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किसी भी देश की अर्थव्यवस्था में उस देश के विभिन्न उद्योग महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। विमानन उद्योग भी एक ऐसा क्षेत्र है, जो किसी भी देश की अर्थव्यवस्था के साथ साथ वैश्विक आर्थिक विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह उद्योग न केवल राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यक्तियों, कच्चे माल, पूंजी और प्रौद्योगिकी के प्रवाह को सक्षम बनाता है बल्कि शहरों और देशों के बीच संचरण एवं परिवहन को गति प्रदान करता है। लेकिन इसके साथ ही वाणिज्यिक विमानन के क्षेत्र में कोविड-19 जैसी महामारी से लेकर जलवायु परिवर्तन तक असंख्य चुनौतियां भी हैं जिनका यह क्षेत्र पिछले कुछ वर्षों से लगातार सामना कर रहा है। आइए विमानन क्षेत्र की ऐसी ही कुछ चुनौतियों के बारे में विस्तार से जानते हैं:
1. ईंधन लागत और दक्षता:
दशकों से एयरलाइन उद्योग को प्रभावित करने वाले सबसे प्रमुख आर्थिक कारकों में से एक कारक विमानन ईंधन की उपलब्धता और लागत है। विमानन ईंधन की कीमतों में बढ़ोतरी प्रत्यक्ष रूप से विमानन कंपनियों को आर्थिक रूप से प्रभावित करती है। कोविड-19 महामारी के बाद, 2021 में, यात्रा प्रतिबंधों में ढील और वैश्विक यात्री मांग में शुरुआती सुधार के कारण विमानन ईंधन की मांग में लगभग 30% की बढ़ोतरी देखी गई। और अब रूस-यूक्रेन संघर्ष (Russia-Ukraine conflict) के कारण भी तेल की कीमतों में फिर से बढ़ोतरी दर्ज की गई है। जिसके कारण विमानों की परिचालन लागत पिछले वर्षों की तुलना में काफी अधिक बढ़ गयी है।
2. कोविड-19 महामारी के परिणाम:
विमानन उद्योग के इतिहास में अब तक की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक कोविड-19 महामारी थी, जिसका प्रभाव दुनिया के अधिकांशतः सभी देशों में यात्रा प्रतिबंध हटने के बाद भी बना रहा। ‘अंतर्राष्ट्रीय वायु परिवहन संघ’ (International Air Transport Association (IATA) की रिपोर्ट के अनुसार, महामारी के कारण यात्री यातायात में पिछले 20 वर्षों में जो बढ़त हुई थी वह एक झटके में ही समाप्त हो गई। रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि 2040 तक, हवाई यातायात अभी भी IATA के महामारी-पूर्व पूर्वानुमान से 6% कम रहेगा, जो COVID-19 संकट के दीर्घकालिक प्रभाव को उजागर करता है।
3. क्षेत्र-व्यापी बेरोजगारी:
विमानन उद्योग के लिए प्रशिक्षित पेशेवरों की कमी एक बड़ी समस्या है। IATA के अनुसार, 2020 में देखी गई महत्वपूर्ण रोजगार हानि के बाद विमानन उद्योग को अपने कार्यबल के पुनर्निर्माण के लिए भर्ती, प्रशिक्षण और आवश्यक सुरक्षा जांच जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। कुशल पेशेवरों की कमी के कारण विमानन कंपनियां यात्री मांग को पूरा करने में पूरी तरह सक्षम न होने के कारण बाधा का सामना कर रही हैं।
4. विमानन अवसंरचना:
यात्रियों की संख्या में निरंतर वृद्धि होने से हवाई अड्डे के बुनियादी ढांचे जैसे कि रनवे, होटल, टर्मिनल, खरीदारी केन्द्र और विश्राम कक्षों को लगातार उन्नत करने की आवश्यकता होती है। इसके साथ ही विमान कंपनियों को विमान कंपनी की प्रतिष्ठा बनाए रखने और प्रतिस्पर्धा में आगे रहने के लिए, विमानों को समय-समय पर उन्नत करने और रखरखाव की आवश्यकता होती है, जबकि विमान ग्राउंड हैंडलिंग प्रणाली (aircraft ground handling systems) जैसी ऑनसाइट सुविधाओं को भी नवीनीकृत करने की आवश्यकता होती है, जिसके लिए धन की अत्यधिक आवश्यकता होती है और इसका सीधा असर विमान कंपनियों के वित्त पर पड़ता है।
