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महात्मा गांधी, भारत में जन्मी उन शीर्ष विभूतियों में से एक हैं, जिन्हें न केवल भारत बल्कि पूरी दुनियां के सबसे प्रभावशाली लोगों में से एक माना जाता है। यहां तक कि विश्व इतिहास में मार्टिन लूथर किंग (Martin Luther King) जैसे प्रभावशाली लोग भी गांधीजी के विचारों और उनके व्यक्तित्व से प्रेरित रहे हैं। लेकिन क्या आपको पता है, कि गांधीजी के इस महान व्यक्तित्व को आकार देने में हमारे शहर लखनऊ की भी बहुत बड़ी भूमिका रही है।
महात्मा गांधी ने 1916 में 31वें कांग्रेस अधिवेशन में भाग लेने के लिए हमारे लखनऊ का दौरा तब किया था, जब वह राष्ट्रीय स्तर पर कोई लोकप्रिय नेता नहीं थे। इस दौरे के दौरान, उनकी मुलाकात बिहार के चंपारण ज़िले के एक किसान राज कुमार शुक्ला से हुई। राज कुमार शुक्ला महात्मा गांधी को अपने साथ चंपारण लाना चाहते थे और इसके लिए उन्होंने पुरजोर कोशिश की। उनकी कोशिश सफल रही और चंपारण पहुंचकर गांधी ने देखा कि वहां पर ब्रिटिश अधिकारी चंपारण के नील बागान मालिकों पर बहुत अत्याचार कर रहे थे। इस दर्दनाक दृश्य से प्रभावित होकर गांधीजी ने चंपारण आंदोलन शुरू कर दिया।
देखते ही देखते गांधी जी उस समय एक बड़ा नाम बन गए, और उन्होंने अंग्रेजों को चंपारण एग्रेरियन एक्ट (Champaran Agrarian Act) बनाने के लिए मजबूर कर दिया, जिससे वहां के किसानों को अंग्रेजों के अत्याचारों से मुक्ति मिल गई। इस प्रकार, लखनऊ अंग्रेजों के खिलाफ गांधी जी के संघर्ष में एक मील का पत्थर बन गया। इन्हीं वर्षों में, गांधी जी और लखनऊ के लोगों के बीच संबंध भी काफी मजबूत हुए। महात्मा गांधी के पहली बार लखनऊ आगमन के दौरान ही यहां के चारबाग रेलवे स्टेशन (Charbagh Railway Station) में उनकी मुलाकात पहली बार देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू जी से हुई।
जवाहरलाल नेहरू, गांधी जी के विचारों से अत्यधिक प्रभावित थे। यह एक ऐसा अवसर था, जब जवाहर लाल नेहरू ने देश की आजादी के लिए गांधी जी के साथ मिलकर संघर्ष करने का निर्णय लिया। जवाहर लाल नेहरू और महात्मा गांधी की यह बैठक 20 मिनट तक चली और इस बैठक ने भारत के इतिहास को बदल कर रख दिया क्योंकि इसने भारतीय स्वतंत्रता का मार्ग प्रशस्त किया। 1920-21 में, गांधीजी ने फिर से हमारे लखनऊ शहर का दौरा किया। उन्होंने अपनी लखनऊ यात्राओं के दौरान कई अवसरों पर स्वतंत्रता हासिल करने के लिए अहिंसा का मार्ग अपनाने पर जोर दिया। लखनऊ की नब्ज पकड़ते हुए उन्होंने यहां की जनता को उर्दू में संबोधित भी किया।
फरवरी 1920 में, जब महात्मा गांधी चारबाग रेलवे स्टेशन पहुंचे, तो उन्होंने छात्रों से ब्रिटिश शासित सरकारी स्कूल छोड़ने और चरखे का उपयोग करके मोटे कपड़े का तना शुरू करने का आग्रह किया। उनका मानना था कि इससे भारत को स्वराज (स्व-शासन) प्राप्त करने और शांति को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी।
अपनी अगस्त 1921 की यात्रा के दौरान, भारी बारिश होने पर गांधी ने अमीनाबाद पार्क में 24 घंटे का 'मौन व्रत' रखा। सितंबर 1929 में, गांधीजी के समर्थन से लखनऊ विश्वविद्यालय छात्र संघ की शुरुआत की गई। अपने उद्घाटन भाषण में भी गांधी जी ने छात्रों से विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करने और खादी अपनाने के लिए कहा। 1936 में, उन्होंने गोखले मार्ग पर एक कांग्रेसी राजनेता के घर का दौरा किया और एक पौधा लगाया जो आज भी उन्हीं की स्मृति में एक पट्टिका के साथ मौजूद है। लखनऊ की सबसे प्रतिष्ठित इमारतों में से एक फिरंगी महल से भी महात्मा गांधी का विशेष संबंध था। उस समय फिरंगी महल संस्कृति और सूफीवाद का एक लोकप्रिय केंद्र हुआ करता था। फिरंगी महल एक भव्य हवेली थी जिसे 'हवेली फिरंगी' (विदेशियों की हवेली) के नाम से भी जाना जाता था। यहां पर घोड़ों और नील का व्यापार करने वाले फ्रांसीसी व्यापारी रहते थे।
