क्या कोलकाता के समान ही मेरठ में भी स्थापित की जा सकती है, ट्रैम प्रणाली?

य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला
05-06-2024 10:07 AM
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क्या कोलकाता के समान ही मेरठ में भी स्थापित की जा सकती है, ट्रैम प्रणाली?

भूमि परिवहन के क्षेत्र में हमारा शहर मेरठ न केवल देश के, बल्कि विश्व के बड़े-बड़े शहरों को भी पीछे छोड़ रहा है। हमारे शहर मेरठ में एक नई मेट्रो प्रणाली शुरू की जा रही है और यहां शहर को दिल्ली से जोड़ने वाली रैपिड रेल ट्रांसिट प्रणाली का कार्य भी प्रगति पर है। इसके अलावा यहां उत्तम बस परिवहन प्रणाली और ट्रेन लिंक प्रणाली पहले से ही मौजूद हैं। लेकिन मेरठ में भूमि परिवहन के विकास एवं इतिहास में केवल एक साधन की उपेक्षा की गई है, वह है "विद्युत ट्रैम" प्रणाली। वर्तमान समय में भारत के सिर्फ एक शहर अर्थात कोलकाता में अभी भी विद्युत ट्रैम प्रणाली मौजूद है। तो आइए आज कोलकाता ट्रैम प्रणाली के विकास और लाभों के विषय में जानते हैं और यह समझने का प्रयास करते हैं कि क्या हमारे मेरठ में भी एक महंगी मेट्रो प्रणाली के स्थान पर वास्तव में एक नई विद्युत ट्रैम प्रणाली को अपनाया जा सकता था? इसके साथ ही यह भी देखते हैं कि दुनिया में अब तक कितने शहरों में मेट्रो प्रणाली स्थापित की जा चुकी है। पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता की ट्रैम सेवा न केवल भारत का बल्कि पूरे एशिया में संचालित होने वाला सबसे पुराना ट्रैम नेटवर्क है। इस ट्रैमवे को 'कलकत्ता ट्रैमवे कंपनी' (Calcutta Tramways Company (CTC) के भंग होने के बाद 'पश्चिम बंगाल परिवहन निगम' (West Bengal Transport Corporation (WBTC) द्वारा संचालित किया जाता है। इसकी शुरुआत 24 फरवरी 1873 को कोलकाता के सियालदह और अर्मेनियाई घाट स्ट्रीट के बीच 3.9 किलोमीटर की दूरी के लिए पहली घोड़ा-चालित ट्रैम सेवा के रूप में हुई थी। यह सेवा उसी वर्ष 20 नवंबर को बंद कर दी गई थी। 22 दिसंबर 1880 को लंदन में 'कलकत्ता ट्रैमवे कंपनी' का गठन और पंजीकरण किया गया, इसके बाद कलकत्ता में फिर से ट्रैम की शुरुआत की गई।। कंपनी द्वारा सियालदह से बोबाज़ार स्ट्रीट, डलहौज़ी स्क्वायर और स्ट्रैंड रोड के माध्यम से अर्मेनियाई घाट तक मीटर-गेज घोड़ा-चालित ट्रैम ट्रैक बिछाए गए, जिनका उद्घाटन लॉर्ड रिपन (Lord Ripon) ने किया। दो साल बाद, ‘कलकत्ता ट्रैमवे कंपनी’ ने ट्रैम खींचने के लिए भाप इंजनों का प्रयोग करना शुरू किया। 19वीं सदी के अंत तक, कंपनी के पास 166 ट्रैम कारें, 1,000 घोड़े, सात भाप इंजन और 19 मील लंबी ट्रैम पटरियों का स्वामित्व था। 1900 में, ट्रैमवे का विद्युतीकरण और इसकी पटरियों के मानक गेज का पुनर्निर्माण शुरू हुआ। 1902 में, भारत में पहली विद्युत ट्रैमकार 27 मार्च को कोलकाता में, एस्प्लेनेड से किडरपोर तक और 14 जून को एस्प्लेनेड से कालीघाट तक चली। वास्तव में, कोलकाता भारत का एकमात्र शहर है जहां ट्रैम अभी भी उपयोग की जाती हैं। 1902 में शुरू हुआ, यह भारत का सबसे पुराना एकमात्र संचालित विद्युत ट्रैमवे है। 1960 के दशक में शुरुआत में ट्रैमवे के नेटवर्क में 37 लाइनें थीं, लेकिन वित्तीय संघर्ष, खराब रखरखाव, कम सवारियों, सड़क फ्लाईओवर के निर्माण और कोलकाता मेट्रो के विस्तार के कारण पिछले कुछ वर्षों में इनकी संख्या धीरे-धीरे कम हो गई है और वर्तमान में केवल दो लाइनें ही संचालित हो रही हैं। इसके अलावा एक धारणा यह भी है कि ट्रैमवे मॉडल अत्यंत पुराना एवं धीमा है और सड़क पर बहुत अधिक जगह घेरता है। डब्ल्यूबीटीसी के अनुसार, जनवरी 2023 तक, केवल दो नियमित मार्ग सेवा में हैं और अन्य मार्गों पर सेवा बंद है। उपरोक्त सभी मुद्दों के कारण, कभी-कभी इस नेटवर्क को स्थायी रूप से बंद करने या प्रणाली के संचालन को कम करने की चर्चा भी होती रही है। हालांकि, प्रणाली को पर्यावरण के अनुकूल और कोलकाता का प्रतीक भी माना जाता है, इसलिए नए ट्रैम कोचों के साथ इस प्रणाली को बनाए रखने के लिए प्रयास भी किया जा रहे हैं। हालाँकि यह सच है कि शानदार कैब और बाइक के युग में भीड़भाड़ वाले इलाकों के बीच से सरपट दौड़ती ट्रैम की संख्या में भारी कमी आई है, फिर भी कोलकाता ट्रैम सुरक्षित, शानदार और आसान जीवन शैली के अपने पुराने वादे के साथ सभी वर्तमान बाधाओं को पार करते हुए कोलकाता की सड़कों पर अपने अस्तित्व को बनाए रखने में कामयाब रही है।
