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मानचित्र जादुई खिड़कियों की भांति होते हैं, जो हमें अपनी दुनिया के अद्भुत हिस्सों को देखने की अनुमति देते हैं। ये हमें जंगलों के माध्यम से अपना रास्ता खोजने, नदियों को पार करने और उन क्षेत्रों का पता लगाने में भी मदद करते हैं जहां हम कभी गए ही नहीं हैं। आइये मानचित्रों की परिभाषा और महत्व को समझने के लिए कई दिलचस्प आँकड़ों के ज़रिए, हमारे मेरठ शहर की संरचना को देखते हैं। इसके अलावा आज हम एक अंग्रेजी भूगोलवेत्ता और मानचित्रकार जेम्स रेनेल (cartographer James Rennell) के बारे में भी जानेंगे, जिन्होंने भारत का पहला लगभग सटीक नक्शा बनाया था।
मेरठ शहर का इतिहास बेहद प्राचीन रहा है, जो सिंधु घाटी सभ्यता से जुड़ा हुआ है। किंवदंतियों के अनुसार, इस शहर की स्थापना राक्षसराज रावण के ससुर मयासुर ने की थी और इसका नाम शुरू में उन्हीं के नाम पर रखा गया था।
मेरठ, दिल्ली से लगभग 70 किमी (43 मील) दूर स्थित है, और भारत के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में (दिल्ली के बाद) दूसरा सबसे बड़ा शहर है। इसका क्षेत्रफल लगभग 2,500 वर्ग किमी (965 वर्ग मील) है। यह शहर दो प्रमुख नदियों, गंगा और यमुना के मैदानों के बीच में स्थित है।
2011 की जनगणना के अनुसार, मेरठ की आबादी लगभग 13 लाख है। शहर में लिंगानुपात क्रमशः प्रति 1,000 पुरुषों पर 899 महिलाएं है, और यहाँ की साक्षरता दर 78.29% है।
1803 में, लासवारी की लड़ाई के बाद, ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी (British East India Company) ने शहर में मेरठ छावनी की स्थापना की। क्षेत्रफल और जनसंख्या की दृष्टि से मेरठ छावनी भारत की दूसरी सबसे बड़ी छावनी है। ब्रिटिश शासन के खिलाफ 1857 का विद्रोह यहीं से शुरू हुआ था, जिसमें भारतीय सैनिकों ने शरण ली और छावनी क्षेत्र में सक्रिय रूप से लड़ाई लड़ी। मेरठ छावनी, भूमि क्षेत्र (3,568.06 हेक्टेयर या 35.68 वर्ग किमी) और जनसंख्या (2011 की जनगणना के अनुसार, 93,684 नागरिक और सैन्य कर्मियों को मिलाकर) दोनों के मामले में भारत की सबसे बड़ी छावनियों में से एक है।
1857 का विद्रोह, जिसे ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारतीय विद्रोह के रूप में भी जाना जाता है, मेरठ छावनी में "काली पलटन" (पैदल सेना इकाई) से ही शुरू हुआ था। यहां तैनात भारतीय सैनिकों ने इस विद्रोह में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।
छावनी मेरठ के पुराने शहर को तीन तरफ (पल्लवपुरम से सैनिक विहार और फिर गंगा नगर तक) से घेरती है। यह क्षेत्र देश के बाकी हिस्सों से सड़कों के साथ-साथ रेलवे द्वारा भी अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। 1829 से 1920 तक, मेरठ छावनी ब्रिटिश भारतीय सेना के 7वें (मेरठ) डिवीजन के डिवीजनल मुख्यालय के रूप में कार्य करती थी। इस छावनी के सैनिकों ने समय समय पर विभिन्न महत्वपूर्ण लड़ाइयों और युद्धों में सक्रिय रूप से भाग लिया है, जिनमें प्रथम विश्व युद्ध के दौरान Ypres, Belgium की पहली लड़ाई, एल अलामीन की पहली और दूसरी दोनों लड़ाई, फ्रांस की लड़ाई, बर्मा अभियान, भारत-पाकिस्तान युद्ध, बांग्लादेश मुक्ति युद्ध और कारगिल युद्ध भी शामिल हैं।
