भैंस की नस्ल मुर्रा का पालन क्यों है महत्वपूर्ण, लखनऊ में क्या है इनकी स्थिती?

शारीरिक
11-12-2023 09:46 AM
Post Viewership from Post Date to 11- Jan-2024 (31st Day)
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
2044 256 2300
भैंस की नस्ल मुर्रा का पालन क्यों है महत्वपूर्ण, लखनऊ में क्या है इनकी स्थिती?

क्या आप जानते हैं कि, हमारा देश भारत, विश्व के किसी भी देश की तुलना में, भैंसों की सबसे बड़ी आबादी, उनकी नस्लों की सबसे बड़ी संख्या एवं दुनिया की सबसे अच्छी भैंस की नस्ल– मुर्रा, के मामले में प्राथमिक वैश्विक दर्जा रखता है। ‘मुर्रा भैंस’, जल भैंस या वैज्ञानिक तौर पर, बुबलस बुबलिस(Bubalus bubalis) की एक नस्ल है, जिसे मुख्य रूप से दूध उत्पादन हेतु पाला जाता है। भारतीय भैंसों की नस्लों में, मुर्रा भैंस सबसे अधिक दूध देने वाली नस्ल मानी जाती है। यह भैंस हमारे देश भारत के उत्तरी क्षेत्र– पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब की मूल प्रजाति है। यहां, इसे भिवानी, आगरा, हिसार, रोहतक, जिंद, झज्जर, फतेहाबाद, गुड़गांव जिलों तथा दिल्ली के राजधानी क्षेत्र में पाला जाता है। साथ ही, इसका उपयोग मलेशिया(Malaysia), विएतनाम(Vietnam), श्रीलंका, इटली(Italy), बुल्गारिया(Bulgaria) और मिस्र(Egypt) जैसे अन्य देशों में भी, डेयरी भैंसों के दूध उत्पादन में सुधार के लिए किया गया है। जबकि, ब्राजील(Brazil) में भैंस की इस नस्ल का उपयोग, मांस और दूध के उत्पादन के लिए किया जाता है। इस नस्ल की दूध उपज 1,003 से 2,057 किलोग्राम प्रति स्तनपान के बीच है। अर्थात, 310 दिनों की स्तनपान अवधि में, मुर्रा भैंस औसतन 2,200 लीटर दूध का उत्पादन करती है। इनके दूध में, 6.9 से 8.3 प्रतिशत वसा होता है। पंजाब के लक्ष्मी डेयरी फार्म में, एक मुर्रा भैंस ने 2016 में आयोजित, राष्ट्रीय पशुधन प्रतियोगिता और एक्सपो(Expo) में, 26.335 किलोग्राम दूध का रिकॉर्ड बनाया था।
मुर्रा नस्ल को “दिल्ली”, “कुंडी” और “काली” के नाम से भी जाना जाता है। इन भैंसों का रंग गहरा काला होता है, और कुछ भैंसों के मुख या पैरों पर सफेद निशान होते हैं। मादा भैंसों की आंखें काली, सक्रिय और उभरी हुई होती हैं, जबकि, नरों की आंखें थोड़ी सिकुड़ी हुई होती हैं। मादा भैंसों की गर्दन लंबी और पतली होती है, और नरों की गर्दन मोटी और भारी होती है। इसके अलावा, मुर्रा भैंस के कान छोटे, पतले और सतर्क होते हैं। उनके सींग आमतौर पर, छोटे और घुमावदार होते हैं। साथ ही, नर भैंस का वजन लगभग 550 किलोग्राम और मादा भैंसों का वजन लगभग 450 किलोग्राम होता है। इन भैंसों को मिश्रित प्रकार के आवास में पाला जाता है, जिसमें मौसम की चरम स्थितियों के दौरान बाड़े या गोशाला की व्यवस्था की जाती है। इन्हें आमतौर पर, उपलब्ध मौसमी हरा चारा खिलाया जाता है। रबी मौसम में बरसीम, जई और सरसों का हरा चारा और ख़रीफ़ मौसम में बाजरा, ज्वार और क्लस्टर बीन(Cluster beans) आदि चारा इन्हें खिलाया जाता हैं। जबकि, अन्य मौसम में मुर्रा भैंसों को खली और अन्य उत्पादों के साथ, गेहूं और दाल का भूसा भी खिलाया जाता है। डेयरी पशुओं के रूप में, मुर्रा भैंसों की लोकप्रियता में वृद्धि के साथ, देश के विभिन्न हिस्सों में किसानों ने दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए या तो मुर्रा भैंसों को पालना शुरू कर दिया या अपनी स्थानीय भैंसों को मुर्रा नर से प्रजनन कराया। इसके परिणामस्वरूप, पूरे देश और विदेश में आनुवंशिक रूप से बेहतर मुर्रा नर भैंस की भारी मांग बढ़ गई है।