आइए अब कोलकाता ट्रैमवे के कुछ फायदों पर प्रकाश डालते हैं: -
जहां सड़क यातायात के सबसे बड़े परिवहन साधन बस में केवल 60 यात्री यात्रा कर सकते हैं वहीं ट्रैम में 300 यात्री यात्रा कर सकते हैं।
ट्रैम बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों के लिए काफी अनुकूल होती है और इसके निचले प्लेटफॉर्म पर चढ़ना बहुत आरामदायक और आसान होता है।
पटरियों पर चलने के कारण ट्रैम अन्य सड़क परिवहन की तुलना में अधिक सुरक्षित होते हैं।
स्थापना के बाद से ही ट्रैम को परिवहन का सबसे सस्ता साधन माना जा सकता है। इसलिए ट्रैम को गरीबों का परिवहन भी माना जाता है। शहर के यातायात में शांतिपूर्ण, आरामदायक, शानदार, सस्ती और स्वस्थ यात्रा के लिए कोलकाता ट्रैमवे से बेहतर कोई विकल्प नहीं है।
ट्रैम निस्संदेह प्रदूषण मुक्त और पर्यावरण अनुकूल होते हैं और यात्रियों को एक स्वस्थ वातावरण प्रदान करते हैं। कोलकाता ट्रैम प्रणाली के उपरोक्त लाभों को देखते हुए यह निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि यह प्रणाली बेहद लागत प्रभावी एवं पर्यावरण अनुकूल है और इसे भारत के अधिकांश शहरों में अपनाया जाना चाहिए। लेकिन जैसा कि हमने यह भी पढ़ा कि यह सेवा धीमी गति से कार्य करती है, जिसके परिणाम स्वरूप आज विज्ञान एवं तकनीक के आधुनिक युग में, जहां हर कोई तेज़ गति से भागना चाहता है, यह सेवा थोड़ी अव्यावहारिक हो गई है। और शायद यही कारण है कि आज केवल भारत में ही नहीं बल्कि विश्व के अधिकांश शहरों में बेहद लागत प्रभावी ट्रैम प्रणाली के स्थान पर मेट्रो प्रणाली को प्रमुखता दी जा रही है, भले ही इसमें अत्यधिक निवेश की आवश्यकता क्यों न हो। आइए अब एक दिलचस्प आंकड़े पर भी ध्यान देते हैं। 6 मार्च 2024 तक, पूरी दुनिया के 62 देशों के 201 शहरों में मेट्रो प्रणाली स्थापित है। यहां यह तथ्य ध्यान देने योग्य है कि यद्यपि दुनिया में 100,000 से अधिक आबादी वाले 4300 से अधिक शहर हैं, लेकिन अब तक केवल 201 शहरों में ही एक महंगी मेट्रो प्रणाली स्थापित की गई है। दुनिया की सबसे पुरानी मेट्रो प्रणाली ‘लंदन अंडरग्राउंड’ (London Underground) है जिसे पहली बार 1863 में एक भूमिगत रेलवे के रूप में शुरू किया गया और इसकी पहली विद्युतीकृत भूमिगत लाइन 1890 में खुली। ‘बीजिंग सबवे’ (Beijing Subway) 815.2 किलोमीटर के साथ दुनिया का सबसे लंबा मेट्रो नेटवर्क है। इसके साथ में ‘शंघाई मेट्रो’ (Shanghai Metro) में 2.83 बिलियन यात्राओं के साथ वार्षिक सवारियों की संख्या सबसे अधिक है। सबसे अधिक 472 स्टेशनों की संख्या वाली मेट्रो प्रणाली ‘न्यूयॉर्क सिटी सबवे’ (New York City Subway) है। वहीं 2023 तक, सबसे अधिक 46 मेट्रो प्रणालियों वाला देश चीन है।
विश्व के मेट्रो प्रणाली वाले देशों के नाम जानने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:
https://tinyurl.com/9pz5sny6

संदर्भ
https://tinyurl.com/bdebrfta
https://tinyurl.com/yck9f3dc
https://tinyurl.com/9pz5sny6

चित्र संदर्भ
1. कोलकाता में ट्रैम प्रणाली को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
2. ट्रैम प्रणाली को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. कोलोन-बॉन रेलवे के एक जर्मन स्टीम ट्राम इंजन को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. कोलकाता में ट्रैम प्रणाली को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. पहले के समय में दिल्ली में ट्रैम प्रणाली को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
6. लंदन अंडरग्राउंड’ को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)

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