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भारतीय समाज में विवाह को एक पवित्र बंधन माना जाता है और यह जीवन का एक अहम पड़ाव भी है। प्रेम, संस्कृति और रीति-रिवाज के इस विवाह रूपी उत्सव में, आयोजित समारोह अपनी भव्यता और उत्कृष्टता के लिए दुनिया भर में जाने जाते हैं। ये आयोजन अपनी भव्य दावतों, सुंदर वेशभूषा और विस्तृत सजावट से आगंतुकों के हृदय में अपनी एक छाप छोड़ देते हैं। किसी भी विवाह समारोह का सबसे मुख्य आकर्षण होता है,
वहां की भव्य दावत। मेहमानों को विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थ परोसे जाते हैं, जो देश की विविध पाक विरासत को उजागर करते हैं। इन भव्य दावतो में इतने तरह के स्वादिष्ट व्यंजन परोसे जाते हैं कि आने वाले मेहमान इनमें से प्रत्येक का स्वाद चखना चाहते हैं, लेकिन इसका एक नतीजा यह होता है कि बहुत अधिक विविधता होने के कारण अधिकांश लोग आधे से ज्यादा परोसा हुआ भोजन खाने में असमर्थ होते हैं और उसे फेंक देते हैं। क्या आप जानते हैं कि छोटे स्तर के समारोहों में भोजन की बर्बादी 40% तक होती है जबकि बड़े समारोहों में यह बर्बादी 60% तक पहुंच सकती है? तो आइए आज के अपने इस लेख के माध्यम से विवाह समारोहों में होने वाली भोजन की बर्बादी, इसके पर्यावरणीय प्रभाव एवं इसको रोकने के उपायों के विषय में जानते हैं।
भारत में विवाह समारोहों में भोजन की बर्बादी सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है।
शादियों में लोग भोजन पर लाखों रुपए खर्च करते हैं लेकिन अधिकांश समारोहों में बनाया गया लगभग 40% भोजन बर्बाद हो जाता है। विवाह समारोह में भोजन की बर्बादी का सबसे प्रमुख कारण है भोजन का अत्यधिक मात्रा में एवं विविधता के साथ उत्पादन। एक भारतीय विवाह में बड़ी संख्या में मेहमानों को आमंत्रित किया जाता है। अतः उनके लिए भोजन का अनुमान लगाना कभी कभी चुनौतीपूर्ण हो जाता है। कहीं आगंतुकों के लिए भोजन कम न पड़ जाए, इस डर से अधिक मात्रा में भोजन बना लिया जाता है, जिससे भोजन की बर्बादी होती है।
अब प्रश्न उठता है कि एक ऐसे देश में जहाँ हज़ारों लोगों के पास खाने के लिए भोजन उपलब्ध नहीं है, वहाँ इतना सारा भोजन यूं ही केवल एक रात में बर्बाद कर दिया जाता है? जहाँ एक तरफ हमारे देश में यह एक कटु सत्य है कि लाखों भारतीय भूख और कुपोषण से पीड़ित हैं, यह देखना निराशाजनक है कि विवाह समारोह में परोसे गए इन बेहद महंगे एवं स्वादिष्ट खाद्य पदार्थों का उपभोग तक नहीं किया जाता है। इसके अलावा भोजन की बर्बादी के कारण पर्यावरण को काफी नुकसान पहुँचता है। अपशिष्ट भोजन को फेंक दिया जाता है जिसके अपघटन से ग्रीनहाउस गैसें उत्सर्जित होती हैं जो ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) में योगदान करती हैं। इससे न केवल तैयार भोजन ही बर्बाद होता है, बल्कि इस भोजन के लिए फसल उगाने वाले किसान की मेहनत, परिवहन लागत और तैयार करने के लिए उपयोग किए जाने वाले संसाधन भी बर्बाद हो जाते हैं। पर्यावरणीय नुकसान के साथ साथ भोजन की बर्बादी से साथ में पैसे की बर्बादी तो होती ही है। अतः लोगों द्वारा शादियों में भोजन की बर्बादी की समस्या को बड़े पैमाने पर पहचाना और संबोधित किया जाना चाहिए।
विवाह समारोहों में भोजन की बर्बादी को कम करके, निम्नलिखित लाभ भी प्राप्त किए जा सकते हैं:
1. लागत बचत: भोजन की बर्बादी को कम करके, भोजन और खानपान सेवाओं की लागत पर बचत की जा सकती है।
2. स्थिरता: पर्यावरण की दृष्टि से भोजन की बर्बादी को कम करना हम सभी की ज़िम्मेदारी है। इससे हम न केवल अपने धन की बचत कर सकते हैं, बल्कि अपने ग्रह की भी रक्षा कर सकते हैं। संसाधनों का अधिक कुशलता से उपयोग करके हम अपने कार्बन पदचिह्न को कम कर सकते हैं और अधिक टिकाऊ भविष्य में योगदान कर सकते हैं।
3. सामाजिक उत्तरदायित्व: भोजन की बर्बादी विश्व स्तर पर एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, और इसे कम करना न केवल एक व्यक्ति का बल्कि संपूर्ण समाज का उत्तरदायित्व है। इसके साथ ही भोजन को व्यर्थ न करके अतिरिक्त भोजन को ज़रूरतमंद लोगों को दान करने से समुदाय पर सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
4. प्रतिष्ठा: विवाह समारोह में अतिरिक्त धन एवं भोजन को बर्बाद करने के बजाय पर्यावरण और सामाजिक उत्तरदायित्व के प्रति अपनी प्रतिबद्धता प्रदर्शित करके आप अपने लिए समाज में एक निर्दिष्ट स्थान प्राप्त कर सकते हैं।
5. रचनात्मक अवसर: भोजन की बर्बादी को कम करने से रसोई में रचनात्मकता को बढ़ावा मिल सकता है। बचे हुए भोजन का पुन: उपयोग करना और अतिरिक्त भोजन से नए व्यंजन बनाना आपके विवाह स्थल के लिए एक मज़ेदार और रचनात्मक चुनौती हो सकती है।
अतः विवाह समारोह में भोजन की बर्बादी को कम करना हम सबकी सामाजिक, पर्यावरणीय एवं नैतिक जिम्मेदारी है। भोजन की बर्बादी को कम करने के लिए कुछ उपाय किये जा सकते हैं:
सबसे पहले आयोजनकर्ता को भोजन की विविधता एवं आने वाले मेहमानों की संख्या के अनुसार ही उचित मात्रा में भोजन बनवाना चाहिए।
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मेहमानों को भोजन लेते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि वह जितना भोजन ग्रहण कर सकते हैं, उतना ही अपनी थाली में परोसें।
इसके अलावा अतिरिक्त बने हुए भोजन को किसी भी स्वयंसेवी संस्था या वंचित लोगों को दान कर देना चाहिए।
संदर्भ
https://t.ly/3XITc
https://t.ly/mY051
https://t.ly/9A2oc
चित्र संदर्भ
1. थाली में परोसे जा रहे भोजन को संदर्भित करता एक चित्रण (chaurasiacatering)
2. फैंके जा रहे भोजन को दर्शाता एक चित्रण (Flickr)
3. चाकलेट खा रही छोटी बच्ची को दर्शाता एक चित्रण (needpix)
4. कतार में भोजन कर रहे बच्चों को दर्शाता एक चित्रण (pickpik)
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