1905 के बंगाल विभाजन पर,टैगोर ने रक्षा बंधन को हिंदू-मुस्लिम एकता के प्रतीक में बदल दिया!

विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा
09-05-2024 09:33 AM
Post Viewership from Post Date to 09- Jun-2024 (31st Day)
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
2462 115 2577
1905 के बंगाल विभाजन पर,टैगोर ने रक्षा बंधन को हिंदू-मुस्लिम एकता के प्रतीक में बदल दिया!

हम सभी रबिन्द्रनाथ टैगोर को एक प्रतिभाशाली कवि, लेखक, विचारक और सामाजिक परिवर्तक के रूप में जानते हैं, जिन्होंने भारत के सांस्कृतिक और साहित्यिक पटल पर एक अमिट छाप छोड़ी है। लेकिन वास्तव में उनका व्यक्तित्व इससे भी कहीं अधिक विशाल था। अपने जीवनकाल में वह विशेषकर हिंदुओं और मुसलमानों के बीच एकता के प्रतीक माने जाते थे।
1905 के बंगाल विभाजन के दौरान टैगोर ने हिंदुओं और मुसलमानों को एक साथ लाने के लिए रक्षाबंधन के पवित्र धार्मिक त्यौहार का एक शक्तिशाली प्रतीक के रूप में इस्तेमाल किया। उन्होंने रक्षा बंधन को हिंदुओं और मुसलमानों के बीच एकता के बंधन में बदल दिया। चलिए जानते हैं, कि उन्होंने ऐसा कैसे किया? रबिन्द्रनाथ टैगोर, जिन्हें आदर और प्यार से गुरुदेव के नाम से जाना जाता है, बहुमुखी प्रतिभा के धनी व्यक्ति थे। वह एक शानदार कवि, एक प्रतिभाशाली संगीतकार, एक गहन विचारक, एक कुशल चित्रकार, एक समाज सुधारक, एक शिक्षक और एक राजनेता थे, जिन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में एक बड़ी भूमिका निभाई। 1913 में, वह साहित्य में नोबेल पुरस्कार जीतने वाले पहले गैर-यूरोपीय बने और हम सभी को गौरवान्वित किया।
टैगोर अपने समय से बहुत आगे की सोचने वाले दूरदर्शी व्यक्ति माने जाते थे। साहित्य के क्षेत्र में उनके काम ने दुनिया को भारतीय साहित्य के प्रति अवगत कराया। बांग्ला और अंग्रेजी भाषा पर उनकी मजबूत पकड़ थी। "चोखेर बाली", "मानभाजन", "अपरिचिता", और "पनिशमेंट" जैसी उनकी कहानियाँ: संबंधों, व्यभिचार, विधवापन, पितृसत्ता, बाल विवाह, दहेज और महिलाओं की स्वतंत्रता जैसे संवेदनशील विषयों को छूती हैं। टैगोर भारत में जातिगत भेदभाव के खिलाफ भी एक मजबूत आवाज माने जाते थे। उनकी कविता, "द सेक्रेड टच (The Sacred Touch), और उनका नाटक, "चांडालिका", अस्पृश्यता के खिलाफ चर्चा करते थे। गांधीजी की भी यही धारणा थी। दरअसल, टैगोर और गांधी जी अक्सर विचारों का आदान-प्रदान करते थे। हालाँकि दोनों में कई बार असहमति भी होती थी। उदाहरण के लिए, जब गांधी ने कहा था कि बिहार में आया भूकंप, अस्पृश्यता की सजा थी, तो टैगोर ने इस अवैज्ञानिक दृष्टिकोण के लिए उनकी खुलकर आलोचना की। एक दार्शनिक के रूप में भी टैगोर का योगदान बहुत बड़ा था। उन्होंने मानवतावाद, आदर्शवाद और आश्चर्यजनक रूप से अंतर्राष्ट्रीयतावाद को बढ़ावा दिया। उन्होंने शांतिनिकेतन परियोजना के हिस्से के रूप में विश्व भारती विश्वविद्यालय की स्थापना की। इस संस्था ने उस समय औपनिवेशिक शासन के अधीन, भारत को अपनी दार्शनिक जड़ों से फिर से जुड़ने में मदद की।
बहुत कम लोग इस बात को जानते हैं कि टैगोर की बदौलत साल 1905 में भारतीय समाज में “राखी”, जिसे रक्षा बंधन के नाम से भी जाना जाता है, सिर्फ एक धार्मिक परंपरा से कहीं अधिक महत्वपूर्ण बन गयी। दरअसल उस समय, भारत ब्रिटिश शासन के अधीन था, और वायसराय लॉर्ड कर्जन (Viceroy Lord Curzon) ने बंगाल को धार्मिक आधार पर विभाजित करने का निर्णय लिया। उनका मानना था कि असम और सिलहट के मुस्लिम-बहुल क्षेत्र को - पश्चिम बंगाल, बिहार और ओडिशा के हिंदू-बहुल क्षेत्रों से अलग करना फायदेमंद होगा। अगस्त 1905 में विभाजन आदेश जारी किया गया था, और यह 16 अक्टूबर 1905 को प्रभावी हुआ। दिलचस्प बात यह है कि यह तिथि हिंदू कैलेंडर के अनुसार रक्षा बंधन के शुभ दिन राखी पूर्णिमा के साथ मेल खाती थी।
