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भारतीय मस्जिदें धार्मिक स्थल होने के साथ-साथ वास्तुकला शिल्प का चमत्कार भी मानी जाती हैं! इन मस्जिदों में हिंदू वास्तुशिल्प की झलकियां भी दिखाई देती हैं! स्थापत्य शैली के सम्मिश्रण के प्रयासों के परिणामस्वरूप गुजरात में 14वीं शताब्दी की कुछ अनोखी मस्जिदों का निर्माण हुआ। इस समय गुजरात में मुजफ्फर शाह का शासन चलता था। गुजरात अपने कुशल बिल्डरों और समृद्ध वास्तुशिल्प संसाधनों के लिए जाना जाता था।
मुसलमानों ने इमारतों में अपनी स्थापत्य शैली थोपने के बजाय, इसे मौजूदा हिंदू शैली के साथ मिश्रित करने का विकल्प चुना। उदाहरण के लिए, 1325 के आसपास बनी कैम्बे की जामी मस्जिद में बना एक प्रवेश द्वार, 300 साल पहले बने मुढेरा के सूर्य-मंदिर जैसा दिखता है। इसी तरह, अहमदाबाद के पास ढोलका में हिलाल खान काज़ी की मस्जिद और ताका या टांका मस्जिद, दोनों शैलियों के इस मिश्रण को दिखाती हैं। क्रमशः 1333 और 1361 के आसपास निर्मित, इन मस्जिदों के प्रवेश द्वार, छत और स्तंभ भी हिंदू शैली के सामान ही हैं। इससे पता चलता है कि उस युग के दौरान विभिन्न स्थापत्य परंपराओं को कैसे सामंजस्यपूर्ण रूप से मिश्रित किया गया था।
चलिए अब एक नजर 14वीं शताब्दी में निर्मित अन्य मस्जिदों पर डालते हैं!
करीम-उद-दीन की मस्जिद: करीम-उद-दीन की मस्जिद बीजापुर, कर्नाटक में आनंद महल से लगभग 320 मीटर दक्षिण पश्चिम में एक दिलचस्प संरचना है। यह एक पुराने, टूटे-फूटे हिंदू मंदिर जैसी दिखाई देती है। आसपास की दीवार को छोड़कर पूरी इमारत, पुराने हिंदू मंदिरों के स्तंभों, बीमों और स्लैबों से बनी है। प्रवेश द्वार भी वास्तव में एक हिंदू मंदिर का हिस्सा है, लेकिन अब इसकी छत गायब है।
यह बीजापुर में सबसे पुरानी संरचना है, जिसे 1320 ई. में करीम-उद-दीन के आदेश के तहत सालोटगी के रेवाया नामक वास्तुकार द्वारा बनाया गया था। मस्जिद एक आयताकार घेरे के समान है जिसके सामने एक सुंदर बरामदा है। वास्तुकला शैली, दक्कन की सबसे पुरानी हिंदू इमारतों के समान है, जिसमें छत पर बड़े ग्रेनाइट स्लैब (granite slab) हैं। विशेषज्ञों के अनुसार इस इमारत का निर्माण एक या अधिक हिंदू मंदिरों से ली गई विभिन्न सामग्रियों से किया गया था। ऐसा माना जाता है कि यह मूल रूप से एक हिंदू कॉलेज (अग्रहारा) था, जिसे मलिक काफूर के आदेश पर एक मस्जिद में बदल दिया गया था। पिछली दीवार में मिहराब के चारों ओर पवित्र कुरान के के कलमे उकेरे गए हैं।
जामी मस्जिद: जामी मस्जिद भारत के गुजरात के खंबात में स्थित है। इसका निर्माण 1325 में हुआ था और यह गुजरात के सबसे पुराने इस्लामी स्मारकों में से एक है। मस्जिद के अंदर एक खुला प्रांगण है, जो 100 स्तंभों पर टिका हुआ है। इसका निर्माण हिंदू और जैन मंदिरों के अवशेषों से किया गया था। इबादद कक्ष को कई खंडों में विभाजित किया गया है, जिनमें से प्रत्येक एक अद्वितीय निचले गुंबद से ढका हुआ है। ये गुंबद अलग-अलग हैं और मिहराब के शीर्ष पर स्थित गुंबदों के समान नहीं हैं।