न केवल भारत, अपितु, सुमात्रा(Sumatra) में केर्बन-बानलेंग(Kerban-banleng), मलेशिया में केर्बन-शुंगेई(Kerban-shungei) या कर्बन-सापी(Karban-sapi) जैसे कई नामों से प्रसिद्ध, मुर्रा भैंस वास्तव में एक वैश्विक नस्ल है। क्योंकि, इसे कई देशों में पेश किया गया है, और विभिन्न प्रकार से उन्नत नस्ल बनाने हेतु, इसका उपयोग किया जाता है।
भारत में गौहत्या पर प्रतिबंध के कारण, भैंस एक महत्वपूर्ण मांस पशु भी बनी हुई है। अपनी मज़बूती और भार खींचने की शक्ति के लिए जाने जाने वाले, मुर्रा नर का उपयोग भार और मांस के प्रयोजनों के लिए बड़े पैमाने पर किया जाता है। बहुत कम किसान नर मुर्रा भैंसों को विशेष रूप से, प्रजनन उद्देश्यों के लिए पालते हैं, अन्यथा नरों का उपयोग, प्रजनन और भारवाहक दोनों उद्देश्यों के लिए किया जाता है। इसके अलावा, भैंस खराब गुणवत्ता वाले मोटे चारे का बेहतर उपयोग कर सकती है, और कम प्रबंधन और प्रतिकूल परिस्थितियों में भी, अच्छी तरह से रह सकती है। अतः इसके विविध योगदानों को देखते हुए, मुर्रा को “काला सोना” के नाम से भी जाना जाता है। हरियाणा राज्य, लंबे समय से हमारे देश में मुर्रा भैंसों के व्यापार के लिए, प्रमुख रहा है। राज्य में लगभग 25 लाख वयस्क मादा भैंसें हैं। हरियाणा सरकार ने गुणवत्तापूर्ण प्रजनन सेवाएं प्रदान करने के मुख्य उद्देश्य के साथ, हाल ही में, हरियाणा पशुधन विकास बोर्ड की स्थापना की है। उच्च गुणवत्ता वाले जमे हुए वीर्य का उत्पादन करने हेतु, आवश्यक अत्याधुनिक सुविधाओं के साथ तीन स्थानों अर्थात् हिसार, गुड़गांव और जगाधरी में वीर्य उत्पादन शुरू किया गया है। तथा, क्षेत्रीय परिस्थितियों में अधिक उत्पादन वाली भैंसों की पहचान की जा रही है।
दूसरी ओर, निम्नलिखित कुछ अन्य संस्थानों में मुर्रा नस्ल को बढ़ाने और प्रसारित करने के लिए, अनुसंधान कार्यक्रम चल रहे हैं:
१.हिसार में स्थित, केंद्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान, मुर्रा भैंस की नस्ल में सुधार करने और मादाओं में निषेचन हेतु, किसानों और भैंस प्रजनकों को मुर्रा भैंस का वीर्य उपलब्ध कराने के लिए, हमारे देश में एक प्रमुख अनुसंधान संस्थान है। संस्थान में, उच्च गुणवत्ता वाली नस्ल को दोहराने के लिए, मुर्रा भैंस का क्लोन(Clone) भी तैयार किया गया है।
२.करनाल में राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान, एक कृषि-डेयरी विश्वविद्यालय है, जहां इस नस्ल पर अनुसंधान जारी है।
३.फिलीपींस(Philippines) में फिलीपीन काराबाओ केंद्र(Philippine Carabao Center), वहां के स्थानीय उष्णकटिबंधीय परिस्थितियों में अनुकूल होने के लिए, मुर्रा भैंसों का प्रजनन करता है।

संदर्भ
https://tinyurl.com/4vjrcytx
https://tinyurl.com/y4pj8m6f
https://tinyurl.com/2hkxmfru

चित्र संदर्भ
1. मुर्रा भैंस को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. ब्राजील के एक फार्म में मुर्रा भैंस को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. अपने बछड़े के साथ मुर्रा भैंस को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)

पिछला / Previous अगला / Next

Definitions of the Post Viewership Metrics

A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.

B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.

C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.

D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.