प्रसिद्ध कवि और विचारक रबिन्द्रनाथ टैगोर ने इस निर्णय का कड़ा विरोध किया। उन्होंने एकता और एकजुटता के प्रतीक के रूप में हिंदुओं और मुसलमानों को एक-दूसरे की कलाई पर राखी बांधने के लिए प्रोत्साहित किया। टैगोर के आह्वान से प्रेरित होकर, कोलकाता, ढाका और सिलहट जैसे शहरों में हज़ारों हिंदू और मुस्लिम, अपनी आपसी एकता के साझा बंधन को व्यक्त करने के लिए एक साथ आ गए।
हालाँकि अंग्रेजों द्वारा धर्म के आधार पर अलग-अलग देश - पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) और पश्चिमी पाकिस्तान (अब पाकिस्तान) बना दिए गए लेकिन इसके बावजूद राखी की घटना से पता चला कि भारत के आम लोग वाकई एकजुट थे और विभाजन नहीं चाहते थे। टैगोर, वाकई में भारत के कलात्मक आकाश में चमकता हुआ सितारा थे।
आइए आज, उनकी 163वीं जयंती पर, उनके कुछ गहन उद्धरणों से अपने मन को भी स्पष्ट और उन्नत करते हैं:
1. "एक मनुष्य का दिमाग, जो सिर्फ सदैव अति तर्कशील ही रहता है, एक चाकू की तरह होता है जो उसी हाथ को लहूलुहान कर देता है जो इसका उपयोग करता है"।
2. "केवल खड़े होकर पानी को घूरते रहने से आप समुद्र पार नहीं कर सकते।"
3. "उच्चतम शिक्षा वह है जो हमें केवल जानकारी ही नहीं देती, बल्कि हमारे जीवन को समस्त अस्तित्व के साथ सामंजस्य स्थापित करती है।"
4. "मैं सोया और स्वप्न देखा कि जीवन आनंद है। मैं उठा और देखा कि जीवन सेवा है। मैंने सेवा क्रिया की, और देखा, सेवा ही आनंद है।"
5. "अगर मैं एक दरवाजे से नहीं निकल सकता, तो मैं दूसरे दरवाजे से जाऊंगा- या मैं एक दरवाजा बनाऊंगा। चाहे वर्तमान कितना भी अंधकारमय क्यों न हो, भविष्य के लिये यह उम्मीद रखो कि कुछ भला या लाभदाई, अवश्य आएगा।"
6. “हम दुनिया को ग़लत पढ़ते हैं और कहते हैं कि यह हमें धोखा देती है।”
7. "यदि आप इसलिए रोते हैं क्योंकि सूरज आपके जीवन से चला गया है, तो आपके आँसू आपको तारे देखने से रोके देंगे।"
8. “मुझे खतरों से बचने के लिए प्रार्थना नहीं करनी चाहिए, लेकिन उनका सामना करने जितना निडर रहना होगा।
9. किसी को स्नेहपूर्ण या सच्चे प्रेम का उपहार मात्र दिया नहीं जा सकता है, उस उपहार की उतनी ही सच्ची और स्नेहपूर्ण स्वीकृति ही दोनों पक्षों के लिये असली उपहार है।
10. रोज़ प्रातः जागकर यह मत दोहराओ कि लो फिर सुबह आ गयी! हर सुबह को एक नवजात शिशु की भाँती, उम्मीद आशा और ताज़गी के साथ अपनाओ।

संदर्भ
https://tinyurl.com/57f7b5hk
https://tinyurl.com/2v43mrec
https://tinyurl.com/3nwh3u85

चित्र संदर्भ
1. रबिन्द्रनाथ टैगोर को संदर्भित करता एक चित्रण (Picryl)
2. एक कक्ष में बैठे रबिन्द्रनाथ टैगोर को दर्शाता एक चित्रण (Picryl)
3. टैगोर की पुस्तकों को संदर्भित करता एक चित्रण (PixaHive)
4. गांधीजी के साथ बैठे रबिन्द्रनाथ टैगोर को दर्शाता एक चित्रण (Picryl)
5. रबिन्द्रनाथ टैगोर को किताब पढ़ते हुए दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)

पिछला / Previous अगला / Next

Definitions of the Post Viewership Metrics

A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.

B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.

C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.

D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.