खुतबा पेरिया पल्ली: खुतबा पेरिया पल्ली मस्जिद तमिलनाडु के एक शहर कयालपट्टिनम में स्थित है। इसका निर्माण 842 ई. में मुहम्मद खिलजी ने करवाया था और इसका इस्लामी इतिहास 1000 वर्ष से अधिक पुराना है। मस्जिद का पुनर्निर्माण 1336 में सुल्तान सैय्यद जमालुद्दीन ने किया था। यह मस्जिद, दर्शाती है कि कैसे द्रविड़ वास्तुकला ने इस्लामी वास्तुकला को प्रभावित किया। इसे विशेष नाम "अयिरंगल थून पल्ली" से भी जाना जाता है। मस्जिद के बगल में एक बड़ा कब्रिस्तान है।
अदीना मस्जिद: अदीना मस्जिद पश्चिम बंगाल के मालदा जिले में स्थित एक पुरानी मस्जिद है। यह भारतीय उपमहाद्वीप की सबसे बड़ी मस्जिद थी। इसे बंगाल सल्तनत काल के शासक सिकंदर शाह ने बनवाया था और उन्हें भी वहीं दफनाया गया है। मस्जिद का बड़ा डिज़ाइन उमय्यद मस्जिद की शैली के समान है, जो तब लोकप्रिय थी जब इस्लाम नए क्षेत्रों में फैल रहा था। अदीना मस्जिद का निर्माण 1373 में इस्लाम से पहले मौजूद हिंदू और बौद्ध संरचनाओं से अतिरिक्त सामग्री का उपयोग करके किया गया था। अदीना मस्जिद पश्चिम बंगाल में राष्ट्रीय महत्व के स्मारकों की सूची (क्रमांक एन-डब्ल्यूबी-81 (N-WB-81) में है और आज यह भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा संरक्षित है।
जामिया मस्जिद: जामिया मस्जिद कर्नाटक के गुलबर्गा में एक मस्जिद है। बहमनी सुल्तान मोहम्मद शाह ने वारंगल के कपाया नायक पर अपनी जीत के बाद इसे बनवाया था। मस्जिद को दक्षिण एशियाई मस्जिद वास्तुकला का एक शीर्ष उदाहरण माना जाता है। इसके मेहराबों का डिज़ाइन हैदराबाद में स्पेनिश मस्जिद में परिलक्षित होता है। ये दोनों भारत की एकमात्र मस्जिदें हैं जिनकी आंतरिक सज्जा स्पेन के ग्रेट कैथेड्रल-मस्जिद ऑफ कॉर्डोबा से मिलती जुलती है।
2014 में, यूनेस्को ने इस परिसर को विश्व धरोहर स्थल का दर्जा देने के लिए अपनी "अस्थायी सूची" में शामिल किया।
बेगमपुर की जामी मस्जिद: बेगमपुर की जामी मस्जिद को मोहम्मद बिन तुगलक ने बनवाया था। यह मंगोलों के खतरे का मुकाबला करने के लिए बनाई गई थी और इसे "विश्व की शरणस्थली" के रूप में भी जाना जाता है। बेगमपुर मस्जिद को पहली भारतीय "ब्रहत्मुखी" मस्जिद के रूप में मान्यता प्राप्त है। इस मस्जिद के मुख्य भाग पर एक बड़ा केंद्रीय मेहराब है, जो 24 अन्य मेहराबों से घिरा हुआ है, और विशाल पतले तोरण-मीनार से घिरा हुआ है।
गोरीपालयम मस्जिद: गोरीपालयम मस्जिद, मदुरै शहर के एक हिस्से, गोरीपालयम में स्थित, एक बड़ी मस्जिद है! इस मस्जिद में दो कब्रें हैं। ये कब्रें यमन के सुल्तान खाजा सैयद सुल्तान अलाउद्दीन बदुशा रज़ी और खाजा सैयद सुल्तान शम्सुद्दीन की हैं, जो मदुरै सल्तनत का हिस्सा थे। मस्जिद में खाजा सैयद सुल्तान हबीबुद्दीन रज़ी, जिन्हें ग़ैबी सुल्तान के नाम से भी जाना जाता है, की एक अनदेखी कब्र भी है, जो इस्लाम का प्रचार करने के लिए भारत आए थे। मस्जिद का गुंबद, जिसका व्यास 70 फीट और ऊंचाई 20 फीट है, अज़गा पहाड़ियों से लाए गए एक ही पत्थर के खंड से बनाया गया है। ऐसा माना जाता है कि मस्जिद का निर्माण तिरुमलाई नायक ने अपने मुस्लिम अनुयायियों के लिए कराया था।
