लखनऊ शहर और जल की व्यवस्था

नदियाँ
28-02-2018 12:22 PM
लखनऊ शहर और जल की व्यवस्था

जल मात्र एक शब्द नहीं है परन्तु यह जीवन का प्रमुख स्रोत है, जल के कारण ही पृथ्वी पर आज से करोड़ों साल पहले जीवन सम्भव हो पाया था। जल की उपलब्धता ही विश्व भर के प्रमुख शहरों व संस्कृतियों के जन्म की कुँजी थी। नील नदी के किनारे इजिप्शियन संस्कृति, सिंधु नदी के किनारे हड़प्पा या सिंधु संस्कृति आदि। दुनिया भर के कितने ही महान व बड़े शहर भी नदियों या जलाशयों के किनारे ही बसे हैं जैसे बनारस, लंदन आदि। शहरों का नदियों के किनारे बसे होने का प्रमुख कारण था जल की उपलब्धता, बेहतर कृषी, यातायात की सुलभता आदि। परन्तु वर्तमान समयकाल में नदियों व जलाशयों की पूरी परिभाषा ही बदल चुकी है। ये मात्र विभिन्न उद्योगों से निकले रसायनों या मानव द्वारा त्याग किये हुये विष्ठा के लिये प्रयोग में लायी जाती हैं। वर्तमान में मात्र भारत ही नहीं अपितु पूरा विश्व इस समस्या से जूझ रहा है और ऊपर से ग्लोबल वार्मिंग व मौसमों में आये तीव्र बदलावों ने इस समस्या को और भी हवा दे दी है या यूँ कहें कि आग में घी का कार्य किया है।

भारत भर के तमाम बड़े शहरों का जीवनयापन या जलापूर्ती नदियों के जल से होती है जैसे कि दिल्ली का गंगा व यमुना के जल से। लखनऊ गंगा मैदान की ऊपजाऊ जमीन पर बसा हुआ एक वृहद शहर है जिसे दो प्रमुख नदियों का जल मिलता है, 1- गोमती 2- सई। लखनऊ जिले की जलवायु तीन उप-मौसमों के साथ उपोष्णकटिबंधीय प्रकार की है अर्थात ग्रीष्म, मानसून और सर्दी। सर्दी आमतौर पर नवम्बर महीने के आरंभ में होती है और फरवरी तक रहती है, गर्मियाँ अप्रैल से लेकर जून के मध्य तक और मानसून की शुरुआत जून अंत से जो कि सितंबर / अक्टूबर तक चली जाती है। लखनऊ शहर में, गोमती नदी पीने के पानी का मुख्य स्रोत है, लेकिन अब 70% पानी की आपूर्ति के लिये नगरपालिका जमीन पर निर्भर है तथा ट्यूबवेलों पर ज्यादा आश्रित है।

यदि जल संस्थान के आँकड़ों की बात की जाये तो एक साफ तस्वीर निखर कर सामने आती है। सन् 1985 में लखनऊ जल संस्थान द्वारा 70 ट्यबवेल पूरे लखनऊ शहर में चलाये जाते थे जिनकी वर्तमान में संख्या 672 हो चुकी है। यदि वृद्धी दर की बात करें तो यह 9.5 गुना ज्यादा वृद्धि है। अब इसके अलावा यदि अन्य सभी भूमिजल दोहन के आँकड़ों को देखें तो लखनऊ में 8,000 से ज्यादा नलकूप लगे हैं, छोटे ट्यूबवेल की संख्या 300 है, सरकारी व गैरसरकारी ट्यूबवेलों की संख्या 400 से ज्यादा है, निजी कॉलोनी, व बहुमंजिला इमारतों में ट्यबवेलों की संख्या 550 से ज्यादा है तथा जल निगम के पास घरेलू ट्यूबवेल का कोई आँकड़ा ही नहीं है। इन समस्त आँकड़ों को देखकर यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि यहाँ पर किस प्रकार से भूमिगत जल का दोहन किया जा रहा है। लखनऊ में यदि जलस्तर की बात की जाये तो 1970 के दौरान किये गये जल अन्वेशण से यह साफ हुआ था कि लखनऊ का जलस्तर 10 मीटर या उससे कम था। परन्तु कुछ स्थानों पर वर्तमान आँकड़े अत्यन्त चौंका देने वाले हैं। अब यहाँ का जलस्तर 20 मीटर तक पहुँच चुका है तथा कई स्थानों पर जलस्तर 30 मीटर से भी नीचे हो चुका है जैसे लालबाग, कैंट, इंदिरा नगर, आलमबाग, जेलरोड आदि। लखनऊ में भूगर्भ जल के लिये निर्भरता ज्यादातर भूमिगत जल पर है तथा मात्र 30 प्रतिशत की निर्भरता गोमती के जल पर है।

भारत के कई शहर हैं जो अगले कुछ दशक में जल की अखण्ड विपदा से ग्रस्त हो सकते है तथा जल संकट से बचने के विकल्पों पर ध्यान देने की आवश्यकता है जिसमें ट्रीटमेंट प्लांट, नालों की व्यवस्था, जल का उचित उपयोग व अन्य जल बचाने की आधुनिक तकनीकों पर कार्य करने की आवश्यकता है।

1. जियोग्रॉफी ऑफ वाटर रिसोर्सेज़, आर.के. गुर्जर, बी.सी.जाट
2. http://cgwb.gov.in/District_Profile/UP/Lucknow.pdf
3. http://upgwd.gov.in/MediaGallery/Lucknowcity.pdf
4. http://www.iosrjournals.org/iosr-jac/papers/vol2-issue4/G0243740.pdf

पिछला / Previous अगला / Next

Definitions of the Post Viewership Metrics

A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.

B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.

C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.

D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.