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सनातन धर्म का अनुसरण करने वाले प्रत्येक व्यक्ति के जीवन का सबसे बड़ा लक्ष्य मोक्ष अर्थात वैकुंठ (बैकुण्ठ) लोक की प्राप्ति करना होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कई संदर्भों में पवित्र अयोध्या नगरी वैकुण्ठ से भी श्रेष्ठ स्थान रखती है।
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, संसार में छह परम अथवा सर्वोच्च लोक मौजूद हैं:
1. गोलोक (वृंदावन)
2. नवद्वीप
3. मथुरा
4. द्वारका
5. अयोध्या
6. वैकुंठ
इन लोकों के क्रम के आधार पर यह माना जाता है कि “मनुष्य को सबसे अधिक आनंद गोलोक में मिलता है, जिसे भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी का दिव्य निवास माना जाता है।”
प्रतिष्ठित आध्यात्मिक गुरु "श्रील भक्तिसिद्धांत सरस्वती ठाकुर" जी कहते हैं कि "अयोध्या में "वैकुंठ" से अधिक आनंद मिलता है, द्वारका में अयोध्या से अधिक आनंद मिलता है, और गोलोक के निवासियों का आनंद इन सभी आनंदों में सबसे चरम आनंद होता है। यहां तक कि गोलोक में आने वाले कष्ट और संकट भी सभी प्रकार के आनंदों और खुशियों से अधिक आनंदित प्रतीत होते हैं।
गोलोक में उपलब्ध आनंद की श्रेष्ठता, भगवान चैतन्य और व्येनकट भट्ट के बीच वार्ता में भी प्रदर्शित होती है, जहां हमें पता चलता है कि नारायण की शाश्वत पत्नी लक्ष्मी भी गोलोक के रास नृत्य में प्रवेश करने के लिए उत्सुक रहती है।
इसकी पुष्टि भगवद गीता (9.6) में इन शब्दों से की गई है -
ये यथा माम् प्रपद्यन्ते तमस् तथैव भजाम्य अहम्।।
यदि कोई आत्मा भगवान श्री कृष्ण को पूजती है और उनका सेवक बनने की इच्छा रखती है तो वह द्वारका में सेवा कर सकती है। यदि कोई जीव प्रेमपूर्वक भगवान रामचन्द्र की सेवा करना चाहता है तो वह अयोध्या में सेवा कर सकता है। अयोध्या धाम, को "साकेत धाम" के नाम से भी जाना जाता है, जोकि प्रभु श्री राम और मां जानकी के सर्वोच्च व्यक्तित्व का निवास है। इसे सभी वैकुंठ धामों का स्रोत भी माना जाता है, जहां ब्रह्म अपने मूल "श्री राम" के रूप में ब्रह्मांड में मां जानकी के साथ निवास करते हैं।
शिव संहिता के एक श्लोक में अयोध्या का वर्णन कुछ इस प्रकार किया गया है:
भोग्स्थानपराऽयोध्या लीलास्थानं त्विदं भुवि ।
भोगलीलापति रामो निरकुंशविभुतिकः ॥
भोगस्थानानि यावन्ति लीलास्थानानि यानि च ।
तानि सर्व्वाणि तस्यैव पुरो व्याप्यानि सर्व्वशः ॥
भावार्थ: परा-अयोध्या भगवान राम का शाश्वत निवास है, जहां वह सदैव रहते हैं और अपनी दिव्य लीलाओं का आनंद लेते हैं। पृथ्वी पर अयोध्या, परा-अयोध्या की ही भौतिक अभिव्यक्ति है, जहां भगवान राम ने कई दिव्य लीलाएं रची। भगवान राम परा-अयोध्या और अयोध्या दोनों स्थलों के सर्वोच्च स्वामी हैं। परा-अयोध्या में जो कुछ मौजूद है वह पृथ्वी पर स्थित अयोध्या में भी मौजूद है।
शिव संहिता में एक अन्य श्लोक निम्नवत है:
ॐ याऽयोध्या सा सर्वबैकुण्ठानामेव मूलाधारा प्रकृतेः परा तत्सद् ब्रह्ममयी विरजोत्तरा दिव्यरत्नकोशाढ्या तस्या नित्यमेव श्रीसीतारामयोर्विहारस्थलमस्ति।।
भावार्थ: अयोध्या को प्रकृति से परे, सत्य स्वरूप और ब्रह्ममयी बताया गया है। अयोध्या के उत्तर में विरजा आदि नदियाँ प्रवाहित होती हैं। भगवान राम और उनकी पत्नी सीता का निवास स्थान, दिव्य रत्नों से सुशोभित कोष (मंडप) में निरंतर विद्यमान रहते हैं।
एक अन्य हिंदू ग्रंथ, वशिष्ठ संहिता में कहा गया है कि साकेत-लोक (जिसको अयोध्या का ही प्राचीन रूप माना जाता है) भौतिक ब्रह्मांड के बाहर स्थित सभी लोकों को समाहित करता है। साकेत-लोक स्वयं सत्य, चेतना और परम आनंद का एक रूप है। विष्णु और गोलोक के सभी निवास शाश्वत साकेत-लोक का हिस्सा हैं। एक अन्य हिंदू ग्रंथ, पद्म पुराण में अयोध्या को विष्णु के सर्वोच्च निवास वैकुंठ के केंद्र में स्थित बताया गया है। भगवान के भक्त और सेवक परम आनंद के अवतार भगवान विष्णु के इसी सर्वोच्च निवास में रहते हैं। इस लोक के बिल्कुल मध्य में "अयोध्या" नाम की दिव्य नगरी स्थित है, जो चारों ओर से सुंदर और भव्य संरचनाओं से सुशोभित और परिपूर्ण है। ऐसा कहा जाता है कि केवल "पवित्र आत्माएं" जो स्वयं को श्री राम के अधीन समर्पित कर देती हैं, वही केवल अयोध्या तक पहुंच सकती हैं। श्री राम के प्रति समर्पण और आस्था ही अयोध्या धाम तक पहुंचने का एकमात्र रास्ता है। अत: इसे सभी दिव्य लोकों में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। कलियुग को सभी युगों में सबसे अंधकारमय माना जाता है। हालाँकि, ऐसा माना जाता है कि कलियुग में मुक्ति पाने का सबसे आसान तरीका श्री राम का नाम जपना है। पहले के समय में ऋषि-मुनि मोक्ष प्राप्ति के लिए कठिन तपस्या करते थे, लेकिन कलियुग में यह काफी आसान है।
संदर्भ
http://tinyurl.com/m8mha3hu
http://tinyurl.com/4rawhxj3
http://tinyurl.com/mr2677tt
चित्र संदर्भ
1. श्री राम की अयोध्या वापसी और वैकुण्ठ को संदर्भित करता एक चित्रण (Flickr)
2. गायों के साथ बैठे श्री कृष्ण को संदर्भित करता एक चित्रण (DeviantArt)
3. प्रभु श्री राम के दिव्य अयोध्या में आगमन को संदर्भित करता एक चित्रण (Flickr)
4. वैकुण्ठ धाम में भगवान् विष्णु अहिल्या में परिवर्तित हो जाता है, को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
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