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समय की शुरूआत कब से हुई? विज्ञान के पास अभी तक इसका कोई सटीक उत्तर नहीं है, ऐसा माना जाता है कि ब्रह्माण्ड और समय बड़े विस्फोट से पहले अस्तित्व में थे। यदि दोनों में से कोई भी परिदृश्य सही है, तो ब्रह्मांड हमेशा से अस्तित्व में रहा है, और भले ही यह एक दिन समाप्त हो जाए, फिर भीकिसी न किसी रूप में इसका अस्तित्व बना रहेगा। महान विज्ञानी और नोबेल पुरस्कार विजेता, स्टीफन हॉकिंग (Stephen Hawking) ने अपने पीएचडी छात्र के साथ ब्रह्माण्ड के विकास से संबंधी सिद्धांत की थीसिस में बताया है कि समय की उत्पत्ति बिग बैंग (big bang) से जूड़ी है और भौतिकी (physics) के नियम बिग बैंग से पहले के नहीं हैं, बल्कि बिग बैंग के साथ उत्पन्न हुए थे। इनके कार्य में मुख्यत: यह दर्शाया गया है कि भौतिकी के नियम समय के साथ विकसित होते हैं, ब्रह्मांड का पहला क्षण और ब्रह्मांड के जन्म के पैमाने पारलौकिक और अपरिवर्तनीय नहीं हैं जैसा कि न्यूटन (Newton) और आइंस्टीन (Einstein) के सिद्धांतों में माना जाता है। समय बिग बैंग से शुरू होता है और ब्लैक होल (black hole) में विलुप्त हो जाता है। बिग बैंग का क्वांटम (quantum) सिद्धांत ब्लैक होल के क्वांटम ब्रह्माण्ड संबंधी सिद्धांत से निकटता से संबंधित है, जो भौतिकी में हॉकिंग का मुख्य योगदान है।
प्राचीन यूनानियों ने समय की उत्पत्ति पर जमकर बहस की है। प्राचीन यूनानी दार्शनिक अरस्तू का मानना है कि कहीं से भी शुरूआत नहीं हुई है, शून्य से सबकुछ आता है। यदि ब्रह्माण्ड शून्य है तो इसका कुछ नहीं हो सकता, अत: इसका अस्तित्व सदैव बना रहना चाहिए। इस प्रकार समय अतीत और भविष्य में अनंत काल तक चलता रहेगा। ईसाई धर्मशास्त्री विपरीत दृष्टिकोण अपनाने की प्रवृत्ति रखते थे। महान इसाई दार्शनिक ऑगस्टीन ने तर्क दिया कि ईश्वर अंतरिक्ष और समय से ऊपर मौजूद है, वह इन संरचनाओं को उतनी ही दृढ़ता से अस्तित्व में लाने में सक्षम है जितनी वह हमारी दुनिया के अन्य पहलुओं को बना सकता है। जब पूछा गया, दुनिया बनाने से पहले भगवान क्या कर रहे थे? ऑगस्टीन ने उत्तर दिया, समय स्वयं ईश्वर की रचना का हिस्सा है, पहले ऐसा नहीं था!