5. वैश्विक अर्थव्यवस्था:
क्षेत्रीय और वैश्विक अर्थव्यवस्थाएं विमानन उद्योग के विकास और वित्तीय प्रदर्शन पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकती हैं। क्योंकि उद्योग से जुड़ी कंपनियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सेवाएँ प्रदान करते समय अलग अलग देशों के नियमों एवं स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार कार्य करना होता है। चूंकि इस बात का फैसला अंतरराष्ट्रीय विमानन कंपनियां ही करती हैं कि उन्हें अपने सेवा मार्गों में किन क्षेत्रों को जोड़ना है या किन मार्गों का विस्तार करना है, इसलिए विमानन कंपनियों के लिए मौजूदा बाजार स्थितियों से अवगत होना अत्यंत आवश्यक है।
6. साइबर अपराध:
विमानन क्षेत्र में साइबर अपराध एक नए प्रकार के खतरे के रूप में उभर रहें हैं जिन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। इस क्षेत्र में साइबर अपराधों के हमले और जोखिम निरंतर बढ़ रहे हैं। यूरोकंट्रोल (Eurocontrol) द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, विमानन क्षेत्र में हर साल धोखाधड़ी वाली वेबसाइटों से लगभग 1 बिलियन यूरो का नुकसान होता है। रिपोर्ट में कहा गया है विमानन उद्योग में साइबर हमलों की घटनाओं में 2019 से 2020 तक साल-दर-साल 530% की वृद्धि हुई है, और 2020 के सभी विमानन साइबर हमलों में से 61% में विमान कंपनियों को नुकसान हुआ है। इसके अलावा, विमानन हितधारकों पर 2021 में 50 मिलियन अमेरिकी डॉलर की मांग के साथ 62 रैंसमवेयर साइबर हमले हुए। अतः साइबर अपराध विमानन क्षेत्र के लिए एक गंभीर चुनौती बन गया है।
7. जलवायु परिवर्तन:
जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण संबंधी मुद्दे निश्चित रूप से विमानन उद्योग के सामने आने वाली प्रमुख चुनौतियों में से एक हैं। चूंकि वाणिज्यिक विमानन कार्बन उत्सर्जन के एक महत्वपूर्ण प्रतिशत के लिए ज़िम्मेदार है, इसलिए इस उद्योग पर हवाई यात्रा के पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने के उपाय करने के लिए राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण दबाव बना हुआ है। इसके अलावा चरम मौसमी घटनाएँ भी उद्योग के सामने समय समय पर चुनौती पेश करती हैं।
हवाई परिवहन वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला एवं परिवहन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, विशेषकर विनिर्मित वस्तुओं के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के लिए। हालाँकि COVID-19 और रूस-यूक्रेन युद्ध जैसी परिस्थितियों से यह उद्योग बाधित तो हुआ है लेकिन फिर भी, प्राकृतिक एवं मानवीय प्रत्येक चुनौती के बावजूद इस उद्योग ने निरंतर वृद्धि की है। 2022 में उद्योग के माल व्यापार में 2021की तुलना में 3% की वृद्धि हुई। हवाई परिवहन अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का मूल्य भी 2021 में 7.5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2022 में लगभग 8.2 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया। इस बीच 2022 में हवाई यात्रा करने वाले पर्यटकों द्वारा 672 बिलियन अमेरिकी डॉलर खर्च किए गए।
