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हमारा शहर, मेरठ, अपने विविध प्रकार के हस्तशिल्प उद्योगों, विशेष रूप से लकड़ी के हस्तशिल्प, जड़ाई कार्य और धातु शिल्प में विशेषज्ञता वाले उद्योगों के लिए जाना जाता है। इसलिए सभी मेरठ वासियों की हस्तशिल्प में विशेष रूचि भी नजर आती है। मेरठ की ही भांति एक उत्तर पूर्वी राज्य “असम” को अपने बांस हस्तशिल्प (bamboo handicrafts) के लिए जाना जाता है। हालांकि बांस शिल्प में अपनी पारंपरिक समृद्धि के बावजूद असम, भारत के हस्तशिल्प बाजार में प्रमुख स्थान नहीं रखता है।
असम के बांस और बेंत शिल्प, असम की जीवनशैली और अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। असम के निवासियों के पास अपने अनूठे बांस और बेंत उत्पाद मौजूद हैं। यहां के लोगो की बांस और बेंत शिल्प (Cane Crafts) में विशिष्ट डिजाइन बनाने की एक विशिष्ट शैली भी है। मैदानी जिलों के उत्पाद, उपयोग, आकार और डिजाइन के संदर्भ में पहाड़ी जिलों के उत्पादों से भिन्न होते हैं।
असम के बांस और बेंत शिल्प में विभिन्न प्रकार के उत्पाद बनाए जाते हैं, जिनमे बांस की चटाई, शीतलपाटी और विभिन्न आकार की टोकरियाँ, विनोइंग ट्रे ( Winnowing Tray), छलनी, जापी या चट्टा, और विभिन्न प्रकार के मछली पकड़ने के उपकरण शामिल हैं। इनका निर्माण राज्य के मैदानी जिलों में बड़ी संख्या में होता है। इसके अलावा यहां पर चलनी (छलनी), कुला (उतने का पंखा), खोराही (छोटी टोकरी), डुकुला या टुकुरी (बड़ी टोकरी) और डाला (बांस की ट्रे (Bamboo Tray) जैसी बड़ी वस्तुएं भी बनाई जाती हैं। इन वस्तुओं के अलावा, असम के कारीगर राज्य के विभिन्न हिस्सों में बेंत और बांस से मछली पकड़ने के विभिन्न प्रकार के उपकरण बनाते हैं। असमिया लोगों के बीच व्यापक रूप से उपयोग किए जाने वाले मछली पकड़ने के कुछ उपकरणों में पोलो, जकाई, खलाई, डोरी, चेपा, परान, झूठी और होगरा आदि शामिल हैं।
असम के बांस और बेंत शिल्प की एक और उल्लेखनीय उदाहरण 'धारी' या बांस की चटाई भी है। असम के कारीगरों द्वारा विभिन्न प्रकार की बांस की चटाईयां बनाई जाती हैं। इन चटाइयों का उत्पादन नौगोंग, दरांग और कछार जिलों में व्यावसायिक पैमाने पर किया जाता है। ये चटाइयाँ, जिन्हें स्थानीय रूप से 'धारा', 'झरिया' या 'दारमा' के नाम से जाना जाता है, दर्रांग और नौगांव में दलदली पौधों और खरपतवारों के सूखे डंठलों से और कछार में बांस की पट्टियों से बनाई जाती हैं। इनका व्यापक रूप से निर्माण, छत और विभिन्न औद्योगिक उद्देश्यों के लिए उपयोग किया जाता है।
असम की एक और विशेष रचना छतरी के हैंडल के लिए 'मुली' बांस का उपयोग है, जिसे स्थानीय रूप से 'मुली-बज़ैल' के नाम से जाना जाता है। यहां का एक और लोकप्रिय उत्पाद 'जापी' या 'छटा' (बांस या पत्ती का हेड-गियर (Head-Gear) भी है, जो खुली हवा में काम करने वालों के लिए एक जरूरी वस्तु मानी जाती है। इनका उत्पादन बड़े पैमाने पर कछार जिले के रंगपुर, चिनिपाटन आदि गांवों में किया जाता है। इसकी आपूर्ति मुख्य रूप से पड़ोसी चाय-बागानों और नौगोंग जिले के कुछ हिस्सों में की जाती है।
असम के बांस और बेंत शिल्प में बांसुरी, बांस बीटर, दो-तारा और गोगोना जैसे संगीत वाद्ययंत्र भी शामिल हैं, जिनका उपयोग बाग़ बिहू उत्सव में किया जाता है। कुछ परिवार स्थानीय बाजारों के लिए स्वतंत्र उत्पाद तैयार करते हैं, जिनमें भंडारण टोकरियाँ, मछली पकड़ने के जाल, कृषि उपकरण, बीज ट्रे (Seed Trays), चटाई और बाड़ लगाने की सामग्री शामिल हैं।
हाल के वर्षों में इन शिल्पों को बढ़ावा मिला है, क्योंकि यहां के अर्ध-शहरी क्षेत्रों में शिल्पकार और सूक्ष्म उद्यमी, स्थानीय और दूर के बाजारों के लिए उत्पादों की एक श्रृंखला का निर्माण करते हैं, जो राज्य के आर्थिक विकास में योगदान करते हैं।
असम सरकार भी इन शिल्पों के विस्तार का समर्थन करती है तथा आर्थिक लाभ प्रदान करने के साथ रोजगार और आय-सृजन के अवसरों को बढ़ाने के लिए बांस क्षेत्र के विकास को बढ़ावा देती है। सरकार ने कारीगरों के लिए कौशल उन्नयन, प्रशिक्षण, बाजार विश्लेषण और समर्थन की भी घोषणा की है।