मेरठ छावनी क्षेत्र कई प्रतिष्ठित भारतीय सेना रेजिमेंटों, जैसे पंजाब रेजिमेंट, सिग्नल कोर, जाट रेजिमेंट, सिख रेजिमेंट और डोगरा रेजिमेंट के लिए रेजिमेंटल सेंटर (मुख्यालय) रहा है।
मेरठ में हवाई, रेल और सड़क मार्ग से आसानी से पहुंचा जा सकता है। यहाँ का निकटतम हवाई अड्डा दिल्ली में इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है। यह शहर तीन राष्ट्रीय राजमार्गों (NH-58, NH-119, और NH-235) द्वारा दिल्ली, गाजियाबाद,
नोएडा, हरिद्वार और अन्य पड़ोसी शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। मेरठ में चार रेलवे स्टेशन हैं, जो इसे देश के बाकी हिस्सों से जोड़ते हैं।
हमारा मेरठ, पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मौजूद एक महत्वपूर्ण औद्योगिक केंद्र भी है, जहाँ पर कई सूक्ष्म, लघु और मध्यम स्तर के उद्योग फल-फूल रहे हैं। परंपरागत रूप से, इस शहर को हथकरघा और कैंची निर्माण के लिए जाना जाता था। 19वीं सदी में यह भारत में व्यावसायिक प्रकाशन का एक प्रमुख केंद्र था। आज, यह शहर संगीत वाद्ययंत्रों का सबसे बड़ा निर्माता है और खेल के सामान, सोने के आभूषण के डिज़ाइन और फार्मास्यूटिकल्स के उत्पादन के लिए भी जाना जाता है।
मेरठ के बारे में कुछ दिलचस्प तथ्य:
- यह भारत का 16वां सबसे बड़ा महानगरीय क्षेत्र वाला शहर है।
- यह देश का 14वां सबसे तेजी से विकसित होने वाला शहर है।
- 1857 का विद्रोह, भारत में ब्रिटिश शासन के खिलाफ पहला महत्वपूर्ण विद्रोह, मेरठ में शुरू हुआ था।
- यह शहर भारत में खेल के सामान का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है।
- पश्चिमी उत्तर प्रदेश में यह एजुकेशन हब है, यहां कई नामी शिक्षण संस्थान हैं।
प्रमुख शहरों से मेरठ की दूरी:
- दिल्ली से - 65 किलोमीटर (40 मील)
- गुड़गांव से - 95 किलोमीटर (59 मील)
- गाजियाबाद से - 46 किलोमीटर (28 मील)
- पटना से - 960 किलोमीटर (597 मील)
- लखनऊ से - 451 किलोमीटर (280 मील)
मेरठ मेट्रो परियोजना, जो मेरठ शहर को सेवा प्रदान करेगी, 2016 से विचाराधीन है! 2016 में रेल इंडिया टेक्निकल एंड इकोनॉमिक सर्विसेज़ (Rail India Technical and Economic Services (RITES) ने एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार की और इसे उत्तर प्रदेश राज्य सरकार को सौंप दिया। इसकी आधारशिला 8 मार्च 2019 के दिन प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (Regional Rapid Transit System (RRTS) के साथ रखी गई। परियोजना का निर्माण कार्य जून 2019 में शुरू हुआ और जून 2025 की समय सीमा से पहले पूरा होने की उम्मीद है।
मेरठ मेट्रो को दो चरणों में बनाया जा रहा है:
१- पहले चरण में 13 स्टेशन होंगे, जो परतापुर से मोदीपुरम तक चलेंगे।
२- दूसरे चरण में 12 स्टेशन होंगे, जो श्रद्धापुरी चरण II से जागृति विहार तक चलेंगे।
