिल्मों की लोकप्रियता से हम यह अनुमान लगा सकते हैं कि, भारतीय संस्कृति में सर्कस की जड़ें कितनी गहराई तक फैली हुई हैं। हमारा मेरठ शहर तो एक समय में सर्कस के होनहार कलाकारों का गढ़ हुआ करता था। मोबाइल और टीवी जैसे मनोरंजन के आसान एवं किफायती विकल्प उपलब्ध होने के बावजूद आज भी लोग जैसे-तैसे समय निकालकर अपने पास के गावों और शहरों में सर्कस देखने चले ही जाया करते हैं। आपको जानकर ख़ुशी होगी कि साल 2022 में, 25 साल बाद, ग्रेट जेमिनी सर्कस (The Great Gemini Circus) ने अफ्रीका के प्रतिभाशाली कलाकारों के साथ हमारे मेरठ शहर में एक बार फिर से दस्तक दे दी है। चलिए आज भारत में सर्कस के इसी रोमांचक इतिहास पर एक नज़र डालते हैं। भारत में सर्कस की परंपरा 1800 के दशक के उत्तरार्ध से चली आ रही है। हालाँकि, 1770 में फिलिप एस्टली (Philip Astley) द्वारा बनाई गई आधुनिक सर्कस अवधारणा के अनुसार पहला भारतीय सर्कस (Indian circus) 1880 में शुरू हुआ।
इससे पहले सर्कस की शुरुआत विष्णुपंत छत्रे ने की थी, जो अंकलखोप (अब महाराष्ट्र में सांगली का हिस्सा, मुंबई के दक्षिण-पूर्व में) में रहने वाले घुड़सवारी गुरु और गायन शिक्षक थे। छत्रे ,कुर्दुवाड़ी के राजा के अस्तबल का प्रबंधन करते थे और एस्टली जैसे पुराने अंग्रेजी घुड़सवारी गुरुओं के समान घुड़सवारी के करतब दिखाते थे।
उनसे जुड़ी एक कहानी के अनुसार, छत्रे और राजा ने बॉम्बे में ग्यूसेप चिआरिनी (Giuseppe Chiarini's) के रॉयल इटैलियन सर्कस (Royal Italian Circus) का एक शो देखा था। उत्तरी अमेरिका में स्थित सर्कस के इतालवी निर्देशक चिआरिनी ने पहली बार 1774 में बॉम्बे (आधुनिक मुंबई) का दौरा किया था। चिआरिनी, एक बेहतरीन घुड़सवार थे और अपने सर्कस के साथ दुनिया भर की यात्रा करते थे। 1774 में वह पहली बार बॉम्बे आए थे। छत्रे, उनके प्रदर्शन से बहुत प्रभावित हुए। दोनों के बीच काफी देर बातचीत हुई और इसी बातचीत के दौरान, चियारिनी ने छत्रे को यह बात कह दी: ‘भारत अपना खुद का सर्कस बनाने के लिए तैयार नहीं है, और यहाँ इसे विकसित करने में कम से कम दस साल लगेंगे।” छत्रे ने उनके इस कथन को चुनौती के तौर पर ले लिया। और चियारिनी को गलत साबित करने के लिए दृढ़ संकल्पित, छत्रे ने अपना खुद का सर्कस बनाने का फैसला किया। वह मुख्य घुड़सवार बन गए, तथा उनकी पत्नी एक ट्रेपेज़ कलाकार (Trapeze Artist) और पशु प्रशिक्षक बन गई। साथ ही उन्होंने अपने कुछ घुड़सवारी छात्रों को भी अपने साथ शामिल कर लिया। छत्रे के ग्रेट इंडियन सर्कस (Great Indian Circus) का पहला शो 20 मार्च, 1880 को हुआ, जिसमें दर्शकों में कुर्दुवाड़ी के राजा भी शामिल थे, जिन्होंने छत्रे के इस नए उद्यम का समर्थन किया था। चियारिनी के उदाहरण का अनुसरण करते हुए, छत्रे के सर्कस ने उत्तर भारत से शुरू होकर दक्षिण में मद्रास (अब चेन्नई) और यहां तक ​​कि श्रीलंका तक यात्रा की। 1884 में, छत्रे अपने सर्कस को दक्षिण पूर्व एशिया ले गए और फिर संयुक्त राज्य अमेरिका में अपना प्रभाव जमाने की कोशिश की। हालांकि, वह बड़े अमेरिकी सर्कसों से प्रतिस्पर्धा नहीं कर सके और असफल होकर भारत लौट आए। अमेरिका में छत्रे के प्रदर्शन का कोई रिकॉर्ड नहीं है। 20वीं सदी की शुरुआत में भारत (ख़ास तौर पर दक्षिण भारत के केरल) में सर्कस उद्योग काफ़ी तेज़ी के साथ लोक्रपिय हुआ। 1904 में शुरू हुई मालाबार ग्रैंड सर्कस (Malabar Grand Circus) केरल की पहली सर्कस कंपनी थी और इसने सर्कस को भारत के दक्षिणी हिस्से में फैलाने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई। और इस तरह भारत में सर्कस के रोमांचक सफर की शुरुआत हो गई। भले ही भारतीय सर्कस का इतिहास और सांस्कृतिक महत्व, बहुत अधिक है, लेकिन आज यह कई जटिल समस्याओं का सामना कर रहा है। आपको जानकर हैरानी होगी कि भारत में सर्कसों की संख्या में नाटकीय रूप से गिरावट आई है। यहाँ पर 1990 के दशक में 300 से अधिक सर्कस थे लेकिन अब उनकी संख्या 30 से भी कम रह गई है।
