फ्रीमेसनरी ने निभाई है, भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन एवं ब्रिटिश भारतीय समाज में भूमिका

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फ्रीमेसनरी ने निभाई है, भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन एवं ब्रिटिश भारतीय समाज में भूमिका

फ्रीमेसनरी(Freemasonary) ने लंबे समय से, अपने रहस्य, रीति-रिवाजों और गोपनीयता से पुरी दुनिया को मोहित किया है। सदियों के इतिहास में निहित, इस ‘भाईचारे पर आधारित’ संगठन ने हमारे बीच प्रशंसा, जिज्ञासा और संदेह उत्पन्न किया है।
फ्रीमेसनरी की उत्पत्ति का पता राजमिस्त्रियों के मध्ययुगीन संघों से लगाया जा सकता है। इन श्रेणियों में मुख्य राजमिस्त्री और वास्तुकार शामिल थे। वे अक्सर अपने संरक्षकों, उच्च स्तर के पादरी, धनी व्यापारियों और राजकुमारों से मिलते थे, जो महान कैथेड्रल चर्च(Cathedral church) और महलों के निर्माण के प्रायोजक थे।
फिर, समय के साथ, ये संघ एक बिरादरी में बदल गया , जो तब न केवल राजमिस्त्री बल्कि, विभिन्न लोगों का भी स्वागत करते थे। फ्रीमेसनरी के मार्गदर्शक सिद्धांत– भाईचारे का प्यार, राहत और सच्चाई हैं। जबकि, इसकी मान्यताएं– व्यक्तिगत विकास, सामुदायिक सेवा और मजबूत नैतिक मूल्यों के विकास के लिए एक ठोस आधार प्रदान करती हैं। फ्रीमेसन को अपना यह नाम कई कारणों से मिला है। पहला, वे स्वतंत्र व्यक्ति थे, जब और जहां चाहें, वहां यात्रा करने और अपने व्यवसाय को आगे बढ़ाने के लिए स्वतंत्र थे। दूसरा, वे राजमिस्त्री जो चर्च संपत्तियों पर कार्यरत थे, कराधान और सरकारी नियमों से मुक्त थे। तीसरा, ये अधिक कुशल राजमिस्त्री, अक्सर फ़्रीस्टोन(Freestone) में काम करते थे, जो एक प्रकार का पत्थर था, जिसे विस्तृत सजावटी तत्वों में ढाला जा सकता था। इस प्रकार, फ्रीस्टोन राजमिस्त्रियों को फ्री-मेसन या फ्रीमेसन के नाम से जाना जाने लगा।
फ्रीमेसनरी को उनके स्वयं के अनुष्ठान में, “रूपकों में छिपी और प्रतीकों द्वारा चित्रित, नैतिकता की सुंदर एवं गहन प्रणाली” के रूप में वर्णित किया गया है। फ्रीमेसनरी का प्रतीकवाद पूरे मेसोनिक लॉज में पाया जाता है, और इसमें मध्ययुगीन या पुनर्जागरण स्टोनमेसन के कई काम करने वाले उपकरण शामिल हैं। यह संपूर्ण प्रणाली मेसोनिक अनुष्ठान के माध्यम से दीक्षार्थियों तक प्रसारित की जाती है, जिसमें व्याख्यान और रूपक नाटक शामिल होते हैं। क्राफ्ट या ब्लू लॉज(Craft or Blue Lodge) की तीन पदक्रम वाली प्रणाली, पूरे फ्रीमेसनरी में आम है। इसका रूपक सोलोमन के मंदिर(Temple of Solomon) के निर्माण और इसके मुख्य वास्तुकार– हीराम एबिफ़ की कहानी पर केंद्रित है। हालांकि, इसके आगे के पदक्रम में, अलग-अलग अंतर्निहित रूपक हैं, जो अक्सर हीराम की कहानी के प्रसारण से जुड़े होते हैं। इनमें भागीदारी वैकल्पिक होती है, और आम तौर पर इसमें एक अलग मेसोनिक निकाय शामिल होता है। उच्च पदक्रमों का प्रकार और उपलब्धता, क्राफ्ट लॉज के मेसोनिक क्षेत्राधिकार पर भी निर्भर करते है। दरअसल, फ्रीमेसनरी को ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के सदस्यों द्वारा भारत में लाया गया था, जिसका पहला लॉज इंग्लैंड(England) के ग्रैंड लॉज(Grand lodge) के अधिकार क्षेत्र में स्थापित किया गया था। यह वर्ष 1728 में कलकत्ता में खोला गया, फोर्ट विलियम(Fort William) था। जबकि, इसके पश्चात 1752 में मद्रास(वर्तमान चेन्नई) में एक प्रांतीय ग्रैंड लॉज और 1758 में बॉम्बे(वर्तमान मुंबई) में एक प्रांतीय ग्रैंड लॉज की स्थापना की गई।
