वेदों से प्राप्त वैदिक गणित से लेकर कुशल महिला गणितज्ञ तक, जानें भारत की विश्व को देन

विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा
23-03-2024 10:36 AM
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वेदों से प्राप्त वैदिक गणित से लेकर कुशल महिला गणितज्ञ तक, जानें भारत की विश्व को देन

हमारे जीवन में गणित के उपयोग से हम सभी परिचित हैं। लेकिन, ‘वैदिक गणित’ के बारे में बहुत से लोग नहीं जानते हैं। वैदिक गणित अंकगणितीय संक्रियाओं को तेजी से और अधिक कुशलता से निष्पादित करने के लिए प्राचीन युक्तियों और तकनीकों का एक संग्रह है। जैसा कि इसके नाम से ही स्पष्ट है, वैदिक गणित वेदों, विशेषकर अथर्ववेद से आया है। तो आइए, आज वैदिक गणित के बारे में विस्तार से जानते हैं। और समझें कि, वैदिक गणित कैसे फायदेमंद है और इसका इतिहास क्या है। इसके साथ ही हमारे देश भारत की कुछ प्रमुख महिला गणितज्ञों के बारे में भी जानते हैं। हमारे देश भारत में बहुत ही प्रारंभिक समय में, कुछ बहुत ही बेहतर गणितीय खोजें की गईं हैं। प्रारंभिक वैदिक काल (1000 ईसा पूर्व से पहले) के कुछ मंत्र एक सौ से लेकर एक लाख करोड़ तक, दस की शक्तियों का आह्वान करते हैं। साथ ही, हमें जोड़, घटाव, गुणा, भिन्न, वर्ग, घन और मूल संख्या जैसे अंकगणितीय संचालन के उपयोग का प्रमाण इनमें मिलता हैं।
भारत में वैदिक काल के दौरान, यह दशमलव प्रणाली बहुत प्रचलन में थी। यजुर्वेद संहिता के 17 वें अध्याय के 2 मंत्रो में से एक, दशा, सात, सहस्र, अयुत, लक्ष, नियुत, कोटि, अर्बुद, वृंदा, खरव, निखरव, शंख, पद्म, सागर, अन्त्य, मध्य, परार्ध जैसे अनुक्रम में संख्यात्मक मानों का वर्णन किया गया है। एक परार्ध का मान 10 की घात 12 के बराबर है।
‘वैदिक गणित’, गणित की एक प्रणाली है, जिसे भारतीय गणितज्ञ – जगद्गुरु श्री भारती कृष्ण तीर्थ जी ने 1911 और 1918 ईसवी के बीच की अवधि में खोजा था, और अपने निष्कर्षों को तीर्थ जी महाराज द्वारा लिखित ‘वैदिक गणित’ नामक पुस्तक में प्रकाशित किया था।
जब वह श्रृंगेरी के पास एक जंगल में ध्यान का अभ्यास कर रहे थे, तो उन्होंने वैदिक सूत्रों की फिर से खोज की। उनका दावा है कि, ये सूत्र या तकनीकें उन्होंने वेदों, विशेषकर ‘ऋग्वेद’ से, प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सीखीं थी। साथ ही, जब वे 8 वर्षों तक ध्यान का अभ्यास कर रहे थे, तो उन्होंने सहज रूप से इन्हें फिर से खोजा। बाद में उन्होंने पांडुलिपियों पर कुछ सूत्र लिखे थे। और अंततः वर्ष 1957 में, उन्होंने 16 सूत्रों का परिचयात्मक खंड लिखा, जिसे ‘वैदिक गणित’ कहा जाता है। वैदिक गणित निश्चित रूप से ही, गणितीय संख्यात्मक गणनाओं को तेजी से हल कर सकता है। कुछ वैदिक गणित विद्वानों ने उल्लेख किया है कि, वैदिक गणित युक्तियों का उपयोग करके सामान्य गणितीय विधियों की तुलना में 10-15 गुना तेजी से गणना की जा सकती हैं। वैदिक गणित में कुछ विधियां वास्तव में बहुत तेज़ हैं। लेकिन, इनमें से कुछ विधियां उन विशिष्ट संख्याओं पर निर्भर होती हैं, जिनकी गणना की जानी है। इस प्रकार, उन्हें विशिष्ट विधियां कहा जाता है।
भारत में गणित का इतना सुवर्ण इतिहास होने के बावजूद भी, हमारे देश में कुछ पुरानी धारणाएं मौजूद हैं। इससे एक धारणा यह है कि, संख्याएं, समस्या सुलझाने की क्षमता और आंकड़े एक ऐसी भाषा है, जिसे केवल पुरुष ही समझ सकते हैं। लेकिन इन रूढ़ियों को गलत साबित करते हुए अतीत और वर्तमान की कई महिलाओं ने गणित में उत्कृष्टता हासिल की है। उन्होंने अनुसंधान पेपर लिखे हैं, सूत्र खोजे हैं और गणित के विभिन्न क्षेत्रों पर शोध किया है। 