खगोलविदों ने 1920 के दशक में पुष्टि की थी कि हमारा ब्रह्मांड वर्तमान में विस्तारित हो रहा है: दूर की आकाशगंगाएँ (galaxies) एक दूसरे से अलग हो रही हैं। भौतिक विज्ञानी स्टीफन डब्ल्यू. हॉकिंग और रोजर पेनरोज़ ने 1960 के दशक में साबित किया कि समय अनिश्चित काल तक आगे नहीं बढ़ सकता। जैसे-जैसे आप ब्रह्मांडीय इतिहास के समय को पीछे की ओर देखते हैं, उस समय सभी आकाशगंगाएँ एक ही अतिसूक्ष्म बिंदु पर एकत्रित थीं, जिसे अद्भुत वस्तु के रूप में जाना जाता है - मानो वे एक ब्लैक होल में उतर रही हों। प्रत्येक आकाशगंगा या उसके पूर्ववर्ती को शून्य आकार तक संकुचित हो जाता है। घनत्व, तापमान और अंतरिक्ष-समय वक्रता जैसी मात्राएँ अनंत हो जाती हैं। विलक्षणता (eccentricity) परम प्रलय है, जिसके आगे हमारी ब्रह्मांडीय वंशावली आगे नहीं बढ़ सकती। समय की शुरूआत की सटीक जानकारी आज भी एक रहस्य है। वर्तमान समय में हम अपने समय की माप के लिए ग्रेगोरियन कैलेंडर का अनुसरण करते हैं।
ग्रेगोरियन कैलेंडर (Gregorian calendar) दुनिया के अधिकांश हिस्सों में इस्तेमाल किया जाने वाला कैलेंडर है। यह अक्टूबर 1582 में पोप ग्रेगरी XIII द्वारा जारी किए गए पोप बुल इंटर ग्रेविसिमस (papal bull Inter gravissimas ) के बाद अस्तित्व में आया, जिसने इसे जूलियन कैलेंडर के संशोधन और प्रतिस्थापन के रूप में पेश किया। ग्रेगोरियन कैलेंडर (Gregorian Calendar) के हिसाब से साल में 365 दिन होते हैं, और हर 4 साल बाद लीप ईयर (Leap Year) आता है जिसमें 365 की बजाय 366 दिन हो जाते हैं । अतिरिक्त दिन को फरवरी के महीने में जोड़ा जाता है, और हर चार साल बाद फरवरी का महीना, 28 दिनों की बजाय 29 दिनों का हो जाता है। कभी सोचा है आपने कि आखिर हर 4 साल बाद लीप ईयर क्यों आता है और क्यों ये अतिरिक्त दिन फरवरी के महीने में ही जोड़ा गया? आइए आपको बताते हैं इस बारे में।
पृथ्वी सूर्य का चक्कर ठीक 365 दिन में पूरा नहीं करती हैं । पृथ्वी द्वारा सूर्य का एक चक्कर लगाने में 365 दिन 5 घंटे 48 मिनट 47.5 सेकंड का समय लगता हैं। 5 घंटे 48 मिनट 47.5 सेकंड लगभग 6 घंटे के करीब होता है। मतलब की प्रत्येक वर्ष 6 घंटे अतरिक्त जुड़ते रहते है। ये 6 घंटे 4 साल में 24 घंटे के बराबर हो जाते हैं। हम सब जानते ही है कि 24 घंटे 1 दिन के बराबर होता है ।
अतः हम मानते है कि 4 वर्ष में 1 दिन अतिरिक्त जुड़ जाता हैं। अतः यही कारण हैं कि हम प्रत्येक 4 वर्ष में एक दिन फरवरी में अतिरिक्त जोड़कर मतलब की लीप वर्ष के द्वारा कैलेंडर को संतुलित करते हैं। पृथ्वी द्वारा 365 दिन 5 घंटे 48 मिनट 47.5 सेकंड में सूर्य का एक चक्कर पूरा किया जाता है । अतः यह एक सौर वर्ष के बराबर होता है। लीप ईयर, ऐसा वर्ष होता है जिसमें एक दिन या एक माह (जैसा कि चन्द्र-सौर वर्ष में) अधिक हो जाता है। इसका उद्देश्य कलेण्डर या पंचांग के वर्ष को खगोलीय वर्ष के साथ मिलाकर रखना होता है। कलेण्डर या पंचांग वर्ष में पूरे दिन ही हो सकते है लेकिन खगोलीय घटनाओं को लगने वाला समय पूरे पूरे दिनों में विभाजित नहीं हो पाता है। अगर लीप ईयर नहीं रखा जाए तो वार्षिक प्राकृतिक घटनाएँ (जैसे