मेरठ मेट्रो का स्वामित्व उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (UPMRC) के पास है। हालांकि, आरआरटीएस के साथ इसके विलय के कारण, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम (NCRTC) भी मेट्रो और इसकी ट्रेनों का मालिक है और इसका संचालन करता है।
मेरठ मेट्रो ट्रेन परियोजना के बारे में कुछ मुख्य विवरण निम्नवत दिए गए हैं:
मालिक: उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन
स्थान विशेषताएँ: ऊंचा, भूमिगत, और ग्रेड पर (जमीनी स्तर)
पारगमन प्रकार: तीव्र पारगमन
लाइनों की संख्या: १ (चरण-I), २ (चरण-II)
स्टेशनों की संख्या: 25
परिचालन की निर्धारित शुरुआत: जून 2025
ट्रेन की लंबाई: 3 कोच
मेट्रो सिस्टम की लंबाई: 38.6 किमी
औसत गति: 80 किमी/घंटा
शीर्ष गति: 120 किमी/घंटा
प्रस्ताव: 2010 की शुरुआत में, भारत सरकार और उत्तर प्रदेश राज्य सरकार ने मेरठ मेट्रो ट्रेन परियोजना और क्षेत्रीय रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (आरआरटीएस) का प्रस्ताव रखा। यह प्रस्ताव मेरठ शहर में बढ़ती आबादी, यातायात और मांग के साथ-साथ राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) से इसकी निकटता के कारण रखा गया था। मेट्रो परियोजना का प्रारंभिक मूल्यांकन RITES द्वारा जून 2015 में किया गया था, और रिपोर्ट जून 2016 में भारत सरकार को सौंपी गई थी।
मेट्रो की कनेक्टिविटी (2017): 2017 में, उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (Uttar Pradesh Metro Rail Corporation (UPMRC) ने इस परियोजना की शुरुआत की। मेट्रो लाइन की शुरुआत में परतापुर से मोदीपुरम तक 11 स्टेशनों की योजना बनाई गई थी, लेकिन मेरठ के सीमावर्ती क्षेत्रों को जोड़ने के लिए, इसे मेरठ दक्षिण से मोदीपुरम डिपो तक 13 स्टेशनों तक बढ़ा दिया गया था।
आधारशिला और निर्माण कार्य की शुरुआत (2019): 8 मार्च 2019 को, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली-मेरठ आरआरटीएस परियोजना के साथ-साथ इस परियोजना की आधारशिला रखी। दोनों परियोजनाओं का निर्माण भी जून 2019 में शुरू हुआ। दोनों को जून 2025 की समय सीमा तक या उससे पहले पूरा और चालू करने की योजना है।
गलवान घाटी में झड़प के कारण पुनः बोली (2020): जैसा कि हम सभी जानते हैं, 2020 में भारत और चीन की सेनाओं के बीच गलवान घाटी में झड़प हुई! इसके परिणामस्वरूप, भारत सरकार ने मेट्रो के लिए ट्रेन निर्माण से जुड़ी चीनी कंपनी से बोली वापस ले ली। मेट्रो और आरआरटीएस परियोजनाओं के मालिक, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम (एनसीआरटीसी) और बॉम्बार्डियर ट्रांसपोर्टेशन द्वारा पुन: बोली प्रक्रिया शुरू की गई थी। 7 मई 2024 को, पुन: बोली प्रक्रिया जीत ली गई और एल्सटॉम (Alstom) द्वारा अधिग्रहण कर लिया गया।
मेट्रो का विनिर्माण: वर्तमान में, ट्रेनों का निर्माण गुजरात के सावली में एल्सटॉम के संयंत्र में किया जा रहा है। कंपनी 30 ट्रेनों के लिए 210 कोचों की आपूर्ति करेगी, प्रत्येक में 3 कोच होंगे।
पहला ट्रेन सेट: मेट्रो का पहला ट्रेन सेट 16 फरवरी 2024 को एल्सटॉम द्वारा एनसीआरटीसी को दिया गया था। मेरठ मेट्रो और आरआरटीएस दोनों परियोजनाएं जून 2025 तक पूरी होने की राह पर हैं।
