समयसीमा 245
मानव व उनकी इन्द्रियाँ 942
मानव व उसके आविष्कार 740
भूगोल 219
जीव - जन्तु 273
Post Viewership from Post Date to 11- Apr-2024 (31st Day) | ||||
---|---|---|---|---|
City Subscribers (FB+App) | Website (Direct+Google) | Total | ||
2261 | 205 | 2466 |
जैसा कि हम जानते ही हैं, टेराकोटा (Terracotta) या मिट्टी के बरतन, बहुमुखी, प्राकृतिक एवं लंबे समय तक चलने वाली वस्तुएं होती हैं। इनका उपयोग आभूषण और मिट्टी के पात्रों से लेकर, भवन निर्माण कार्य में भी किया जाता है। क्या आपको याद है कि, वे दिन कितने अद्भुत हुआ करते थे, जब हमारी दादी या नानी पानी, पकी हुई सब्जियां और अन्य वस्तुओं को संग्रहित करने के लिए टेराकोटा के बर्तनों का उपयोग करती थीं? लेकिन, आधुनिक समय में आमतौर पर लोग इसके लिए प्लास्टिक के वस्तुओं का इस्तेमाल करते हैं। तो आइए, आज हम टेराकोटा बर्तनों के बारे में समझते हैं। साथ ही, टेराकोटा ग्राइंडर और इसके उपयोग के बारे में हुए, एक नए विकास के बारे में भी जानते हैं।
हमारा देश भारत समृद्ध शिल्प कौशल विरासत की भूमि रहा है, और यहां मिट्टी के बर्तन बनाने और उनके उपयोग में कई लोगों ने महारत हासिल की है। सदियों से, मिट्टी के बर्तन भारतीय रसोई का एक अनिवार्य हिस्सा रहे हैं, जब तक कि, कारखानों में बने बर्तनों ने बाजार में धूम नहीं मचा दी थी। लेकिन, आज भी कुछ रसोई और पारंपरिक होटलों में मिट्टी के बर्तनों का उपयोग किया जाता है, जो प्रथम-गुणवत्ता वाले स्वादों की सराहना करते हैं। इसके अलावा, मिट्टी से बने कुछ विशेष वस्तुओं का उपयोग रेफ्रिजरेटर(Refrigerator) के रूप में भी किया जाता है।
भारतीय मिट्टी के बर्तनों (या टेराकोटा मिट्टी के बर्तनों) का एक नमूना सबसे प्रमुख शहरी विकास – सिंधु घाटी सभ्यता में खोजा जा सकता है। पुरातत्वविदों ने सिंधु घाटी, मोहनजोदड़ो और हड़प्पा बस्तियों के अवशेषों से बहुत सारी कलाकृतियां, खाना पकाने के बर्तन, भंडारण के बर्तन और जटिल रूप से डिजाइन किए गए देवताओं की मूर्तियों की खुदाई की हैं। जबकि, हमें सिंधु घाटी सभ्यता से मिट्टी की कलाकृतियों के स्पष्ट प्रमाण मिले हैं, विद्वानों का मानना है कि, भारतीय मिट्टी के बर्तन प्रारंभिक नवपाषाण काल से प्रयोग में हैं। इस प्रक्रिया में, कुम्हारों द्वारा चाक पर बर्तन बनाना, और फिर इन बर्तनों को धूप में सुखाना शामिल था। हालांकि, बाद में इन बर्तनों को भट्टियों या चिमनी में पकाया जाने लगा।
मिट्टी के बरतनों में खाना पकाने के कई लाभ हैं। जैसे कि–
1.टेराकोटा मिट्टी के बर्तन भोजन में अम्ल की मात्रा को निष्क्रिय कर देते हैं।
2.वे माइक्रोवेव सुरक्षित उत्पाद होते हैं।
3.डेयरी उत्पादों के भंडारण के लिए भी वे आदर्श हैं।
4.ये उत्पाद खाद्य पदार्थों का स्वाद बढ़ाते हैं। और,
5.इन उत्पादों की उत्कृष्ट सुंदरता अतुलनीय है।