मौसम) पंचांग या कलेण्डर के सापेक्ष धीरे-धीरे अलग समय पर होने लगेंगी। लीप ईयर में एक दिन या महीना जोड़कर सामाजिक पंचांग और प्राकृतिक घटना के बीच समय का तारतम्य बना रहता है। जो वर्ष अधिवर्ष नहीं होते उनको सामान्य वर्ष कहा जाता है। अधिवर्ष में जो दिन बढ़ाया जाता है उसे अधिदिन (leap day ) कहते हैं। अधिवर्ष में जो माह बढ़ाया जाता है उसे अधिमास कहते हैं। ग्रेगोरियन कैलेंडर में अधिवर्ष 366 दिन का होता है जबकि सामान्य वर्ष 365 दिन का होता है। हिब्रू कैलेंडर (Hebrew calendar) में करीब 19 वर्षों में 13 बार एक चान्द्रमास बढ़ाया जाता है। हिन्दू पंचांग में करीब 32 महीनों (चन्द्रमास)में एक माह बढ़ा दिया जाता है।
जूलियन गणना के अनुसार, सौर वर्ष में 365 1/4 दिन होते थे, और हर चार साल में एक "लीप डे" (leap day) के अंतराल का उद्देश्य कैलेंडर और ऋतुओं के बीच सामान्जस्य बनाए रखना था। माप में थोड़ी सी अशुद्धि (सौर वर्ष जिसमें अधिक सटीक रूप से 365 दिन, 5 घंटे, 48 मिनट, 45.25 सेकंड शामिल हैं) के कारण ऋतुओं की कैलेंडर तिथियां प्रति शताब्दी लगभग एक दिन पीछे चली गईं।
यद्यपि पोप ग्रेगरी के समय तक यह अंतर 14 दिनों का हो गया था, उन्होंने अपने सुधार को वसंत विषुव की शुरूआत पर आधारित किया, फिर 11 मार्च से 21 मार्च तक, यह तिथि 325 सीई में हुई, जो निकिया की पहली परिषद का समय था , न कि ईसा मसीह के जन्म के समय विषुव की तारीख, जो कि 25 मार्च को पड़ा था। 4 अक्टूबर 1582 के 10 दिन बाद कैलेंडर को आगे बढ़ाकर परिवर्तित किया गया था।
ग्रेगोरियन कैलेंडर जूलियन से केवल इस मायने में भिन्न है कि कोई भी शताब्दी वर्ष तब तक लीप वर्ष नहीं होता जब तक कि वह 400 (उदाहरण के लिए, 1600 और 2000) से विभाज्य न हो। एक वर्ष के भीतर, परिवर्तन को इतालवी राज्यों (Italian states), पुर्तगाल (Portugal), स्पेन (Spain) और रोमन कैथोलिक जर्मन (Roman Catholic Germany) राज्यों द्वारा अपनाया गया था। धीरे-धीरे, अन्य देशों : 1699 में प्रोटेस्टेंट जर्मन राज्यों, 1752 में ग्रेट ब्रिटेन (great Britain) और उसके उपनिवेश, 1753 में स्वीडन (Sweden), 1873 में जापान (Japan), 1912 में चीन (China), 1918 में सोवियत समाजवादी गणराज्य और 1923 में ग्रीस (Greece) ने ग्रेगोरियन कैलेंडर को अपनाया। इस्लामी देश धर्मनिरपेक्ष जीवन के लिए ग्रेगोरियन कैलेंडर का उपयोग करते हैं लेकिन धार्मिक उद्देश्यों के लिए इस्लाम पर आधारित कैलेंडर का उपयोग करते हैं।
संदर्भ
https://rb.gy/kj9exu
https://rb.gy/41kgoy
https://rb.gy/pvw67g
https://rb.gy/4deolu
चित्र संदर्भ
1. बिग बैंग को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia, Openclipart)
2. ब्रह्मांड के इतिहास के योजनाबद्ध आरेख को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. ब्रह्माण्ड के विस्तार को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. पृथ्वी के घूर्णन को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. ग्रेगोरियन कैलेंडर को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
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