IATA के एक पूर्वानुमान के अनुसार, अगले 20 वर्षों में हवाई यात्रा करने वाले वैश्विक यात्रियों की संख्या दोगुनी बढ़कर वर्ष 2036 में 7.8 बिलियन तक पहुंच जाएगी। इसलिए विमानन कंपनियों को अधिक उड़ानें प्रदान करने और बड़े विमानों का उपयोग करने की आवश्यकता होगी और इसके अलावा उद्योग को अधिक यात्रियों को समायोजित करने के लिए हवाई अड्डों के बुनियादी ढांचे में सुधार और विस्तार करने की आवश्यकता भी पड़ेगी । इन मांगों से निपटने के लिए, पूरे उद्योग को प्रतिस्पर्धी, अनुपालनशील, सुरक्षित रहते हुए विकास को समायोजित करने के लिए आवश्यक रणनीतियों और नवाचारों को लागू करना होगा।
बढ़ते विमानन उद्योग की संभावनाओं को देखते हुए और इस क्षेत्र की मांग को पूरा करने के लिए हमारा राज्य उत्तर प्रदेश भी तैयार हो रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हमारे राज्य की राजधानी लखनऊ में हाल के अपने एक बयान में बताया कि उत्तर प्रदेश देश में समृद्ध विमानन क्षेत्र की एक नई पहचान के रूप में उभरा है और राज्य में वर्तमान में तीन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे कार्यरत हैं। उन्होंने आगे बताया कि उत्तर प्रदेश में हवाई माल ढुलाई, जो 2016-2017 में 5,895 मीट्रिक टन थी, 2022-2023 में चार गुना बढ़कर 20, 813 मीट्रिक टन हो गई है। इसके अलावा 2016-2017 में हवाई यातायात 46,585 से बढ़कर 2022-2023 तक 82,615 हो गया है। वहीं हवाई यात्रियों की संख्या 2016-2017 में 59.97 लाख से बढ़कर 2022-2023 में 96.02 लाख हो गई है।
उन्होंने कहा कि राज्य में हवाई यात्रियों की बढ़ती संख्या और उनकी सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए राज्य में इस क्षेत्र के बुनियादी ढांचे के निर्माण पर ध्यान दिया जा रहा है। साथ ही मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि कुंभ से पहले प्रयागराज हवाई अड्डे की क्षमता को नागरिक/सार्वजनिक सुविधाओं के साथ विस्तारित किया जाएगा। साथ ही लाउंज की क्षमता 300 से बढ़ाकर 500 यात्री की जाएगी। इसके अलावा राज्य में हेलीकॉप्टरों की सुविधा भी बढ़ाई जाएंगी और जेवर एयरपोर्ट की बेहतर संयोजकता के लिए RRTS या लाइट मेट्रो की व्यवस्था की जाएगी। उन्होंने बताया कि गोरखपुर हवाई अड्डे के लिए सर्वेक्षण कार्य जुलाई में पूरा हो चुका है और निर्माण कार्य जल्द से जल्द शुरू होगा।
आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश में तीन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे और 17 हवाई पट्टियां हैं जबकि आठ हवाई पट्टियां भारतीय वायु सेना के अधीन हैं। राज्य सरकार द्वारा श्रावस्ती, आज़मगढ़, चित्रकूट और अलीगढ़ में किए गए सिविल कार्य पूरे हो चुके हैं और अन्य कार्य प्रगति पर हैं।
संदर्भ
https://shorturl.at/ajwFY
https://shorturl.at/afwz0
https://shorturl.at/eiqtB
चित्र संदर्भ
1. बिना सवारियों के उड़ रहे विमान को संदर्भित करता एक चित्रण (Wannapik)
2. ईंधन भराते भारतीय विमान को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
3. बहुत कम सवारियों के उड़ रहे विमान को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. अर्थव्यवस्था में उतार को संदर्भित करता एक चित्रण (MR Online)
5. साइबर अपराध को संदर्भित करता एक चित्रण (Needpix)
6. धुआं फैलाते जहाज को संदर्भित करता एक चित्रण (Wallpaper Flare)
7. हवाई अड्डे पर खड़े जहाज़ों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
8. एयर इंडिया के विमान को संदर्भित करता एक चित्रण (Needpix)
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