इस गिरावट के कई कारण हैं:
1. सीमित पहुँच: सर्कस उद्योग अक्सर निर्धारित परिवारों द्वारा ही चलाया जाता है, जिससे नई प्रतिभाओं और कुशल प्रबंधकों के लिए इस गुर को सीखना मुश्किल हो जाता है।
2. आयु प्रतिबंध: सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले में 14 वर्ष से कम उम्र के कलाकारों की भर्ती पर रोक लगाई गई है, जिससे युवा प्रतिभाओं की उपलब्धता कम हो गई है।
3. जंगली जानवरों पर प्रतिबंध: 1997 से, जंगली जानवरों को सर्कस में जाने से प्रतिबंधित कर दिया गया है, जो पहले दर्शकों के लिए एक बड़ा आकर्षण हुआ करते थे।
4. अनुमानित जोखिम: कई माता-पिता नहीं चाहते कि उनके बच्चे कथित खतरों के कारण सर्कस में अपना करियर बनाएँ।
5. मनोरंजन परिदृश्य में बदलाव: आधुनिक मनोरंजन विकल्पों के कारण, खास तौर पर युवाओं में, सर्कस के प्रति रुचि कम हुई है।
भारतीय सर्कस को पुनर्जीवित करने के लिए कई कदम उठाए जा सकते हैं, जिनमें शामिल है:
1. सुरक्षा नियम: सर्कस की व्यावसायिकता और प्रतिष्ठा को बेहतर बनाने के लिए सख्त सुरक्षा नियम लागू हो सकते हैं।
2. पारंपरिक कलाओं को बढ़ावा दें: पारंपरिक और लुप्त हो रही कलाओं के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए सर्कस का उपयोग किया जा सकता है।
3. सरकारी सहायता: सरकार सर्कस कलाकारों और कंपनियों को उनके सांस्कृतिक महत्व को पहचानते हुए सहायता और सुरक्षा प्रदान कर सकती है।
4. अधिकार क्षेत्र में बदलाव: सर्कस की निगरानी को खेल और युवा मामलों के विभाग से संस्कृति मंत्रालय में स्थानांतरित करने पर विचार किया जा सकता है, ताकि इसे एक कला के रूप में मान्यता दी जा सके। भारतीय सर्कस सिर्फ़ मनोरंजन से कहीं बढ़कर है। वास्तव में यह एक सांस्कृतिक खजाना है जो भारत की भावना और रचनात्मकता को दर्शाता है। इसे पुनर्जीवित करने और संरक्षित करने के लिए कदम उठाकर, हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि भारतीय सर्कस का जादू आने वाले वर्षों में भी दर्शकों को आकर्षित करता रहे।साल 2022 में मेरठ की दिल्ली रोड पर स्थित रामलीला मैदान में 25 साल बाद ग्रेट जेमिनी सर्कस के कलाकारों ने प्रदर्शन किया था। इस सर्कस में अफ्रीका से आए होनहार कलाकारों ने अपने जिमनास्टिक करतबों के माध्यम से अजब-गजब कला का अद्भुत प्रदर्शन कर यहाँ के लोगों का खूब मनोरंजन किया। ऐसा 25 सालों बाद हुआ जब शहर में लोगों को जैमिनी सर्कस के शो देखने का अवसर मिला। यह सर्कस देश का नंबर वन सर्कस है। जिसमें शो कलाकार काम करते हैं। मेरठ के सर्कस में अफ्रीका के कलाकारों ने जिमनास्टिक के माध्यम से दर्शकों को लुभाने की कोशिश की और काफी हद तक इसमें कामयाब भी रहे।

संदर्भ
https://tinyurl.com/4p84tbuv
https://tinyurl.com/3dvcpbej
https://tinyurl.com/356pucpz
https://tinyurl.com/2z57kf5n

चित्र संदर्भ
1. विष्णुपंत छत्रे और जेमिनी सर्कस को संदर्भित करता एक चित्रण (मराठी विश्वकोश,YouTube)
2. एम्फीथिएटर अंग्लेज़ को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. एक किताब में ग्यूसेप चिआरिनी को संदर्भित करता एक चित्रण (worldhistory)
4. विष्णुपंत छत्रे को संदर्भित करता एक चित्रण (YouTube)
5. सर्कस को संदर्भित करता एक चित्रण (PICRYL)
6. सर्कस पर आधारित भारत की सबसे लोकप्रिय फिल्मों में से एक, "मेरा नाम जोकर" के दृश्य को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
7. जेमिनी सर्कस को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)

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