कलां मस्जिद: कलां मस्जिद शाहजहानाबाद में स्थित एक प्राचीन मस्जिद है। यह एक संकरी गली में मौजूद है और ऊंची इमारतों से घिरी हुई है। अन्य मस्जिदों की तरह इसमें मीनारें नहीं हैं। यह तुगलक वंश की मस्जिदों की एक विशेषता है, जिसमें उथले गुंबद भी होते हैं। मस्जिद का डिज़ाइन जुनान शाह मकबूल द्वारा किया गया था, जिन्हें तुगलक युग के एक मास्टर वास्तुकार, खान-ए-जहाँ के नाम से भी जाना जाता है। उनका नाम 1920 के दशक तक मस्जिद के द्वार पर अंकित था।
कलां मस्जिद ऊंची जमीन पर बनी है और इसे एक समय पुरानी दिल्ली की सबसे प्रमुख संरचनाओं में से एक माना जाता था। मीनारें न होने के बावजूद, पुरानी तस्वीरों में यह आसमान के सामने ऊंची दिखाई देती है। आज इसकी सबसे उल्लेखनीय विशेषता दो स्तंभों के बीच का हरा द्वार है। पूरी मस्जिद को हरे और सफेद रंग से रंगा गया है, जिससे इसे 14वीं सदी की संरचना के रूप में पहचानना मुश्किल हो जाता है।
खिड़की मस्जिद: खिड़की मस्जिद दक्षिण दिल्ली के खिड़की गांव में सात मेहराबदार पुल, जिसे सतपुला कहा जाता है, के पास स्थित है। मस्जिद का निर्माण खान-ए-जहाँ जुनान शाह द्वारा किया गया था, जो 1351 से 1388 तक फ़िरोज़ शाह तुगलक के प्रधान मंत्री थे। वह तुगलक राजवंश का हिस्सा थे।
जामा मस्जिद: जामा मस्जिद श्रीनगर में स्थित है। यह पुराने शहर में नौहट्टा में स्थित है। सुल्तान सिकंदर ने 1394 ई. में मस्जिद के निर्माण का आदेश दिया और यह 1402 ई. में बनकर तैयार हुई। मस्जिद का निर्माण मीर मोहम्मद हमदानी के अनुरोध पर किया गया था, जो मीर सैय्यद अली हमदानी के पुत्र हैं। यह डाउनटाउन क्षेत्र में है, जो श्रीनगर में धार्मिक और राजनीतिक जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
संदर्भ
http://tinyurl.com/2aywksfe
http://tinyurl.com/2btb8ztv
http://tinyurl.com/y5736ex9
http://tinyurl.com/7cfn8b49
http://tinyurl.com/23put3x8
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http://tinyurl.com/muy74p9n
http://tinyurl.com/yaa3ufv5
http://tinyurl.com/3veerz95
http://tinyurl.com/hb7c9b46
http://tinyurl.com/49puaxsu
चित्र संदर्भ
1. गुजरात के खंबात में स्थित जामी मस्जिद को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. करीम-उद-दीन की मस्जिद को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. जामी मस्जिद (गुजरात) को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. खुतबा पेरिया पल्ली को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. अदीना मस्जिद को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
6. जामिया मस्जिद को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
7. बेगमपुर की जामी मस्जिद को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
8. गोरीपालयम मस्जिद, मदुरै को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
9. कलां मस्जिद शाहजहानाबाद को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
10. खिड़की मस्जिद को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
11. जामा मस्जिद श्रीनगर को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
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