फिर भी आमतौर पर, आज कई लोग माइक्रोवेव(Microwave) में पके हुए खाने को गर्म करने के लिए, प्लास्टिक के कंटेनर(Containers) का इस्तेमाल करते हैं। परंतु, प्लास्टिक अपने हर रूप में हानिकारक होता है। गर्म होने पर, यह अत्यधिक जहरीली गैसें और रसायन छोड़ता है, जो भोजन में मिल जाते हैं। ये टॉक्सिन(Toxins) या घातक पदार्थ हमारे शरीर के लिए हानिकारक और जहरीले साबित हो सकते हैं। इस बीच, टेराकोटा मिट्टी के उत्पाद, जैविक होते हैं। ये न केवल सुरक्षित होते हैं, बल्कि, मानव शरीर को आवश्यक पोषक तत्व और खनिज भी प्रदान करते हैं।
मिट्टी के बर्तनों द्वारा प्रदान किए जाने वाले अनगिनत लाभों के कारण, वे उन व्यक्तियों के बीच अत्यधिक लोकप्रिय हो रहे हैं, जो हमेशा स्वस्थ जीवन के लिए तत्पर रहते हैं। साथ ही, आज इन बर्तनों में जोड़ा गया आधुनिक स्पर्श एक मुख्य कारण है, कि इन बरतनों ने शहरी घरों में अपनी जगह बना ली है।
क्या आप जानते हैं कि,खादी और ग्रामोद्योग आयोग ने हाल ही में, वाराणसी के सेवापुरी में, पहली बार ‘टेराकोटा ग्राइंडर(Terracotta Grinder)’ लॉन्च किया है। यह मशीन मिट्टी के बर्तन बनाने में पुन: उपयोग के लिए, बेकार और टूटे हुए मिट्टी के बर्तनों को पीसती हैं।
पहले बेकार मिट्टी के बर्तनों को सामान्य खल-मूसल में पीसकर उसके बारीक पाउडर को सामान्य मिट्टी के साथ मिलाया जाता था। इस पाउडर को सामान्य मिट्टी में निर्धारित अनुपात में मिलाने से निर्मित मिट्टी के बर्तन मजबूत हो जाते हैं। जबकि, यह टेराकोटा ग्राइंडर पारंपरिक खल और मूसल की तुलना में, बेकार मिट्टी के बर्तनों को तेजी से पीस देता है। इससे उत्पादन लागत कम होगी, और मिट्टी की कमी की समस्या को हल करने में भी मदद मिलेगी।
बर्बाद हो चुके टेराकोटा पाउडर का 20 फीसदी हिस्सा, मिट्टी में मिलाकर कुम्हार कम से कम 520 रुपये की बचत कर सकते हैं। इससे गांवों में रोजगार के अधिक अवसर भी पैदा होंगे। यह मशीन कुम्हारों के लिए वरदान साबित होगी क्योंकि, केंद्रीय मंत्री – श्री नितिन गडकरी जी ने, 400 प्रमुख रेलवे स्टेशनों पर, कुल्हड़ और अन्य टेराकोटा उत्पाद पेश करने का प्रस्ताव रखा है।
जब खाना पकाने की बात आती है, तो मिट्टी के बर्तन सबसे अच्छे होते हैं। दुर्भाग्य से इस तेजी से भागती दुनिया में, कई लोगों के पास अपने अतीत को याद करने का समय नहीं है। लेकिन, अब आप मिट्टी के बर्तनों में खाना पकाने के अद्भुत फायदों के बारे में जानते हैं। तो, पुरानी मिट्टी की यादें ताज़ा करने के लिए एवं अपने खाने को अधिक स्वस्थ बनाने हेतु, इन्हें खरीदें और इनमें खाना पकाएं।
संदर्भ
http://tinyurl.com/mwvsynxr
http://tinyurl.com/smc7r8yk
http://tinyurl.com/25hsf8dj
चित्र संदर्भ
1. मिट्टी के पात्र में बन रहे भोजन को संदर्भित करता एक चित्रण (
Freerange Stock)
2. टेराकोटा के बर्तनों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. हड़प्पा काल के पात्र को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. मिट्टी के पात्रों में परोसे गए भोजन को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. मिट्टी के पात्र को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
6. मिट्टी के कुल्हड़ में चाय पीते दोस्तों को संदर्भित करता एक चित्रण (Pexels)
A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.
B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.