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जैसे-जैसे सर्दी तेज होती जाती है, वैसे वैसे उत्तर भारत के अधिकांश राज्यों में कोहरे की घनी चादर छा जाती है। इस बार भी दिसंबर 2023 के अंत में, भारत मौसम विज्ञान विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, दिसंबर के आखिरी सप्ताह में अधिकांश राज्यों से कम तापमान एवं घने कोहरे की सूचना प्राप्त हुई। पंजाब, हरियाणा, राजस्थान,और उत्तर प्रदेश के उत्तरी इलाकों में घने कोहरे के साथ न्यूनतम तापमान 6-9 डिग्री सेल्सियस तक दर्ज किया गया। वहीं नए साल में इसमें और अधिक गिरावट देखने को मिली। कोहरे के कारण हरियाणा, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान और मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में दृश्यता घटकर 200 मीटर तक रह गई। कुछ हिस्सों में तो इतना घना कोहरा था कि दृश्यता 50 मीटर से भी कम हो गई थी। कोहरे के कारण स्थानीय निवासियों और यात्रियों के लिए चुनौतीपूर्ण स्थितियां उत्पन्न हो गई। कोहरे का प्रभाव मुख्य रूप से यातायात पर पड़ा, जिससे कई हवाई उड़ानें और ट्रेनें रद्द हो गई या उनमें देरी हो गई।
यदि कोहरे के कारण आपको भी किसी यात्रा में कभी विलंब हुआ होगा तोआपके मन में एक प्रश्न अवश्य ही आया होगा कि यह कोहरा आखिर क्या है और यह कहाँ से और क्यों उत्पन्न हो जाता है? तो आइये आपके इन्हीं प्रश्नों के उत्तर जानते हैं अपने इस लेख में।
लोगो के जीवन को अस्त व्यस्त करने वाला कोहरा एक सामान्य मौसमी घटना है जिसके कारण दृश्यता 1 किलोमीटर से भी कम हो जाती है। वैसे तो वायु में सदैव ही थोड़ी मात्रा में जल वाष्प मौजूद रहते हैं, लेकिन जब ये जल वाष्प दिखाई देने लगते हैं तो वे दृश्यता कम कर देते हैं और इसे ही कोहरा कहा जाता है। सीधे शब्दों में कहें तो कोहरा पृथ्वी की सतह के बहुत पास छाने वाला एक बादल मात्र है। बादलों की तरह, कोहरा भी असंख्य छोटे छोटे जल वाष्प या बर्फ के क्रिस्टल से बना होता है। जब पृथ्वी की सतह के पास वायु में मौजूद जलवाष्प ठंडी हवा के कारण संघनित हो जाते हैं तो ये कोहरे का रूप ले लेते हैं। रात के दौरान तापमान में गिरावट होने पर जब भूमि का ताप विकिरण ठंडा हो जाता है तो सतह के पास की हवा ठंडी हो जाती है जिससे कोहरे का निर्माण होता है। इससे हवा में पहले से मौजूद नमी या जलवाष्प, जिसे आद्रता (humidity) के नाम से जाना जाता है, को समाहित करने की क्षमता कम हो जाती है। जब हवा जलवाष्प से संतृप्त (saturate) हो जाती है, तो पानी की बूंदें संघनित होने लगती हैं। ये पानी की बूंदें हल्की होने के कारण हवा में लटकी (suspended) रहती हैं, और कोहरे का निर्माण करती हैं।
क्या आप जानते हैं कोहरा कितने प्रकार का होता है? यकीनन मेरे इस प्रश्न को पढ़कर आप अवश्य ही आश्चर्य में पड़ गए होंगे कि क्या कोहरे के भी प्रकार होते हैं? लेकिन यकीन मानिए कि कोहरा कई प्रकार का होता है और दुनिया भर में छह अलग अलग प्रकार के कोहरे की पहचान की गई है। हालांकि भारतीय भू भाग पर आमतौर पर दो प्रकार का कोहरा पाया जाता है:
1. विकिरण (Radiation) कोहरा- रात के समय तापमान के कम होने पर भूमि की सतह के करीब जब जलवाष्प संघनित हो जाता है तो यह कोहरे का रूप ले लेता है। विकिरण कोहरा एक स्थानीय घटना है जो आमतौर पर सुबह के समय होता है और कुछ घंटों तक रहता है।