मेरठ मेट्रो की लाइन 1 पर पड़ने वाले स्टेशनों की सूची निम्नवत दी गई है:
1. मेरठ साउथ (आरआरटीएस के साथ इंटरचेंज)
2. परतापुर
3. रिठानी
4. शताब्दी नगर (आरआरटीएस के साथ इंटरचेंज)
5. ब्रह्मपुरी
6. मेरठ सेंट्रल (भूमिगत)
7. भैसाली (भूमिगत)
8. बेगमपुल (भूमिगत, आरआरटीएस के साथ इंटरचेंज)
9. एमईएस कॉलोनी
10. डौरली
11. मेरठ उत्तर
12. मोदीपुरम (आरआरटीएस के साथ इंटरचेंज)
13. मोदीपुरम डिपो (एट-ग्रेड)
मेरठ मेट्रो लाइन 2 पर प्रस्तावित स्टेशनों की सूची निम्नवत दी गई है:
1. श्रद्धापुरी फेस 2
2. कांकेर खेड़ा
3. मेरठ कैंट रेलवे स्टेशन
4. रजबन बाजार
5. बेगमपुल
6. बच्चा पार्क
7.हापुड़ अड्डा चौराहा
8. गांधी आश्रम
9. मंगल पांडे नगर
10. तेजगढ़ी
11. मेडिकल कॉलेज
12. जागृति विहार एक्सटेंशन
इस संपूर्ण मेट्रो प्रणाली को मानचित्रों द्वारा आसानी से समझा जा सकता है।
यदि आप मानचित्रों में दिलचस्पी रखते हैं तो आपको जेम्स रेनेल (James Rennel) के बारे में ज़रूर पता होना चाहिए! दरअसल जेम्स रेनेल (जन्म 3 दिसंबर, 1742 - मृत्यु 29 मार्च, 1830) अपने समय के प्रसिद्ध ब्रिटिश भूगोलवेत्ता और मानचित्रकार थे। उन्हें भारत का पहला लगभग सटीक मानचित्र बनाने और 1779 में "बंगाल एटलस (Bengal Atlas)" प्रकाशित करने के लिए जाना जाता है, जो इस क्षेत्र में ब्रिटिश रणनीतिक और प्रशासनिक हितों के लिए एक महत्वपूर्ण कार्य था। रेनेल के उल्लेखनीय कार्यों में "मेमोयर ऑफ ए मैप ऑफ हिंदोस्तान (Memoir of a Map of Hindostan)" शामिल है, जिसके 1783 और 1793 के बीच तीन संस्करण प्रकाशित हुए थे।
रेनेल ने अपना करियर 1756 से 1763 तक रॉयल नेवी (Royal Navy) में सेवा करते हुए शुरू किया, जहां उन्होंने सर्वेक्षण में विशेषज्ञता विकसित की। 1777 तक भारत में अपने समय के दौरान, उन्होंने कई स्थानीय और प्रांतीय मानचित्रों का निर्माण किया।
संदर्भ
https://tinyurl.com/4cmazst8
https://tinyurl.com/4ev2fd55
https://tinyurl.com/ysj3zt6v
चित्र संदर्भ
1. मेरठ शहर और मेट्रो को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia, youtube)
2. दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. मेरठ के शहीद स्मारक परिसर में स्थित मंगल पांडे की मूर्ति को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. मेरठ छावनी के दृश्य को संदर्भित करता एक चित्रण (प्रारंग चित्र संग्रह)
5. घुड़सवार सेना को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
6. मेरठ के जंक्शन को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
7. मेरठ मेट्रो को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
8. मेरठ मेट्रो ट्रेन परियोजना को दर्शाता एक चित्रण (meerutmetro)
9. मेरठ मेट्रो के रोडमैप को दर्शाता चित्रण (meerutmetro)
10. जेम्स रेनेल द्वारा 1782 में भारत के मानचित्र को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
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