चलिए तय करते हैं, पहली श्यामश्वेत फिल्मों से आधुनिक 4डी फिल्मों तक का सफ़र!

द्रिश्य 1 लेंस/तस्वीर उतारना
09-04-2024 09:44 AM
Post Viewership from Post Date to 10- May-2024 (31st Day)
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
2456 185 2641
चलिए तय करते हैं, पहली श्यामश्वेत फिल्मों से आधुनिक 4डी फिल्मों तक का सफ़र!

वैश्विक स्तर पर भारत को हमारे फिल्म उद्योग खासतौर पर "बॉलीवुड" की वजह से भी पहचाना जाता है। पूरे भारत में फैला हुआ हमारा फिल्म उद्योग हर साल करोड़ों का कारोबार करता है। लेकिन ऐसे बहुत कम अवसर मिले हैं, जब हमें फिल्मों की उत्पत्ति के इतिहास को गहराई से समझने का अवसर मिला हो। किंतु आज हम इस मौके को चूकेंगे नहीं और जानेंगे कि भारत सहित पूरी दुनियां का फिल्म उद्योग कैसे कुछ सेकंडों की श्याम श्वेत और मूक फिल्मों (Black and white and silent films) से घंटों तक चलने वाली अत्याधुनिक 3डी फिल्मों (3d Movies) तक विकसित हो गया? फिल्मों का इतिहास इस घटनाक्रम पर आधारित है कि 1800 के दशक के अंत में अपनी शुरुआत के बाद से ही फ़िल्में कैसे विकसित हुई। फिल्मों के इतिहास में अब तक ज्ञात सबसे पुरानी फिल्म का शीर्षक "राउंडहे गार्डन सीन (Roundhay Garden Scene)" है। इस मूक (Silent) और एक मिनट की फिल्म को 14 अक्टूबर, 1888 के दिन इंग्लैंड के लीड्स (Leeds) में फ्रांसीसी आविष्कारक लुईस ले प्रिंस (Louis Le Prince) द्वारा बनाया गया था। लुईस ले प्रिंस के पास अपने खुद के कैमरा आविष्कारों (Camera Inventions) के पेटेंट (Patents) थे। लेकिन इसके बावजूद उनके अहम् योगदान को आज भुला दिया गया है। उनका जीवन ही अपने आप में एक रहस्य रहा है, क्योंकि 16 सितंबर, 1890 के दिन वह अचानक गायब हो गए थे। गहन जांच के बावजूद भी उनका कभी पता नहीं चला। 1894 में, "द डिक्सन एक्सपेरिमेंटल साउंड फिल्म (The Dickson Experimental Sound Film)" नामक फिल्म को ध्वनि के साथ प्रदर्शित होने वाली पहली फिल्म माना जाता है। 1927 में रिलीज हुई "द जैज़ सिंगर (The Jazz Singer)", को मूक फिल्मों से संवाद वाली फिल्मों यानी "टॉकीज़ फिल्मों (Talkies Films)" की ओर पहला कदम माना जाता है। हालांकि कुछ रिकॉर्डेड ध्वनि वाली अन्य फिल्में भी थीं, जो इसके ठीक पहले रिलीज़ हुई थीं। यह ठीक-ठीक कहना कठिन है कि फ़िल्में कब कला का एक रूप बन गई। कुछ लोगों ने पहले भी फिल्में दिखाई थीं, लेकिन इस क्षेत्र में पहला बड़ा कदम तब उठाया गया जब ल्यूमियर बंधुओं (Lumiere Brothers) ने 28 दिसंबर, 1895 के दिन पेरिस (Paris ) में दस लघु फिल्में (Short Film) दिखाईं। ये शुरुआती फिल्में ब्लैक एंड व्हाइट (Black And White), एक मिनट से भी कम लंबी, मूक और बिना कैमरा हिलाए सिर्फ एक दृश्य दिखाती थीं।
ल्यूमियर बंधुओं ने सिनेमैटोग्राफ (Cinematograph), एक कैमरा-प्रोजेक्टर का आविष्कार किया और 28 दिसंबर, 1895 को उन्होंने पेरिस के ग्रैंड कैफे (Grand Café In Paris) में अपनी फिल्म का प्रदर्शन किया। साल 1927 में रिलीज हुई "द जैज़ सिंगर" को पहली पूर्ण लंबाई वाली फिल्म माना जाता है, जिसमें बात करने वाले हिस्से अभिनेताओं के होंठों से मेल खाते थे। 1930 के दशक के उत्तरार्ध में, "फैंटासिया (Fantasia)" और "द विज़ार्ड ऑफ ओज़ (The Wizard Of Oz)" जैसी फिल्में टेक्नीकलर (Technicolor) का उपयोग करने वाली पहली फिल्मों में से थीं, जिसके बाद बड़े पर्दे रंगीन हो चले थे। पहले ही दस वर्षों के दौरान फिल्म एक नए विचार से मनोरंजन का एक प्रमुख रूप बन गई। अब दुनिया भर की कंपनियां फिल्में बनाने लग गई थीं। थॉमस एडिसन (Thomas Edison) को अक्सर 1891 में गति को पकड़ने वाले पहले (मोशन कैमरे (Motion Capture Camera), काइनेटोस्कोप (Kinetoscope) की खोज के लिए जाना जाता है। लेकिन यह आविष्कार वास्तव में 17वीं शताब्दी में शुरू हुए कई विचारों और विकासों के कारण संभव हो पाया था। मोशन पिक्चर कैमरे का सबसे पहला पूर्वज, जादुई लालटेन (Magic Lantern) नामक एक पुराना प्रोजेक्टर (Projector) था, जो छवियों को दिखाने के लिए प्रकाश का उपयोग करता था। इसका आविष्कार संभवतः 1650 के दशक के आसपास डच वैज्ञानिक (Dutch Scientist) चार्ल्स ह्यूजेन्स (Charles Huygens) द्वारा किया गया था। जादुई लालटेन मुख्य रूप से मनोरंजन के लिए बनाई गई थी। लेकिन इसकी बदौलत यूरोप में 1790 के दशक में डरावने "फैंनतास्मागोरिआ (Phantasmagoria)" जैसे रचनात्मक शो शुरू हुए, जो शुरुआती डरावनी फिल्मों की तरह थे।