2. संवहन (Advection) कोहरा- जब आर्द्र किंतु गर्म हवा भूमि की ठंडी सतह पर बहती है तो यह ठंडी हो जाती है। ऐसा होने पर हवा नमी को अपने में समाहित नहीं रख पाती है जिससे नमी संघनित हो जाती है, जिसके परिणामस्वरूप कोहरा होता है।
उत्तर भारत में सर्दियों के मौसम में नवंबर से मध्य दिसंबर तक और फिर फरवरी में होने वाला कोहरा विकरण कोहरा होता है। जबकि मध्य दिसंबर से मध्य जनवरी तक होने वाला कोहरा संवहन और विकिरण कोहरे का मिश्रण होता है।
कोहरा पृथ्वी पर जल चक्र (water cycle) का एक अनिवार्य घटक है जो 'पृथ्वी के ऊष्मा बजट' को प्रभावित करता है। पृथ्वी का ऊष्मा बजट एक निश्चित मात्रा में सूर्यताप की प्राप्ति और स्थलीय विकिरण के माध्यम से अंतरिक्ष में पुनः ऊष्मा के निष्कर्षण द्वारा ऊष्मा के प्रवाह के माध्यम से पृथ्वी द्वारा अपने तापमान को संतुलित रखने की प्रक्रिया है। इसलिए, विभिन्न स्तरों पर कोहरे के निर्माण और विकास के विभिन्न पहलुओं का कई दशकों से बड़े पैमाने पर अध्ययन किया जा रहा है।
कोहरा अनुसंधान के अंतर्गत कोहरा जलवायु विज्ञान, कोहरा सूक्ष्मभौतिकी, कोहरे की संख्यात्मक और सांख्यिकीय मॉडलिंग, कोहरे का अनुमान और कोहरे की भविष्यवाणी आदि का अध्ययन किया जाता है। चूँकि स्थानीय कारक और जलवायु प्रक्रियाएं कोहरे को मुख्य रूप से प्रभावित करती हैं, इसीलिए अलग अलग क्षेत्रों में कोहरा अलग अलग मात्राओं में एवंअलग अलग घनत्व के साथ होता है। कोहरे की जलवायु विज्ञान के अध्ययन के अंतर्गत आम तौर पर एक या एकाधिक स्थानों से प्राप्त किए गए जलवायु आंकड़ों का विश्लेषण किया जाता है। ऐसे अध्ययनों में कोहरे की प्रकृति या प्रकार, कोहरे की अवधि और गठन, कोहरे के विकास में स्थानीय कारकों (जैसे, भूभाग, भूमि आवरण, नमी के स्रोतों से निकटता) की भूमिका की जांच, दृश्यता अवलोकन आदि का विश्लेषण किया जाता है।
ऐसे ही एक अध्ययन में 1991 से 2020 तक भारत मौसम विज्ञान विभाग द्वारा सात उत्तर भारतीय शहरों से प्राप्त आंकड़ों से दृश्यता के आधार पर करके सिन्धु-गंगा के मैदान (Indo-Gangetic Plains (IGP) में कोहरे का अध्ययन किया गया। इस अध्ययन में पाया गया कि यह मैदानी क्षेत्र दुनिया के प्रमुख कोहरे-प्रवण क्षेत्रों में से एक है।
अब प्रश्न उठता है कि संपूर्ण भारत में केवल यही क्षेत्र ऐसा क्यों है जहाँ इतना अधिक या कहा जाए कि सबसे अधिक कोहरा होता है? सर्दियों के मौसम के दौरान पूरे सिंधु-गंगा के मैदानी इलाकों में ऐसी सभी स्थितियाँ अर्थात कम तापमान, हवा की कम गति, नमी की उपलब्धता और प्रचुर मात्रा में जलवाष्प, जिनसे कोहरे का निर्माण होता है, मौजूद होती हैं। इसके अलावा पश्चिमी विक्षोभ (western disturbances) के कारण सर्दियों के महीनों में उत्तर भारत में बारिश होने के कारण नमी बढ़ जाती है जो कोहरे के निर्माण में एक प्रमुख कारण है।
संदर्भ
https://rb.gy/v7rao2
https://rb.gy/isjyhv
https://rb.gy/jtx3ms
चित्र संदर्भ
1. कोहरे में काम करती एक महिला को संदर्भित करता एक चित्रण (wallpaperflare)
2. सड़क में लगे घने कोहरे को दर्शाता एक चित्रण (Wallpaper Flare)
3. पहाड़ों में लगे घने कोहरे को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. घने कोहरे के बीच किसानों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. कोहरे में ठण्ड से कांपते लोगों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
6. सिन्धु-गंगा के मैदानी क्षेत्र को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
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