हालांकि जब फ्रांसीसियों ने इस हवेली पर कर नहीं चुकाया तो मुगल बादशाह औरंगजेब ने इस हवेली को जब्त कर लिया और इसे मुल्ला मोहम्मद असद और मुल्ला मोहम्मद सईद को सौंप दिया। पुराने लखनऊ में मौजूद फिरंगी महल में महात्मा गांधी से जुड़ी अनेकों यादें मौजूद हैं। यहां जटिल रूप से तैयार की गई 'खड़ाऊ'(लकड़ी की चप्पल) की एक जोड़ी रखी गई है,जिसे महात्मा गांधी ने मौलाना अब्दुल बारी (1878-1926) के घर में रहने के दौरान पहना था।
गांधीजी ने 1920 में शुरू हुए खिलाफत आंदोलन के दौरान, उस समय के प्रभावशाली राष्ट्रवादी और सूफी नेता मौलाना अब्दुल बारी, फिरंगी महली के अतिथि के रूप में तीन बार फिरंगी महल का दौरा किया। जिस कमरे में गांधी जी रुके थे, उसे आज भी यहां के संग्रहालय के रूप में संरक्षित किया गया है। इस दौरे के माध्यम से गांधी का उद्देश्य भारत के लोगों के बीच सौहार्द और एकजुटता को बढ़ावा देना था। यहाँ रहने के दौरान उन्होंने खिलाफत आंदोलन के लिए समर्थन जुटाया, हालांकि उनका व्यापक संदेश देश में आपसी भाईचारा बढ़ाना था।
यहां पर रहने के दौरान गांधीजी के साथ एक दिलचस्प वाकया भी घटा। चूंकि महात्मा गांधी शुद्ध शाकाहारी थे, इसलिए उनके लिए खाना बनाने हेतु लखनऊ के चौक इलाके से विशेष रूप से एक ब्राह्मण रसोइये को बुलाया गया था। इस बात का उल्लेख गांधी जी ने अपनी आत्मकथा में भी किया है। अब्दुल बारी के पोते अदनान ने एक अवसर पर खुलासा किया था कि गांधी जी फिरंगी महल की यात्रा के दौरान वह अपनी बकरी भी साथ लाए थे। एक अन्य अवसर पर उनकी पत्नी कस्तूरबा गांधी और कुछ अन्य रिश्तेदार भी उनके साथ यहां आए थे।
इन यात्राओं के दस्तावेजी साक्ष्य अभी भी फिरंगी महल में सुरक्षित हैं। खिलाफत आंदोलन के दौरान फिरंगी महल में दो तरह की विचारधाराओं वाले लोग रहते थे। यहां के कुछ मौलवी अंग्रेजों का समर्थन करते थे और उनका मानना था कि देश की प्रगति अंग्रेजों के बिना संभव ही नहीं है। हालांकि, मौलाना अब्दुल बारी की सोच इससे बिल्कुल अलग थी। उन्होंने महात्मा गांधी के आंदोलन में उनका साथ देने का फैसला किया था। इसी सिलसिले में महात्मा गांधी फिरंगी महल आते थे और स्वतंत्रता संग्राम की रणनीति पर बैठकें करते थे। लखनऊ में कई समूह महात्मा गांधी के अभियान के ख़िलाफ़ थे और उन्होंने लखनऊ आने पर उन्हें काले झंडे भी दिखाए थे।
वर्ष 1919 में मौलाना अब्दुल बारी महात्मा गांधी के खिलाफत आंदोलन का समर्थन करने के लिए सहमत हुए। इसी वर्ष मौलाना बारी ने लखनऊ में अखिल भारतीय सम्मेलन का आयोजन किया। इसके बाद अखिल भारतीय केन्द्रीय खिलाफत कमेटी की स्थापना की गई। गांधी जी के अलावा जवाहरलाल नेहरू,अब्दुल कलाम आजाद, सरोजिनी नायडू जैसे नेताओं ने भी खिलाफत और असहयोग आंदोलनों के विभिन्न पहलुओं की योजना बनाने के लिए फिरंगी महल में कई बैठकें आयोजित कीं थी।
संदर्भ
http://tinyurl.com/bdcufz74
http://tinyurl.com/44epkext
http://tinyurl.com/39nf86xb
चित्र संदर्भ
1. समूह में बैठे युवा महात्मा गांधी को संदर्भित करता एक चित्रण (Wallpaper Flare)
2. कस्तूरबा गाँधी के साथ महात्मा गाँधी को दर्शाता एक चित्रण (garystockbridge617)
3. सितंबर 1939 में वर्धा में कांग्रेस की कार्य समिति की बैठक के दौरान जवाहरलाल नेहरू और महात्मा गांधी को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. मोहनदास करमचंद गांधी और अब्दुल गफ्फार खान को संदर्भित करता एक चित्रण (needpix)
5. लखनऊ में मौजूद फिरंगी महल को दर्शाता एक चित्रण (
Wikipedia)
6. अपनी यात्रा के दौरान गांधीजी को संदर्भित करता एक चित्रण (picryl)
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