जब जादुई लालटेन 1800 के दशक के मध्य में संयुक्त राज्य अमेरिका में पहुंची, तो वह यहां भी खूब लोकप्रिय हो गई। लेकिन समय जल्द ही बदल गया। 1832 में, वियना (Vienna) में साइमन रिटर वॉन स्टैम्फर (Simon Ritter Von Stampfer) ने स्ट्रोबोस्कोप (Stroboscope ) का आविष्कार किया, जिससे चित्र चलते हुए प्रतीत होते थे। यह विचार 1830 के दशक में विकसित हुआ, और लुई डागुएरे (Louis Daguerre) द्वारा फोटोग्राफी के आविष्कार के साथ, यह और भी उन्नत हो गया। 1853 में, फ्रांज वॉन उचाटियस (Franz Von Uchatius) ने इन चलती छवियों को एक दीवार पर प्रक्षेपित किया। इसे प्रोजेक्टिंग फेनाकिस्टिकोप (Projecting Phenakistoscope) कहा गया। फिर 1861 में, अमेरिका में कोलमैन सेलर्स ने किनेमैटोस्कोप (Kinematoscope ) बनाया, जो गति का अनुकरण करने के लिए घूमते पहिये पर तस्वीरों का उपयोग करता था।
इसके बाद नए प्रकार के मीडिया, जैसे टीवी (1950 के दशक से लोकप्रिय), होम वीडियो “” (1980 के दशक), और इंटरनेट (1990 के दशक) आगमन ने फिल्मों को साझा करने और देखने के तरीके को बदल दिया। अब फिल्म निर्माताओं ने आमतौर पर ऐसी फ़िल्में बनाई जो इन नए मीडिया माध्यमों के अनुरूप उपयुक्त होती थी। 1950 के दशक में लोगों को सिनेमाघरों में खींचने के लिए तकनीकी नवाचारों (जैसे वाइडस्क्रीन (Widescreen), 3डी और 4डी फिल्म (3d And 4d Film) तथा अधिक प्रभावशाली फिल्मों का इस्तेमाल किया जाने लगा। इसके बाद प्रचलित हुए सस्ते और आसान सिस्टम जैसे 8 मिमी फिल्म, वीडियो और स्मार्टफोन कैमरों (Smartphone Cameras) ने बड़ी संख्या में लोगों को होम मूवी और वीडियो आर्ट (Video Art) सहित किसी भी कारण से फिल्में बनाने की अनुमति दे दी। गुणवत्ता के लिहाज से ये फ़िल्में आमतौर पर पेशेवर फ़िल्मों जितनी उच्च नहीं थीं, लेकिन डिजिटल वीडियो तथा किफायती, उच्च गुणवत्ता वाले डिजिटल कैमरों के साथ फ़िल्में पहले के बजाय बेहतर जरूर हो गईं। फिल्में बनाने के डिजिटल तरीके समय के साथ और बेहतर होते गए और 1990 के दशक में अधिक लोकप्रिय हो गए, जिसके परिणाम स्वरूप अधिक यथार्थवादी दृश्य प्रभाव और लोकप्रिय पूर्ण-लंबाई वाले कंप्यूटर एनिमेशन (Computer Animation) का जन्म हुआ। आज की दुनियां में फ़िल्में, बिभिन्न प्रकार के यंत्रों यानी डिवाइसों पर आसानी और पूरी सुलभता के साथ देखी जा सकती हैं।

संदर्भ
https://tinyurl.com/mtu6m9xd
https://tinyurl.com/ms5wfxhn
https://tinyurl.com/4upukc2v
https://tinyurl.com/hvehmmuh

चित्र संदर्भ
1. श्यामश्वेत फिल्मों से आधुनिक 3डी फिल्मों तक के सफ़र को संदर्भित करता एक चित्रण (youtube, Look and Learn)
2. 1934 में रिलीज हुई सीता' नामक फिल्म की शूटिंग को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
3. 1894 में, "द डिक्सन एक्सपेरिमेंटल साउंड फिल्म " नामक फिल्म को ध्वनि के साथ प्रदर्शित होने वाली पहली फिल्म माना जाता है। के एक दृश्य को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
4. ल्यूमियर बंधुओं को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. जादुई लालटेन शो को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
6. प्रोजेक्टिंग फेनाकिस्टिकोप को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
7. प्रोजेक्टर से चल रही फिल्म को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
8. 3डी फिल्म देख रहे दर्शकों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)

पिछला / Previous अगला / Next

Definitions of the Post Viewership Metrics

A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.

B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.

C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.

D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.