फ्रीमेसनरी ने भारत में स्वतंत्रता आंदोलन को भी प्रभावित किया । भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कई अध्यक्ष फ्रीमेसन थे, जिनमें दादाभाई नौरोजी शामिल थे। 1885 में दादाभाई बॉम्बे में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के संस्थापक थे। वह 1886 में फिर 1893 और 1906 में, इसके अध्यक्ष चुने गए थे। साथ ही, वह गोपाल कृष्ण गोखले, मोहनदास गांधी और मुहम्मद अली जिन्ना सहित अन्य राष्ट्रवादी नेताओं के गुरु भी थे। दादाभाई नौरोजी 1892 में ब्रिटिश संसद के लिए चुने गए थे। वहां सांसद बनने वाले वह पहले गैर-श्वेत व्यक्ति थे। वहां से उन्होंने भारत के शासन में सुधार के पक्ष में तर्क दिया था।
फ्रीमेसनरी ने भारत में ब्रिटिश औपनिवेशिक समाज में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। मेसोनिक लॉज ने महत्वपूर्ण सामाजिक और बौद्धिक केंद्र के रूप में कार्य किया, जहां जीवन के विभिन्न क्षेत्रों के सदस्य समान स्तर पर एक साथ आ सकते थे। इन लॉजों ने व्यक्तिगत संबंधों की सुविधा प्रदान की, सौहार्द को बढ़ावा दिया इसके साथ राजनीति, दर्शन, विज्ञान और परोपकार सहित कई विषयों पर चर्चा के लिए एक मंच प्रदान किया। भारत में कुछ उल्लेखनीय फ्रीमेसन नोबेल पुरस्कार विजेता– रवीन्द्रनाथ टैगोर, राजा राम मोहन रॉय और स्वामी विवेकानन्द हैं। मोतीलाल नेहरू(जवाहरलाल नेहरू के पिता), सी. राजगोपालाचारी जैसे कई राष्ट्रवादी भी फ्रीमेसन थे। इसके अलावा, भारत के पहले भारतीय गवर्नर जनरल और उद्योगपति– जमशेदजी टाटा भी, एक फ्रीमेसन थे। 1947 में भारत को स्वतंत्रता मिलने के बाद, फ्रीमेसनरी हमारे देश में फलती-फूलती रही। तब, ग्रैंड लॉज ऑफ इंडिया की स्थापना 1961 में मेसोनिक गतिविधियों को नियंत्रित और विनियमित करने के लिए की गई थी। जबकि, आज, हमारे देश में फ्रीमेसनरी विविध पृष्ठभूमि, धर्मों और व्यवसायों के व्यक्तियों को एक साथ लाती है, तथा भाईचारे, समानता, आत्म-सुधार और सामुदायिक सेवा को बढ़ावा देती है।

संदर्भ
http://tinyurl.com/9ucj4j8r
http://tinyurl.com/y44uhevf
http://tinyurl.com/y7ay9dem
http://tinyurl.com/3446jtyv

चित्र संदर्भ

1. भारतीय विद्रोह: पालकी में यात्रा कर रहे ब्रिटिश अधिकारीयों और एक फ्रीमेसनरी को दर्शाता एक चित्रण (look & learn, wikimedia)
2. फ़्रीमेसोनरी की प्रतीकात्मक संरचना को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. सोलोमन के मंदिर को दर्शाता एक चित्रण (Needpix)
4. ब्रिटिश अधिकारियो के भारत आगमन को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. फ़्रीमेसोनरी के प्रतीक चिन्हों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)

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