ऊपर से बांस की उपलब्धता और गुणवत्ता बढ़ाने, उद्योगों, शिल्प समूहों और अन्य उपयोगकर्ताओं को इसकी खेती, निष्कर्षण और आवाजाही के लिए सुविधाजनक वातावरण प्रदान करने के प्रयास किए जा रहे हैं। सरकार की योजना राज्य में दो स्थानों पर बंबू सेटम (Bambusetam) स्थापित करने, बांस बाजार विकसित करने और कच्चे बांस के लिए बागवानी प्रणाली (Gardening System) बनाने की है। इसका उद्देश्य बेहतर प्रसंस्करण, उत्पाद विविधीकरण, डिजाइन विकास और बढ़ी हुई शेल्फ लाइफ (Shelf Life) के माध्यम से बेंत आधारित हस्तशिल्प में मूल्य संवर्धन को प्रोत्साहित करना भी है।
हालांकि केवल असम ही नहीं बल्कि पूरे भारत की संस्कृति और अर्थव्यवस्था में हस्तशिल्प उद्योग महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
इन भूमिकाओं में शामिल हैं:
1. यह क्षेत्र ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में बड़ी संख्या में कारीगरों को रोजगार देता है, जिससे सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण होता है।
2. प्रत्येक हस्तशिल्प उत्पाद, इसे बनाने वाले कारीगर के जुनून या इसके पीछे की प्रेरणा को दर्शाता है।
3. हस्तशिल्प, लोगों की जीवनशैली और इतिहास से जुड़ी समृद्ध कला, परंपराओं, विरासत और सांस्कृतिक कौशल का प्रमाण है।
4. यह उद्योग कम पूंजी निवेश के साथ भी रोजगार के अवसर प्रदान करता है और विदेशी आय का एक महत्वपूर्ण स्रोत बन गया है।
5. हस्तशिल्प कारीगर उद्योग, ग्रामीण समुदायों के लिए आय का एक महत्वपूर्ण स्रोत रहा है।
6. हस्तशिल्प वस्तुओं का सबसे आकर्षक पहलू उनकी पर्यावरण के प्रति अनुकूलता है।
क्या आप जानते हैं कि अपनी जटिल सुंदरता और कलात्मक कुशलता के लिए दुनिया भर में प्रशंसित भारत के हस्तशिल्प को भारत के विभिन्न मेलों में प्रदर्शित किया जाता है। ये मेले, भारत की समृद्ध कलात्मक विरासत को प्रदर्शित करने के लिए एक मंच प्रदान करते हैं।
इनमें से कुछ प्रमुख मेले हैं:
1. सूरजकुंड हस्तशिल्प मेला: सूरजकुंड हस्तशिल्प मेला हर साल 1 से 15 फरवरी तक आयोजित किया जाता है, जो भारतीय कला, शिल्प, संस्कृति और परंपरा की समृद्धि को प्रदर्शित करने वाला एक प्रतिष्ठित सांस्कृतिक कार्यक्रम है। इसमें देश के बेहतरीन कारीगरों के काम को प्रदर्शित किया जाता है, जिसमें सहारनपुर के नक्काशीदार लकड़ी के फर्नीचर और राजस्थान की जीवंत कपड़ा कलाएं शामिल हैं।
2. अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेला: अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेला नवंबर में, नई दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित होता है। शुरुआत में यह केवल व्यापारिक समुदाय पर केंद्रित था लेकिन बाद में इसे जनता के लिए खोल दिया गया, जिसमें भारत के हर राज्य और उनके अद्वितीय हस्तशिल्प का प्रतिनिधित्व करने वाले मंडप शामिल हैं।
3. शिल्पग्राम: राजस्थान के उदयपुर में "शिल्पग्राम", प्रामाणिक राजस्थान हस्तशिल्प का प्रदर्शन करने वाला एक स्थायी मेला है। यह मेला इस क्षेत्र की सांस्कृतिक समृद्धि का प्रतीक उत्कृष्ट शिल्प वस्तुओं को प्राप्त करने का अवसर प्रदान करता है।
संदर्भ
http://tinyurl.com/n94ywbjk
http://tinyurl.com/2dj4pv2t
http://tinyurl.com/6ncdyh8c
चित्र संदर्भ
1. एक बांस के उत्पादों को बेचते व्यक्ति को संदर्भित करता एक चित्रण (pexels)
2. बांस के उत्पाद बनाते लोगों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. बांस की टोकरी को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. बांस की चटाईयां बनाते कारीगर को संदर्भित करता एक चित्रण (wallpaperflare)
5.'जापी' या 'छटा' (बांस या पत्ती का हेड-गियर (Head-Gear) को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
6. बांस की बाढ़ को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
7. बांस के उत्पाद बनाती महिला को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
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