1828 में एंग्लो-इंडियन डेरोज़ियो की अंग्रेज़ी कविताएं थीं देशभक्ति से ओतप्रोत

उपनिवेश व विश्वयुद्ध 1780 ईस्वी से 1947 ईस्वी तक
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1828 में एंग्लो-इंडियन डेरोज़ियो की अंग्रेज़ी कविताएं थीं देशभक्ति से ओतप्रोत

अंग्रेजी भाषा में किसी भारतीय द्वारा लिखी और प्रकाशित की गई सबसे प्रारंभिक ज्ञात कविताओं में – “टू माई नेटिव लैंड(To my Native Land)” और “द फकीर ऑफ जंगहीरा(The Fakeer of Jungheera)” हैं। ये दोनों कविताएं लगभग 1828 में, कलकत्ता के एक युवा और देशभक्त एंग्लो-इंडियन व्यक्ति – हेनरी लुईस डेरोज़ियो(Henry Louis Dezorio)द्वारा लिखी गई थीं।दुर्भाग्य से, डेरोज़ियो की मृत्यु केवल 22 वर्ष की आयु में ही हो गई। लेकिन, उनकी मृत्यू के 200 साल बाद, उनकी एक कविता, ‘ब्रहमो भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन’ के शुरुआती दिनों की प्रेरणा के रूप में जीवित है।
डेरोज़ियो एक कवि, उपन्यासकार और लेखक थे। उनका अधिकांश कार्य भारतीय धर्म, संस्कृति, नियम-कायदों, कठोरता आदि पर आधारित है। उनका लेखन उस समय के समाज के विरुद्ध आवाज़ उठाने में महत्त्वपूर्ण था ।
कविता ‘टू माई नेटिव लैंड’ में कवि डेरोज़ियो गहरे दुःख और अपनी मातृभूमि की भव्यता के बीते युग के प्रति लालसा को व्यक्त करते हैं । अर्थात, डेरोज़ियो भारत के “अतीत के गौरव” के बारे में लिखते हैं और बताते हैं कि, जिस देश को कभी “देवता के रूप में पूजा जाता था” उसे कैसे औपनिवेशक काल के दौरान सबसे निचली गहराई तक जंजीरों में जकड़ दिया गया है। यह कविता कवि की अतीत में जाने और देश के पूर्व गौरव का अनुभव करने की इच्छा पर प्रकाश डालती है। वह इन यादों में सांत्वना पाते हैं।यह कविता देश की हानि, स्मरण और महानता की चाहत के विषयों को भी रेखांकित करती है, डेरोज़ियो के समय के सामाजिक और राजनीतिक माहौल को भी दर्शाती है। हेनरी लुईस डेरोज़ियो की ‘टू माई नेटिव लैंड’ कविता, पहली बार वर्ष 1828 में उनकी पुस्तक ‘द फकीर ऑफ जंघीरा: ए मेट्रिकल टेल एंड अदर पोएम्स(The Fakeer of Jungheera: A Metrical Tale and Other Poems)’ के हिस्से के रूप में प्रकाशित हुई थी। यह डेरोज़ियो के सबसे उल्लेखनीय कार्यों में से एक है।
कवि का दुःख और विलाप पाठक को उसके दुःख में शामिल होने के लिए आमंत्रित करता है। इतिहासकारों ने लिखा है कि, डेरोज़ियो लॉर्ड बायरन(Lord Byron) और रॉबर्ट साउथी(Robert Southey) की रोमांटिक युग की कविताओं से प्रभावित थे।
दूसरी ओर, ‘द फकीर ऑफ जंघीरा’ डेरोज़ियो की एक लंबी कविता है। ‘द फकीर ऑफ जंघीरा’ कविता में, कविता का नायक एक फ़कीर या भिक्षुक है, जो किसी अज्ञात मुस्लिम संप्रदाय से है। जबकि नायिका, विधवा नुलेनी, एक उच्च जातीय बंगाली हिंदू परिवार से आती है। कविता में, हेनरी ने तांत्रिक, हिंदू, पौराणिक, इस्लामी और ईसाई परंपरा को मिश्रित किया। दरअसल इस आध्यात्मिक प्रेम की कविता को लिखने का विचार, उन्हें हमारे देश की एक प्राचीन प्रसिद्द कहानी संग्रह ‘वेताल पच्चीसी’ से मिला। इस कविता ‘द फकीर ऑफ जंघीरा’ का केंद्रीय विषय समकालीन रूढ़िवादी भारतीय समाज में अपमानजनक और मानवीय 'सती' प्रथा है, जो भारतीय समाज में सदियों से प्रचलित थी। डेरोज़ियो ने अपने सामाजिक जीवन काल में और हिंदू कॉलेज, कलकत्ता में एक शिक्षक के रूप में भी 'सती' प्रणाली का ज़ोरदार विरोध किया था। आइए अब कवि के बारे में जानते हैं। हेनरी लुईस डेरोज़ियो, हिंदू कॉलेज, कोलकाता के सहायक प्रधानाध्यापक भी थे। उन्हें हिंदू कॉलेज में, इतिहास और अंग्रेज़ी साहित्य के शिक्षक के रूप में नियुक्त किया गया था। वह अपने समय के क्रांतिकारी विचारक थे और बंगाल के युवाओं में पश्चिमी शिक्षा और विज्ञान का प्रसार करने वाले पहले भारतीय शिक्षकों में से एक थे। उनकी मृत्यु के लंबे समय के बाद भी, उनकी विरासत उनके पूर्व छात्रों के बीच जीवित रही, जिन्हें ‘यंग बेंगौल्स (Young Bengals)’ के रूप में जाना जाता था।
डेरोज़ियो को आम तौर पर एक एंग्लो-इंडियन(Anglo-Indian) माना जाता था, क्योंकि वह पुर्तगाली, भारतीय और अंग्रेज़ी, मिश्रित वंश के थे। लेकिन वह खुद को भारतीय मानते थे। उन्हें अपने जीवनकाल के दौरान, आधुनिक भारत के पहले ‘राष्ट्रीय’ कवि के रूप में भी जाना जाता था। साथ ही, एंग्लो-इंडियन कविता का इतिहास आमतौर पर उनके साथ ही शुरू हुआ था ।
डेरोज़ियो को एक महान विद्वान और विचारक माना जाता था। उनका सबसे बड़ा योगदान सामाजिक परिवर्तन के विचारों पर चर्चा करने में था । उन्होंने कट्टरपंथी विचारों को बढ़ावा दिया और अपने विद्यार्थियों को सभी अधिकारियों पर सवाल उठाने के लिए प्रोत्साहित किया। उनकी गतिविधियों में, उन्होंने सामाजिक बुराइयों को दूर करने, महिलाओं और किसानों की स्थिति में सुधार करने और प्रेस की स्वतंत्रता तथा न्यायाधीशों द्वारा परीक्षण आदि के माध्यम से स्वतंत्रता को बढ़ावा देने का प्रयास किया।
उन्होंने छोटी उम्र में ही कविता लिखना शुरू कर दिया था, और जल्द ही एक कट्टरपंथी विचारक बन गए। उनके कट्टरपंथी विचारों के कारण उन्हें जल्द ही कॉलेज से निकाल दिया गया। लेकिन, उनका कवि जीवन तब फला-फूला जब उनकी कविताएं प्रमुख समाचार पत्रों में प्रकाशित हुईं। हालांकि, उन्होंने उस समय के कई नेताओं को प्रेरित किया, लेकिन, बहुत कम उम्र में एक बीमारी से उनकी मृत्यु हो गई। फिर भी, उनकी विरासत अभी भी कायम है और उन्हें बंगाल में कई बार मरणोपरान्त सम्मानित किया गया है।

संदर्भ
https://tinyurl.com/2njnnzcu
https://tinyurl.com/2s4cmshs
https://tinyurl.com/mu22r76u
https://tinyurl.com/37k6j65m
https://tinyurl.com/589enknb
https://tinyurl.com/3da9pxwd

चित्र संदर्भ
1. हेनरी लुईस डेरोज़ियो को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2.हेनरी लुईस डेरोज़ियो को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)

3. टू माई नेटिव लैंड कविता को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia).
4. द फकीर ऑफ जंघीरा पुस्तक के एक पृष्ठ को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)

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