अतः आइए, अब हम भारत की कुछ असाधारण महिला गणितज्ञों के काम की सराहना करते हैं। शकुन्तला देवी: 1929 में जन्मी शकुंतला देवी भारत की पहली महिला गणितज्ञ थीं। केवल अपने दिमाग से ही, कंप्यूटर से भी तेज गणनाएं करने की क्षमता के कारण उन्हें “मानव कंप्यूटर(Human computer)” के नाम से जाना जाता था। अतः उनका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स(Guinness Book of World Records) के 1982 संस्करण में भी दर्ज किया गया था, जब उन्हें “फास्टेड ह्यूमन कंप्यूटेशन(Fasted Human Computation)” के लिए पहचाना गया। रमण परिमाला: बीजगणित के क्षेत्र में रमण परिमाला जी की विशेषज्ञता है, जिसे उनके योगदान और अनुसंधान द्वारा परिष्कृत किया गया है। बीजगणित के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान देने के लिए, उन्होंने संख्या सिद्धांत, बीजगणितीय ज्यामिति और टोपोलॉजी(Topology) का उपयोग किया। डॉ मंगला नार्लीकर: डॉ मंगला नार्लीकर जी का शोध और पेपर गणित की जटिल समस्याओं को समझने में आसान बनाने पर केंद्रित थे। सुजाता रामदोराई: सुजाता रामदोराई 2006 में ‘आईसीटीपी रामानुजन पुरस्कार’ जीतने वाली पहली और एकमात्र भारतीय हैं। साथ ही, वह 2004 के ‘शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार’ की भी विजेता हैं। डॉ नीना गुप्ता: डॉ नीना गुप्ता एफ़िन बीजगणितीय ज्यामिति(Affine algebraic geometry) में उनके काम के लिए और ज़ारिस्की कैंसलेशन समस्या(Zariski Cancellation Problem) का समाधान सुझाने के लिए मान्यता मिली, जिसे 20वीं और 21वीं सदी के कई गणितज्ञ हल करने की कोशिश कर रहे थे।

संदर्भ
https://tinyurl.com/yfbaax4y
https://tinyurl.com/y2exewnm
https://tinyurl.com/2s4hrdjy

चित्र संदर्भ
1. शकुन्तला देवी और अथर्ववेद को संदर्भित करता एक चित्रण (youtube, wikimedia)
2. यजुर्वेद के एक पृष्ठ को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. ‘ऋग्वेद’ के एक पृष्ठ को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. शकुन्तला देवी को संदर्भित करता एक चित्रण (youtube)
5. रमण परिमाला को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
6. डॉ मंगला नार्लीकर को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
7. सुजाता रामदोराई को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
8. डॉ नीना गुप्ता को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)

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